Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 8 Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखाRBSE Class 8 Hindi जब सिनेमा ने बोलना सीखा Textbook Questions and Answersपाठ से - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. पाठ से आगे - प्रश्न 1. दर्शक की दृष्टि से जहाँ पहले दर्शक केवल अभिनय ही देख पाते थे और पात्रों के शारीरिक हाव-भाव और शारीरिक भाषा को देखकर ही अनुमान लगा लेते थे, वहीं वे अब अभिनय के साथ संवादों का भी आनन्द उठा सकते थे। सवाक् फिल्मों का अनुभव और आनन्द उनके लिए नितान्त अनोखा था। तकनीकी दृष्टि से सवाक् पहली फिल्म 'आलम आरा' की शूटिंग रात में की गयी। इस कारण कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था करनी पड़ी। यहीं से प्रकाश प्रणाली विकसित हुई जो आगे फिल्म निर्माण का जरूरी हिस्सा बनी। इसके अलावा हिन्दीउर्दू भाषाओं का महत्त्व बढ़ा और जनप्रचलित बोलचाल की भाषाओं का प्रचलन हुआ। प्रश्न 2. अनुमान और कल्पना - प्रश्न 1. प्रश्न 2. भाषा की बात - प्रश्न 1. प्रश्न 2. पाठ में आए उपसर्ग और प्रत्यय युक्त शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं - इस प्रकार के 15-15 उदाहरण खोजकर लिखिए और अपने सहपाठियों को दिखाइए। RBSE Class 8 Hindi जब सिनेमा ने बोलना सीखा Important Questions and Answersप्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न
10. रिक्त स्थानों की पूर्ति - प्रश्न 11.
उत्तर :
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न
24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. लघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. गद्यांश पर आधारित प्रश्न - प्रश्न 32. प्रश्न : 2. आलम आरा फिल्म अरेबियन नाइट्स' जैसी फैंटेसी थी। फिल्म ने हिन्दी-उर्दू के मेलवाली 'हिन्दस्तानी' भाषा को लोकप्रिय बनाया। इसमें गीत, संगीत तथा नृत्य के अनोखे संयोजन थे। फिल्म की नायिका जुबैदा थीं। नायक थे विट्ठल। वे उस दौर के सर्वाधिक पारिश्रमिक पाने वाले स्टार थे। उनके चयन को लेकर भी एक किस्सा काफी चर्चित है। विट्ठल को उर्दू बोलने में मुश्किलें आती थीं। - पहले उनका बतौर नायक चयन किया गया मगर इस कमी के कारण उन्हें हटाकर उनकी जगह मेहबूब को नायक बना दिया गया। प्रश्न : 3. दर्शकों के लिए यह फिल्म एक अनोखा अनुभव थी। यह फिल्म दस हजार फुट लम्बी थी और इसे चार महीनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया था। सवाक् फिल्मों के लिए पौराणिक कथाओं, पारसी रंगमंच के नाटकों, अरबी प्रेम-कथाओं को विषय के रूप में चुना गया। इनके अलावा कई सामाजिक विषयों वाली फिल्में भी बनीं। ऐसी ही एक फिल्म थी-'खुदा की शान'। इसमें एक किरदार महात्मा गाँधी जैसा था। इसके कारण सवाक् सिनेमा को ब्रिटिश प्रशासकों की तीखी नजर का सामना करना पड़ा। प्रश्न
: 4. सवाक् सिनेमा के नए दौर की शुरुआत कराने वाले निर्माता-निर्देशक अर्देशिर इतने विनम्र थे कि जब 1956 | में 'आलम आरा' के प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर उन्हें सम्मानित किया गया और उन्हें 'भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता' कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, "मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।" प्रश्न : 5. मूक फिल्मों के दौर में तो पहलवान जैसे शरीर वाले, स्टंट करने वाले और उछल-कूद करने वाले अभिनेताओं से काम चल जाया करता था। अब उन्हें संवाद बोलना था और गायन की प्रतिभा की कद्र भी होने लगी थी। इसलिए 'आलम आरा' के बाद आरंभिक 'सवाक् ' दौर की फिल्मों में कई 'गायक-अभिनेता' बड़े पर्दे पर नजर आने लगे। हिन्दी-उर्दू भाषाओं का महत्त्व बढ़ा। सिनेमा में देह और तकनीक की भाषा की जगह जन प्रचलित बोलचाल की भाषाओं का दाखिला हुआ। सिनेमा ज्यादा देसी हुआ। एक तरह की नयी आजादी थी जिससे आगे चलकर हमारे दैनिक और सार्वजनिक जीवन का प्रतिबिंब फिल्मों में बेहतर होकर उभरने लगा। प्रश्न : जब सिनेमा ने बोलना सीखा Summary in Hindiपाठ का सार - भारतीय सिनेमा जगत में 14 मार्च, 1931 बड़े परिवर्तन का दिन था। इस दिन भारत में बोलती फिल्म की शुरुआत हुई। पहली सवाक् फिल्म अर्देशिर एम. ईरानी ने 'आलम आरा' बनाई। इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद भारतीय सिनेमा नई-नई ऊँचाइयों को छूता गया। यह परिवर्तन और सुधार आज भी जारी है। इन्हीं परिवर्तनों का रोचक वर्णन किया गया है। कठिन-शब्दार्थ :
मोहम्मद अली जिन्ना कौन थे class 8 Hindi?पाकिस्तान के संस्थापक , प्रथम गवर्नर जनरल और एक कट्टर मुसलमान। मोहम्मद अली जिन्ना (उर्दू: محمد علی جناح, जन्म: 25 दिसम्बर 1876 मृत्यु: 11 सितम्बर 1948) बीसवीं सदी के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे। जिन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वे मुस्लिम लीग के नेता थे जो आगे चलकर पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने।
पहली बोलती फिल्म के निर्माता कौन है?आलमआरा (विश्व की रौशनी) 1931 में बनी हिन्दी भाषा और भारत की पहली सवाक (बोलती) फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी हैं। ईरानी ने सिनेमा में ध्वनि के महत्व को समझते हुये, आलमआरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया।
नायक के रूप में सबसे पहले किसका चयन हुआ था 1 Point विट्ठल मेहबूब जुबैदा याकूब?Explanation: विट्ठल को उर्दू बोलने में मुश्किलें आती थीं। पहले उनका बतौर नायक चयन किया गया मगर इसी कमी के कारण उन्हें हटाकर उनकी जगह मेहबूब को नायक बना दिया गया।
यह फिल्म कितने सप्ताह तक हाउसफुल चली?फिल्म 8 सप्ताह तक 'हाउसफुल' चली और भीड़ इतनी उमड़ती थी कि पुलिस के लिए नियंत्रण करना मुश्किल हो जाया करता था। समीक्षकों ने इसे भड़कीली फैंटेसी' फिल्म करार दिया था मगर दर्शकों के लिए यह फिल्म एक अनोखा अनुभव थी । यह फिल्म 10 हज़ार फुट लंबी थी और इसे चार महीनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया था।
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