प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाली बीमारियां - plaastik pradooshan se hone vaalee beemaariyaan

Side Effects Of Plastic : आज की लाइफस्टाइल में प्लास्टिक (Plastic) हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है, ये जाने बिना ही कि इससे पर्यावरण के साथ साथ हमारी सेहत को कितना नुकसान होता है. वैसे तो सरकारें समय-समय प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए हमें आगाह करती ही रहती है, लेकिन प्लास्टिक को लेकर सतर्कता हम ज्यादा दिन तक नहीं बरत पाते हैं. क्योंकि शायद हम प्लास्टिक के आदि हो चुके हैं. आज हमारे खाने-पीने का सामान हो, या फिर इधर-उधर ले जाने की कोई चीज, इन सभी कामों में हम प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल करते हैं. नवभारत टाइम्स डॉटकॉम की न्यूज रिपोर्ट दिल्ली के सत्यवादी राजा हरीशचंद्र अस्पताल (Satyawadi Raja Harishchandra Hospital) के सीनियर रेजीडेंट डॉ. पर्व शर्मा (Dr Parv Kumar Sharma) ने प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभावों यानी साइडइफेक्ट्स (side effects) के बारे में बताया है.

इस न्यूज रिपोर्ट में डॉ शर्मा ने लोगों को सलाह दी है कि हमें जितनी जल्दी हो सके प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए. क्योंकि इससे हमारे शरीर पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं, इनमें से कुछ तो जानलेवा बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं.

बर्थ डिसॉर्डर का रिस्क
डॉक्टर पर्व के अनुसार, प्लास्टिक की चीजें कई टॉक्सिक सब्सटेंस (toxic substance) से बनी होती है, जो मानव शरीर के लिए अच्छे नहीं है. इनमें लैड, सीसा, मरकरी और कैडवियम होता है, जिनके कॉन्टेक्ट में आते ही कई तरह की सीरियस डिजीज का रिस्क होता है. और अगर इसके डायरेक्ट संपर्क में आ गए, तो बर्थ डिसॉर्डर का खतरा पैदा हो जाता है. बर्थ डिसॉर्डर यानी मां से बच्चे को भी कुछ डिसॉर्डर होते हैं. इसे साधारण भाषा में ऐसे समझा जा सकता है कि पैदा होते ही बच्चे को कोई बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है. डॉक्टर के अनुसार प्लास्टिक में हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करने के कण पाए गए हैं.

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प्लास्टिक में जहरीला पदार्थ
इस न्यूज रिपोर्ट में डॉक्टर पर्व आगे बताते हैं कि जिस प्लास्टिक की बॉटल्स और फूड पैकेजिंग का हम यूज करते हैं, उसमें सबसे घातक बीपीए बिस्फेनॉल ए (BPA Bisphenol A) टॉक्सीन पाया जाता है. ये टॉक्सिन पानी को प्रदूषित करता है, फिर ये तालाब की मछलियों में जाता है और बाद में लोगों की आंत में पहुंचता है. इससे हमारी हेल्थ कंडीशन खराब होने शुरू होती है. इसके अलावा जैसे हम प्लास्टिक बैगों को इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं, ये पर्यावरण के लिए गंभीर संकट बना हुआ है. ये पानी से लेकर भूमि को प्रदूषित करने के साथ ही पेड़-पौधों और फसलों की वृद्धि व उत्पादन को भी नुकसान पहुंचा रहा है..

पल्मोनरी कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा
डॉक्टर पर्व के अनुसार, प्लास्टिक के यूज से सबसे ज्यादा दो बड़ी बीमारियों का खतरा रहता है. एक अस्थमा और दूसरी पल्मोनरी कैंसर (pulmonary cancer). दरअसल प्लास्टिक में मौजूद टॉक्सिन से सबसे पहले व्यक्ति अस्थमा की समस्या से जूझता है, जिसमें उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है. वहीं इससे पल्मोनरी कैंसर भी कैसे होता है, वो ऐसे कि जब भी प्लास्टिक को जलाते हैं, जो उसमें से जहरीली गैस निकलती है, जिसे हम इनहेल करते हैं और इससे पल्मोनरी कैंसर होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है.

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किडनी और लीवर डैमेज करता है प्लास्टिक
न्यूज रिपोर्ट में डॉ पर्व ने ये भी बताया है कि किस तरह से प्लास्टिक लीवर को भी डैमेज भी करता है. वह बताते हैं कि जब हम ऐसा खाना खाते हैं, जिसमें प्लास्टिक की रैपिंग होती है और उसे काफी वक्त तक ऐसे ही रखते हैं, तो इसके टॉक्सिक सब्सटेंस खाने में आ जाते हैं. ऐसे में जब हम वो खाना खाते हैं, तो ये टॉक्सिक सब्सटेंस सीधा लीवर में पहुंचते हैं. इस दूषित भोजन को हम सही से पचा नहीं पाते हैं, जिससे वो लीवर या किडनी में रह जाता है.

डैमेज हो सकता है ब्रेन
प्लास्टिक हमारे ब्रेन को भी डैमेज कर सकता है, डॉ पर्व का कहना है लंबे समय तक खान-पान में प्लास्टिक का यूज करने से और इसके किडनी में पहुंचने से ब्रेन और नर्वस सिस्टम भी डैमेज हो सकता है. यही वजह है कि डॉ पर्व प्लास्टिक वाली चीजों का यूज नहीं करने के लिए कह रहे हैं.

