मीठी वाणी क्यों बोलना चाहिए बताइए? - meethee vaanee kyon bolana chaahie bataie?

मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?


मीठी वाणी बोलने से सुनने वाले के मन से क्रोध और घृणा की भावना सम्पात हो जाती हैं। इसके साथ ही हमारा अंतःकरण प्रसन्न होने लगता हैं प्रभावस्वरूप औरों को सुख और तन को शीतलता प्राप्त होती है।

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अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?


मनुष्य को परिष्कार और आत्मोन्नति के प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए। निंदा करनेवाले के जरिये ही हमें अपने परिष्कार का अवसर मिलता है। अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने बताया है कि हमें अपने आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि वे हमारी त्रुटियों को बता सके। वास्तव में निंदक हमारे सबसे अच्छे हितेषी होते हैं। उनके द्वारा बताए गए त्रुटियों को दूर करके हम अपने स्वभाव को निर्मल बना सकते हैं।

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दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।


यहाँ दीपक का मतलब 'भक्तिरूपी ज्ञान' तथा अन्धकार का मतलब 'अज्ञानता' से है। जिस प्रकार दीपक के जलने पर अन्धकार नष्ट हो जाता है ठीक उसी प्रकार जब ज्ञान का प्रकाश हृदय में प्रज्ज्वलित होता है तब मन के सारे विकार अर्थात भ्रम, संशय का नाश हो जाता है।

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ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?


इसमें कोई संदेह नही कि ईश्वर हर प्राणी के भीतर ही नही, बल्कि हर कण में है। किन्तु हमारा मन अज्ञानता, अहंकार, विलासिताओं, इत्यादि में लिप्त है। हम उसे मंदिर, मस्जिदों, गिरजाघरों में ढूंढ़ते हैं जबकि वह सर्वव्यापी है। इस कारण हम ईश्वर को नहीं देख पाते हैं।

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संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।


कवि के अनुसार संसार में वो लोग सुखी हैं, जो संसार में व्याप्त सुख-सुविधाओं का भोग करते हैं और दुखी वे हैं, जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है। 'सोना' अज्ञानता का प्रतीक है और 'जागना' ज्ञान का प्रतीक है। जो लोग सांसारिक सुखों में खोए रहते हैं, जीवन के भौतिक सुखों में लिप्त रहते हैं वे सोए हुए हैं और जो सांसारिक सुखों को व्यर्थ समझते हैं, अपने को ईश्वर के प्रति समर्पित करते हैं वे ही जागते हैं। वे संसार की दुर्दशा को दूर करने के लिए चिंतित रहते हैं।

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मधुर वाणी एक प्रकार का वशीकरण है

मधुर वाणी एक प्रकार का वशीकरण है। जिसकी वाणी मीठी होती है, वह सबका प्रिय बन जाता है। प्रिय वचन हितकारी और सबको संतुष्ट करने वाले होते हैं। फिर मधुर वचन बोलने में दरिद्रता कैसी? वाणी के द्वारा कहे गए कठोर वचन दीर्घकाल के लिए भय और दुश्मनी का कारण

मधुर वाणी एक प्रकार का वशीकरण है। जिसकी वाणी मीठी होती है, वह सबका प्रिय बन जाता है। प्रिय वचन हितकारी और सबको संतुष्ट करने वाले होते हैं। फिर मधुर वचन बोलने में दरिद्रता कैसी? वाणी के द्वारा कहे गए कठोर वचन दीर्घकाल के लिए भय और दुश्मनी का कारण बन जाते हैं।

इसीलिए साधारण भाषा में भी एक कहावत है कि गुड़ न दो, पर गुड़ जैसा मीठा अवश्य बोलिए, क्योंकि अधिकांश समस्याओं की शुरुआत वाणी की अशिष्टता और अभद्रता से ही होती है। सभी भाषाओं में आदरसूचक शिष्ट शब्दों का प्रयोग करने की सुविधा होती है। इसलिए हमें तिरस्कारपूर्ण अनादरसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमें वाणी की मधुरता का दामन नहीं छोडऩा चाहिए। मीठी वाणी व्यक्तित्व की विशिष्टता की परिचायक है। हमारी जीवन-शैली शहद के घड़े के ढक्कन के समान होनी चाहिए। मीठी वाणी जीवन के सौंदर्य को निखार देती है और व्यक्तित्व की अनेक कमियों को छिपा देती है, किंतु हमें इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि अपने स्वार्थ के लिए हमें चापलूसी या दूसरों को ठगने के लिए मीठी वाणी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

