Show Course NCERT Class 12Class 11Class 10Class 9Class 8Class 7Class 6 IIT JEE Exam JEE MAINSJEE ADVANCEDX BOARDSXII BOARDS NEET Neet Previous Year (Year Wise)Physics Previous YearChemistry Previous YearBiology Previous YearNeet All Sample PapersSample Papers BiologySample Papers PhysicsSample Papers Chemistry Download PDF's Class 12Class 11Class 10Class 9Class 8Class 7Class 6 Exam CornerOnline ClassQuizAsk Doubt on WhatsappSearch DoubtnutEnglish DictionaryToppers TalkBlogJEE Crash CourseAbout UsCareerDownloadGet AppTechnothlon-2019 Logout Login Register now for special offers +91 Home > English > Class 11 > Hindi > Chapter > Hindi (Core) > 'नमक का दारोगा' कहानी हमें क्य... Text Solution निर्भय होकर कर्त्तव्यपालन कासमयानुसार कार्य करने कासूझा-यूझ से कार्य करने काइनमें कोई नहीं Answer : A Related Videos58124220 27.7 K
10.9 K 1:57 किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक `0.3xx10^(-4)" वेबर/मी"^(2)` तथा उर्ध्व घटक `3sqrt(3) xx 10^(-5) `" वेबर/मी"^(2)` है | नति कोण का मान ज्ञात कीजिए | 112168924 0 8.5 K 5:06 `CH_(3)COOH` के एक `0*001 mol L^(-1), विलयन की छलकता `3*905 xx 10^(-5) Scm^(-1)` है इसकी मोलर छलकता तथा वियोजन की मात्रा `( alpha )` का परिकलन कीजिय | <br> दिया गया है ---- <br> `^_((H^(+)))^0=349*6 Scm^2 mol^(-1)` `^^_((CH_(3)COOH))^0=40*Scm^(2)mol^(-1)` 112170673 18.1 K 11.4 K 3:36 `SO_(2)` की विरंजक क्रिया का कारण इसकी `............प्रकृति है। 104439486 11.1 K 10.6 K 2:35 `sin^(-1)((2x)/(1+x^(2)))" का "cos^(-1)((1-x^(2))/(1+x^(2)))` के सापेक्ष अवकलज निकालें | Show More Comments Add a public comment... Follow Us: Popular Chapters by Class: Class 6 AlgebraBasic Geometrical IdeasData HandlingDecimalsFractions Class 7 Algebraic ExpressionsComparing QuantitiesCongruence of TrianglesData HandlingExponents and Powers Class 8 Algebraic Expressions and IdentitiesComparing QuantitiesCubes and Cube RootsData HandlingDirect and Inverse Proportions Class 9 Areas of Parallelograms and TrianglesCirclesCoordinate GeometryHerons FormulaIntroduction to Euclids Geometry Class 10 Areas Related to CirclesArithmetic ProgressionsCirclesCoordinate GeometryIntroduction to Trigonometry Class 11 Binomial TheoremComplex Numbers and Quadratic EquationsConic SectionsIntroduction to Three Dimensional GeometryLimits and Derivatives Class 12 Application of DerivativesApplication of IntegralsContinuity and DifferentiabilityDeterminantsDifferential Equations Privacy PolicyTerms And Conditions Disclosure PolicyContact Us कक्षा 11 हिंदी में कई महत्वपूर्ण पाठ हैं, जिनमें से एक नमक का दरोगा पाठ भी महत्वपूर्ण है। हर वर्ष इस पाठ में से कई सवाल पूछे जाते हैं। यहां हम हिंदी कक्षा 11 “आरोह भाग- ” के पाठ-1 “नमक का दरोगा कक्षा″ कहानी के सार कठिन-शब्दों के अर्थ , लेखक के बारे में और NCERT की पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर, इन सभी के बारे में जानेंगे। चलिए जानते हैं ” Namak Ka Daroga″ कहानी के बारे में विस्तार से।
