मार्कोस कमांडो कौन से देश के हैं? - maarkos kamaando kaun se desh ke hain?

मार्कोस कमांडो (Indian Navy MARCOS Commando) को भारत के सबसे बेहतरीन कमांडो में से एक माना जाता है। यह भारतीय नौसेना (Indian Navy) का एक विशेष बल हैं। इसे मार्कोस या समुद्री कमांडो (पहले समुद्री कमांडो फोर्स या एमसीएफ के रूप में जाना जाता था) के नाम से जाना जाता है। यह आतंकवाद से निपटने के लिए पानी के नीचे और सब-एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन में माहिर होते है। साथ ही ये जमीन पर भी अपने ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। आइए, जानते हैं कि इन कमांडो की ट्रेनिंग किस तरह होती है और इन्‍हें कितनी सैलरी मिलती है।

मार्कोस का गठन
भारतीय नौसेना की इस विशेष बल का गठन 1987 में किया गया था। मार्कोस (MARCOS Commando) का प्रशिक्षण इतना व्यापक होता है कि इनको आतंकवाद से लेकर, नेवी ऑपरेशन, और एंटी पायरेसी ऑपरेशन में भी इस्तेमाल किया जाता है। कुछ मामलों में इन्‍हें अमेरिकी नेवी सील से भी बेहतर माना जाता है। इनका मोटो है:"The Few The Fearless" है। कहा जाता है कि सेना के 1000 सैनिकों में से कोई एक ही मार्कोस कमांडो बन पाता है। इसका मतलब इसमें सिलेक्शन होना बहुत ही मुश्किल होता है।

मार्कोस कमांडो की चयन प्रक्रिया
मार्कोस कमांडो का चयन प्रक्रिया ही काफी टफ है। कमांडो बनने के लिए भारतीय नौसेना का कोई भी कर्मचारी आवेदन कर सकता है, बशर्ते आवेदक की आयु 20 वर्ष से अधिक न हो। आवेदन करने वाले उम्मीदवार को पहले तीन दिन शारीरिक फिटनेस टेस्ट और योग्यता परीक्षा से गुजरना होता है। आवेदन करने वाले करीब 90 फीसदी उम्मीदवार यहीं पर रिजेक्ट हो जाते हैं।

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मार्कोस कमांडो को इस तरह मिलती है ट्रेनिंग
मार्कोस कमांडो की ट्रेनिंग बहुत टफ होती है। यहां से उम्मीदवारों को 5 सप्ताह की एक कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। जो कि इतना कष्टकारी होता है कि लोग इसकी तुलना नर्क से भी करते हैं। इस प्रक्रिया में ट्रेनी को पूरी नींद नहीं लेने दी जाती और उनसे कठिन परिश्रम करवाया जाता है। इस चरण में जो लोग ट्रेनिंग छोड़कर भागते नहीं हैं उनको वास्तविक ट्रेनिंग के लिए चुना जाता है।

3 साल होती है मार्कोस की ट्रेनिंग
बचे हुए लोगों को मार्कोस की असल ट्रेनिंग कराई जाती है, जो लगभग 3 साल तक चलती है। इस ट्रेनिंग के दौरान इनको अपने कंधे पर 25 किलो का भार लेकर जांघों तक कीचड़ में घुस कर 800 मीटर दौड़ लगानी पड़ती है। इसके बाद इन जवानों को "हालो" और "हाहो" नाम की दो ट्रेनिंग दी जाती है। "हालो" जम्प में जवान को लगभग 11 किमी. की ऊंचाई से जमीन पर कूदना होता है, जबकि "हाहो" जम्प में जवान को 8 किमी. की ऊंचाई से कूदना होता है और 8 सेकेंड के अंदर अपने पैराशूट को भी खोलना होता है।

आगरा और कोच्चि में होती है ट्रेनिंग
मार्कोस कमांडो के प्रशिक्षुओं को आगरा के पैराट्रूपर ट्रेनिंग स्कूल में पैरा जंपिंग कराई जाती है। वहीं गोताखोरी के प्रशिक्षण के लिए उन्‍हें कोच्चि में नौसेना के डाइविंग स्कूल में ट्रेनिंग मिलती है। मार्कोस कमांडो की ट्रेनिंग में शामिल होता है ओपन और क्लोज सर्किट डाइविंग, उन्नत हथियार कौशल, विध्वंस, धीरज प्रशिक्षण और मार्शल आर्ट सहित बुनियादी कमांडो कौशल, हवाई प्रशिक्षण, खुफिया प्रशिक्षण, पनडुब्बी शिल्प का संचालन, अपतटीय संचालन, आतंकवाद विरोधी अभियान, पनडुब्बियों से संचालन, स्काइडाइविंग, विभिन्न विशेष कौशल जैसे भाषा प्रशिक्षण, सम्मेलन विधि, विस्फोटक से निपटने की तकनीक आदि। जिन उम्‍मीदवारों का मार्कोस कमांडों में चयन होता है, उनके घरवालों को भी इसकी जानकारी दी जाती है। इनको अपनी पहचान को छिपाकर रखना होता है। मार्कोस कमांडो की ज्यादातर ट्रेनिंग आईएनएस अभिमन्यु (मुंबई) में होती है। इनके प्रशिक्षण के लिए अन्य प्रमुख केंद्र गोवा, कोच्चि, विशाखापटनम और पोर्ट ब्लेयर में स्थित हैं।

