मोहम्मद अली जिन्ना कौन थे class 8? - mohammad alee jinna kaun the chlass 8?

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा Textbook Exercise Questions and Answers.

RBSE Class 8 Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा

RBSE Class 8 Hindi जब सिनेमा ने बोलना सीखा Textbook Questions and Answers

पाठ से -

प्रश्न 1. 
जब पहली बार बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर कौनसे वाक्य छापे गये? उस फिल्म में कितने चेहरे थे? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
जब पहली बार बोलती फिल्म प्रदर्शित हई तो उसके पोस्टरों पर छापा गया - "वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं। अठहत्तर. मुर्दा इन्सान जिन्दा हो गए। उनको बोलते, बातें करते देखो।" पोस्टर पढ़कर बताया जा सकता है कि उस फिल्म में अठहत्तर चेहरे थे। 

प्रश्न 2. 
पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा कहाँ से मिली? उन्होंने आलम आरा फिल्म के लिए आधार कहाँ से लिया? विचार व्यक्त कीजिए। 
उत्तर : 
पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म 'शोबोट' से मिली। सवाक् फिल्म 'आलम आरा' बनाने का आधार उन्होंने पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक को बनाया और उसी पर आधारित पटकथा तैयार की। 

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प्रश्न 3. 
विट्ठल का चयन 'आलम आरा' फिल्म के नायक के रूप में हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों गया? विट्ठल ने पुनः नायक होने के लिए क्या किया? विचार प्रकट कीजिए। 
उत्तर : 
विट्ठल का चयन 'आलम आरा' फिल्म के नायक के रूप में हुआ, किन्तु उन्हें इसलिए हटाया गया, क्योंकि उन्हें उर्दू बोलने में मुश्किल होती थी। उन्होंने उस सवाक फिल्म का नायक बनने के लिए मुकदमा कर दिया। उनका मुकदमा वकील मोहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा। विट्ठल मुकदमा जीत गये और पुन: नायक बने।

प्रश्न 4. 
पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओं ने उनके लिए क्या कहा था? अर्देशिर ने क्या कहा? और इस प्रसंग में लेखक ने क्या टिप्पणी की है? लिखिए। 
उत्तर : 
पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया, तब सम्मानकर्ताओं ने उन्हें 'भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता' कहा। तब अर्देशिर ने सम्मानकर्ताओं से कहा-"मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है, मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।" इस प्रसंग में लेखक ने टिप्पणी की है कि वे अत्यन्त विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे। उनकी उपलब्धि को भारतीय सिनेमा के जनक फाल्के को भी अपनाना पड़ा, क्योंकि वहाँ से सिनेमा का एक नया युग प्रारम्भ हो गया था। 

पाठ से आगे -

प्रश्न 1. 
मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते, उसमें दैहिक |अभिनय की प्रधानता होती है। पर जब सिनेमा बोलने लगा, उसमें अनेक परिवर्तन हुए। उन परिवर्तनों को अभिनेता, दर्शक और कुछ तकनीकी दृष्टि से पाठ का आधार लेकर खोजें, साथ ही अपनी कल्पना का भी सहयोग लें। 
उत्तर : 
मूक सिनेमा जब सवाक् हुआ तो उसमें अभिनेता, दर्शक और तकनीकी दृष्टि से अनेक परिवर्तन हुए। अभिनेता की दृष्टि से उसमें काम करने के लिए पढ़े-लिखे अभिनेता-अभिनेत्रियों की आवश्यकता महसूस की गयी, क्योंकि सवाक् सिनेमा में संवाद बोलना आवश्यक था। अब केवल अभिनय और स्टंट करने वाले अभिनेताओं से काम चलने वाला नहीं था।