हमारा हृदय निर्मल होना चाहिए और वाणी में एकरूपता होनी चाहिए। कोई व्यक्ति कितना भी प्रकांड विद्वान क्यों न हो, लेकिन उसे अल्पज्ञानी का उपहास कभी भी नहीं उड़ाना चाहिए। जिस प्रकार जहरीले कांटों वाली लता से लिपटा होने पर उपयोगी वृक्ष का कोई आश्रय नहीं लेता, उसी प्रकार दूसरों का उपहास करने और दुर्वचन बोलने वाले को कोई सम्मान नहीं देता। उपहास में कहे गए द्रौपदी के वचन महाभारत के युद्ध का कारण बना।

एक विद्वान कहते हैं कि कटु टिप्पणियों के कारण जिंदगी में बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। कुछ लोग मामूली कहासुनी होने पर क्षुब्ध हो जाते हैं, पर हममें सहनशीलता होनी चाहिए। प्रतिकार की भावना का त्यागकर कलह रूपी अग्नि का परित्याग करना चाहिए। एक सुभाषित में भी कहा गया है कि जो सदा सुवचन बोलता है, वह समय पर बरसने वाले मेघ की तरह सदा प्रशंसनीय व जनप्रिय होता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हम जिन शब्दों का उच्चारण करते हैं, उनकी गूंज वातावरण के जरिये सामने वाले व्यक्ति के दिमाग में समा जाती है। अगर हम मृदु वचन बोलेंगे तो इनका प्रभाव दूसरे व्यक्ति पर अच्छा पड़ेगा।

Edited By: Preeti jha

mithi vani boliye essay in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं मीठी वाणी बोलिए पर निबंध । इस निबंध के माध्यम से हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि मनुष्य की मीठी वाणी से वह सभी का दिल जीत सकता है एवं दुनिया में मिठास ला सकता है । चलिए अब हम पढ़ेंगे मीठी वाणी बोलिए पर निबंध ।

प्रस्तावना- मीठी वाणी बोलिए यह लाइन एक दोहे से ली गई है। इसका अर्थ है कि हम सभी को सदैव मीठी वाणी बोलना चाहिए । जब हम सामने वाले व्यक्ति से मीठी वाणी बोलते हैं तो वह प्रसन्न हो जाता है और हमारी इज्जत करता है । वह हमें सदैव मान सम्मान देता है। जिस व्यक्ति की मीठी वाणी होती है वह सदैव दूसरो की प्रसंशा के योग्य बनता है ।

वह कभी भी किसी व्यक्ति से गलत नहीं बोलता है । जब हम किसी से कुछ गलत नहीं बोलेंगे तो दूसरा व्यक्ति भी हमसे कभी भी कुछ गलत बात नहीं बोलेगा । हमें सदैव यह कोशिश करना चाहिए कि हम सामने वाले व्यक्ति से मधुर बोले, मीठा बोले.

मीठी वाणी क्यों बोलना चाहिए बताइए? - meethee vaanee kyon bolana chaahie bataie?
mithi vani boliye essay in hindi

image source – http://balsanskar.ashram.org/

मीठी वाणी बोलने के फायदे- मीठी वाणी बोलने से हमें शांति मिलती है । हमारे अंदर किसी तरह का छल कपट नहीं होता है । जब हम मीठी वाणी बोलते हैं तब हमारा कोई भी दुश्मन नहीं होता है । सभी हमसे प्रेम करते हैं और हमारा सम्मान करते हैं । जो व्यक्ति दूसरे से क्रोध करता है उससे कठोर वाणी बोलता है वह कभी भी सुखी नहीं रहता है, उसका दिल कभी भी शांत नहीं रहता है । वह सदैव परेशान रहता है ।

हमारे देश के कई कवियों ने कहानी, उपन्यास और दोहे के माध्यम से बताने की कोशिश की है कि हम सभी को सदैव मीठी वाणी बोलना चाहिए । जब हम मीठी वाणी बोलते हैं तो सामने वाला व्यक्ति हमारा मान सम्मान करता है । जो व्यक्ति मीठी वाणी बोलता है वह हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर लेता है ।

जब हम कोई बिजनेस करते हैं तब हमें सदैव लोगों से अच्छी बातें करना चाहिए उनसे कभी क्रोध नहीं करना चाहिए जिससे कि हमारे पास ज्यादा से ज्यादा ग्राहक आए और हमारी आमदनी बढ़ सके ।

हमें सदैव मीठी वाणी बोलना चाहिए जिससे कि लोग हमसे प्यार करें और हमारे पास आकर बैठे हमसे बातचीत करें । हमें सदैव दूसरों से अच्छी अच्छी बातचीत करना चाहिए । हमें कभी भी ऐसी बात नहीं करना चाहिए जिससे उसके दिल पर ठेस पहुंचे और वह हमसे नफरत करने लगे ।

जब कोई व्यक्ति किसी से नफरत करता है तो वह कुछ भी कर सकता है । हमें कभी भी दुश्मन नहीं बनाने चाहिए । सभी को अपनी मीठी वाणी से दोस्त बनाना चाहिए । इस दुनिया में जो व्यक्ति मीठी वाणी बोलता है वह कभी भी किसी से दुश्मनी नहीं करता है और ना ही क्रोध करता है । हमें ईश्वर ने बनाया है और हमें सब कुछ दिया है । ईश्वर ने हमें वाणी दी है इस वाणी से हमें सदैव मीठी वाणी बोलना चाहिए ।

हम जिस क्षेत्र में काम कर रहे हैं उस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना है तो हमें अपनी वाणी को मीठा करना होगा । जब हम सामने वाले व्यक्ति से अच्छे से बात करते हैं, विनम्रता से बात करते हैं तब वह व्यक्ति हमारी बातों को ध्यान से सुनता है और हमारी कही गई बात पर विचार करता है ।

जो व्यक्ति किसी व्यक्ति से बुरा बोलता है तब सामने वाला व्यक्ति यह सोचता है कि यह तो बुरा व्यक्ति है इससे बातचीत करना नहीं चाहिए ,इसके संस्कार अच्छे नहीं है । यह किसी के साथ में अच्छा नहीं कर सकता है । उस व्यक्ति से कभी भी कोई व्यक्ति व्यवहार नही रखता है ।

उपसंहार- हमे हमेशा मीठी वाणी बोलना चाहिए. जो व्यक्ति दूसरों से अच्छा व्यवहार रखता है मीठी वाणी बोलता है उसके आसपास अच्छे अच्छे लोग रहते हैं । उससे कोई भी बातचीत करने से घबराता नहीं है क्योंकि वह जानते हैं कि यह व्यक्ति बहुत ही अच्छा है वो कभी भी किसी का बुरा नहीं कर सकता है.

हमे चाहिए की हम अच्छी वाणी का महत्व समझे. एक दोहा के माध्यम से कवि ने बताया है कि हमें सदैव मीठी वाणी बोलना चाहिए-

दोहा – ऐसी वाणी बोलिए ,मन का आपा खोय ।

औरन को शीतल करे ,आपहु शीतल होय।

  • मीठी वाणी पर कविता Meethi vani poem in hindi

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मीठी वाली क्यों बोलना चाहिए?

मीठी वाणी जीवन के सौंदर्य को निखार देती है और व्यक्तित्व की अनेक कमियों को छिपा देती है, किंतु हमें इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि अपने स्वार्थ के लिए हमें चापलूसी या दूसरों को ठगने के लिए मीठी वाणी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। हमारा हृदय निर्मल होना चाहिए और वाणी में एकरूपता होनी चाहिए

मीठी वाणी बोलने से क्या लाभ होता है?

मीठी वाणी बोलने से सुनने वाले के मन से क्रोध और घृणा के भाव नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही हमारा अंतःकरण भी प्रसन्न जाता है। प्रभावस्वरूप औरों को सुख और तन को शीतलता प्राप्त होती है।

जीवन में मधुर भाषण का क्या महत्व है?

मधुर वाणी मनोनुकूल होती है जो कानों में पड़ने पर चित्त द्रवित हो उठता है। वाणी की मधुरता ह्रदय-द्वार खोलने की कुंजी है। एक ही बात को हम कटु शब्दों में कहते हैं और उसी को हम मधुर बना सकते हैं। वार्तालाप की शिष्टता मनुष्य को आदर का पात्र बनाती है और समाज में उसकी सफलता के लिए रास्ता साफ़ कर देती है।

हमें कैसी वाणी बोलनी चाहिए क्यों?

सबसे पहले जवाब दिया गया: हमें कैसी वाणी बोलना चाहिए ? ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय औरों को शीतल करें , आप हूं शीतल होय । सदैव ऐसी वाणी बोलिए जिससे मन को जीता जा सके । स्वयं भी प्रसन्न रहें ।