मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से Show नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ भारत सरकार ने 23 सितम्बर 1952 को डॉ॰ लक्ष्मणस्वामी मुदालियर की अध्यक्षता में माध्यमिक शिक्षा आयोग की स्थापना की। उन्ही के नाम पर इसे मुदलियर आयोग कहा गया। आयोग ने पाठ्यचर्या में विविधता लाने, एक मध्यवर्ती स्तर जोड़ने, त्रिस्तरीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने इत्यादि की सिफारिश की। माध्यमिक शिक्षा आयोग की संस्तुतियाँ-
माध्यमिक शिक्षा आयोग 1952 53 के अनुसार शिक्षा के व्यवसायीकरण का उद्देश्य क्या है?शिक्षा के उपयुक्त उद्देश्य – छात्रो के व्यक्तित्व विकास से उसका तात्पर्य शस्त्रो के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक और चारित्रिक विकास से हैं। शिक्षको की स्तिथि में सुधार – आयोग ने शिक्षको के प्रशिक्षण पर ध्यान दिया और शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए सुझाव दिए।
माध्यमिक शिक्षा के व्यवसायीकरण से आप क्या समझते है?माध्यमिक स्तर की शिक्षा को व्यवसायीकृत बनाने पर विशेष बल दिया जाता रहा है। व्यवसायीकरण से अभिप्राय व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने से है। आर्थिक व सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्षों से संबंधित व्यवसाय के लिए आवश्यक तकनीकों का ज्ञान प्रदान करना तथा विभिन्न कौशलों को व्यावहारिक रूप से सीखना ही शिक्षा का व्यवसायीकरण है।
व्यावसायिक शिक्षा का क्या उद्देश्य है?व्यावसायिक शिक्षा के उद्देश्य और लक्ष्य Aims
छात्रों में जीविकोपार्जन करने की दक्षता का विकास करना जिससे वह अपने पारिवारिक उत्तरदायित्वों का भली-भांति निर्वहन कर सकें। राष्ट्र का विकास करना और सामाजिक परिवर्तनों को सही दिशा प्रदान करना। राष्ट्रीय आर्थिक संरचना को मजबूती प्रदान करना और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करना।
माध्यमिक शिक्षा के व्यवसायीकरण की योजना कब शुरू की गई?सन् 1857 से लेकर सन 1882 तक माध्यमिक विद्यालयों में व्यवसायिक शिक्षा देने की बात ___ 'नक्कारखाने में तूती की आवाज़' ही बनी रही। “सामान्यतः शिक्षा और विशेषतः तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा संबंधी समस्याओं पर विचार करने के लिए” सन् 1882 में हंटर कमीशन नियुक्त हुआ।
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