दर्शक की दृष्टि से जहाँ पहले दर्शक केवल अभिनय ही देख पाते थे और पात्रों के शारीरिक हाव-भाव और शारीरिक भाषा को देखकर ही अनुमान लगा लेते थे, वहीं वे अब अभिनय के साथ संवादों का भी आनन्द उठा सकते थे। सवाक् फिल्मों का अनुभव और आनन्द उनके लिए नितान्त अनोखा था। तकनीकी दृष्टि से सवाक् पहली फिल्म 'आलम आरा' की शूटिंग रात में की गयी। इस कारण कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था करनी पड़ी। यहीं से प्रकाश प्रणाली विकसित हुई जो आगे फिल्म निर्माण का जरूरी हिस्सा बनी। इसके अलावा हिन्दीउर्दू भाषाओं का महत्त्व बढ़ा और जनप्रचलित बोलचाल की भाषाओं का प्रचलन हुआ। 

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प्रश्न 2.
डब फिल्में किसे कहते हैं? कभी-कभी डब फिल्मों में अभिनेता के मुँह खोलने और आवाज में अन्तर आ जाता है। इसका कारण क्या हो सकता है? 
उत्तर : 
डब फिल्म उन फिल्मों को कहते हैं जिनमें अभिनेताअभिनेत्रियाँ अभिनय तो करते हैं, परन्तु संवाद नहीं बोलते हैं। वे संवाद बोलने का अभिनय मात्र करते हैं। उनके द्वारा बोले जाने वाले संवाद किसी अन्य की आवाज में डब कर लिए जाते हैं। अब अभिनय और संवाद का संयोजन कर फ़िल्म को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। कभी-कभी डब फिल्मों में अभिनेता के मुँह खोलने और आवाज में अन्तर आ जाता है। उसका कारण अभिनय और संवाद के संयोजन में कमी तथा अन्य तकनीकी कमियाँ भी हो सकती हैं। 

अनुमान और कल्पना - 

प्रश्न 1. 
किसी मूक सिनेमा में बिना आवाज के ठहाकेदार हँसी कैसे दिखेगी? अभिनय करके अनुभव कीजिए। 
उत्तर : 
जब मूक सिनेमा में अभिनय किया जाये, तो केवल हाथ-पैर चलाकर चेहरे के अभिनय से मूक या बिना आवाज के हँसी का ठहाका लगाने का प्रयास किया जाता है। 

प्रश्न 2. 
मूक फिल्म देखने का एक उपाय यह है कि आप टेलीविजन की आवाज बन्द करके फिल्म देखें। उनकी कहानी को समझने का प्रयास करें और अनुमान लगायें कि फिल्म में संवाद और दृश्य की हिस्सेदारी कितनी है? 
उत्तर :
निर्देश के अनुसार टेलीविजन की आवाज बन्द करके फिल्म देखने से पता चलता है कि संवाद और दृश्य की हिस्सेदारी ही सबसे अधिक होती है। बिना संवाद के दृश्य नीरस लगते हैं और अनेक बातें अस्पष्ट रह जाती हैं। 

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भाषा की बात -

प्रश्न 1.
सवाक् शब्द वाक् के पहले 'स' लगाने से बना है। 'स' उपसर्ग से कई शब्द बनते हैं। निम्नलिखित शब्दों के साथ 'स' का उपसर्ग की भाँति प्रयोग करके शब्द बनाएँ और शब्दार्थ में होने वाले परिवर्तन को बताएँ।। 
हित, परिवार, विनय, चित्र, बल, सम्मान।
उत्तर :

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प्रश्न 2. 
उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं। वाक्य में इनका अकेला प्रयोग नहीं होता। इन दोनों में अन्तर केवल इतना होता है कि उपसर्ग किसी भी शब्द में पहले लगता है और प्रत्यय बाद में। हिन्दी के सामान्य उपसर्ग इस प्रकार हैं-अ/अन, नि, दु, क/कु, स/सु, अध, बिन, औ आदि। 

पाठ में आए उपसर्ग और प्रत्यय युक्त शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं - 

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इस प्रकार के 15-15 उदाहरण खोजकर लिखिए और अपने सहपाठियों को दिखाइए।
उत्तर :

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RBSE Class 8 Hindi जब सिनेमा ने बोलना सीखा Important Questions and Answers

प्रश्न 1. 
सबसे पहले बनी सवाक् फिल्म थी - 
(क) माधुरी 
(ख) खुदा की शान 
(ग) हिन्दुस्तानी
(घ) आलम आरा। 
उत्तर : 
(घ) आलम आरा। 

