संतोषी माता को खुश कैसे करे - santoshee maata ko khush kaise kare

शुक्रवार का व्रत तीन तरह से किया जाता है। इस दिन भगवान शुक्र के साथ-साथ संतोषी माता तथा वैभवलक्ष्मी देवी का भी पूजन किया जाता है। तीनों व्रतों की विधियां अलग-अलग हैं। जो स्त्री-पुरुष शुक्रवार को संतोषी माता का व्रत करते हैं, उनके लिए व्रत-विधि इस प्रकार है।

संतोषी माता व्रत विधि : क्या करें इस दिन 

सूर्योदय से पूर्व उठें।

घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।

घर के ही किसी पवित्र स्थान पर संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

संपूर्ण पूजन सामग्री तथा किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें।

जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें।

संतोषी माता की विधि-विधान से पूजा करें।

इसके पश्चात संतोषी माता की कथा सुनें।

तत्पश्चात आरती कर सभी को गुड़-चने का प्रसाद बांटें।

अंत में बड़े पात्र में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें।

इसी प्रकार 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखें।

अंतिम शुक्रवार को व्रत का विसर्जन करें।

विसर्जन के दिन उपरोक्त विधि से संतोषी माता की पूजा कर 8 बालकों को खीर-पुरी का भोजन कराएँ तथा दक्षिणा व केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें।>  

अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करें।

क्या न करें>  

इस दिन व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष खट्टी चीज का न ही स्पर्श करें और न ही खाएं।  

गुड़ और चने का प्रसाद स्वयं भी खाना चाहिए।
 

भोजन में कोई खट्टी चीज, अचार और खट्टा फल नहीं खाना चाहिए।
 

व्रत करने वाले के परिवार के लोग भी उस दिन कोई खट्टी चीज नहीं खाएं।

हिंदी न्यूज़ धर्मSantoshi Mata Vrat: संतोषी माता का व्रत कब से शुरू करना चाहिए? जानिए व्रत नियम, पूजा विधि व प्रिय पुष्प

हिंदू धर्म में शुक्रवार को किए जाने वाले संतोषी माता के व्रत का विशेष महत्व है। संतोषी माता को हिंदू धर्म में सुख, शांति और वैभव का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता संतोषी भगवान...

Saumya Tiwariलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 29 Apr 2021 10:12 AM

हिंदू धर्म में शुक्रवार को किए जाने वाले संतोषी माता के व्रत का विशेष महत्व है। संतोषी माता को हिंदू धर्म में सुख, शांति और वैभव का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता संतोषी भगवान श्रीगणेश की पुत्री हैं। कहा जाता है कि माता संतोषी की पूजा करने से जीवन में संतोष का प्रवाह होता है। माता संतोषी की पूजा करने से धन और विवाह संबंधी समस्याएं भी दूर होने की मान्यता है।

माता संतोषी का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?

शुक्रवार को रखा जाने वाले माता संतोषी का व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है। सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता संतोषी के 16 शुक्रवार तक व्रत किए जाने का विधान है।

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संतोषी मां के व्रत में क्या खाया जाता है?

संतोषी माता का व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष को खट्टी चीज का सेवन और स्पर्श नहीं करना चाहिए। माता संतोषी को भोग लगाने वाला प्रसाद गुड़ व चने व्रती को भी खाने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से माता रानी की कृपा हमेशा बनी रहती है।

मां संतोषी को कौन-सा फूल प्रिय है?

मां संतोषी के स्वरूप को मां दुर्गा के सबसे शांत, कोमल रूपों में से एक माना जाता हैं। संतोषी माता कमल के फूल में विराजमान हैं। ऐसे में माता संतोषी की पूजा के दौरान उन्हें कमल का पुष्प अर्पित करना चाहिए।

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माता संतोषी पूजा विधि-

माता संतोषी के 16 शुक्रवार तक व्रत किए जाने का विधान है।
सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई आदि कर लें।
स्नान करने के बाद घर में पवित्र स्थान पर माता संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
अब माता संतोषी के संमुख एक कलश जल भर कर रखें।
 कलश के ऊपर  एक कटोरा भर कर गुड़ व चना रखें।
माता के सामने एक घी का दीपक जलाएं।
माता को अक्षत, फ़ूल, सुगन्धित गंध, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें।
माता संतोषी को गुड़ व चने का भोग लगाए।
अब माता रानी की आरती उतारें।
 

