लेखिका जब लिखने बैठती थी तब गिल्लू क्या करता था? - lekhika jab likhane baithatee thee tab gilloo kya karata tha?

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू.

पाठ्य-पुस्तक के बोध-प्रश्न

प्रश्न 1.
सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे? [CBSE)
उत्तर:
सोनजुही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में गिल्लू से जुड़े अनेक विचार उमड़ने लगे। उसे स्मरण हो आया कि इसी सोनजुही की सघन हरियाली में गिल्लू छिपकर बैठता था। जब लेखिका सोनजुही के निकट आती थी तो उसके कंधे पर कूदकर उसे चौंका देता था। लेखिका को गिल्लू जिस हालत में मिला था तथा दो वर्ष तक उसके साथ की गई क्रियाएँ एक-एककर उसे याद आने लगीं थी।

प्रश्न 2.
पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है? [CBSE 2012]
अथवा
कौओं कब समादरित और कब अनादरित लगने लगता है? [CBSE]
उत्तर:
कौओ एक विचित्र प्राणी है। कभी इसका आदर किया जाता है तो कभी अनादर। श्राद्ध के दौरान लोग कौए को आदर से बुलाते हैं। पाठ के आधार पर कौए को समादरित इसलिए कहा गया है क्योंकि माना जाता है कि जो लोग मर जाते हैं, वे कौए के रूप में अपने प्रियजनों से मिलने आते हैं। कौए को खाना खिलानेवाला यह मानता है कि उसने अपने प्रियजनों को खाना खिला दिया। कौए के माध्यम से ही दूर बसे प्रियजनों के आने का संदेश मिलता है। इसका अनादर इसलिए किया जाता है, क्योंकि कौआ काँव-काँव करके हमारा सिर खा जाता है इसकी कर्कश वाणी किसी को नहीं भाती। अतः यह अनादरित होता है।

प्रश्न 3.
गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया? [CBSE]
अथवा
लेखिका ने घायल गिल्लू की देखभाल किस प्रकार की? [CBSE]
उत्तर:
गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार करने के लिए उसे गमले और दीवार के बीच से सावधानीपूर्वक निकाला गया। उसके घावों के रक्त को रुई से साफ़ कर उन पर पेंसिलीन का मरहम लगाया गया। कुछ घंटों के प्रयास के बाद उसके मुँह में एक बूंद पानी टपकाया गया। इस तरह लगातार की गई देखभाल से वह तीसरे दिन तक स्वस्थ हो गया।

प्रश्न 4.
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था? [CBSE 2012]
उत्तर:
जब लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करता। इसके लिए वह लेखिका के पैर तक आकर तेज़ी से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। गिल्लू यह क्रिया तब तक करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न दौड़ती। इस प्रकार गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो जाता। लेखिका के गिल्लू की समझदारी और इस प्रकार के कार्य-कलापों पर हैरानी होती थी।

प्रश्न 5.
गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
अथवा
गिल्लू को क्यों और कैसे मुक्त किया गया? [CBSE 2012]
उत्तर:
गिल्लू के जीवन में प्रथम वसंत आने पर वह जाली के पास बैठकर बाहर की गिलहरियों को अपनेपन से झाँका करता था। उसे ऐसा करता देख लेखिका को लगा कि अब उसे मुक्त करना आवश्यक है। उसके लिए उसने खिड़की की कीलें निकालकर जाली का कोना खोल दिया। इसी रास्ते से गिल्लू बाहर जाता, गिलहरियों के साथ खेलता-कूदता और ठीक चार बजे कमरे में वापस आ जाता।

प्रश्न 6.
गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर:
एक बार लेखिका मोटर दुर्घटना में घायल हो गई और उसे कई दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा। अस्पताल से घर आने पर गिल्लू ने उसकी सेवा की। वह लेखिका के पास बैठा रहता। वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से लेखिका के सिर और बालों को इस प्रकार सहलाता रहता जिस प्रकार कोई सेविका हल्के हाथों से मालिश करती है। जब तक गिल्लू सिरहाने बैठा रहता लेखिका को ऐसा प्रतीत होता मानो कोई सेविका उसकी सेवा कर रही है। उसका वहाँ से हटना लेखिका को किसी परिचारिका के हटने के समान लगता। इस प्रकार लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू ने परिचारिका की भूमिका निभाई।

प्रश्न 7.
गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है? [CBSE]
उत्तर:
उस दिन गिल्लू ने दिन भर न कुछ खाया और न बाहर गया। वह रात में अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया। उसने अपने ठंडे पंजों से लेखिका की उसी अँगुली को पकड़ लिया जिसे उसने बचपन में तब पकड़ा था, जब लेखिका ने उसे मरणासन्न स्थिति में उठाया था। यह सब चेष्टाएँ देखकर लेखिका ने जान लिया कि गिल्लू का अंत समय समीप है।

प्रश्न 8.
‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’-का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विधाता प्रदत्त जीवन के दो पहलू हैं-जीवन और मरण। जीवन खुशी का अनुभव कराता है तो मृत्यु दुख का। गिल्लू के जीवन का मार्मिक अंत हो गया। सुबह का उजाला पुनः फैलाने के लिए वह मृत्यु की गोद में समा गया था। मृत्यु का आभास वेदनापूर्ण था। उसने पारिवारिक माहौल को अवसाद से भर दिया। जिन्हें परिवार के सदस्य की भाँति पाला-पोसा गया हो और जब वही छोड़कर चले जाते हैं तो जीवन को अनुभूति दुखद हो जाती है। गिल्लू भी महादेवी के लिए पारिवारिक सदस्य की भाँति था। उसके साथ उनका साहचर्यजनित लगाव था परंतु अधूरेपन व अल्पावधि का अनुभव कराकर गिल्लू का प्रभात की प्रथम किरण के रूप में मौत की गोद में सो जाना लेखिका को हिलाकर रख गया। मृत्यु पर किसी का वश नही चलता। इसी कारण सभी हाथ पर हाथ रखकर बैठने के सिवा कुछ नहीं कर सकते।

प्रश्न 9.
सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर:
सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में इस विश्वास का जन्म होता है कि किसी वासंती के दिन गिल्लू जूही के पीले फूल के रूप में अवश्य खिल उठेगा।

Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 are helpful to complete your homework.

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जब लेखिका लिखने बैठती थी तब गिल्लू क्या करता था वह उस पर किस प्रकार नियंत्रण रखती थी?

जब लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करता। इसके लिए वह लेखिका के पैर तक आकर तेज़ी से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। गिल्लू यह क्रिया तब तक करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न दौड़ती। इस प्रकार गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो जाता।

जब लेखिका अपने कमरे में नहीं होती थी तब गिल्लू क्या करता था?

मेरे कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी खिड़की की खुली जाली की राह बाहर चला जाता और दिन भर गिलहरियों के झुंड का नेता बना हर डाल पर उछलता-कूदता रहता और ठीक चार बजे वह खिड़की से भीतर आकर अपने झूले में झूलने लगता ।

लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या किया करता था?

लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था? उत्तर:- लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न दौड़ती।

लेखिका को कैसे लगा कि गिल्लू का अंतिम समय निकट है?

जब गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आया तो उसने दिनभर कुछ भी नहीं खाया और वह बाहर भी घूमने नहीं गया। वह अपने झूले से नीचे उतरा और लेखिका के बिस्तर पर आकर उसकी उँगली पकड़कर चिपक गया। इन सभी चेष्टाओं से लेखिका को लगा कि उसका (गिल्लू का) अंत समीप है और सुबह की पहली किरण के साथ ही वह हमेशा के लिए सो गया।