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प्रश्न 2. 
भारत की पहली बोलती फिल्म के नायक थे -
(क) महबूब 
(ख) विट्ठल 
(ग) याकूब
(घ) जगदीश। 
उत्तर : 
(ख) विट्ठल 

प्रश्न 3. 
अर्देशिर एम. ईरानी द्वारा बनाई गयी फिल्म आलम आरा सबसे पहले प्रदर्शित हुई थी - 
(क) दिल्ली में 
(ख) कोलकाता में
(ग) मुम्बई में 
(घ) जयपुर में। 
उत्तर : 
(ग) मुम्बई में 

प्रश्न 4. 
सवाक् फिल्म कब प्रदर्शित हुई थी? 
(क) 14 मार्च, 1932 को 
(ख) 14 मार्च, 1930 को 
(ग) 14 मार्च, 1931 को 
(घ) 14 मार्च, 1933 को।
उत्तर : 
(ग) 14 मार्च, 1931 को 

प्रश्न 5. 
14 मार्च, 1931 को लेखक ने कैसी तारीख माना है? 
(क) लोकप्रिय तारीख 
(ख) यादगार तारीख 
(ग) महत्त्वपूर्ण तारीख 
(घ) ऐतिहासिक तारीख 
उत्तर : 
(घ) ऐतिहासिक तारीख 

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प्रश्न 6. 
पहली बोलती फिल्म के निर्देशक थे - 
(क) डब्ल्यू. एम. खान 
(ख) फाल्के 
(ग) मोहम्मद अली जिन्ना 
(घ) अर्देशिर एम. ईरानी। 
उत्तर : 
(घ) अर्देशिर एम. ईरानी। 

प्रश्न 7. 
'आलम आरा' का पहला नायक कौन था? 
(क) मेहबूब 
(ख) विट्ठल 
(ग) अर्देशिर 
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर : 
(ख) विट्ठल 

प्रश्न 8. 
'पौराणिक' शब्द का अर्थ क्या है? 
(क) पुरानी कथा 
(ख) पुराणों से सम्बन्धित 
(ग) पुराण की कथा 
(घ) पुराण की घटना।
उत्तर : 
(ख) पुराणों से सम्बन्धित

प्रश्न 9. 
निर्माता-निर्देशक अर्देशिर के स्वभाव की सबसे बड़ी विशेषता थी - 
(क) ईमानदारी 
(ख) कर्मठता 
(ग) सहनशीलता 
(घ) विनम्रता 
उत्तर : 
(घ) विनम्रता

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प्रश्न 10. 
सवाक्-सिनेमा में किस भाषा को बढ़ावा दिया गया? 
(क) हिन्दी-उर्दू भाषा को 
(ख) हिन्दी-मराठी भाषा को 
(ग) हिन्दी-पंजाबी भाषा को 
(घ) हिन्दी-फारसी भाषा को  
उत्तर : 
(क) हिन्दी-उर्दू भाषा को 

रिक्त स्थानों की पूर्ति -

प्रश्न 11. 
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये उचित शब्दों से कीजिए| 

  1. अर्देशिर ने फिल्म के गानों के लिए ............... की धुनें चुनीं। (स्वयं/दूसरे) 
  2. मूक युग की अधिकतर फिल्मों को ................ के प्रकाश में शूट कर लिया जाता था। (दिन/रात) 
  3. आलम आरा में गीत, संगीत तथा नृत्य के ................. संयोजन (अद्भुत/अनोखे)
  4. इसके कारण .............. सिनेमा को ब्रिटिश प्रशासकों की तीखी नजर का सामना करना पड़ा। (सवाक्/अवाक्)

उत्तर :

  1. स्वयं 
  2. दिन 
  3. अनोखे 
  4. सवाक् 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 12. 
14 मार्च, सन् 1931 को फिल्म जगत की ऐतिहासिक तिथि क्यों निश्चित किया गया? 
उत्तर :
उस दिन पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' भारत में प्रदर्शित हुई थी। 

प्रश्न 13. 
एम. ईरानी ने बोलती फिल्म कौन से सन् में बनाने का निर्णय किया था? 
उत्तर :
एम. ईरानी ने बोलती फिल्म बनाने का निर्णय सन् 1929 में किया था। 

