'मेरी तिब्बत यात्रा' की भाषा - शैली की विशेषताएँ क्या हैं -(A) भावपरक(B) संस्कृतनिष्ठ, तर्कपूर्ण(C) युगविशेष का आभास देनेवाली(D) चिंतनप्रधाननीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
Show
Answer (Detailed Solution Below)Option 1 : (B) और (C) Free Teaching Aptitude Mock Test 10 Questions 20 Marks 12 Mins 'मेरी तिब्बत यात्रा' की भाषा-शैली की विशेषताएं हैं - संस्कृतनिष्ठ, तर्कपूर्ण और युगविशेष का आभास देनेवाली।
Last updated on Nov 3, 2022 The final provisional answer key for all phases of UGC NET Merged Cycle (December 2021 and June 2022) has been released on 2nd November 2022. The last date to raise objections against the UGC NET Provisional Answer Key for the merged cycle (December 2021 and June 2022) was extended till 26th October 2022. The UGC NET Final Answer Key was released for December 2021 and June 2022 cycle (combined). Earlier, the provisional answer key was released and candidates could submit objections against the same till 20th October 2022. The UGC NET CBT exam consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I will be conducted of 50 questions and Paper II will be held for 100 questions. By qualifying this exam candidates are deemed eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country. राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan) का जीवन परिचय, साहित्यिक परिचय, कवि परिचय एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है। Rahul Sankrityayan Biography / Rahul Sankrityayan Jeevan Parichay / Rahul Sankrityayan Jivan Parichay / राहुल सांकृत्यायन :
महापण्डित राहुल सांकृत्यायन ने हिन्दी भाषा और साहित्य की जो महान सेवा की उससे हम कभी उऋण नहीं हो सकते। हिन्दी में यात्रा साहित्य के वे प्रवर्तक माने जाते हैं। उनकी कृतियां हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। वे एक प्रकाण्ड विद्वान, भाषाविद्, महान यात्री एवं प्रबुद्ध साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं। उनका अध्ययन जितना व्यापक था, साहित्य सृजन भी उतना ही विराट एवं विपुल था। उनके व्यक्तित्व के अनेक आयाम हैं तथा उनकी प्रतिभा के अनेक रूप हैं। राहुल सांकृत्यायन का जीवन-परिचयराहुल सांकृत्यायन जी का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पन्दहा नामक ग्राम में अपने नाना पं. रामशरण पाठक के यहां सन् 1893 ई. में हुआ था। उनके पिता पण्डित गोवर्धन पाण्डे एक कट्टर सनातनी ब्राह्मण थे। राहुल जी का बचपन का नाम केदारनाथ था। बौद्ध धर्म में आस्था होने के कारण उन्होंने अपना नाम बदलकर राहुल रख लिया। ‘संकृति’ गोत्र होने के कारण उन्हें सांकृत्यायन कहा गया। राहुल सांकृत्यायन ने प्रारम्भिक शिक्षा रानी की सराय और निजामाबाद में प्राप्त की जहां से आपने सन् 1907 में उर्दू मिडिल परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् वाराणसी में रहकर संस्कृत की उच्च शिक्षा प्राप्त की। यहीं पर पालि भाषा के प्रति गहन अनुराग उनके मन में उत्पन्न हुआ। इनके पिता चाहते थे कि ये उच्च शिक्षा प्राप्त करें, किन्तु उनका मन आगे पढ़ने में न लगा। इन्हें परिवार का बन्धन भी नहीं भा रहा था। राहुल सांकृत्यायन जी के नाना फौज में सिपाही रहे थे। वे फौजी जीवन की तथा अपने दक्षिण भारत प्रवास की अनेक कहानियां उन्हें सुनाया करते थे जिससे राहुल जी के मन में यात्राओं के प्रति प्रेम अंकुरित हुआ। इन्होंने उनकी उर्दू की एक पाठ्य-पुस्तक में एक शेर पढ़ा था- “सैर कर दुनिया की गाफिल जिन्दगानी फिर कहां? इस शेर को उन्होंने अपने जीवन का मूलमन्त्र बना लिया और जीवन भर धुमक्कड़ी करते रहे। उन्होंने यूरोप, जापान, रूस, कोरिया, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, ईरान, चीन आदि देशों की अनेक यात्राएं की और भारत के विभिन्न क्षेत्रों का भी परिभ्रमण किया। बाद में अपने अनुभवों के आधार पर घुमक्कड़ों की सुविधा के लिए एक ग्रन्थ ही लिख डाला जिसका नाम है – ‘घुमक्कड शास्त्र‘। घुमक्कडी से उन्होंने अथाह ज्ञान एवं विलक्षण अनुभव प्राप्त किए थे। वे औपचारिक शिक्षा को उतना महत्व नहीं देते थे जितना घुमक्कड़ी से मिलने वाली शिक्षा को। उनका सारा साहित्य घुमक्कडी से प्राप्त अनुभव से ही प्रेरित है। सरस्वती के इस महान साधक का निधन सन् 1963 ई. में हो गया। राहुल सांकृत्यायन की ‘कृतियां’राहुल सांकृत्यायन की प्रतिभा बहुमुखी थी। विविध विषयों से सम्बन्धित लगभग 150 ग्रन्थों की रचना उन्होंने की जिनमें से प्रमुख निम्नवत् हैं:
भाषागत विशेषताएंराहुल सांकृत्यायन जी भाषा के प्रकाण्ड विद्वान हैं। आपके यात्रा साहित्य एवं निबन्धों की भाषा सहज, स्वाभाविक एवं व्यावहारिक है। सामान्यतः संस्कृतनिष्ठ परन्तु सरल और परिष्कृत भाषा को ही आपने अपनाया है। कहीं-कहीं आपने मुहावरों और कहावतों का प्रयोग भी किया है, जिससे भाषा में जीवन्तता आ गई है। संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान होते हुए भी आप जनसाधारण की भाषा लिखने के पक्षपाती रहे। राहुल जी की भाषा समग्रतः तत्सम शब्दावली से युक्त खड़ी बोली हिन्दी है। प्रकृति एवं मानव सौन्दर्य का चित्रण करते समय वे काव्यात्मक भाषा का प्रयोग करते हैं। उनकी भाषा में सामासिक पदावली की भी बहुलता है। शैली के विविध रूपवर्णनात्मक शैलीयात्रा साहित्य में राहुल जी ने वर्णनात्मक शैली का प्रचुर प्रयोग किया है। इस शैली में सरल, सहज एवं प्रवाहपूर्ण भाषा का प्रयोग किया गया है। वाक्य छोटे-छोटे एवं भाषा सरल है। यथा- प्राकृतिक आदिम मनुष्य परम घुमक्कड़ था। खेती, बागवानी तथा घर द्वार से मुक्त वह आकाश के पक्षियों की भांति पृथ्वी पर सदा विचरण करता था। विवेचनात्मक शैलीइस शैली का प्रयोग राहुल सांकृत्यायन जी ने इतिहास, दर्शन, धर्म, विज्ञान आदि विषयों से सम्बन्धित निबन्धों में किया है। इनमें उनका मौलिक चिन्तन एवं विस्तृत अध्ययन साफ झलकता है। वाक्य कुछ लम्बे-लम्बे हो गए हैं किन्त भाषा प्रौढ, परिमार्जित एवं विषय के स्पष्टीकरण में सक्षम है। व्यंग्यात्मक शैलीराहुल सांकृत्यायन ने व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग उन स्थलों पर किया है जहां वे समाज में व्याप्त कुरीतियों, अन्धविश्वासों एवं पाखण्डों पर प्रहार करते हैं। ऐसे स्थानों पर उनके गद्य में व्यंग्यात्मकता का पुट आ गया है। यथा- “आखिर घुमक्कड़ धर्म को भूलने के कारण ही हम सात शताब्दियों तक धक्का खाते रहे। ऐरे-गैरे जो भी आए, हमें चार लात लगाते गए।” यहां भाषा में मुहावरों का प्रयोग भी देखा जा सकता है। हिन्दी साहित्य में स्थानराहुल जी विलक्षण प्रतिभा के धनी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने घुमक्कड़ी का अपने जीवन का ध्येय बना रखा था। 150 ग्रन्थों की रचना करने वाला हिन्दी का यह साधक निश्चय हा एक महान विद्वान एवं तपस्वी साधक था। राहुल जी हिन्दी में यात्रा साहित्य के प्रवर्तक माने जाते हैं। पालि भाषा और साहित्य के प्रति भी उनका विशेष अनुराग था। उन्होंने अनेक प्राचीन पालि ग्रन्थों को प्रकाश में लाने का श्रम साध्य कार्य सम्पन्न किया। राहुल सांकृत्यायन की रचनाएं एवं कृतियाँराहुल सांकृत्यायन के उपन्यास– सिंह सेनापति, जययौधेय, जीने के लिए, मधुर स्वप्न, विस्मृत याची। राहुल सांकृत्यायन का कहानी संग्रह– सतमी के बच्चे, वोल्गा से गंगा, कनैला की कथा, बहुरंगी मधुपुरी। राहुल सांकृत्यायन के रेखाचित्र संस्मरण– बचपन की स्मृतियां, जिनका मैं कृतज्ञ, मेरे असहयोग के साथी। राहुल सांकृत्यायन की आत्मकथा– मेरी जीवन यात्रा। राहुल सांकृत्यायन की जीवनी– स्तालिन, लेनिन, कार्लमाक्र्स, माउत्से तुंग। राहुल सांकृत्यायन के यात्रा साहित्य– मेरी तिब्बत यात्रा, मेरी लद्दाख यात्रा, रूस में 25 मास, किन्नर देश में अन्य हिन्दी काव्य धारा, पाली साहित्य का इतिहास। हिन्दी साहित्य के अन्य जीवन परिचय- हिन्दी अन्य जीवन परिचय देखने के लिए मुख्य प्रष्ठ ‘Jivan Parichay‘ पर जाएँ। जहां पर सभी जीवन परिचय एवं कवि परिचय तथा साहित्यिक परिचय आदि सभी दिये हुए हैं।
|