इटली के एकीकरण में मेजिनी और गैरीबाल्डी का क्या योगदान था? - italee ke ekeekaran mein mejinee aur gaireebaaldee ka kya yogadaan tha?

इटली एकीकरण को इतालवी भाषा में इल रिसोरजिमेंतो कहते हैं. 19वीं सदी में इटली में एक राजनैतिक और सामाजिक अभियान शुरू हुआ जिसने इटली प्रायद्वीप के विभिन्न राज्यों को संगठित करके एक इतालवी राष्ट्र बना दिया. इसे इटली एकीकरण कहा गया. इटली का एकीकरण सन् 1815 में इटली पर नेपोलियन बोनापार्ट के राज के अंत पर होने वाले वियेना सम्मलेन के साथ आरंभ हुआ और 1870 में राजा वित्तोरियो इमानुएले की सेनाओं द्वारा रोम पर कब्‍जा होने तक चला.

(1) इटली के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक ऑस्ट्रिया था.

(2) सार्डनिया पीडमौंट राज्‍य ने इटली के एकीकरण में अगुवाई की.

(3) काउंट काबूर इटली की समस्‍या को अंतर्राष्ट्रीय समस्‍या बना दिया.

(4) इटली के एकीकरण का श्रेय मेजिनी, काउंट काबूर और गैरीबाल्‍डी को दिया जाता है.

(5) इटली के एकीकरण का तलवार गैरीबाल्‍डी को कहा जाता है.

(6) यंग इटली की स्‍थापना 1831 ई. में जोसेफ मेजिनी ने की.

(7) गैरीबाल्‍डी ने लाल कुरती नाम से सेना का संगठन किया था.

(8) कार्बोनरी सोसायटी का संस्‍थापक गिवर्टी था.

(9) इटली के एकीकरण की शुरुआत लोम्‍बर्डी और सार्डिनिया के राज्‍यों के मिलने से हुई.

(10) इटली देश का जन्‍म 2 अप्रैल 1860 ई. से माना जाता है.

(11) रोम को संयुक्‍त इटली की राजधानी 1871 में घोषित कि या गया.

(12) यदी समाज में क्रांति लानी हो तो क्रांति का नेतृत्‍व नवयुवको के हाथ में दे दो-ये कथन जोसेफ मेजिनी का था.

(13) इटली का एकीकरण 1871 ई. में काउंट काबूर ने किया.

(14) इटली की एकता का जन्‍मदाता नेपोलियन था.

(15) विक्‍टर एमैनुएल सार्डिनिया का शासक था.

(16) इटली के एकीकरण का जनक जोसेफ मेजिनी को माना जाता है. मेजिनी का जन्‍म जेनेवा में हुआ था.

(17) 19 सदी के पूर्वार्द्ध में इटली में 13 राज्‍य थे.

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इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का योगदान

इटली के एकीकरण में गेरीबाल्डी का योगदान

गेरीबाल्डी इस आन्दोलन की तलवार कहलाता है। वह इटली के स्वतन्त्रता-संग्राम का महान् सेनानी था। उसका जन्म 1807 ई. में नीस में हुआ था। उसकी रुचि सामुद्रिक जीवन में थी, अतः वह सार्डीनिया के जल सेना में भर्ती हो गया। अपनी समुद्री यात्राओं में उसका इटली के देशभक्तों और निर्वासितों से परिचय हुआ और उनके सम्पर्क में उसके मन में देश की स्वतन्त्रता की ऐसी लगन लगी कि उसके लिए वह अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए तैयार हो गया। कुछ समय पश्चात् वह मेजिनी के सम्पर्क में आया और उसके उच्च आदर्शों से प्रेरित होकर 'युवक इटली'नामक संस्था का सदस्य बन गया।

1834 ई. में सेवाय के विद्रोह में भाग लेने के कारण गेरीबाल्डी बन्दी बना लिया गया और उसे मृत्यु दण्ड दिया गया, परन्तु वह जेल से भाग निकला और दक्षिणी अमेरिका चला गया। 14 वर्ष तक वह दक्षिणी अमेरिका के क्रांतिकारी युद्धों में भाग लेता रहा और छापामार युद्ध-पद्धति का अनुभव प्राप्त किया। 1848 की क्रांति का समाचार पाकर वह पुनः इटली लौट आया। उसने आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध में भाग लिया परन्तु उसे असफलता का सामना करना पड़ा। इसके पश्चात् वह रोम में मेजिनी के गणतन्त्र की सहायता करने पहुंचा और बड़ी वीरता से फ्रांसीसी सेना का मुकाबला किया, परन्तु यहाँ भी उसे असफलता का मुँह देखना पड़ा। विपत्ति के समय उसकी पत्नी अनिता भी उसके साथ थी। वह भी संघर्ष करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई। फिर भी गेरीबाल्डी हतोत्साहित नहीं हुआ और दक्षिणी अमेरिका चला गया।

इटली के एकीकरण में मेजिनी और गैरीबाल्डी का क्या योगदान था? - italee ke ekeekaran mein mejinee aur gaireebaaldee ka kya yogadaan tha?
इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का योगदान

