निम्नलिखित वाक्यों में से अव्यय पहचानिए? - nimnalikhit vaakyon mein se avyay pahachaanie?

किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय या अविकारी कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- ‘जो व्यय न हो’।

उदाहरणहिन्दी अव्यय: जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।संस्कृत अव्यय
अव्ययहिन्दी अर्थअव्ययहिन्दी अर्थअव्ययहिन्दी अर्थअव्ययहिन्दी अर्थ
अग्रे / पुरतः आगे उच्चैः जोर से तदा तब / तो यदा जब
अजस्रम् लगातार एकदा एक बार / एक दिन तर्हि तो यदि / चेत् अगर
अतः इसलिए एवम् इस प्रकार तावत् उतना यद्यपि हालाँकि
अन्तरा मध्य ऐसम् इस साल तावत् तब तक यावत् जब तक
अत्र यहाँ कथञ्चित् / कथञ्चन किसी प्रकार तु तो यावत् जब तक
अथ् किम् हाँ तो क्या कथम् क्यों दिवा दिन में युगपत् एक साथ
अद्य आज कदा कब नक्तम् रात में वा / अथवा या
अधुना अब / आजकल कदा कब नाना अनेक शनैः धीरे
अन्तः भीतर कदाचित् कभी अधः नीचे शीघ्रम् जल्द ही
अन्तरा / विना बिना किञ्चित् थोड़ा न्यूनतम् कम से कम सदा / सर्वदा हमेशा
अन्यत्र दूसरी जगह किमर्थम् किसलिये परम् / परन्तु / किन्तु लेकिन संभवतः शायद
अन्यथा नहीं तो किम् क्या परश्वः परसों समन्तात् चारों ओर से
अपरञ्च और भी किंवा अथवा परितः चारो ओर समया / निकषा / पार्श्वे नजदीक
अपि भी कुतः कहाँ से परुत् पिछले वर्ष सम्प्रति अब
अपितु बल्कि कुत्र / क्व कहाँ पर्यन्तम् तक सम्यक् ठीक से
अभितः सामने केवलम् केवल पुनः/ भूयः/ मुहुः फ़िर सर्वत्र सब जगह
अरे, रे, रे-रे अनादर या सामान्य सूचक संबोधन क्रतम् बस / काफी प्रकामम् अधिक सहसा / अकस्मात् अचानक
अलम् पर्याप्त / बेकार क्व / कुत्र कहाँ प्रत्युत् उल्टे साधु, अतीव शोभनम् वाह / बहुत अच्छा
च / तथा और प्रातः सुबह सामि आधा-आधी
असक्रत बार-बार चिरम् / चिरात् / चिरेण / चिराय / चिरस्य देर से बहिः बाहर साम्प्रतम् इन दिनों
अहो, बत् निराशा और आश्चर्यसूचक ततः वहाँ से बहुधा अक्सर सायम् संध्या के समय / शाम को / शाम में
आरात् पास या दूर तत्र वहाँ भ्रशम् अधिकाधिक स्वः आनेवाला कल
इतस्ततः इधर-उधर तथा वैसे यत् कि हा, हन्त, धिक् घ्रणाबोधक
इत्यम् इस प्रकार तथा-तथा वैसे-वैसे यत्र यहां हा, हा-हा, अहह अवसादसूचक
इदानीम इस समय तथापि फिर भी यथा जैसे हि /यतः क्योंकि
ईषत् थोड़ा / कुछ तदा तब यथा-यथा जैसे-जैसे ह्यः बीता कल

भेद[संपादित करें]

अव्यय पाँच प्रकार के होते हैं-

. क्रिया-विशेषण अर्थ के अनुसार क्रिया-विशेषण के चार भेद हैं-

  • 1. कालवाचक
  • 2. स्थानवाचक
  • 3. परिमाणवाचक
  • 4. रीतिवाचक

क्रिया-विशेषण

  • 2. संबंधबोधक
  • 3. समुच्चय बोधक
  • 4. विस्मयादिबोधक
  • 5. निपातव

अर्थ के अनुसार क्रिया-विशेषण के चार भेद हैं-

  • 1. कालवाचक
  • 2. स्थानवाचक
  • 3. परिमाणवाचक
  • 4. रीतिवाचक

क्रिया-विशेषण

अव्यय और अव्यय के प्रकार

अव्यय और अव्यय के प्रकार 

निम्नलिखित वाक्यों में से अव्यय पहचानिए? - nimnalikhit vaakyon mein se avyay pahachaanie?