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मार्कोस कमांडो की सैलरी
मार्कोस कमांडो की सैलरी उनकी तैनाती पर निर्भर करता है। 7वें वेतन आयोग के अनुसार उनका मूल वेतन 25,000/- रुपये है। इसके अलावा इन्‍हें जहाज गोताखोर भत्ता- +8.500 से 10,000/- रुपये, मार्कोस भत्ता- +25,000/- रुपये, यदि वह हार्ड एरिया में तैनात है तो मूल वेतन का 20% +, यदि अति सक्रिय क्षेत्र क्षेत्र में पदस्थापित हैं तो अति सक्रिय क्षेत्र क्षेत्र भत्ता- 16,900/- रुपये, फील्ड एरिया में तैनात हैं तो फील्ड एरिया अलाउंस- 10,500/- रुपये मिलता है। कहा जा सकता है कि उन्‍हें प्रतिमाह लाखों रुपये की सैलरी मिलती है।

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भारत सदा से वीर पुरुषों की धरती रहा है. यहाँ के धीर वीर सैनिकों ने हमेशा हीं देश की आन के लिए अपनी जान को मोर्चे पर अड़ाने में कभी देरी नहीं की. हिन्दुस्तान की यह विराट धरती सदा से हीं, एक से एक वीर जवानों से पुष्पित पल्लवित रही है. अपने प्यारे राष्ट्र की पहरेदारी के लिए ये जब सीमा पर होते हैं तब इनकी बदौलत हम और आप अपने अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं. लेकिन दुष्ट और स्वार्थी दुश्मनों और पड़ोसियों ने हमारी नींदे हराम करने के अलग अलग जब तरीके निकाले तो हमारे वीर सैनिकों ने भी अनेक निपुणताओं के साथ उनका मुकाबला करने की ठानी.

Source: Safalta

इसी क्रम में जो एक प्रचण्ड शक्तिशाली और वीर सैनिकों का स्पेशल फोर्स यूनिट निकल कर सामने आया, वह था मार्कोससमुद्री कमांडो या मरीन कमांडो फोर्स (MCF) भारतीय नौसेना के इस विशेष इकाई को दादीवाला फौज के नाम से भी जाना जाता है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

 

मार्कोस कमांडोज

मार्कोस या मरीन कमांडो फोर्स (MCF) भारतीय नौसेना की स्पेशल ऑपरेशंस फोर्स यूनिट हैं जिन्हें किसी भी स्पेशल ऑपरेशन के लिए बुलाया जाता है. भारतीय नौसेना की इस स्पेशल यूनिट की स्थापना फरवरी साल 1987 में आतंकवादियों तथा समुद्री लुटेरों आदि को सबक सिखाने के लिए किया गया था. वैसे तो ये स्पेशल मरीन यानि समुद्री कमांडोज हैं लेकिन ये सभी प्रकार के वातावरण में जैसे समुद्र में, हवा में और जमीन पर भी, हर तरह के ऑपरेशंस को अंजाम देने में पुर्णतः निपुण होते हैं.

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भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडोज ने अपने विस्तृत अनुभव की कुशलता तथा प्रोफेशनलिज्म से एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा हासिल की है. इनका मोटो है "The Few The Fearless." बहादुर और निर्भीक.

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कैसे बनते हैं मार्कोस कमांडो

और आइए अब बात करते हैं मार्कोस कमांडो बनने की कठोर प्रक्रिया की. मार्कोस को इतना दृढ और व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है कि ये नेवी ऑपरेशन से लेकर आतंकवाद और एंटी पायरेसी ऑपरेशन तक में माहिर होते हैं. आपको जान कर हैरानी होगी कि कुछ मामलों में तो मार्कोस कमांडो को अमेरिकी नेवी सील से भी इक्कीस माना जाता है.

जीहाँ मानसिक और शारीरिक क्षमताओं में भारत के ये मार्कोस कमांडोज अमेरिका के फेमस नेवी सील को पीछे छोड़ देते हैं. तभी तो मार्कोस कमांडो की गिनती भारत के सबसे खतरनाक कमांडोज में की जाती है.
मार्कोस कमांडो के लिए सिलेक्शन होना इतना मुश्किल होता है कि, इस पर सेना में एक कहावत है कि 10,000 सैनिकों में से किसी एक को हीं मार्कोस कमांडो ट्रेनिंग के लिए चुना जाता है.
यह सच है कि सेना के 1000 सैनिकों में से कोई एक ही मार्कोस कमांडो बन पाता है.