प्रश्न 14. 
फिल्म आलम आरा के पहले पार्श्व गायक कौन थे? 
उत्तर : 
फिल्म आलम आरा के पहले पार्श्व गायक डब्ल्यू . एम. खान थे।

प्रश्न 15. 
'आलम आरा' की शूटिंग रात में क्यों करनी पड़ती थी? थे।
उत्तर :
साउंड के कारण आलम आरा की शूटिंग रात में करनी पड़ती थी। 

प्रश्न 16. 
आलम आरा में विट्ठल की जगह किसको नायक बना दिया गया था? 
उत्तर : 
आलम आरा में विट्ठल की जगह मेहबूब को नायक बना दिया गया था। 

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प्रश्न 17. 
विट्ठल का मुकदमा किसने लड़ा था? 
उत्तर :
विट्ठल का मुकदमा मोहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा था। 

प्रश्न 18. 
आलम आरा फिल्म मुम्बई के किस सिनेमा हॉल में प्रदर्शित हुई थी? 
उत्तर :
आलम आरा फिल्म मुम्बई के 'मैजेस्टिक' सिनेमा हॉल में प्रदर्शित हुई थी।

प्रश्न 19. 
भारतीय सिनेमा में पहली सवाक् फिल्म कौनसी थी?
उत्तर :
भारतीय सिनेमा में पहली सवाक् फिल्म 'आलम आरा' थी। 

प्रश्न 20. 
'आलम आरा' फिल्म में किसके गाने लिए गए
उत्तर :
'आलम आरा' फिल्म में पारसी नाटक के कुछ गाने ज्यों के त्यों लिए गए थे। 

प्रश्न 21. 
पहली बोलती फिल्म किस नाटक से प्रभावित थी?
उत्तर :
पहली बोलती फिल्म पारसी नाटक से प्रभावित थी। 

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प्रश्न 22. 
'आलम आरा' फिल्म ने किस भाषा को लोकप्रिय बनाया? 
उत्तर :
'आलम आरा' फिल्म ने हिन्दी-उर्दू की मिलीजुली भाषा 'हिन्दुस्तानी' को लोकप्रिय बनाया। 

प्रश्न 23. 
'आलम आरा' फिल्म की रील कितनी लम्बो! थी?
उत्तर :
'आलम आरा' फिल्म की रील दस हजार फुट लंबी थी। 

प्रश्न 24. 
'खुदा, की शान' फिल्म किस विषय पर आधारित थी? 
उत्तर : 
'खुदा की शान' फिल्म सामाजिक विषय पर आधारित थी। 

प्रश्न 25. 
पहले सिनेमा में किनका प्रचलन था और क्यों? 
उत्तर : 
पहले सिनेमा में देह और तकनीकी भाषा का प्रचलन था, क्योंकि उस काल में मूक फिल्मों का प्रचलन था। 

प्रश्न 26. 
बोलचाल की भाषा को कब से बढ़ावा मिला? 
उत्तर : 
बोलचाल की भाषा को तब से बढ़ावा मिला जब से सवाक् फिल्मों का दौर आया। 

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प्रश्न 27. 
भारतीय सिनेमा का जनक किसे कहा जाता
उत्तर : 
भारतीय सिनेमा का जनक फाल्के को कहा जाता है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 28. 
सिनेमा ने बोलना सीखा का क्या अभिप्राय है? 
उत्तर :
सिनेमा ने बोलना सीखा का अभिप्राय है कि पहले मूक फिल्मों में आवाज सुनाई नहीं देती थी। पर अब कलाकारों को हँसते, बोलते और गाते देखा जा सकता है। 

प्रश्न 29.
आलम आरा दर्शकों के लिए अभूतपूर्व अनुभव क्यों थी? 
उत्तर : 
आलम आरा से पूर्व दर्शकों के द्वारा देखी जाने वाली फिल्मों में हँसना, बोलना, रोना, गाना आदि कुछ भी सुनाई नहीं देता था इसलिए यह उनके लिए अभूतपूर्व अनुभव थी।

