पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा कौन कौन से कदम उठाए गए हैं? - paryaavaran ke santulan ko banae rakhane ke lie sarakaar dvaara kaun kaun se kadam uthae gae hain?

पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा कौन कौन से कदम उठाए गए हैं? - paryaavaran ke santulan ko banae rakhane ke lie sarakaar dvaara kaun kaun se kadam uthae gae hain?

तंजानिया के उत्तरी भाग में सेरेन्गेटी सवाना मैदान में हाथी और ज़ेब्रा

पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा कौन कौन से कदम उठाए गए हैं? - paryaavaran ke santulan ko banae rakhane ke lie sarakaar dvaara kaun kaun se kadam uthae gae hain?

पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा कौन कौन से कदम उठाए गए हैं? - paryaavaran ke santulan ko banae rakhane ke lie sarakaar dvaara kaun kaun se kadam uthae gae hain?

कनस्तरों (कैन) को दबाकर उनसे ब्लॉक बनाए जा सकते हैं।

पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा कौन कौन से कदम उठाए गए हैं? - paryaavaran ke santulan ko banae rakhane ke lie sarakaar dvaara kaun kaun se kadam uthae gae hain?

सायकिल का उपयोग करने से मोटरवाहनों का उपयोग कम होगा जो पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगा।

पर्यावरण शब्द 'परि +आवरण' के संयोग से बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों, प्राणियों, और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु , मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता है।

पर्यावरण संरक्षण की समस्या[संपादित करें]

विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण आज का मानव प्रकृति पर पूर्णतया विजय प्राप्त करना चाहता है। इस कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। वैज्ञानिक उपलब्धियों से मानव प्राकृतिक संतुलन को उपेक्षा की दृष्टि से देख रहा है। दूसरी ओर धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि , औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है [1]

प्रगति की दौड़ में आज का मानव इतना अंधा हो गया है कि वह अपनी सुख सुविधाओं के लिए कुछ भी करने को तैयार है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व[संपादित करें]

पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है।[2] इस स्थिति को ध्यान में रखकर सन् 1992 में ब्राजील में विश्व के 174 देशों का 'पृथ्वी सम्मेलन' आयोजित किया गया।[3]

इसके पश्चात सन् 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। वस्तुतः पर्यावरण के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है, अन्यथा मंगल ग्रह आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन-चक्र भी समाप्त हो जायेगा।[4]

पर्यावरण संरक्षण की विधियां[संपादित करें]

पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा कौन कौन से कदम उठाए गए हैं? - paryaavaran ke santulan ko banae rakhane ke lie sarakaar dvaara kaun kaun se kadam uthae gae hain?

पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न विधियाँ

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव हैं, जो अतीव घातक हैं, जैसे आणविक विस्फोटों से रेडियोधर्मिता का आनुवांशिक प्रभाव, वायुमण्डल का तापमान बढ़ना, ओजोन परत की हानि, भूक्षरण आदि ऐसे घातक दुष्प्रभाव हैं। प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव के रूप में जल, वायु तथा परिवेश का दूषित होना एवं वनस्पतियों का विनष्ट होना, मानव का अनेक नये रोगों से आक्रान्त होना आदि देखे जा रहे हैं। बड़े कारखानों से विषैला अपशिष्ट बाहर निकलने से तथा प्लास्टिक आदि के कचरे से प्रदूषण की मात्रा उत्तरोत्तर बढ़ रही है।

अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हमें सबसे पहले अपनी मुख्य जरूरत ‘जल’ को प्रदूषण से बचाना होगा। कारखानों का गंदा पानी, घरेलू, गंदा पानी, नालियों में प्रवाहित मल, सीवर लाइन का गंदा निष्कासित पानी समीपस्थ नदियों और समुद्र में गिरने से रोकना होगा। कारखानों के पानी में हानिकारक रासायनिक तत्व घुले रहते हैं जो नदियों के जल को विषाक्त कर देते हैं, परिणामस्वरूप जलचरों के जीवन को संकट का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर हम देखते हैं कि उसी प्रदूषित पानी को सिंचाई के काम में लेते हैं जिसमें उपजाऊ भूमि भी विषैली हो जाती है। उसमें उगने वाली फसल व सब्जियां भी पौष्टिक तत्वों से रहित हो जाती हैं जिनके सेवन से अवशिष्ट जीवननाशी रसायन मानव शरीर में पहुंच कर खून को विषैला बना देते हैं। कहने का तात्पर्य यही है कि यदि हम अपने कल को स्वस्थ देखना चाहते हैं तो आवश्यक है कि बच्चों को पर्यावरण सुरक्षा का समुचित ज्ञान समय-समय पर देते रहें। अच्छे व मंहगें ब्रांड के कपड़े पहनाने से कहीं महत्वपूर्ण है उनका स्वास्थ्य, जो हमारा भविष्य व उनकी पूंजी है।

आज वायु प्रदूषण ने भी हमारे पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाई है। जल प्रदूषण के साथ ही वायु प्रदूषण भी मानव के सम्मुख एक चुनौती है। माना कि आज मानव विकास के मार्ग पर अग्रसर है परंतु वहीं बड़े-बड़े कल-कारखानों की चिमनियों से लगातार उठने वाला धुआं, रेल व नाना प्रकार के डीजल व पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के पाइपों से और इंजनों से निकलने वाली गैसें तथा धुआं, जलाने वाला हाइकोक, ए.सी., इन्वर्टर, जेनरेटर आदि से कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड प्रति क्षण वायुमंडल में घुलते रहते हैं। वस्तुतः वायु प्रदूषण सर्वव्यापक हो चुका है।