 

कैसे होता है मार्कोस कमांडो का चयन ?

भारतीय नौसेना की इस यूनिट में शामिल होने के लिए किसी भी कैंडिडेट को पहले तीन दिवसीय, फिजिकल फिटनेस टेस्ट तथा योग्यता परीक्षा को पास करना पड़ता है.यह परीक्षा इतनी कठिन होती है कि लगभग 80% कैंडिडेट्स को स्क्रीनिंग के बाद हीं बाहर कर दिया जाता है.

मार्कोस कमांडोज की ट्रेनिग

मार्कोस कमांडोज की ट्रेनिंग लगभग 3 साल तक चलती है. भारतीय नौसेना की इस यूनिट में शामिल होने के लिए 20 साल के, 100 में से 20% निर्भय और दुस्साहसी युवाओं का हीं चयन किया जाता है. कैंडिडेट्स के चयन के बाद उनकी 5 सप्ताह की अत्यंत दुष्कर ट्रेनिंग प्रक्रिया आरम्भ होती है, जिसमें ट्रेनी को न तो सोने दिया जाता है न खाने. और साथ में कठोर परिश्रम अलग. इन यातनाओं के बाद भी जो कैंडिडेट ट्रेनिंग छोड़कर नहीं भागते उन्हें मूल ट्रेनिंग के लिए चुन लिया जाता है.
मार्कोस की इस ट्रेनिंग में कैंडिडेट्स को जांघों तक कीचड़ के अन्दर घुस कर 800 मीटर तक की दौड़ लगानी पड़ती है. यही नहीं इस प्रक्रिया के दौरान इनके कन्धों पर 25 किलो का वजन भी रख कर दौड़ाया जाता है.
कहते हैं कि कसौटी पर घिस कर हीं असली सोना निखरता है सो इन कठिन अभ्यासों के बाद हीं दुनिया के सबसे शक्तिशाली, दिलेर और बेस्ट कमांडोज निकल कर सामने आते हैं.

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भारत की बेस्ट कमांडो फोर्स 'मार्कोस'

जमीन, हवा और पानी तीनों जगहों पर लड़ने में पुर्णतः सक्षम ये कमांडोंज अपने सफल ऑपरेशंस के लिए दुनियाभर में जाने माने जाते हैं. जहाँ एक तरफ मार्कोस कमांडोज हर तरह के हेलीकाप्टर, जहाज चलाने में एक्सपर्ट हैं वहीँ दूसरी तरफ ये रायफल, स्नाइपर समेत दुनिया के सभी आधुनिक हथियार चलाना अच्छे से जानते हैं. आप सोच रहे होंगे कि अगर इनसे हथियार छीन लिए जाएँ तो ? तो बता दूँ कि मार्शल आर्ट में एक्सपर्ट ये मार्कोस कमांडोज बिना हथियार के तो और भी अधिक खतरनाक साबित होते हैं, जी हाँ ये बिना हथियार के भी दुश्मनों की जान ले सकते हैं.

दुनिया का सबसे खतरनाक कमांडो कौन सा है?

भारत के सबसे खतरनाक कमांडो में वायुसेना के गरुड़ कमांडो का नाम लिया जाता है। इस फोर्स में करीब 1500 जवान हैं। इनकी ट्रेनिंग इस तरह की जाती है कि ये बिना कुछ खाए हफ्ते तक संघर्ष कर सकते हैं। गरुड़ कमांडो को एयरबोर्न ऑपरेशन, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररिज्म का जिम्मा उठाने के लिए ट्रेन किया जाता है।

भारत के पास कितने मार्कोस कमांडो हैं?

भारत के पास भी स्पेशल फोर्सेज हैं. जिन्हें कमांडो कहते हैं.

भारत का सबसे ताकतवर कमांडो कौन है?

ये सभी फोर्सेस भारत की आन बान और शान हैं. इस लिस्ट में पहले नंबर पर नाम आता है कोबरा कमांडो का. COBRA का पूरा नाम है Commando Battalion For Resolute Action. आपको बता दें कि ये CRPF(Central Reserve Police Force) की एक स्पेशल यूनिट है.

मार्कोस कमांडो बनने के लिए क्या करना पड़ता है?

मार्कोस कमांडो बनाना आसान नहीं है। इसके लिए सेलेक्‍ट होने वाले कमांडोज को कड़ी परीक्षा से गुजरना होता है। 20 साल उम्र वाले प्रति 10 हजार युवा सैनिकों में एक का सिलेक्शन मार्कोस फोर्स के लिए होता है। इसके बाद इन्हें अमेरिकी और ब्रिटिश सील्स के साथ ढाई साल की कड़ी ट्रेनिंग करनी होती है।

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