ज़रूर पढ़ें: 260+ कठिन शब्द और उनके अर्थ [Most Difficult Words] लेखक परिचयNamak Ka Daroga पाठ का लेखक परिचय इस प्रकार है: प्रेमचंद्र प्रमुख रचनाएँ- सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा, नमक का दरोगा आदि। मृत्यु – 1936 प्रेमचंद्र हिंदी साहित्य के विख्यात हस्ती है इनका बचपन आभाव में बीता ये अंग्रेजी में एम.ए. करना चाहते थे। लेकिन आजीविका चलाने के लिए नौकरी करनी पड़। असहयोग आंदोलन के कारन इन अपनी सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी। उनका सामाजिक और राजनैतिक संघर्ष उनकी कविताओं में साफ़ झलकता है। Check out: CBSE Class 10 Hindi Syllabus नमक का दरोगा पाठ का सारांशNamak Ka Daroga पाठ का सारांश इस प्रकार है:
Check Out हिंदी व्याकरण – Leverage Edu के साथ संपूर्ण हिंदी व्याकरण सीखें कठिन शब्द उनके अर्थों के साथNamak Ka Daroga में कठिन शब्द उनके अर्थों के साथ दिए गए हैं-
मुंशी वंशीधर ने अपना मित्र और पथ प्रदर्शक किसे बनाया?मुंशी वंशीधर ने धैर्य को अपना मित्र, बुद्धि को अपना पथ प्रदर्शक और आत्मावलम्बन को अपना सहायक बनाया था। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘नमक का दरोगा’ कहानी में मुंशी वंशीधर एककर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार दरोगा थे। जिन्होंने पंडित अलोपीदीन के भ्रष्टाचार के सामने हार नहीं मानी और ईमानदारी से अपने कर्तव्य को निभाया। इस कारण उन्हें अपने पद से भी हाथ धोना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। जब मुझे बंशीधर की दरोगा की नौकरी लगी थी तो उनके पिता ने उन्हें ऊपरी कमाई करने का सुझाव दिया था, लेकिन मुंशी वंशीधर ईमानदार और अपने सिद्धांतों के पालन करने वाले थेष उनके लिए धैर्य उनका मित्र, बुद्धि उनकी पथ प्रदर्शक और आत्मावलंबन उनका सहायक था। उन्होंने अपने दरोगा पद पर ऊपरी आय और रिश्वतखोरी जैसे कार्य नही किये और ईमानदारी से अपना कर्तव्य पालन किया। प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों? उत्तर-कहानी का नायक बंशीधर ने मुझे सबसे ज़्यदा प्रभावित किया क्योकि वो ईमानदार , कर्मयोगी , कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे। उनके घर की आर्थिक हालत थी नहीं थी फिर भी उन्होंने ईमानदारी नहीं छोड़ी। उनके पिता उन्हें ऊपरी आय पर नज़र रखने की सलाह देते थे मगर उन्हें ये बाते नहीं मानी। आज के युग में ऐसे कर्मयोगी लोगो की ज़रुरत है। प्रश्न 2.“नमक का दारोगा” कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं? उत्तर-पंडित अलोपीदीन को धन का बहुत घमंड था इसीलिए उसने दरोगा बंशीधर को भी रिश्वत देने की कोशिश की।गिरफ्तार होने के बाद जब उसे अदालत में लाया गया तो उसने वहां पर भी वकीलों और गवाहों खरीद लिया ,अपने आप को सभी आरोपों से बरी करा लिया। जो उसके भ्रष्ट , बेईमान और चालाक होने का सबूत देते हैं। लेकिन उसके व्यक्तित्व का एक उजला पक्ष भी है जो बेहद प्रशंसनीय है। वंशीधर को दरोगा की नौकरी से निकलवाने के बाद पंडित अलोपीदीन को मन ही मन बहुत पछतावा हुआ। क्योंकि वह जानता था कि आज के वक्त में बंशीधर जैसे ईमानदार व कर्तव्यपरायण व्यक्ति मिलना मुश्किल है। इसीलिए उसने उसे अपनी सारी जायदाद का स्थाई मैनेजर नियुक्त कर दिया। प्रश्न 3.कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी-न-किसी सच्चाई को उजागर करते हैं। निम्नलिखित पात्रों के संदर्भ में पाठ से उस अंश को उद्धृत करते हुए बताइए कि यह समाज की किस सच्चाई को उजागर करते हैं ? उत्तर- (क) वृद्ध मुंशी- नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान देना। यह तो पीर की मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम
ढूंढना जहां कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है। जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है……”। (ख) वकील- “वकीलों ने यह फैसला सुना और उछल पड़े”। ग) शहर की भीड़ -“जिसे देखिए , वही पंडित जी के इस व्यवहार पर टीका टिप्पणी कर रहा था। निंदा की बौछारों हो रही थी। मानो संसार से अब पापी का पाप कट गया। पानी को दूध के नाम पर बेचने वाला ग्वाला , कल्पित रोजाना पर्चे भरने वाले अधिकारी वर्ग , रेल में बिना टिकट सफर करने वाले बाबू लोग , जाली दस्तावेज बनाने वाले सेठ और साहूकार , यह सब-के-सब देवताओं की भांति गर्दन चला रहे थे….” । प्रश्न 4.निम्न पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए ? (क) यह किसकी उक्ति है? (ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है ? (ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं ? प्रश्न 5.“नमक का दारोगा” कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए। उत्तर-नमक का दरोगा के दो अन्य शीर्षक निम्न है। 2. ईमानदारी का फल – दरोगा बंशीधर की ईमानदारी के कारण ही उसे अंत में पंडित अलोपीदीन अपना मैनेजर नियुक्त करता हैं। प्रश्न 6. कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को अपना मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए। आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते ? उत्तर-पंडित अलोपीदीन खुद एक भ्रष्ट , बेईमान व चालाक व्यक्ति था।यह समझता था कि पैसे के बल पर किसी भी व्यक्ति को खरीदा जा सकता है या कोई भी काम करवाया जा सकता हैं। लेकिन जब उसने अपने जीवन में पहली बार किसी ऐसे व्यक्ति (दरोगा वंशीधर) को देखा जिसकी ईमानदारी को वह अपने पैसे से नहीं खरीद पाया तो वह आश्चर्य चकित रह गया।पंडित अलोपीदीन यह भी जानता था कि आज के समय में इस तरह के ईमानदार , कर्तव्य परायण व धर्मनिष्ठ व्यक्ति मिलना मुश्किल है। मैं भी इस कहानी का अंत कुछ इसी तरह से करता/ करती । घाट के देवता को भेंट चढ़ाने’ से क्या तात्पर्य है? इस कथन का तात्पर्य है कि इस क्षेत्र के नमक के दरोगा को रिश्वत देना आवश्यक है अर्थात् बिना रिश्वत दिए वह मुफ्त में घाट नहीं पार करने देंगे। ‘दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी।’ से क्या तात्पर्य है? इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि संसार में परनिंदा हर समय होती रहती है। रात के समय हुई घटना की चर्चा आग की तरह सारे शहर में फैल गई। हर आदमी मजे लेकर यह बात एक-दूसरे बता रहा था। देवताओं की तरह गर्दन चलाने का क्या मतलब है? इसका अर्थ है-स्वयं को निर्दोष समझना। देवता स्वयं को निर्दोष मानते हैं, अत: वे मानव पर तरह-तरह के आरोप लगाते हैं। पंडित अलोपीदीन के पकड़े जाने पर भ्रष्ट भी उसकी निंदा कर रहे थे। कौन-कौन लोग गर्दन चला रहे थे? पानी को दूध के नाम से बेचने वाला ग्वाला, नकली बही-खाते बनाने वाला अधिकारी वर्ग, रेल में बेटिकट यात्रा करने वाले बाबू जाली दस्तावेज बनाने वाले सेठ और साहूकार-ये सभी गरदनें चला रहे थे।
किस वन का सिह कहा गया तथा क्यों? पंडित अलोपीदीन को अदालत रूपी वन का सिंह कहा गया, क्योंकि यहाँ उसके खरीदे हुए अधिकारी, अमले, अरदली, चपरासी, चौकीदार आदि थे। वे उसके हुक्म के गुलाम थे। कचहरी की अगाध वन क्यों कहा गया? कचहरी को अगाध वन कहा गया है, क्योंकि न्याय की व्यवस्था जटिल व बीहड़ होती है। हर व्यक्ति दूसरे को खाने के लिए बैठा है। वहाँ पैसों से बहुत कुछ खरीदा जा सकता है, जिससे जनसाधारण न्याय-प्रणाली का शिकार बनकर रह जाता है। लोगों के विस्मित होने का क्या कारण था? लोग अलोपीदीन की गिरफ्तारी से हैरान थे, क्योंकि उन्हें उसकी धन की ताकत व बातचीत की कुशलता का पता था। उन्हें उसके पकड़े जाने पर हैरानी थी क्योंकि वह अपने धन के बल पर कानून की हर ताकत से बचने में समर्थ था। बूढ़े मुंशी जी किसकी पढ़ाई-लिखाई को व्यर्थ मानते हैं? क्यों? बूढ़े मुंशी जी अपने बेटे वंशीधर की पढ़ाई-लिखाई को व्यर्थ मानते हैं। वे उसे अफसर बनाकर रिश्वत की कमाई से अपनी हालत सुधारना चाहते थे। वंशीधर ने उनकी कल्पना के उलट किया। ईश्वर प्रदत्त वस्तु क्या है? उसके निषेध से क्या परिणाम हुआ? ईश्वर प्रदत्त वस्तु नमक है। सरकार ने नमक विभाग बनाकर उसके निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया। प्रतिबंध के कारण लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे। इससे रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला। फारसी का क्या प्रभाव था? इस समय फारसी का प्रभाव था। फारसी पढ़े लोगों को अच्छी नौकरियां मिल जाती थीं। प्रेम की कथाएँ और श्रृंगार रस के काव्य पढ़कर फ़ारसी जानने वाले सर्वोच्च पदों पर नियुक्त हो जाया करते थे। MCQs
2. किस ईश्वर प्रदत्त वास्तु का व्यहवार करना निषेध हो गया था – 3.किन के पौ बारह थे- 4. नमक विभाग में दरोगा के पद के लिए कौन ललचाते थे – 5. नामक विभाग में किसे दरोगा की नौकरी मिली – 6. नमक की कालाबाजारी कौन कर रहा था – 7. दुनिया सोती थी मगर दुनिया ________ जागती थी – 8. किसका लाखों का लेन देन था – 9. अलोपदीन को दरोगा को किस बल पर खरीद लेने का विश्वास था – 10. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के खिलौने है – यह कथन किसका था – 11. अलोपदीन क्या देखर मूर्छित होकर गिर पड़े – 12.’चालीस हज़ार नहीं , चालीस लाख भी नहीं ‘- यह कथन किस का है – 13. वंशीधर के पिता किसकी अगवानी के लिए दौड़ रहे थे – 14. प्रेमचंद्र जन्म कब
हुआ था – 15. प्रेमचंद्र का निधन कब हुआ – 16. वंशीधर के पिता के विचार से ऊपरी आय क्या है? 17. वंशीधर को किस कार्यालय में नौकरी मिली? 18. वंशीधर के पिता ने उन्हें कैसा कार्य ढूंढने की सलाह दी? 19.
मुकदमा चलाने पर अदालत ने किसे दोषी ठहराया? 20. पंडित अलोपीदीन कौन थे? 21. किस ईश्वर प्रदत्त वस्तु का व्यवहार करना निषेध हो गया था – 22. बंशीधर के पिता ने मासिक वेतन
को क्या कहा है? 23. घाट के देवता को भेंट चढ़ाने से क्या तात्पर्य है? 24. अलोपीदीन अंत में कितनी रिश्वत देने के लिए तैयार हो गए? 25. लोगों को किस बात पर आश्चर्य हो रहा था? FAQsनमक का दरोगा कहानी की मूल संवेदना क्या है? ‘नमक का दरोगा’ कहानी की मूल संवेदना समाज और शासन-प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को उजागर करना और उस पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष करना है। नमक के दरोगा से क्या शिक्षा मिलती है? यह कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है। कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है। अलोपीदीन की गाड़ियां कौन सी नदी के पुल पर जा रही थी? उनके दफ्तर से एक मील पहले जमुना नदी थी जिस पर नावों का पुल बना हुआ था। गाड़ियों की आवाज़ और मल्लाहों की कोलाहल से उनकी नींद खुली। बंदूक जेब में रखा और घोड़े पर बैठकर पुल पर पहुँचे वहाँ गाड़ियों की एक लंबी कतार पुल पार कर रही थीं। लोग नमक विभाग में नौकरी क्यों करना चाहते थे? लोग पटवारीगिरी के पद को छोड़कर नमक विभाग की नौकरी करना चाहते थे, क्योंकि इसमें ऊपर की कमाई होती थीं। लोग इनकों घूस देकर अपना काम निकलवाते थे। पंडित अलोपीदीन कहां के रहने वाले थे? पंडित अलोपीदीन कानपुर शहर के रहने वाले थे। नमक की कालाबाजारी कौन कर रहा था? नमक की कालाबाजारी दातादीन कर रहा था। नमक की गाड़ियां कहां जा रही थी? नमक की गाड़ियां जमुना नदी के ऊपर बने पुल से होकर जा रहीं थी। नमक का दारोगा किस प्रकार की कहानी है? नमक का दारोगा प्रेमचंद द्वारा रचित लघुकथा है। नौकरी पर जाते समय उन्हें किसने सलाह दी? मुंशी वंशीधर ने भी फारसी पढ़ी और रोजगार की खोज में निकल पड़े। उनके घर की आर्थिक दशा खराब थी। उनके पिता ने घर से निकलते समय उन्हें बहुत समझाया जिसका सार यह था कि ऐसी नौकरी करना जिसमें ऊपरी कमाई हो और आदमी तथा अवसर देखकर घूस जरूर लेना। नमक का दरोगा कहानी का उद्देश्य लिखिए? नमक का दरोगा कहानी का उद्देश्य होता है कि ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज का निर्माण करना। नमक का दरोगा कहानी के पात्र कौन-कौन हैं? नमक का दरोगा कहानी में चार प्रमुख पात्र हैं – अलोपीदीन, मुंशी वंशीधर, बूढ़े मुंशी जी और नमक। Source: Study Labआशा करते हैं कि आपको Namak Ka Daroga के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें। नमक का दरोगा कहानी का मूल भाव क्या है?इसे सुनेंरोकें'नमक का दरोगा' कहानी के लेखक 'मुंशी प्रेमचंद' हैं। 'नमक का दरोगा' कहानी की मूल संवेदना समाज और शासन-प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार की प्रवृति को उजागर करना और उस पर व्यंग्यामत्मक कटाक्ष करना है।
नमक का दरोगा कहानी से क्या सीख मिलती है?यह कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है। कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है। सत्यनिष्ठा, धर्मनिष्ठा और कर्मपरायणता को विश्व के दुर्लभ गुणों में बताया गया है। अन्त में यह शिक्षा दी गयी है कि एक बेइमान स्वामी को भी एक इमानदार कर्मचारी की तलाश रहती है।
नमक कहानी का संदेश क्या है समझाइए?'नमक' कहानी भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित लोगों के दिलों को टटोलती मार्मिक कहानी है। लाहौर से आई सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है तथा लेखिका को वहाँ से नमक लाने को कहती है। पाकिस्तान में कस्टम अधिकारी दिल्ली को अपना वतन मानता है और उसे नमक ले जाने देता है।
नमक का दरोगा कहानी का संदेश क्या है?'नमक का दारोगा' कहानी के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद हमें यह संदेश देना चाहते हैं कि चाहे असत्य,अन्याय,भ्रष्टाचार आदि कैसा ही अँधेरा क्यों न आच्छादित कर ले किन्तु सत्य की चमक में वह शक्ति है कि वह इन दुराचरणों को भेद सकता है। सत्य का स्थान बहुत ऊँचा है। यहाँ तक कि चोर भी ईमानदार कर्मचारी चाहता है।
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