1854 में गेरीबाल्डी पुनः इटली वापस आ गया और के परेरा नामक द्वीप खरीदकर एक स्वतन्त्र कृपक के रूप में रहने लगा। 1856 में उसकी काबूर से प्रथम भेंट हुई। वह काबूर के विचारों से इतना प्रभावित हुआ कि उसने सार्जीनिया के शासक को अपनी सेवाएँ समर्पित कर दी। जब 1859 ई. में आस्ट्रिया और सार्डीनिया के बीच युद्ध छिड़ गया तो गेरीबाल्डी भी इस युद्ध में कूद पड़ा। जब नेपोलियन तृतीय ने इटली के साथ विश्वासघात करके आस्ट्रिया से समझौता कर लिया तो गेरीबाल्डी अत्यधिक क्षुब्ध हुआ और उसने सम्राट नेपोलियन तृतीय को 'लोमड़ी जैसा मक्कार'कहा।

सिसली और नेपल्स पर अधिकार-

5 मई, 1860 को गेरीबाल्डी एक हजार लाल कुर्ती के स्वयंसेवकों को लेकर सिसली की ओर रवाना हुआ। काबूर ने इस अभियान में गैरीबाल्डी को गुप्त रूप से सहायता पहुँचाई। गेरीबाल्डी ने दो मास के भीतर सम्पूर्ण सिसली पर अधिकार कर लिया और 5 अगस्त, 1860 को विक्टर एमानुअल की अधीनता ने अपने आपको सिसली का शासक घोषित कर दिया। तत्पश्चात् गेरीबाल्डी ने नेपल्स पर अधिकार करने का निश्चय कर लिया। साधारण विरोध के पश्चात् नेपल्स का शासक फ्रांसीस द्वितीय 6 सितम्बर, 1860 को नेपल्स छोड़ कर भाग गया और 7 सितम्बर, 1860 को गेरीबाल्डी का नेपल्स पर भी अधिकार हो गया। नेपल्स की जनता ने उसका भव्य स्वागत किया। हेजन का कथन है कि, "गेरीबाल्डी की सिसली और नेपल्स की विजय इतिहास की रोमांचकारी घटना है।"

नेपल्स पर अधिकार कर लेने के बाद गेरीबाल्डी ने रोम पर आक्रमण करने की योजना बनाई। इससे काबूर बड़ा चिन्तित हुआ क्योंकि रोम की रक्षा फ्रांसीसी सेनाएँ कर रही थीं और रोम पर आक्रमण करने से फ्रांस के नाराज होने की पूरी सम्भावना थी। काबूर ने इस अवसर पर कूटनीतिज्ञ चातुर्य का प्रदर्शन किया और अपने संम्राट विक्टर एमानुअल द्वितीय को एक सेना के साथ पोप-राज्य पर आक्रमण करने भेजा। विक्टर एमानुअल ने पोप के आम्ब्रिया और मार्चेज नामक प्रदेशों पर अधिकार कर लिया, परन्तु रोम पर आक्रमण नहीं किया।

21 अक्टूबर, 1860 को जनमत संग्रह के आधार पर नेपल्स और सिसली को सार्डीनिया के राज्य में सम्मिलित कर लिया गया। कुछ समय पश्चात् अम्बिया और माचेंज को भी सार्जीनिया-पीडमांट के राज्य में मिला लिया गया, तत्पश्चात् विक्टर एमानुअल और गेरीबाल्डी की सम्मिलित सेनाओं ने कपुआ और गेटा पर भी अधिकार कर लिया। 7 नवम्बर, 1860 को विक्टर एमानुअल ने गेरीबाल्डी के साथ नेपल्स में प्रवेश किया। गेरीबाल्डी ने त्याग और बलिदान का परिचय देते हुए अपने जीते हुए प्रदेश सम्राट विक्टर एमानुअल द्वितीय को सौंप दिये। सम्राट ने प्रसन्न होकर उसे पुरस्कार देना चाहा, परन्तु उसने इसे नम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया और केवल आलू का थैला लेकर के परेरा लौट आया। 17 मार्च, 1861 में सार्डीनिया-पीडमांट की नई संसद को अपने राजा विक्टर एमानुअल द्वितीय को संयुक्त इटली का सम्राट घोषित कर दिया। इस प्रकार नेपल्स और सिसली को सार्जीनिया-पीडमांट में मिलाने का श्रेय गेरीबाल्डी को ही है। इटली के एकीकरण में उसने महान् त्याग, निःस्वार्थ सेवा और अपूर्व देशभक्ति का परिचय दिया।

गेरीबाल्डी का मूल्यांकन-

गेरीबाल्डी एक महान् व्यक्ति और उच्च कोटि का देशभक्त था। वह. एक वीर साहसी और निर्भीक योद्धा था। उसने इटली के एकीकरण के लिए अपना तन-मन-धन समर्पित कर दिया। सिसली और नेपल्स को जीतकर उसने इटली के एकीकरण के कार्य में बड़ा महत्त्वपूर्ण सराहनीय कार्य किया। उसकी गणना इटली के महान् राष्ट्र-निर्माताओं में की जाती है।