Santoshi Mata Puja: शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ संतोषी माता को भी समर्पित है. शुक्रवार के दिन आदिशक्ति माता के विभिन्न रुपों की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि शुक्रवार के दिन सच्ची श्रद्धा से माता संतोषी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. और मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है. शुक्रवार के व्रत के नियम कठोर होते हैं. इन नियमों का पालन करने के बाद ही व्रत का पूर्ण फल मिलता है. आइए जानते हैं संतोषी माता की पूजा विधि और महत्व के बारे में. 

संतोषी माता व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. शुक्रवार के दिन मां संतोषी माता की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि माता संतोषी की पूजा-अर्चना से जीवन में सुख और समृद्धि आती है. साथ ही भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ती होती है.  मान्यता है कि अगर कोई अविवाहित कन्या 16 शुक्रवार के व्रत रखती है, तो उनकी शादी शीघ्र हो जाती है. वहीं, विवाहित महिलाओं को व्रत रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि माता संतोषी के पिता भगवान श्री गणेश हैं. और माता का नाम रिद्धि-सिद्धि है. 

शुक्रवार के दिन क्या न करें

धार्मिक मान्यता है कि अगर कोई शुक्रवार के दिन व्रत रखता है तो उसे खट्टी चीजों को स्पर्श करने और खाने की मनाही होती है. इस दिन भूलकर भी खट्टी चीजों का सेवन न करें, वरना माता रुष्ठ हो जाती हैं. इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करें. किसी को अपशब्द या कटु शब्द न करें. किसी से वाद-विवाद करने से बचें. 

संतोषी माता व्रत पूजा विधि

शुक्रवार को प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर संतोषी माता को स्मरण और प्रणाम करके दिन की शुरुआत करें.इसके बाद स्नान आदि से निविर्त होककर लाल वस्त्र धारण करें. पूजा गृह में माता संतोषी की चित्र और कलश स्थापित कर पूजा करें. पूजा में गुड़, चना, फल, फूल, दूर्वा, अक्षत, नारियल फल माता को अर्पित करें. मां को लाल चुनरी चढ़ाएं. आखिर में आरती अर्चना और प्रसाद भेंट करें. शुक्रवार के दिन पूजा आदि करने के बाद दिनभर उपवास रखें. शाम के समय एक बार फिर से आरती करने के बाद ही व्रत का पारण करें और भोजन ग्रहण करें. इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें. 

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संतोषी माता की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

जो लोग 16 शुक्रवार तक विधि-विधान और भक्ति-भाव मां संतोषी का व्रत करते हैं मां उनके घर में धन-धान्‍य और खुशियों की बरसात करती हैं. माता उनकी सारी समस्‍याएं हर लेती हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता संतोषी भगवान श्रीगणेश की पुत्री हैं. कहा जाता है कि माता संतोषी की पूजा करने से जीवन में संतोष का प्रवाह होता है.

संतोषी माता को क्या पसंद है?

जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें. इसके बाद संतोषी माता की विधि विधान से पूजा करें. फिर व्रत कथा पढ़ें या सुनें. इसके बाद आरती कर सभी को गुड़ चने का प्रसाद बांटें.

संतोषी माता के व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए?

शुक्रवार व्रत के दौरान शाम में एक समय भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस दिन खट्टे फल और सब्जी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फल, दूध, गुड़, चना और हलवा आदि का सेवन कर सकते हैं। 16 शुक्रवार विधि-विधान के साथ माता संतोषी की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होने की मान्यता है।

संतोषी माता को कौन सा फूल चढ़ता है?

मां संतोषी को कौन-सा फूल प्रिय है? मां संतोषी के स्वरूप को मां दुर्गा के सबसे शांत, कोमल रूपों में से एक माना जाता हैं। संतोषी माता कमल के फूल में विराजमान हैं। ऐसे में माता संतोषी की पूजा के दौरान उन्हें कमल का पुष्प अर्पित करना चाहिए।

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