प्रश्न 30. 
अर्देशिर को कब और क्यों सम्मानित किया गया? 
उत्तर : 
अर्देशिर ने भारत में सवाक् फिल्मों की शुरुआत की और अनेक फिल्मों के निर्माता-निर्देशक रहे। 'आलम आरा' फिल्म के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर उन्हें सन् 1956 में भारतीय सवाक् फिल्मों के पिता' कहकर सम्मानित किया गया।

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प्रश्न 31. 
सवाक् फिल्में शुरू होने का क्या परिणाम रहा? 
उत्तर :
सवाक् फिल्में शुरू होने का यह परिणाम रहा कि लोगों की इनके प्रति रुचि बढ़ी। सवाक् फिल्मों का जनजीवन पर प्रभाव पड़ा। इससे लोगों के दैनिक और सार्वजनिक जीवन में अनेक परिवर्तन आने लगे। 

गद्यांश पर आधारित प्रश्न - 

प्रश्न 32. 
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए
1. पहली बोलती फिल्म जिस साल प्रदर्शित हर्ड. उसी साल कई मूक फिल्में भी विभिन्न भाषाओं में बनीं। मगर बोलती फिल्म का दौर शुरू हो गया था। पहली बोलती फिल्म आलम आरा बनाने वाले फिल्मकार थे अर्देशिर एम. ईरानी। अर्देशिर ने 1929 में हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म 'शो बोट' देखी और उनके मन में बोलती फिल्म बनाने की इच्छा जगी। पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक को आधार बनाकर उन्होंने अपनी फिल्म की पटकथा बनाई। इस नाटक के कई गाने ज्यों के त्यों फिल्म में ले लिए गए।

प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है? नाम लिखिए। 
(ख) पहले किस तरह की फिल्में बनतीं थीं?
(ग) पहली बोलती फिल्म तथा उसके निर्देशक का नाम बताइए। 
(घ) पहली बोलती फिल्म की पटकथा किस आधार पर बनायी गई थी? 
उत्तर :
(क) पाठ का नाम-'जब सिनेमा ने बोलना सीखा'।
(ख) पहले मूक अर्थात् कुछ न बोलने वाली फिल्में बनती थीं। 
(ग) पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' थी और उसके निर्देशक अर्देशिर एम. ईरानी थे। 
(घ) पहली बोलती फिल्म की पटकथा पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक के आधार पर बनायी गई थी।

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2. आलम आरा फिल्म अरेबियन नाइट्स' जैसी फैंटेसी थी। फिल्म ने हिन्दी-उर्दू के मेलवाली 'हिन्दस्तानी' भाषा को लोकप्रिय बनाया। इसमें गीत, संगीत तथा नृत्य के अनोखे संयोजन थे। फिल्म की नायिका जुबैदा थीं। नायक थे विट्ठल। वे उस दौर के सर्वाधिक पारिश्रमिक पाने वाले स्टार थे। उनके चयन को लेकर भी एक किस्सा काफी चर्चित है। विट्ठल को उर्दू बोलने में मुश्किलें आती थीं। - पहले उनका बतौर नायक चयन किया गया मगर इस कमी के कारण उन्हें हटाकर उनकी जगह मेहबूब को नायक बना दिया गया। 

प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। 
(ख) 'आलम आरा' फिल्म ने किस भाषा को लोकप्रिय बनाया? 
(ग) इस फिल्म में किन-किनके अनोखे संयोजन थे? 
(घ) इस फिल्म में किसे नायक बनाया गया था और क्यों? 
उत्तर :
(क) शीर्षक-पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा'। 
(ख) 'आलम आरा' फिल्म ने हिन्दी-उर्दू की मिलीजुली भाषा 'हिन्दुस्तानी' को लोकप्रिय बनाया। 
(ग) 'आलम आरा' फिल्म में गीत, संगीत तथा नृत्य के अनोखे संयोजन थे। 
(घ) इस फिल्म में विट्ठल की जगह मेहबूब को नायक बनाया गया था, क्योंकि मेहबूब को उर्दू-मिश्रित भाषा को बोलने में परेशानी नहीं होती थी।