विक्टर एमानुअल द्वितीय का योगदान-

विक्टर एमानुअल द्वितीय एक वीर सैनिक, सच्चा देशभक्त और ईमानदार शासक था वह मानव-गुणों का पारखी था। काबूर जैसे चतुर राजनीतिज्ञ को सार्जीनिया का प्रधानमंत्री बनाने वाला वही था। उसने अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुए इटली के एकीकरण के लिए अपनी 16 वर्षीय पुत्री क्लोटाइल्ड का विवाह नेपोलियन तृतीय के चचेरे भाई जेरोम बोनापार्ट से करना स्वीकार कर लिया जो अधेड़ आयु का ही नहीं बल्कि दुश्चरित्र व्यक्ति भी था। जब काबूर ने भावुकता में आकर त्यागपत्र दे दिया था, उस समय भी विक्टर एमानुअल ने धैर्य और समझ से काम लेकर स्थिति पर नियन्त्रण कर लिया और फ्रांस को नाराज होने का अवसर नहीं दिया। उसने वेनेशिया और रोम को सार्डीनिया-पीडमांट में मिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

वेनेशिया की प्राप्ति-

बिस्मार्क जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया को प्रमुख बाधा मानता था। अतः उसने आस्ट्रिया को पराजित करने के लिए इटली का सहयोग प्राप्त किया। 1866 में बिस्मार्क ने विक्टर एमानुअल से एक समझौता किया, जिसके अनुसार यह तय किया गया कि यदि इटली ने युद्ध में प्रशा का साथ दिया तो विजय मिलने पर आस्ट्रिया से वेनेशिया का प्रदेश इटली को दिला दिया जायेगा। 1866 में आस्ट्रिया और प्रशा में युद्ध छिड़ गया। इटली ने आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध में बड़े उत्साह के साथ भाग लिया परन्तु इटली की सेनाओं को पराजित होना पड़ा। अन्त में सेडोवा के युद्ध में प्रशा ने आस्ट्रिया को पूर्ण रूप से परास्त कर दिया। आस्ट्रिया को प्रशा को सन्धि स्वीकार करनी पड़ी जिसके अनुसार वेनेशिया का प्रदेश इटली को दिला दिया गया। वेनेशिया ने जनमत संग्रह द्वारा इटली के राज्य में मिलना स्वीकार कर लिया।

रोम पर अधिकार-

अब केवल रोम को इटली में मिलाना बाकी रह गया था। 1870 में फ्रांस और प्रशा में युद्ध आरम्भ हो गया। इस अवसर पर फ्रांसीसी सम्राट नेपोलियन तृतीय ने रोम से अपनी सेनाएं बुला लीं ताकि वह उन्हें प्रशा के विरुद्ध लगा सके। इटली ने इस स्थिति का लाभ उठाते हुए रोम पर आक्रमण कर दिया। 20 सितम्बर, 1870 को रोम पर इटली की सेनाओं का अधिकार हो गया। जनमत संग्रह के आधार पर भारी बहुमत से रोम को भी सार्जीनिया-पीडमांट में सम्मिलित कर लिया गया। 2 जून, 1871 को विक्टर एमानुअल ने इटली की नई राजधानी रोम में प्रवेश किया। इस प्रकार एक दीर्घकालीन संघर्ष के बाद मेजिनी के नैतिक बल की, गेरीबाल्डी की तलवार, काबूर की कूटनीति, विक्टर एमानुअल की समझदारी और व्यावहारिक बुद्धि तथा असंख्य देशभक्तों के बलिदान से इटली के एकीकरण का महायज्ञ पूरा हुआ और इटली एक स्वतन्त्र राष्ट्र बन गया।

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इटली के एकीकरण में मेजिनी और गैरीबाल्डी का क्या योगदान है?

उनके महत्त्व का दिग्दर्शन इस वाक्य में भलीभाँति हो जाता है, "मेजिनी ने इटली की आत्मा, कैवूर ने मस्तिष्क, गैरीबाल्डी तथा विक्टर इमैनुअल द्वितीय ने शरीर बनकर अपनी मातृभूमि इटली की पराधीनता की जंजीरें काट डाली और देश के एकीकरण के कार्य को सम्पूर्ण किया।" उपर्युक्त चारों महान् देशभक्तों ने इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए ...

के एकीकरण में मेजिनी का क्या योगदान था?

इटली के एकीकरण में मेजिनी का क्या योगदान था? Solution : मेजनी साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। मेजनी सम्पूर्ण इटली का एकीकरण कर उसे एक गणराज्य बनाना चाहता था जबकि सार्डिनिया पिंडमौंट का शासक चार्ल्स एलबर्ट अपने नेतृत्व में सभी प्रांतों का विलय चाहता था

इटली के एकीकरण में किसका महत्वपूर्ण योगदान था?

गैरीबॉल्डी ने इटली के राष्ट्रीय-एकीकरण के कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 1807 ई. में नीस में हुआ था