मई 2022 में प्रदोष कब है? - maee 2022 mein pradosh kab hai?

डिजिटल डेस्क,भोपाल। भगवान शिव इतने भोले हैं कि वह केवल एक लोटे जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। यही कारण है की भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग प्रदोष व्रत भी रखते हैं। इस व्रत से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। हर माहिने में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार ये व्रत चैत्र पक्ष के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी 14 अप्रैल 2022, गुरुवार के दिन पड़ रहा है। गुरुवार का दिन होने के कारण इसे गुरू प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत की तिथि 14 अप्रैल सुबह 04:49 बजे से शुरु होकर 15 अप्रैल सुबह 03:55 मिनट तक रहेगी। प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय  06:42 से रात्रि 09:02 बजे तक रहेगा।

गुरू प्रदोष व्रत का महत्व
गुरू प्रदोष व्रत विधि-विधान से रखने पर भक्त के जीवन से जुड़े सभी कर्ज दूर होते हैं। इतना ही नहीं, शिव की कृपा से उसकी आर्थिक स्थिति सुधरती है।

प्रदोष व्रत पूजन विधि
इस दिन प्रातः उठकर स्नान-ध्यान करके भगवान शिव के सामने प्रदोष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद ​विधि-विधान से प्रदोष व्रत करें । शाम को भगवान शिव का ध्यान करें और  पूजन करें। प्रदोष व्रत की कथा पड़े।  इस दिन रुद्राक्ष की माला से शिव मंत्र का जाप करें।


साल 2022 में आगामी प्रदोष व्रत
14 अप्रैल 2022, गुरुवार– गुरु प्रदोष व्रत
28 अप्रैल 2022, गुरुवार– गुरु प्रदोष व्रत
13 मई 2022, शुक्रवार– शुक्र प्रदोष व्रत
27 मई 2022, शुक्रवार– शुक्र प्रदोष व्रत
12 जून 2022, रविवार– रवि प्रदोष व्रत
26 जून 2022, रविवार– रवि प्रदोष व्रत
11 जुलाई 2022, सोमवार– सोम प्रदोष व्रत
25 जुलाई 2022, सोमवार– सोम प्रदोष व्रत
09 अगस्त 2022, मंगलवार– भौम प्रदोष व्रत
24 अगस्त 2022, बुधवार– बुध प्रदोष व्रत
08 सितंबर 2022, गुरुवार– गुरु प्रदोष व्रत
23 सितंबर 2022, शुक्रवार– शुक्र प्रदोष व्रत
07 अक्टूबर 2022, शुक्रवार– शुक्र प्रदोष व्रत
22 अक्टूबर 2022, शनिवार– शनि प्रदोष व्रत
05 नवंबर 2022, शनिवार– शनि प्रदोष व्रत
21 नवंबर 2022, सोमवार– सोम प्रदोष व्रत
05 दिसंबर 2022, सोमवार– सोम प्रदोष व्रत
21 दिसंबर 2022, बुधवार – बुध प्रदोष व्रत  

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के विज्ञान विभाग और मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के संयुक्त तत्वाधान में महान गणितज्ञ श्री रामानुजन जी की स्मृति में राष्ट्रीय गणित सप्ताह 2022 का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र के प्रथम दिवस बतौर मुख्य अतिथि डॉ. विकास शेंडे, प्रमुख वैज्ञानिक एमपीसीएसटी ने दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने उपस्थित छात्रों व प्रतिभागियों को बताया कि कैसे गणित दैनिक जीवन का अंग है और किस प्रकार हमें प्रभावित करता है। इस अवसर पर डॉ. निपुण सिलावट, प्रमुख वैज्ञानिक एमपीसीएसटी भी उपस्थित रहे। जिन्होंने भारतीय प्राचीन विज्ञान में गणित और गणितज्ञों की भूमिका पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने की। कार्यक्रम में विज्ञान प्रसार संचार केंद्र व इलेक्ट्रोनिकी आपके लिए के संयोजक एवं सह-संपादक, श्री मोहन सहोरिया जी एवं श्री रवि जैन जी ने प्रसिद्ध वैज्ञानिकों विक्रम साराभाई, एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनवृत्त पुस्तिकाएं (मोनोग्राफ) का विमोचन किया गया।

