गोपाष्टमी 1 नवंबर
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस व्रत में गाय की पूजा और प्रार्थना की जाती है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था। आठवें दिन भगवान इंद्र अपने अहंकार भूलकर भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगने आए थे। तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी उत्सव मनाया जाता है।
अक्षय कूष्माण्ड नवमी 2 नवंबर
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय कूष्माण्ड नवमी कहा जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। इसी के साथ भगवान विष्णु की भी पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन दान देने का बड़ा महत्व माना जाता है। कहते हैं कि भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा की तिथि तक आंवले के पेड़ में निवास करते हैं।
देवी प्रबोधिनी, तुलसी विवाह 4 नवंबर
हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह मनाया जाएगा। इस दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। इसे देवी प्रबोधिनी के नाम भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम की पूजा की जाती है। तुलसी विवाह और भगवान शालिग्राम की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इस बार तुलसी विवाह 4 नवंबर को कराया जाएगा
बैकुंठ चतुर्दशी 6 नवंबर
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसे वैकंठ चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस बार बैकुंठ चतुर्दशी 6 नवंबर को है। इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शंकर की पूजा करना भी अनिवार्य है।
कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती 8 नवंबर
इस साल कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 8 नवंबर को मनाया जाता है। साल में कुल 12 पूर्णिमा आती है उनमें से कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा सहित कई पवित्र नदियों में स्नान आदि करना का काफी महत्व है। पूर्णिमा तिथि के दिन
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने से विशेष फल मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरा नाम के राक्षस का अंत किया था। इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इसके अलावा इसी दिन भगवान विष्णु का प्रथम अवतार यानी मत्स्य अवतार में भी इसी दिन प्रकट हुए थे। इस दिन गुरु नानक जयंती भी है। दरअसल, सिख समुदाय के लोग कार्तिक पूर्णिमा दिन गुरु नानक देव जी का जन्मदिन प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं।
चंद्रग्रहण 8 नवंबर
इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण 8 नवंबर कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को लगेगा। इस ग्रहण को भी भारत के अधिकांश हिस्सों में देखा जा सकती है। शाम 06 बजकर 18 मिनट पर यह ग्रहण समाप्त हो जाएगा। इसी के साथ चंद्रग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। चंद्रग्रहण के दौरान यात्रा करना अशुभ माना जाता है।
श्री काल भैरवाष्टमी 16 नवंबर
भैरव अष्टमी के दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को शत्रुओं का भय नहीं रहता। इस दिन भैरव बाबा की पूजा की जाती है। काल भैरव की पूजा उपासना करने से व्यक्ति का सेरा संकट दूर होते हैं। इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद पितरों का तर्पण और श्राद्ध आदि करके काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।
चंपा षष्ठी 29 नवंबर
चंपा षष्ठी मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव के मार्कंडेय स्वरूप और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से जीवन में प्रसन्नता बनी रहती है। इतना ही नहीं इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से भक्तों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
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