3. दर्शकों के लिए यह फिल्म एक अनोखा अनुभव थी। यह फिल्म दस हजार फुट लम्बी थी और इसे चार महीनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया था। सवाक् फिल्मों के लिए पौराणिक कथाओं, पारसी रंगमंच के नाटकों, अरबी प्रेम-कथाओं को विषय के रूप में चुना गया। इनके अलावा कई सामाजिक विषयों वाली फिल्में भी बनीं। ऐसी ही एक फिल्म थी-'खुदा की शान'। इसमें एक किरदार महात्मा गाँधी जैसा था। इसके कारण सवाक् सिनेमा को ब्रिटिश प्रशासकों की तीखी नजर का सामना करना पड़ा। 

प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। 
(ख) दर्शकों के लिए कौनसी फिल्म अनोखी थी और क्यों? 
(ग) सवाक् फिल्में किन विषयों पर आधारित थीं? 
(घ) सवाक् फिल्मों को किसकी तीखी नजर का सामना करना पड़ा और क्यों? 
उत्तर :
(क) शीर्षक-सवाक् फिल्मों का विकास। 
(ख) दर्शकों के लिए 'आलम आरा' फिल्म अनोखी थी, क्योंकि इसमें गीत, संगीत व नृत्य के साथ अभिनय का सुन्दर संयोजन किया गया था। 
(ग) सवाक् फिल्में पौराणिक कथाओं, पारसी रंगमंच के नाटकों, अरबी प्रेम-कथाओं और सामाजिक विषयों पर आधारित थीं। 
(घ) सवाक् फिल्मों को ब्रिटिश शासकों की तीखी नज़र का सामना करना पड़ा, क्योंकि वे फिल्मों में स्वतन्त्रता की भावना प्रदर्शित करने के विरोधी थे।

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4. सवाक् सिनेमा के नए दौर की शुरुआत कराने वाले निर्माता-निर्देशक अर्देशिर इतने विनम्र थे कि जब 1956 | में 'आलम आरा' के प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर उन्हें सम्मानित किया गया और उन्हें 'भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता' कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, "मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।" 

प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। 
(ख) सवाक् फिल्मों के नये दौर की शुरुआत किसने और कब की? 
(ग) 'आलम आरा' के निर्माता-निर्देशक को किस रूप में सम्मानित किया गया? 
(घ) सम्मानित होने पर 'आलम आरा' के निर्माता-निर्देशक ने क्या कहा? 
उत्तर :
(क) शीर्षक-अर्देशिर की विनम्रता। 
(ख) सवाक् फिल्मों के नये दौर की शुरुआत 'आलम आरा' फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर एम. ईरानी ने सन् 1931 में की थी। 
(ग) 'आलम आरा' के निर्माता-निर्देशक को 'भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता' नाम या उपाधि से सम्मानित किया गया। 
(घ) सम्मानित होने पर अर्देशिर ने कहा कि "मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।"

5. मूक फिल्मों के दौर में तो पहलवान जैसे शरीर वाले, स्टंट करने वाले और उछल-कूद करने वाले अभिनेताओं से काम चल जाया करता था। अब उन्हें संवाद बोलना था और गायन की प्रतिभा की कद्र भी होने लगी थी। इसलिए 'आलम आरा' के बाद आरंभिक 'सवाक् ' दौर की फिल्मों में कई 'गायक-अभिनेता' बड़े पर्दे पर नजर आने लगे। हिन्दी-उर्दू भाषाओं का महत्त्व बढ़ा। सिनेमा में देह और तकनीक की भाषा की जगह जन प्रचलित बोलचाल की भाषाओं का दाखिला हुआ। सिनेमा ज्यादा देसी हुआ। एक तरह की नयी आजादी थी जिससे आगे चलकर हमारे दैनिक और सार्वजनिक जीवन का प्रतिबिंब फिल्मों में बेहतर होकर उभरने लगा। 