द्वितीय दिवस पर डॉ. प्रो. वी.पी. सक्सेना, पूर्व कुलपति जीवाजी विश्वविद्यालय आंगतुक वैज्ञानिक कैंब्रिज यू. के. मुख्य अतिथि रहे एवं डॉ. माधवी शाक्य, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष गणित विभाग, एमएसीटी ने अपने लब्धप्रतिष्ठित ज्ञान से छात्रों को प्रबुद्ध किया। कार्यक्रम में गणित विषय एवं गणितज्ञ रामानुजम जी के जीवन पर सत्र हुए जिसमें छात्रों ने अपनी जिज्ञासाओं को भरपूर शांत किया। श्री सक्सेना जी ने बताया कैसे गणित मॉडलिंग द्वारा जीवविज्ञान जैसे विषयों की समस्याएं भी हल की जा रहीं हैं। डॉ माधवी ने अपने व्याख्यान में रामानुजम द्वारा खोजे गए क्रेजी नंबर्स, मैजिकल नंबर्स, अदभुद गणित श्रृंखलाएं, संख्याओं की सेल्फी जैसे रोचक तथ्यों से छात्रों को अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री अंकिता सिकोरिया ने किया। इस अवसर पर विज्ञान विभाग की अधिष्ठाता डॉ पूर्वी भारद्वाज, विभागाध्यक्ष डॉ ज्योति रावत, एकेडमिक संयोजक श्री पद्मेश चतुर्वेदी, विभागाध्यक्ष डॉ अंकित अग्रवाल, डॉ प्रज्ञा श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित रहे।

प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. सूरज ढलने के बाद के समय और रात होने से पहले के समय को प्रदोष काल कहा जाता है. इस व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है. माना जाता है इस दिन सच्चे मन से और पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से मनचाही वस्तु की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में वैसे तो हर दिन का महत्व होता है लेकिन प्रदोष व्रत के दिन को काफी खास माना जाता है. ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत 27 मई 2022 को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2022 Shubh Muhurat)

प्रदोष व्रत 27 मई, 2022, शुक्रवार को,

प्रारम्भ - 27 मई, सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर

समाप्त - 28 मई, शाम 1 बजकर 9 मिनट पर 

प्रदोष व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को काफी शुभ और खास माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार, प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों के दान जितना होता है. माना जाता है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है उसके पुराने सभी पाप दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

- इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें.

- उसके बाद बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल से भगवान शिव की पूजा करें. 

- प्रदोष व्रत के दिन भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है. 

- पूरा दिन व्रत रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा से स्नान करें और सफेद रंग के कपड़े पहनें. 

- इसके बाद गंगाजल से पूजा स्थल को साफ कर लें.

- फिर गाय के गोबर से मंडप बनाएं. 

- पूजा की तैयारी करने के बाद उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुश के आसन पर बैठें. 

- इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों को जाप करें और जल चढ़ाएं. 

प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha)

स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती थी और संध्या को लौटती थी. एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुन्दर बालक दिखाई दिया जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था. शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था. उसकी माता की मृत्यु भी अकाल हुई थी. ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण किया.

कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देवयोग से देव मंदिर गई. वहां उनकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई. ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वह विदर्भ देश के राजा का पुत्र है जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता को ग्राह ने अपना भोजन बना लिया था. ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी. ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया. एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई. ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त 'अंशुमती' नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे. गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए. कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया.

दूसरे दिन जब वह पुन: गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है. भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया. इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः आधिपत्य प्राप्त किया. यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था. स्कंदपुराण के अनुसार, जो भक्त प्रदोष व्रत के दिन शिवपूजा के बाद एकाग्र होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती.

मई में प्रदोष व्रत कब है 2022?

ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत 27 मई 2022 को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को काफी शुभ और खास माना जाता है.

मई महीने में प्रदोष व्रत कब है?

वैशाख माह में प्रदोष व्रत 13 मई 2022, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन त्रयोदशी की तिथि 13 मई को शाम 5:29 बजे से शुरु होकर 14 मई 2022, शनिवार की दोपहर 3:24 मिनट तक रहेगी. प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय सायंकाल 07: 04 पी एम से 09: 09 पी एम बना हुआ है.

अगला प्रदोष कब है 2022?

सोम प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त (Som Pradosh Vrat 2022 Muhurat) हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 नवंबर 2022 को सुबह 10 बजकर 07 मिनट से शुरू होगा. त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 22 नवंबर 2022 सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर है.

सोम प्रदोष का व्रत कब का है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सोम प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाएगा. सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 05 दिसंबर 2022 को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 06 दिसंबर 2022 को 06 बजकर 47 मिनट पर होगा.