पानी की शुद्धता की जांच कैसे की जाती है? - paanee kee shuddhata kee jaanch kaise kee jaatee hai?

पानी की शुद्धता की जांच कैसे की जाती है? - paanee kee shuddhata kee jaanch kaise kee jaatee hai?

ओडिशा में जल गुणवत्ता जांचने के लिए सशक्त महिलाएं बनीं ‘जल योद्धा’

मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली चीजों में हवा के बाद पानी का ही स्थान है. पानी का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. इसलिए हमें शुद्ध-स्वच्छ हवा की ही तरह शुद्ध-स्वच्छ पानी पीने की भी सलाह दी जाती है. हाल के दशकों में प्रदूषण इतना बढ़ा है कि हम जो पानी पी रहे हैं, उसके भी शुद्ध होने की पूरी गारंटी नहीं है. तभी तो अक्सर हम अपने घरों में वाटर प्यू​रिफायर, फिल्टर आदि का इस्तेमाल करते हैं.

भारत सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत ओडिशा में महिलाओं को जल की शुद्धता और गुणवत्ता जांचने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण के बाद महिलाएं खुद ही पानी की क्वालिटी जांच पाएंगी. इस जांच में उनकी मदद करेगा एफटीके यानी फील्ड टेस्ट किट (Field Test Kit).

क्या होता है फील्ड टेस्ट किट?

एफटीके पानी की क्वालिटी जांचने के लिए एक तरह का कीट है. इस किट के जरिये पानी में मौजूद आर्सेनिक, हानिकारक बैक्टीरिया, रासायनिक अशुद्धियों, एलिमेंट, पार्टिकल्स आदि का पता लगाया जाता है. फील्ड टेस्ट किट्स (एफटीके) की मदद से पानी की शुद्धता की जांच आसानी से की जा सकती है.

ओडिशा के ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग पानी की गुणवत्ता की जांच और निगरानी के लिए एक प्रोग्राम तैयार किया, जिसने इस मान्यता को तोड़ कर रख दिया कि जल गुणवत्ता प्रबंधन सिर्फ इंजीनियरों का ही काम है. इस कार्यक्रम को एक सामुदायिक अधिकार के तौर पर विभाग द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है. अगर सही तरीके से समुदाय को प्रशिक्षित किया जाए तो आम लोग भी जल की क्वालिटी जांच सकते हैं.

ओडिशा में बढ़ाया गया एसएचजी का परीक्षण कौशल

ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता की ओर से एक महीने चलाए गए कैंपेन के जरिए 4 लाख जल स्रोतों पर स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से जल की गुणवत्ता का परीक्षण करके इनके कौशल को बढ़ाया. इन जल स्त्रोतों में हैंड-पंप, ट्यूब-वेल, कुंएं और जल वितरण केंद्र शामिल थे.

इन स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों ने नमूने एकत्र किए और समुदाय की उपस्थिति में परीक्षण किया और पेयजल स्रोत में पाए गए प्रदूषण के बारे में उन्हें जागरूक किया. सभी नमूनों जो या तो किसी हानिकारक बैक्टीरिया से या किसी रसायन से प्रदूषित थे, उन्हें पुष्टि के लिए जिला और उप-विभागीय स्तर की प्रयोगशालाओं में भेजा गया.

23 हजार लोगों केा किया गया प्रशिक्षित

ओडिशा में सबसे कम साक्षर समुदायों जैसे मल्कानगिरी, नवरंगपुर, सुंदरगढ़ के लोगों को भी एफटीके का उपयोग कर जल स्रोतों के परीक्षण में मदद की. कोविड-19 महामारी के दौरान जल स्रोतों का परीक्षण सुनिश्चित करना विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण था. 12 हजार स्व-रोजगार प्राप्त मैकेनिकों और महिला स्वयं सहायता समूहों के 11 हजार से अधिक सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया और इन्हें 7000 से अधिक एफटीके मुहैया करवाकर जल योद्धाओं के रूप में कार्य करने के लिए तैयार किया गया.

महिलाओं को जल योद्धा के रूप में किया गया तैयार

ओडिशा के ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग की प्रयोगशाला ने 105 लैब कर्मियों और ब्लॉक स्तर पर 314 जूनियर इंजीनियरों का एक समूह तैयार किया है. यह समूह सामुदायिक स्तर पर लोगों के स्वयं सहायता समूहों और स्वरोजगार प्राप्त मैकेनिकों को इस कैंपेन को चलाने में अपनी भूमिका अदा करने के लिए तैयार करेंगे. समूह की महिलाओं को जल योद्धा नाम दिया गया है.

इन जल योद्धाओं द्वारा 3 लाख जल स्रोतों का परीक्षण किया जा चुका है. अब विभाग के पास 11 हजार कुशल महिलाओं यानी जल योद्धाओं का कैडर है जो वर्ष में एक बार बैक्टीरियलोलॉजिकल परीक्षण और दो बार रासायनिक परीक्षण करेंगे. जल जीवन मिशन के तहत यह पहल अब और अधिक महिलाओं को पीने के पानी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगी.

शुद्ध पानी कैसे पता करें?

पानी को करें टेस्ट- पानी की शुद्धता का पता आप चखकर भी लगा सकते हैं अगर चखने पर पानी कड़वा लगे तो उसे थूक दे, अगर पानी में धातु जैसा स्वाद आ रहा है तो इसका मतलब इसमें धात्विक अशुद्धियां जैसे कैलशियम, मैग्निशियम आदि मिली हुई है, अगर पानी में ब्लीच का स्वाद आ रहा है तो इसका मतलब पानी में क्लोरीन मिली हुई है.

पानी की शुद्धता की जांच कैसे करें?

पानी को छान लें: पानी में मौजूद कंकड़-पत्थर, इन्सेक्ट्स, पौधों के हिस्से, या मिट्टी जैसी दूषित चीजों को हटाने के लिए आप इन अशुद्धियों को छान सकते हैं। एक पतली छन्नी के साथ मलमल के कपड़े को, एक जाली, एक साफ डिश टॉवल को या फिर एक साफ कॉटन शर्ट लगा लें।

पानी की जांच कितने प्रकार की होती है?

अनुक्रम.
3.1 कठोरता परीक्षण.
3.2 योग्यता परीक्षण.
3.3 क्लोराइड परीक्षण.
3.4 नीट टेस्ट.
3.5 लोहे का जांच.
3.6 पानी के लिए पीएच परीक्षण.
3.7 पानी के लिए टर्बिडिटी टेस्ट.

पीने के पानी में टीडीएस कितना होना चाहिए?

- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति लीटर पानी में TDS की मात्रा 300 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए. अगर एक लीटर पानी में 300 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम तक TDS हो तो उसे पीने योग्य माना जाता है. हालांकि अगर एक लीटर पानी में TDS की मात्रा 900 मिलीग्राम से ज्यादा है तो वो पानी पीने योग्य नहीं माना जाता है.