Show नारायण नागबली पूजा त्र्यंबकेश्वरनारायण नागबली क्या है? ( पितृ दोष )नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा , कामना पूर्ण करने के उद्देश से किय जाते है इसीलिए ये दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि और नागबपलि ये अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत: पितृदोष निवारण करना है । और नागबलि
का उद्देश सर्प/साप/नाग हत्याह का दोष निवारण करना है। केवल नारायण बलि यां नागबलि कर नहीं सकतें, इसगलिए ये दोनो विधीयां एकसाथ ही करनी पडती हैं। दोनों प्रकार के विधि निम्नलिखित इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए किये जाते है.
नारायण नागबली का महत्व और प्रक्रिया: भारत में अधिकतर दम्पत्यों की कम से कम एक पुरुष संतान प्राप्ति की प्रबल इच्छा होती है. और इस इच्छा की पूर्ति न होना दम्पत्यों के लिए खाफी दुःख दाई होता है. इस आधुनिक युग में टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी उपचार पद्धति उपलब्ध है. लेकिन कई लोगों के हिसाब से यह काफी महेंगी होती है. कुछ लोग इन महेंगे उपचारों के लिए कर्जा लेते है. लेकिन जब इस महेंगे उपचारों का कोई फायदा नहीं होता, तब यह लोग ज्योतिषों के पास जाते है. और एक ज्योतिष ही इन उपचारों की विफलता का कारण जान सकता
है. भूत प्रेतों से परेशानीकोई स्थाई अस्थाई संपत्ति जैसे के, घर जमीन या पैसा किसी से जबरन या ठग कर हासिल की जाती है तो मृत्यु पश्चात् उस व्यक्ति की आत्मा उसी संपत्ति के साथ रहे जाती है. उस व्यक्ति को मृत्यु पश्चात् जलाया या दफनाया भी जाए तो भी उस की इच्छाओं की आपूर्ति न होने के कारण उस के आत्मा को मुक्ति नहीं मिल पाती और वह आत्मा प्रेत योनी में परिवर्तित होती है. और उस के पतन को कारणीभूत वक्ती को पीड़ा देने लगाती है. अगर किती शापित व्यक्ति की मृत्यु पश्चात् उसका अन्त्य विधि शास्त्रों अनुसार संपन्न न हुआ हो, या श्राद्ध न किया गया हो. तो उस वजह से उस से सम्बंधित व्यक्तिओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. जैसे के –
ऊपर लिखे हुवे सभी या किसी भी परेशानी से व्यक्ति झुंज रहा हो तो उसे नारायण-नागबली करने की सलाह दी जाती है. दुर्मरणकिसी भी गलत कारण वश मृत्यु या गलत आयु में मृत्यु होना इसे दुर्मरण कहा जाता है. किसी इन्सान की इस प्रकार से मृत्यु उस आदमी के परिवार के लिए अनेकविध परेशानियों का कारण बनती है. निम्नलिखित कारण से आने वाली मृत्यु दुर्मरण कहेलाती है.
श्राप दर्शक स्वप्नकोई व्यक्ति अगर निम्नलिखित स्वप्न देखता है, तो वह पिछले या इसी जन्म श्रापित श्रापित होता है.
इन प्रकार के स्वप्नों से मुक्ति पाने के लिए नारायण-नागबली यह विधि की जाती है. “धर्मसिंधु” और “धर्मनिर्णय” इन प्राचीन ग्रंथो में इस विधि के बारे में लिखा हुवा है. नारायण बली की विधि क्या है?नारायण बलि ऐसा विधान है, जिसमें लापता व्यक्ति को मृत मानकर उसका उसी ढंग से क्रियाकर्म किया जाता है, जैसे किसी की मौत होने पर। इस प्रक्रिया में कुश घास से प्रतीकात्मक शव बनाते हैं और उसका वास्तविक शव की तरह ही दाह-संस्कार किया जाता है। इसी दिन से आगे की क्रियाएं शुरू होती हैं, मसलन बाल उतारना, तेरहवीं, ब्रह्मभोज वगैरह।
नारायण बलि कराने से क्या फायदा होता है?पितृ दोष या पितृ शाप को मिटाने के लिए ( पूर्वजो के असंतुष्ट इच्छाओ को पूरा करने के लिए) नारायण बली पूजा करते है, तथा साँप को मारने के पाप से छुटकारा पाने के लिए नागबली पूजा की जाती है। इस पूजा प्रक्रिया में, गेहूं के आटे से बने साँप के शरीर पर अंतिम संस्कार किया जाता है।
नारायण बलि पूजा कब करना चाहिए?२) व्यक्ति की शादी न होने पर या पत्नी की जीवित न होने पर भी कुल एवं वंश के उद्धार के लिए भी नारायण नागबली पूजा की जाती है। ३) गर्भवती महिला गर्भ धारण से आगे पांचवे महीने तक ही नारायण नागबली पूजा कर सकती है। ४) घर-परिवार में यदि कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह विधि, नामकरण विधि हो तो यह पूजा एक साल के बाद की जाती है।
नारायण बलि में क्या क्या सामग्री लगती है?दरभा और रेशम, देवताओं की मूर्तियाँ, यज्ञ की अग्नि के लिए आवश्यक सामग्री, मक्खन, चावल, पलाश की लकड़ियाँ, समिधा। सूखे गोबर केक, तिल, जौ, फूल, फूलों की माला, दूध, घी, दही, शहद और चीनी का मिश्रण। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री, पत्तों से बनी प्लेटें। अनुष्ठान के लिए आवश्यक गेहूं का आटा, सभी पौधे सामग्री आदि।
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