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लोहे की अंगूठी पहनने से दूर होता है किडनी का दर्द, जानें दूसरी अंगूठियों फायदे
यूटिलिटी डेस्क। अंगूठियां और तावीज ज्वेलरी में बहुत पॉपुलर है। ये ऐसी ज्वेलरी है, जिसे महिलाएं और पुरूष दोनों पहनते हैं। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में कई ऐसी धातुएं बताई गई हैं जिनको पहनने से कई तरह के रोग दूर हो जाते हैं। बीमारी के हिसाब से आपको उस धातू की अंगूठी पहननी होगी। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट अबरार मुलतानी लोहे, तांबे और टिन की अंगूठी पहनने के स्वास्थ्य संबधी फायदे बता रहे हैं। मुंहासे आगे की स्लाइड्स पर जानें दूसरी धातुओं की अंगूठियां पहनने के चिकित्सीय फायदे... Iron Ring Benefits: शास्त्रों में हर धातु का एक विशेष महत्व बताया गया है. कहते हैं कि धातुओं को पहनने से उसके अच्छे-बुरे प्रभाव पड़ते हैं. सोने और चांदी के अलावा लोहे की धातु के भी खूब फायदे हैं. मान्यता है कि शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा या अंतर्दशा झेल झेल रहे व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इससे निकलने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं, लेकिन फिर भी इनका कुछ खास असर नहीं पड़ता है. ऐसे में शनि ग्रह की शांति के लिए लोहे की अंगूठी धारण करना अच्छा माना जाता है. आइए जानते हैं लोहे की अंगूठी धारण करने के फायदे.
ज्योतिषियों के अनुसार घोड़े की नाल का छल्ला लगभग हर क्षेत्र के लिए शुभ माना जाता है. शनि के प्रकोप और बुरी आत्माओं से बचने के लिए लोगों को लोहे का छल्ला पहनने की सलाह दी जाती है. इसी कारण इसे शनि का छल्ला भी कहते हैं. घोड़े की नाल का छल्ला दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली में धारण किया जाता है. मध्यम अंगुली के नीचे शनि का स्थान होता है. इसे धारण करने से जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है. ये भी पढ़ेंः Laughing Buddha Tips: लॉफिंग बुद्धा रखने के लिए सही नियमों का पालन है जरूरी, इन जगहों पर भूलकर भी न रखें News Reels बिजनेस में होती है उन्नति कुंडली में अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए घोड़े की नाल का छल्ला धारण किया जाता है. लेकिन इसे किसी साधारण लोहे से नहीं बनाया जाता है. काले घोड़े की नाल जो खुद घोड़े के पैरों से निकली हो, उसे ही शनिवार के दिन सिद्ध करके पहनना लाभकारी होता है. कहते हैं कि बिजनेस में उन्नति पाने के लिए घोड़े की नाल को दुकान या व्यवसायिक केन्द्र पर लगाना चाहिए. इसके लिए शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को शुद्ध करके दुकान में ऐसी जगह लगाएं जहां हर ग्राहक की नजर उस पर पड़े. नाल का खुला हिस्सा ऊपर की ओर होना चाहिए. ये भी पढ़ेंः Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी के दिन बच्चों के लिए करें ये उपाय, दूर होंगे वाणी दोष और पढ़ने में लगेगा मन इन बातों का रखें ध्यान अगर आप भी घोड़े की नाल धारण करना चाह रहे हैं, तो इसके लिए नक्षत्र और दिन का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए. इसे धारण करने के लिए शनिवार की शाम का समय उपयुक्त होता है. शनि का छल्ला धारण करने के लिए पुष्य, अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद और रोहिणी नक्षत्र सर्वोत्तम है. साथ ही, जिन जातकों की कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी है, वे जातक शनि का छल्ला धारण न करें. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. हमारे जीवन में ग्रहों का प्रभाव कुंडली में बताए अनुसार पड़ता है। ऐसे में कई बार ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए रत्न धारण करने का विधान बताया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कई बार गलत रत्न या अंगूठी धारण करने से लाभ होने के बजाय नुकसान का सामना करना पड़ता है। आज हम बात करने जा रहे हैं लोहे की अंगूठी धारण करने के संबंध में। हम बताने जा रहे हैं ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार लोहे की अंगूठी पुरुष या महिलाओं को किस उंगली में धारण करना चाहिए। कब पहने लोहे की अंगूठीज्योतिष शास्त्र की माने तो राहु केतु और शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए लोहे की अंगूठी धारण करना चाहिए। साथ ही लोहे की अंगूठी धारण करने के अपने नियम और विधान बताए गए हैं। लोहे की अंगूठी किस लोहे की हो और उसे कब धारण करें इसका भी विचार करना होता है। इस लोहे की हो अंगूठीकहा गया है कि अगर हमें शनि की शांति के लिए लोहे की अंगूठी धारण करना है तो हमें घोड़े की नाल या फिर नाव के कील की अंगूठी बनवा कर पहना उत्तम बताया गया है। इसकी बनी अंगूठी धारण करने से बहुत जल्दी शनिदेवा अपना आर्शीवाद देते है। शनिवार को करें धारणबताया गया है कि हमें लोहे की अंगूठी शनिवार की शाम विधि विधान से पूजा के बाद धारण करना चाहिए। इसके लिए रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में भी लोहे की अंगूठी धारण की जा सकती है। इसे बहुत सुख बताया गया है। किस उंगली में पहने अंगूठीजानकार बताते हैं कि लोहे की अंगूठी पुरुष को अपने दाएं हाथ के बीच वाली उंगली में पहनना चाहिए। अगर किसी कारणवश अंगूठी पहनने में दिक्कत या परेशानी आ रही है तो ज्योतिष उसमें छूट देते हुए बाएं हाथ की मध्यमा धारण करने का विधान बताया गया है। समझे ग्रहों का प्रभाव
नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। ऐसे में किसी कार्य को शुरू करने के पूर्व विशेषज्ञ से जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें। लोहे की अंगूठी पहनने से क्या होता है?नई दिल्ली: लोहे की अंगूठी शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने के लिए पहना जाता है. साथ ही इस अंगूठी को राहु और केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भी पहना जाता है. लेकिन हर किसी को लोहे की अंगूठी फायदेमंद साबित नहीं होता है.
लोहे की अंगूठी कब पहने चाहिए?लोहे की अंगूठी किस दिन पहननी चाहिए
यदि आपको लोहे की अंगूठी (अंगूठी के निशान हटाने के टिप्स) पहनने का सुझाव दिया गया है तो आपको नियम अनुसार लोहे की अंगूठी हमेशा शनिवार के दिन शाम के वक्त ही धारण करनी चाहिए। इसके अलावा आप रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में भी लोहे की अंगूठी पहन सकते हैं।
घोड़े की नाल की अंगूठी कैसे पहनना चाहिए?घोड़े की नाल का छल्ला दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली में धारण किया जाता है. मध्यम अंगुली के नीचे शनि का स्थान होता है. इसे धारण करने से जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है. कुंडली में अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए घोड़े की नाल का छल्ला धारण किया जाता है.
घोड़े की नाल की अंगूठी कौन सी उंगली में पहनना चाहिए?घोड़े की नाल के छल्ले का उपयोग हर क्षेत्र में बहुत ही शुभ माना जाता है। सामान्यतया इसका प्रयोग शनि के दुष्प्रभावो और बुरी आत्माओ से बचने के लिए किया जाता है इसलिए इसे शनि का छल्ला कहा गया है । इसे दाहिने हाथ की माध्यम अंगुली में धारण किया जाता है क्योंकि इसी उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है।
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