कैसे कम करें प्लास्टिक का यूज
अगर आप प्लास्टिक के यूज को कम करने को लेकर टेंशन ले रहे हैं. तो आपके लिए सुझाव है कि आप प्लास्टिक की बोतलों की जगह स्टेनलेस स्टील या कांच की बोतलों का यूज करना शुरू करें. स्टील के लंच बॉक्स में अपना खाना पैक करके ले जाएं. किचन में भी अपने प्लास्टिक के कंटेनर और जार की जगह कांच के जार इस्तेमाल कर सकते हैं.

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Tags: Health, Health News

FIRST PUBLISHED : October 15, 2021, 12:18 IST

प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

आईएमए अध्यक्ष एवं चेस्ट फिजीशियन डा. आशीष अग्रवाल का कहना है कि प्रदूषण के कारण हर उम्र के लोग सांस संबंधित बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। प्रदूषण से बचाव के लिए जरूरी है कि खानपान और बाहर निकलते समय सावधानी बरतें। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के कारण स्ट्रोक के 34 प्रतिशत, हृदय रोग के  26 प्रतिशत, फेफड़े के कैंसर 6 प्रतिशत एवं अन्य कारणों से 28 प्रतिशत मौत प्रदूषण के कारण होती है। उन्होंने बताया कि  - प्रदूषण बच्चों की स्मरण शक्ति पर भी असर डालता है। - गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। कई तरह की बीमारियां गर्भ में ही सामने आ जाती हैं। कई बार उनका शारीरिक विकास नहीं हो पाता है।  - हर उम्र के लोगों में सर्दी-खांसी बढ़ जाती है।  - चर्म रोग बढ़ने के साथ ही कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है। प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के लक्षण  - जुकाम होना, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, टीबी और गले में में इंफेक्शन, साइनस, अस्थमा एवं फेफड़ों से संबंधित बीमारियां वायु प्रदूषण से बचाव -घर से बाहर निकलते वक्त हमेशा मुंह पर मास्क का उपयोग करें। इसके अलावा आंखों पर चश्मा भी लगाएं। ध्यान रखें चेहरे पर लगे मास्क को बार-बार छूना नहीं चाहिए।

-एक मास्क को एक बार ही प्रयोग करें। एक ही मास्क का प्रयोग बार-बार करके आप वायरस और कई तरह के इंफेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया की चपेट में आ सकते हैं। -घर के बाहर सड़कों को गीला करके रखें ताकि धूल के दूषित कण हवा में न उड़ने पाएं।  -घर से बाहर तभी बाहर टहलने के लिए निकलें जब पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर कम हो। प्रदूषण से बचाव के लिए ऐसी रखें डाइट- क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. अशोक राणा का कहना है कि आयुर्वेदिक उपाय करके प्रदूषण से बचाव कर सकते हैं। उनका कहना है कि  -खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ जरूर खाएं  गुड़ खून साफ करता है।  इससे आप प्रदूषण से बचे रहेंगे।  -फेफड़ों को धूल के कणों से बचाने के लिए आप रोजाना एक गिलास गर्म दूध जरूर पियें।  - अदरक का रस और सरसों का तेल नाक में बूंद-बूंद कर डालने से भी आप हानिकारक धूल कणों से भी बचे रहेंगे। - खुद को प्रदूषण के प्रभाव से बचाने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।  - शहद में काली मिर्च मिलाकर खाएं, आपके फेफड़े में जमी कफ और गंदगी बाहर निकल जाएगी।  - अजवायन की पत्तियों का पानी पीने से भी व्यक्ति का खून साफ होने के साथ शरीर के भीतर मौजूद दूषित तत्व बाहर निकल जाते हैं। - तुलसी प्रदूषण से आपकी रक्षा करती है, इसलिए रोजाना तुलसी के पत्तों का पानी पीने से आप स्वस्थ बने रहेंगे। - ठंडे पानी की जगह गर्म पानी का सेवन करना शुरू कर दें।  ------------

प्लास्टिक प्रदूषण से कौन कौन सी बीमारी हो सकती है?

डॉक्टर पर्व के अनुसार, प्लास्टिक के यूज से सबसे ज्यादा दो बड़ी बीमारियों का खतरा रहता है. एक अस्थमा और दूसरी पल्मोनरी कैंसर (pulmonary cancer). दरअसल प्लास्टिक में मौजूद टॉक्सिन से सबसे पहले व्यक्ति अस्थमा की समस्या से जूझता है, जिसमें उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है.

प्लास्टिक से क्या क्या नुकसान है?

पर्यावरण को होता है नुकसान इसलिए प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए. प्लास्टिक से वातावरण को गंभीर नुकसान होता है और इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. अगर प्लास्टिक का इस्तेमाल रोका जाए तो पर्यावरण में कई तरह का प्रदूषण कम हो सकता है और यह हमारी हेल्थ के लिए फायदेमंद साबित होगा.

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण क्या है?

1) प्लास्टिक से बनी बोतले, थैले, डब्बे आदि वस्तुओं का अधिक प्रयोग प्लास्टिक प्रदूषण का कारण है। 2) प्लास्टिक कई रसायनों को मिलाकर बनाया जाता है जो जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं। 3) प्लास्टिक कचरे से रिसने वाले हानिकारक रसायन जल में घुलकर उसे दूषित कर देते हैं।