           शब्दों के दो भेद होते हैं विकारी शब्द और अविकारी शब्द ।
  विकारी शब्द में जैसे संज्ञा, सर्वनाम ,विशेषण ,क्रिया आदि का समावेश होता है। 
अविकारी शब्द वे शब्द होते हैं जिसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है और इन्हीं अविकारी शब्दों को
 अव्यय कहते हैं।

अव्यय के प्रकार 

अव्यय के चार प्रकार होते हैं :- क्रियाविशेषण अव्यय, समुच्चयबोधक अव्यय, संबंधबोधक अव्यय  और विस्मयादिबोधक अव्यय।

1 .  क्रियाविशेषण अव्यय : जो अव्यय क्रियाओं  की विशेषता बताते हैं उन्हें क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे : लक्ष्मी तू वहां इत्मीनान से रहना।
        आजकल लोग ठीक से बताते भी तो नहीं।
        मैंने धीरे-धीरे आंखें खोली।

2. समुच्चयबोधक अव्यय : जो अव्यय एक वाक्य को दूसरे वाक्य से, एक शब्द समूह को दूसरे शब्द समूह या एक शब्द को दूसरे शब्द से जोड़ते हैं उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।

जैसे: गोवा में उमस थी लेकिन मुंबई जितनी नहीं।
        मित्र प्रतीक्षा कर रहे थे कि कब मेरी टांग टूटे। 
        पांव इधर उधर गया तो मोच आ जाएगी।

3.  संबंधबोधक अव्यय:  जो अव्यय संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर उस संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ जोड़ते हैं उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।

जैसे : पणजी मांडवी नदी के किनारे स्थित है।
         मैं अपने परिवार के साथ इंदौर से गोवा पहुंचा।
         हमारे घर के पीछे नदी बहती है।

4.  विस्मयादिबोधक अव्यय :  जिन अवयवों का संबंध वाक्य के किसी पद से नहीं होता बल्कि जो अव्यय केवल वक्ता के आनंद, हर्ष, भय, शोक, तिरस्कार , घृणा आदि भाव सूचित करते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं।
जैसे : अबे ! धीरे-धीरे चल।
          ओह ! कमबख्त ने जितनी कितनी बेदर्दी से पीटा है।
          हे भगवान ! बचाओ इस मुसीबत से।

निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त अव्यय ढूंढ कर उसका भेद लिखिए। 

  1. लक्ष्मी अगर दूध नहीं देगी तो हम इसका क्या करेंगे। 
  2. लक्ष्मी के गले से बनी हुई रस्सी खूँटे से खोली और उसे गली के बाहर ले जाने लगा। 
  3. मैं रोज प्रार्थना करता हूं। 
  4. मैंने जल्दी से रमेश को चाय पिलाई और विदा किया। 
  5.  दर्द के मारे मैं चीख पड़ा। 
  6. यहां पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। 
  7. बेनालियम बीच रेतीला तथा उछला है।  
  8. हमें पता चला कि वह कल बाहर चले गए थे। 
  9. पिताजी जंगल की तरफ निकल गए।  
  10. गाय को घर के सामने खूँटे से बांधा। 
  11. वह उठा और घर चला गया।  
  12. अरे ! गौशाला यहां से दो किलोमीटर दूर है। 
  13. वह भारी कदमों से आगे बढ़ने लगा।  
  14. उन्होंने मुझे धीरे-धीरे हिलाना शुरू कर दिया। 
  15. मुझे लगा कि आज फिर कोई दुर्घटना होगी। 
  16. वाह-वाह! वह अपनी मां के घर चली गई। 

निम्नलिखित अवयवों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

हाय!,      धीरे-धीरे,      के पास,     ज्यादा,   और,      बल्कि,     बाद,      प्रायः,     
 इसलिए,       वाह!,           के अलावा,     की तरफ,       क्योंकि,      नहीं...... तो ,  यदि..... तो

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About Mahesh Prajapati

This is Mahesh Prajapati from Mumbai. Professionally I am a teacher and also provide education on various online platform like Youtube, Dailymotion and Unacademy.

अव्यय की पहचान कैसे करें?

ऐसे शब्द जिसमें लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता वह शब्द अव्यय कहलाते हैं। अव्यय सदैव अपरिवर्तित, अविकारी रहते हैं। जैसे- जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य इत्यादि।

निम्नलिखित अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए?

यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि यकार एवं तकार वाले, जैसे कि यद्यपि तथापि, यथा-तथा, यदि - तर्हि, यत्र-तत्र, यावत् - तावत्, यदा तदा इत्यादि अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग प्रायश: एक साथ ही करना चाहिए, अन्यथा वाक्य अपूर्ण ही रहता है। प्र. 1. समुचितैः अव्ययै: (मंजूषात: गृहीत्वा) रिक्तस्थानानि पूरयत- i) सः वनं गतवान्।

निम्नलिखित अव्यय का वाक्य में प्रयोग कीजिए क्योंकि?

तो वाह ! अलावा के लिए क्‍योंकि हाय प्रायः और पास इसलिए तरफ कारण अच्छा - Hindi [हिंदी]

10 अव्यय शब्द लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए?

जैसे- राम धीरे-धीरे टहलता है; राम वहाँ टहलता है; राम अभी टहलता है। इन वाक्यों में 'धीरे-धीरे', 'वहाँ' और 'अभी' राम के 'टहलने' (क्रिया) की विशेषता बतलाते हैं। ये क्रियाविशेषण अविकारी विशेषण भी कहलाते हैं। इसके अतिरिक्त, क्रियाविशेषण दूसरे क्रियाविशेषण की भी विशेषता बताता हैं।