सही मायनों में पर्यावरण पर हमारा भविष्य आधारित है, जिसकी बेहतरी के लिए ध्वनि प्रदूषण को और भी ध्यान देना होगा। अब हाल यह है कि महानगरों में ही नहीं बल्कि गाँवों तक में लोग ध्वनि विस्तारकों का प्रयोग करने लगे हैं। बच्चे के जन्म की खुशी, शादी-पार्टी सभी में डी.जे. एक आवश्यकता समझी जाने लगी है। जहां गाँवों को विकसित करके नगरों से जोड़ा गया है। वहीं मोटर साइकिल व वाहनों की चिल्ल-पों महानगरों के शोर को भी मुँह चिढ़ाती नजर आती है। औद्योगिक संस्थानों की मशीनों के कोलाहल ने ध्वनि प्रदूषण को जन्म दिया है। इससे मानव की श्रवण-शक्ति का ह्रास होता है। ध्वनि प्रदूषण का मस्तिष्क पर भी घातक प्रभाव पड़ता है।

जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि तीनों ही हमारे व हमारे फूल जैसे बच्चों के स्वास्थ्य को चौपट कर रहे हैं। ऋतुचक्र का परिवर्तन, कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा का बढ़ता हिमखंड को पिघला रहा है। सुनामी, बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि या अनावृष्टि जैसे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, जिन्हें देखते हुए अपने बेहतर कल के लिए ‘5 जून’ को समस्त विश्व में ‘पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है।

पौधा लगाने से पहले वह जगह तैयार करना आवश्यक है जहां वह विकसित व बड़ा होगा।

उपर्युक्त सभी प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए यदि थोड़ा सा भी उचित दिशा में प्रयास करें तो बचा सकते हैं अपना पर्यावरण। सर्वप्रथम हमें जनाधिक्य को नियंत्रित करना होगा। दूसरे जंगलों व पहाड़ों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए। देखने में जाता है कि पहाड़ों पर रहने वाले लोग कई बार घरेलू ईंधन के लिए जंगलों से लकड़ी काटकर इस्तेमाल करते हैं जिससे पूरे के पूरे जंगल स्वाहा हो जाते हैं। कहने का तात्पर्य है जो छोटे-छोटे व बहुत कम आबादी वाले गांव हैं उन्हें पहाड़ों पर सड़क, बिजली-पानी जैसे सुविधाएं मुहैया कराने से बेहतर है उन्हें प्लेन में विस्थापित करें। इससे पहाड़ व जंगल कटान कम होगा, साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 10 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 मार्च 2015.
  2. Webdunia. "पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं हमारी भारतीय परम्पराएं". hindi.webdunia.com. मूल से 20 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-07-01.
  3. "पृथ्वी सम्मेलन में किया था देश का प्रतिनिधित्व". Amar Ujala. अभिगमन तिथि 2020-07-01.
  4. "विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस आज, जानिए कितने प्रतिशत सुरक्षित हैं वन्यजीव". Jansatta. 2019-07-28. मूल से 29 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-07-01.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • पर्यावरण विज्ञान
  • पर्यावरणीय अध्ययन
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • पर्यावरणीय अवनयन
  • जलवायु परिवर्तन
  • संसाधन
  • प्राकृतिक संसाधन
  • प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
  • जनसंख्या
  • जनसंख्या विस्फोट
  • पारिस्थितिक तंत्र
  • पारिस्थितिकी
  • भूदृश्य पारिस्थितिकी
  • भूगोल
  • पर्यावरण भूगोल
  • भौगोलिक सूचना तंत्र
  • जैवमंडल
  • जीवोम
  • जल संसाधन
  • जल संसाधन प्रबंधन
  • पर्यावरण प्रबंधन
  • पर्यावरण संरक्षण
  • पर्यावरण दर्शन
  • पर्यावरणीय नीतिशास्त्र
  • पर्यावरणीय विधि

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार कौन कौन से कार्यक्रम चला रही है?

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उत्पादन अवलोकन भारतीय-विद्युत-परिदृश्य ... .
लक्ष्य भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित ट्रांसमिशन योजनाएं हरित ऊर्जा गलियारा.
अवलोकन राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (एनएसजीएम) राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (एनएसजीएम) ... .
वितरण योजना सौभाग्य.
संशोधित वितरण योजना अवलोकन दिशानिर्देश ... .
ऊर्जा संरक्षण एवं ऊर्जा पार गमन.
पोर्टल/डैशबोर्ड.

हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए कौन कौन से प्रमुख कदम उठाने चाहिए?

पर्यावरण सुरक्षा है- अपने चारों ओर के आवरण को सुरक्षा प्रदान करना तथा उसे अनुकूल बनाए रखना। पर्यावरण शब्द 'परि +आवरण' के संयोग से बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है।

हमें अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए क्या क्या कदम उठाने चाहिए विस्तार पूर्वक लिखें?

-बोतल के पानी का कम से कम इस्तेमाल करें। होटलों में अगर पानी साफ और फिल्टर्ड है तो वही इस्तेमाल करें। वह उस बोतल के पानी जैसा ही होगा जिसे हम शुद्ध समझकर पैसा खर्च करके खरीदते हैं।

पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए पौधरोपण आवश्यक है। आज वृक्षों की निरंतर कटाई के कारण ही पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा है। हमें इस ओर सोचना चाहिए तथा हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम वर्ष में कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाएं।