मेसोपोटामिया के किस भाग में सबसे पहले नगरों एवं लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ?... Show
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। 12510 बीसीई में मेसोपोटामिया में जो पहली शहर बसाई गई थी और उन्हें बात की जाए तो वहां पर ग्रुप एडिटर यह सब से दोस्ती Romanized Version 1 जवाब Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App! कृषि की अच्छी पैदावार और नौसुगम्य सहायक नदियों के कारण शहरीकरण के आवश्यक तत्व विद्यमान थे। संसकृति ने जन्म लिया , इन तीनों सभ्यताओं के मिलन से मेसोपोटामिया की सभ्यता ने जन्म लिया । सुमेरिया जहां इस सभ्यता का जन्म हुआ , यह क्षेत्र। दजला फरात के मुहाने पर स्थिति था , भौगोलिक संरचना बेहद जटिल थी , यह क्षेत्र दलदल से
परिपूर्ण था , इस क्षेत्र में हर साल भयंकर बाढ़ आती थी ,जिससे हर साल ज़्यादातर फसल जल में डूब कर नष्ट हो जाती थी , प्रतिवर्ष भीषण गर्मी आती थी ,इन सब कारण से सुमेरिया के निवासियों को अत्यधिक कष्ट उठाना पड़ता था, दूसरी तरफ़ बेबीलोन का समतल मैदान था जहां पर प्रारंभिक काल से उर्वर ज़मीन होने के कारण हर तरह की फ़सल पैदा होती थी जिससे यहाँ के व्यक्ति सुखी और समृद्धि शाली थे , इनकी समृद्धशाली होने से पूर्वी भागों के और दक्षिण भाग के खनाबदोष , जिनका नाम कसाइट (Kassite),
हित्ती (Hittie) ,अमोराइट और असीरियन थे।बेबिलोनिया में निरंतर आक्रमण करते रहते थे , इन आक्रमणों से बेबीलोन के लोग हमेशा परेशान रहते थे। और दक्षिण के खानाबदोष जातियां इस क्षेत्र को जीतने का लगातार प्रयास करते रहते थे। इस प्रकार एक क्षेत्र को दूसरी सभ्यता जीत लेती थी पर नई सभ्यता पुराने सभ्यता की विशेषतायें भी अपना लेती थी और पुनर्मिलन से नई सभ्यता जन्म ले लेती थी। सुमेरियन सभ्यता का समाज--- सुमेरियन सभ्यता में समाज तीन वर्ग में विभक्त था एक उच्च वर्ग था , जिसमें राजा और उसका परिवार उनके अधिकारी, पुरोहित और सेनापति होता था ,मध्य वर्ग में उच्च कृषक, शिल्प कार व्यापारी आते थे तीसरा वर्ग दास का था जो दूसरे क्षेत्र के जीतने के बाद वहां के
सैनिकों को अपने अधीन रखा जाता था इसमें पराजित राजा के सैनिक , उनके बच्चे और अन्य लोग होते थे। इस तरह सुमेरियन सभ्यता में एक स्पष्ट सामाजिक वर्गीकरण था। महिलाएं अच्छी स्थिति में थीं , महिलाओं को सम्पति रखने की आजादी थी , सामान्य जन एक विवाह ही करते थे परंतु राजा बहुविवाह भी करते थे । सुमेरियन स्थापत्य कला-- --- ---- सुमेरियन नगर राज्यों में बीस से पचास हजार निवासी एक राज्य में रहते थे, इन नगरों में आवासीय
क्षेत्र,बाज़ार, व्यापारिक केंद्र,मन्दिर और प्रशासनिक क्षेत्र प्रथक प्रथक होते थे, हर मकान में एक बड़ा सा आँगन होता था ,सभी कमरों के दरवाजे आँगन में खुलते थे,नगर के मुख्य सड़क की चौड़ाई अधिक होती थी पर अन्य सड़क कम चौड़ी होती थी।सभी प्रकार के निर्माण मिट्टी व चूना का प्रयोग होता था,सार्वजनिक मार्ग में भीड़ भाड़ होती थी। सुमेरियन लोंगों ने भव्य वास्तुकला के साथ स्तंभों में मोजैक ईंटों से सजावट करने,और दीवारों में भित्तिचित्र निर्माण कार्य बख़ूबी किये ,मूर्तिकला का उपयोग मुख्यरूप से मन्दिर की सजावट करने में किया ,यह मनुष्य जाति की प्रारंभिक टेराकोटा आर्ट थी, सुमेरियन लोगों ने पत्थरों पर ढलाई करके नक्कासी भी की ,साथ में धातु ढलाई करके भी मूर्तियां बनाईं। अकाडियन राजवंश के तहत मूर्तिकला ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया गया । दक्षिण मेसोपोटामिया या सुमेरियन सभ्यता का शहरीकरण,---5000 ईसा पूर्व जब मेसोपोटामिया के उपनिवेश या बस्तियों का क्रमिक विकास होता गया , इनमे कई प्रकार से नगरीकरण हुआ एक मन्दिर के आसपास बस्तियां सघन होती गईं , दूसरी व्यापार केंद्रों के आसपास बस्तियां सघन
होतीं गईं और तीसरा राजा के और उसके मंत्रियों के आसपास लोग बस्ती बनाते गए और छोटे छोटे कसबे बन गए। सुमेरियन लेखन का उद्विकास----सुमेरियन सभ्यता में लेखन कला,न्याय विधान,शिल्प निर्माण का महत्वपूर्ण योगदान था स्थापत्य कला का भी विकास हुआ गुम्बद निर्माण व मेहराब निर्माण कला के विकास में सुमेरियन सभ्यता का महत्वपूर्ण योगदान था। सुमेरियन सभ्यता की एक अन्य विशेषता लेखन कला का विकास था। प्रारम्भ में जब मेसोपोटामिया के व्यापारी कोई सामान या वस्तु एक नगर से दूसरे नगर पहुंचाते थे तो वो उन पर जिस बण्डल के अंदर वस्तुए रखी जाती थीं वो वस्तुएं बण्डल के अंदर कितनी है उसको जानने लिए एक एक खड़ी लाइन खींच देते थे साथ में टोकन होता था जो मिट्टी की एक गोटी ( mud token) होती थी जो किसी दूसरे बर्तन (container) में रखा जाता था ये टोकन गेंद आकार के ,शंकु आकार के ,चतुष्फल्कीय और बेलनाकार होते थे। इन टोकन में ज्यामितीय आकार होता था या फिर इनमे किसी पशु ,पक्षी के चिन्ह बने होते थे ,कभी कभी इन टोकन को एक माला में भी पिरोकर सामान के साथ भेजा जाता था। इन टोकन में हर बण्डल के अंदर कौन सी चीज है इसका वर्णन होता था। आप जान चुके है की सुमेरिया नगर राजनीतिक और धार्मिक मन्दिरों के आसपास विकसित हुए, सुमेर सभ्यता में जनता जो कृषि कार्यों में अतिरिक्त पैदा करती थी वो मन्दिर को समर्पित करते थे यह एकत्र संपत्ति अनाज, धन और जनवरों के रूप में होता था , मन्दिर का संरक्षक पुरोहित या लूगल होता था ,पुरोहित एकत्र हुई सामग्री के इकट्ठा करने गोदाम बनाने , उनकी गणना करने तथा उस सामग्री को आपदा काल बाढ़ आदि आने पर य फ़सल बर्बाद होने तक के लिए संरक्षित रखता था आपदा काल में गोदाम से सामग्री वितरित की जाती थी एक निश्चित मानक में उसका लेन देन का विवरण पुरोहित या लूगल को रखनी पड़ती थी,इस कार्य के लिए लूगल को लिपिक वर्ग और अकाउंटेंट वर्ग को लेख जोखा के विवरण को जानने के लिए रखा जाता था ,सुमेर के पुरोहितों ने इस समस्त विवरण को मिट्टी की पट्टिकाओं में लिखवाना प्रारम्भ किया, ये पटिकये ,क्योंकि मिस्र की सभ्यता के सामान यहां पर पेपिरस घास से कागज बनाने की कला विकसित नही हुई थी।सुमेरियन लिपिप्रारम्भ में भावचित्र लिपि (Ideograph) विकसित किया यानी जो सामग्री का विवरण होता था उसका चित्र बना दिया जाता था ,बाद में ध्वनि बोधक चित्र विकसित हुए, सुमेरिया में तीन सौ शब्दों की लिपि विकसित हुई प्रारम्भ में ये लिपि ऊपर से नीचे (Vertical) होती थी पर बाद में ये 3000 ईसा पूर्व के आसपास इस लिपि ने सुधार करते हुए बाएं से दायें लिखना प्रारम्भ हुआ, इस चित्रलिपि में नुकीली नरकुल की कलम का प्रयोग होने लगा ये लेखनी से जब गीली मिटटी की पट्टी (Tablet) में लिखा जाता था तो प्रत्येक रेखा एक सिरे से दूसरे सिरे में अपेक्षाकृत चौड़ी हो जाती थी जिससे आकृति त्रिकोण लगती थी इस प्रकार के आकर को लैटिन भाषा में क्यूनीफ़ॉर्म (Cuneiform) के नाम से जाना जाता हिंदी भाषा में कीलाक्षर लिपि कहते है।जिस ध्वनि के लिए किलाकार चिन्ह का प्रयोग किया जाता था वह अकेला व्यंजन और स्वर नही होता था जैसे की अंग्रेजी वर्णमाला में स्वर A,E,I,O,U, होते हैं और शेष अल्फाबेट(Alphabet)व्यंजन होते हैं बल्कि कीलाकर लिपि में अक्षर होते थे जैसर अंग्रेजी में put ,in, cut आदि इस प्रकार मेसोपोटामिया के लिपिक (Clerk)को सैकड़ों चिन्ह ही सीखने पड़ते थे,लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की जरुरत पड़ती थी,इसलिए इस कार्य में निपुण और दक्ष व्यक्ति लगाये जाते थे और ये काम अत्यंत बौद्धिक कार्य माना जाता था। मेसोपोटामिया के लोंगों ने ही वर्ष को 12 महीनों में बांटा और और महीने को चार हफ्तों मेऔर एक दिन का 24 घण्टों में और एक घण्टे का 60 मिनट में विभाजन किया इसी गणना को बाद में सिकन्दर के उत्तराधिकारियों ने अपनाया ये ज्ञान यहां से रोम पहुंचा । लिखी हुई पट्टियों को सुखाकर आग में पकाकर लिखे गए विवरण को सुरक्षित रखा जाता था। इन पट्टीयों को एक गीली मिट्टी के Envelop या लिफाफे में रखा जाता था ,और उसके ऊपर पता लिखा जाता था और भेजने वाले की मुहर लगाई
जाती थी ,ये मुहरें कई आकार में होती थीं बाद में मुद्राओं का आकार बेलनाकार हो गया और उनमे कई पौराणिक आख्यान और पौराणिक चित्र अंकित किये जाने लगे , सुमेरिया द्वारा उद्विकसित लिपि को मेसोपोटामिया सभ्यता के एनी जातियों अक्कादी ,बेबीलोनियन ,असीरियन , फ़ारसी आदि ने या तो यथावत स्वीकार कर लिया या फिर थोडा फेरबदल कर अपना लिया। सुमेरियन नगर राज्यों में 20 से 50 हजार निवासी रहते थे , सुमेरियन लोगों ने नगर निर्माण में गर्व था, जिसका उल्लेख गिलगमेश आख्यान में मिलता है, सुमेरियन नगरों का विकास क्रमिक हुआ और उन नगरों में पृथक पृथक संरचनायें विकसित होती गईं और अलग अलग कार्यों के लिए विशिष्ट स्थल निर्धारित थे जैसे नगरों में आवासीय क्षेत्र ,बाजार ,व्यापारिक केंद्र ,व्यवसाय के अनुरूप विकसित थे,मकान में दलान या आँगन होता था और उसके आसपास कमरे होते थे ,बाहरी दीवार में सिर्फ एक ही दरवाजा होता था जिससे अंदर की गतिविधियां दिखाई नहीं देतीं थीं मकान निर्माण में मिट्टी की ईंटों का , लकड़ी , के दरवाजों का प्रयोग होता था ,सम्पूर्ण नगर एक प्राचीर से घिरा होता था , नगर में सिंचित कृषि भूमि होती थी। प्रारंभिक राजवंश के समय से बड़े बड़े महल भी निर्मित होने लगे थे जिन्हें BIG HOUSE बिग हाउस कहा जाता था ,इस महल में लूगल और एन सी रहते थे। महल सभी सुख सुविधाओं से युक्त होते थे,इस महल में कई परिवार रहते थे इस लिए कई आँगन होते थे , इन आवासों में मंत्री ,और अनुचर भी रहते थे उनके विभागीय कार्यालय भी होते थे ,भोजन निर्माण स्थल ,पूजा स्थल, पशुशाला ,शिल्पियों के आवास होते थे , ,इस महल के दीवालों में लूगल और एन सी के वो कार्य के दृश्य बनाये जाते थे जिनसे राज्य के विकास में योगदान दिया ,इसके अलावा विभिन्न देवी देवताओं की आकृतियां अंकित होती थीं , महल के बहार चारागाह, सुंदर उपवन , और नाट्य मंच होते थे । जिगुरत- क्या था?सुमेरियन संस्कृति में मन्दिरों महलों व किलों के निर्माण में निश्चित तकनीकी का प्रयोग होता था, मन्दिर के आसपास आयताकार योजना में कोनो में चार छोटे मन्दिर होते थे। ये मन्दिर प्रारम्भ से ऊँचे चबूतरे में बनाये जाते थे जिन्हें जिगुरत कहा जाता था जिगुरत का तात्पर्य है पहाड़ों पर निवास , चूँकि मेसोपोटामिया सभ्यता में प्रारंभ में लोग पहाड़ की चोटी में मन्दिर निर्माण करते थे पर मैदानी भाग में पहाड़ों के या ऊँची जगह न होने के कारण पकाई गई ईंटो का एक पहाड़ी टीला बनाते थे बाद में उसमे चार तरफ से सीढियाँ बनाई जाती थी या फिर मन्दिर के चारो और सर्पिलाकार घुमावदार ढलुवां मार्ग जाता था इस मार्ग में ही रेलिंग में हरे भरे लताएँ भी लगाईं जाती थीं , बेबीलोनियन का हैंगिंग गार्डेन ऐसा ही एक जिगुरत का अवशेष है, देवता के मुख्य भवन तक पहुँचने के लिए। प्रत्येक जिगुरत एक मन्दिर समूह का भाग होता है जिसमे अन्य भवन भी होते थे ,जिगुरत के अंदर का भाग तो कच्ची ईंटों से बनता था पर बाह्य भाग पकाई गई डिज़ाइन दार ईंटों से बनता था। जिगुरत कोई आम जन का पूजा स्थल नही होता था बल्कि इस स्थल में केवल पुरोहित ही जिगुरत के नीचे बने भवनों में ठहरने की व्यवस्था होती थी , जिगुरत वास्तव में नगर रक्षक देव के निवास की जगह होती थी। जिगुरत एक ऐसा घनाकार भवन होता था जहाँ पर इसके निचले भाग में अत्यधिक चौड़ाई होती थी और ऊपरी भाग क्रमसः पतला होता चला जाता था इसके अग्र भाग में तीन तरफ़ सीढियाँ होती थीं जो भवन के आधे ऊंचाई पर आकर मुख्य भवन से मिल जातीं थीं, ज्यादातर जिगुरत जो उत्खनन में ईराक, ईरान में मिले है वो पुराने जिगुरत के मलबे के ऊपर बने थे क्योंकि वो बहुत ऊँचे चबूतरे पर निर्मित है जो। करीब 170 फ़िट ऊँचे हैं, पुराने
जिगुरत भवन गिरा कर उनके ऊपर नए मन्दिर बनते थे, ये मन्दिर प्रेम उर्वरता की देवी इनन्ना और अन्य देवताओ के थे। सुमेरियन कला--- सुमेरिया कला की बात करें तो इसमें स्थापत्य कला,शिल्प कला और संगीत कला का विकास हुआ, मुख्य मन्दिर के देवालय में नृत्य और संगीत गायन वादन होता रहता था , मुख्य मूर्ति के अलावा अन्य मूर्तियां भी बनाई जातीं थीं , परंतु सुमेर कि कला में बढ़ोत्तरी
असीरियन प्रभाव के बाद ही आया। इस बात का पता चला 1922 से 1934 तक राजकीय समाधि "उर" में है कि खुदाई ब्रटिश पुरातत्वविद लियोनार्डो वुली के नेतृत्व में की वहां से बहुमूल्य सामग्री प्राप्त हुई। सुमेरियन विज्ञान -------- सुमेरियन लोग
चिकित्सा की प्रणाली प्रचलित की जो जादू, झाड़ फूंक पर आधारित थी ,साथ में हर्बल चिकित्सा पद्धति भी प्रयोग में लाई जाती थी,वो रासायनिक पदार्थों से रोग उपचार करना जानते थे,उन्हें शरीर रचना विज्ञान का ज्ञान था ,पुरस्थलों की खुदाई से शल्य चिकित्सा उपकरण पाये गए हैं। सुमेरियन लोंगों ने सबसे अधिक उन्नति हैड्रोलिक्स इंजीनियरिंग में की जिसने बाढ़ पर नियंत्रण किया,और सिंचाई के लिए तकनीकी इज़ाद की,उन्होंने दजला फरात नदियों में बांध बनाकर नहरें निकाली, आर्किटेक्ट में उन्नति ये बताती है कि सुमेरियन लोंगों
ने गणित के कठिन समीकरणों को हल कर लिया था, आधुनिक समय की समय संरचना एक मिनट में 60 सेकंड और एक घण्टे को साठ मिनट में बाँटने की गणित सुमेरियन लोंगों ने ही की थी। सरगान प्रथम के शासनकाल में ही एक वर्ष को 12 महीने के नाम रखे
गए गिलगमेश महाकाव्य--(-2100-1950 ईसा पूर्व) प्रश्न-मेसोपोटामिया की अन्य सभ्यता को देन? प्रश्न-मेसोपोटामिया की जनसंख्या कितनी थी? प्रश्न- मेसोपोटामिया के प्रमुख नगर कौन थे? प्रश्न-मेसोपोटामिया की सभ्यता क्या थी? प्रश्न-मेसोपोटामिया सभ्यता और भूगोल? प्रश्न-मेसोपोटामिया सभ्यता का पतन कैसे हुआ? मेसोपोटामिया सभ्यता में नगरों का निर्माण कब हुआ?दो नदियों दजला और फरात के बीच की धरती पर इंसानी सभ्यता के पहले शहर बसे. ईसा पूर्व चौथी सदी से करीब 3,000 सालों तक मेसोपोटामिया की सभ्यता के सबूत मिलते हैं. ईसा पूर्व पहली सदी आते आते वहां बेबीलोन और निनवे जैसे कई शहर बस चुके थे.
मेसोपोटामिया में कितने प्रकार के नगरों का निर्माण हुआ?Answer: मेसोपोटामिया में चार प्रसिद्ध सभ्यताएं हुईं हैं -सुमेरिया, बेबीलोन, असीरिया, कैल्ड्रिया।
मेसोपोटामिया नगर में खोज क्या था?मेसोपोटामिया लगभग 10,000 ईसा पूर्व से नवपाषाण क्रांति के शुरुआती विकास का स्थल है। इसकी पहचान "मानव इतिहास के कुछ सबसे महत्वपूर्ण विकासों से प्रेरित है, जिसमें पहिये का आविष्कार, पहली अनाज की फसलों का रोपण और श्राप लिपि, गणित , खगोल विज्ञान और कृषि का विकास " शामिल है।
भारत में सबसे पहले नगरों का विकास कब हुआ?भारत में शहरीकरण की शुरूआत सिन्धुघाटी में पाए गए नगरों से आरम्भ होती है । सिन्धुकाल की नगरीय अवस्था के पतन के पश्चात ऋग्वैदिक एवं वैदिक काल में अर्थात् ईसा पूर्व छठी शताब्दी के पहले हमें नगरों के प्रमाण नहीं के बराबर देखने को मिलते हैं।
|