प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। 
(ख) सवाक् फिल्मों में कैसे अभिनेताओं की कद्र होने लगी थी? 
(ग) मूक फिल्मों में किनका प्रचलन था और क्यों? 
(घ) सिनेमा अधिक देशी व सामाजिक कब हुआ? 
उत्तर :
(क) शीर्षक-भारतीय सिनेमा की विकास-यात्रा। 
(ख) सवाक् फिल्मों में पढ़े-लिखे, संवाद बोलने तथा गायन में प्रतिभा रखने वाले अभिनेताओं की कद्र होने लगी थी।
(ग) मूक फिल्मों में देह और तकनीकी भाषा का प्रचलन था, क्योंकि उसमें पहलवान शरीर वाले, स्टंट करने और उछल-कूद करने वाले अभिनेताओं से काम लिया जाता था। 
(घ) सवाक् फिल्मों के उत्तरोत्तर विकास से सिनेमा अधिक देशी व सामाजिक हुआ, उसमें सार्वजनिक जीवन झलकने लगा।

जब सिनेमा ने बोलना सीखा Summary in Hindi

पाठ का सार - भारतीय सिनेमा जगत में 14 मार्च, 1931 बड़े परिवर्तन का दिन था। इस दिन भारत में बोलती फिल्म की शुरुआत हुई। पहली सवाक् फिल्म अर्देशिर एम. ईरानी ने 'आलम आरा' बनाई। इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद भारतीय सिनेमा नई-नई ऊँचाइयों को छूता गया। यह परिवर्तन और सुधार आज भी जारी है। इन्हीं परिवर्तनों का रोचक वर्णन किया गया है।

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कठिन-शब्दार्थ :

  • सवाक् = बोलने वाली। 
  • सिनेमा = चलचित्र।
  • दौर = समय। 
  • पटकथा = फिल्म के लिए लिखी गई कहानी। 
  • इंटरव्यू = साक्षात्कार। 
  • पार्श्वगायक = पर्दे के पीछे से गाने वाला। 
  • डिस्क = सी.डी.। 
  • साउण्ड = आवाज।
  • स्टार = अभिनेता। 
  • फैंटेसी = मौज-मस्ती से भरपूर।
  • चर्चित = मशहूर। 
  • स्टंटमैन = करतब दिखाने वाला। 
  • पौराणिक = प्राचीन।
  • प्रतिभा = विशिष्ट बुद्धि। 
  • सार्वजनिक = सारी जनता का। 
  • कद्र = इज्जत। 
  • गायक = गाने वाला। 
  • हेयर स्टाइल = बालों को संभालने का तरीका। 
  • उपलब्धि = विशेष देन।

मोहम्मद अली जिन्ना कौन थे class 8 Hindi?

पाकिस्तान के संस्थापक , प्रथम गवर्नर जनरल और एक कट्टर मुसलमान। मोहम्मद अली जिन्ना (उर्दू: محمد علی جناح‎, जन्म: 25 दिसम्बर 1876 मृत्यु: 11 सितम्बर 1948) बीसवीं सदी के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे। जिन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वे मुस्लिम लीग के नेता थे जो आगे चलकर पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने।

पहली बोलती फिल्म के निर्माता कौन है?

आलमआरा (विश्व की रौशनी) 1931 में बनी हिन्दी भाषा और भारत की पहली सवाक (बोलती) फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी हैं। ईरानी ने सिनेमा में ध्वनि के महत्व को समझते हुये, आलमआरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया।

नायक के रूप में सबसे पहले किसका चयन हुआ था 1 Point विट्ठल मेहबूब जुबैदा याकूब?

Explanation: विट्ठल को उर्दू बोलने में मुश्किलें आती थीं। पहले उनका बतौर नायक चयन किया गया मगर इसी कमी के कारण उन्हें हटाकर उनकी जगह मेहबूब को नायक बना दिया गया।

यह फिल्म कितने सप्ताह तक हाउसफुल चली?

फिल्म 8 सप्ताह तक 'हाउसफुल' चली और भीड़ इतनी उमड़ती थी कि पुलिस के लिए नियंत्रण करना मुश्किल हो जाया करता था। समीक्षकों ने इसे भड़कीली फैंटेसी' फिल्म करार दिया था मगर दर्शकों के लिए यह फिल्म एक अनोखा अनुभव थी । यह फिल्म 10 हज़ार फुट लंबी थी और इसे चार महीनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया था।