A.P.J. Abdul Kalam Biography: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारत के मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रमों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई. आइये इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के प्रांभिक जीवन, करियर, शिक्षा, पुरस्कार, इत्यादि के बारे में अध्ययन करते हैं. Show A.P.J. Abdul Kalam Biography: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की भारत में परमाणु ऊर्जा में भागीदारी ने उन्हें "भारत का मिसाइल मैन" की उपाधि दी. उनके योगदान के कारण, भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया. आपको बता दें कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 9 फरवरी 2020 को नई दिल्ली में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की बायोपिक का फर्स्ट लुक जारी किया था. फिल्म का शीर्षक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम : द मिसाइल मैन (APJ Abdul Kalam: The Missile Man) है. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था. उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. वह 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. उन्हें 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. उनका जन्म धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था. नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम) डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम वर्ष 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ राष्ट्रपति चुने गए थे. भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले, उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया
था. 1990 के दशक में उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था. आइये अब, इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं. डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के प्रसिद्द कथन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पारिवारिक इतिहास और प्रारंभिक जीवन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था, जो एक नावक थे. उनकी माता का नाम असीम्मा था और वह एक गृहणी थीं. ये कुल पांच भाई बहिन थे, तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन. उनकी सबसे बड़ी बहन जिसका नाम आसिम ज़ोहरा और तीन बड़े भाई, अर्थात् कासीम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मारिकायर था. वह अपने परिवार के करीब थे और हमेशा उनकी मदद करते थे, हालांकि वह पूरी जिंदगी कुंवारे रहे. अब्दुल कलाम के पूर्वज कई संपत्तियों और भूमि के बड़े ट्रैक्ट के साथ धनी व्यापारी और ज़मींदार थे. वे मुख्य भूमि और द्वीप के बीच और श्रीलंका से किराने का सामान व्यापार करते थे और मुख्य भूमि से पामबन द्वीप तक तीर्थयात्रियों के लिए नौका विहार करते थे. तो, उनके परिवार को "Mara Kalam Iyakkivar" (लकड़ी की नाव चलाने वाले) और बाद में "माराकियर" (Marakier) के नाम से जाना गया. लेकिन 1920 के दशक तक, उनके परिवार के व्यवसाय विफल हो गए और जब तक अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब तक वे गरीबी से जूझ रहे थे. परिवार की मदद करने के लिए, कलाम ने कम उम्र में अखबार बेचना शुरू किया था. स्कूल के दिनों में वे पढ़ाई लिखाई में सामान्य थे पर नै चीजें सिखने के लोए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे. वे चीजों को सीखना चाहते थे और अपनी पढ़ाई पर घंटो ध्यान देते थे. गणित में उनकी मुख्य रुचि थी. उन्होंने Schwartz Higher Secondary स्कूल, रामनाथपुरम, तमिलनाडु से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी और बाद में उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया और सं 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया.1955 में वे मद्रास चले गए जहां से उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की उनका सपना एक लड़ाकू पायलट बनना था, परन्तु परीक्षा में उन्होंने नौवा स्थान प्राप्त किया, जबकि आईएएफ ने केवल आठ परिणाम ही घोषित किये थे. अतः वह उसमें सफल नहीं हो पाये. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: शिक्षा और करियर वर्ष 1960 में स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हो गए. उन्होंने इनकोस्पार (भारतीय राष्ट्रीय समिति) की समिति के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया था. उन्होंने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने करियर की शुरुआत की थी. अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने भारतीय सेना के लिए एक छोटा सा हेलीकॉप्टर तैयार किया था. वर्ष 1963 से 1964 तक, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने रक्षा मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, वर्जीनिया के पूर्वी तट पर स्थित वालप्स फ्लाइट दक्षता और वर्जीनिया के हैम्पटन में स्थित नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर का दौरा किया. उन्होंने 1965 में DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तार योग्य रॉकेट परियोजना पर स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर किया था. वह DRDO में अपने काम से बहुत संतुष्ट नहीं थे और जब उन्हें 1969 में इसरो को स्थानांतरण आदेश मिले तो वे खुश हो गए. वहां उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया. जुलाई 1980 में, उनकी टीम पृथ्वी की कक्षा के पास रोहिणी उपग्रह को स्थापित करने में सफल रही थी. यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान है. अब्दुल कलाम जी ने 1969 में सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया. 1970 के दशक में, उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को विकसित करने के उद्देश्य से एक प्रयास किया था ताकि भारत अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रह को Sun-Synchronous कक्षा में लॉन्च कर सके, PSLV परियोजना सफल रही और 20 सितंबर 1993 को, यह पहली बार लॉन्च किया गया था. वर्ष 1970 से 1990 तक एसएलवी -3 और ध्रुवीय एसएलवी की परियोजनाओं के विकास में डॉ कलाम के प्रयास काफी सफल साबित हुए थे. डॉ कलाम ने परियोजना वालिएंट और प्रोजेक्ट डेविल को निर्देशित किया था जिसका उद्देश्य एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक का उपयोग करके बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था, जो सफल भी रहा था. DRDO द्वारा प्रबंधित एक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर 1980 के दशक की शुरुआत में Integrated Guided Missile Development Program(IGMDP) का शुभारंभ किया. अब्दुल कलाम को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा गया और इसलिए वह आईजीएमडीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में डीआरडीओ में लौट आए. उन्हीं के निर्देशों से ही अग्नि मिसाइल, पृथ्वी जैसे अन्य मिसाइलों का बनाना सफल हुआ. अब्दुल कलाम जी के नेतृत्व में, IGMDP की परियोजना 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित हुई। उनके योगदान के कारण, उन्हें "भारत के मिसाइल मैन" के रूप में जाना जाता है. उन्होंने, जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव के रूप में कार्य किया था और प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे. अब्दुल कलाम जी ने इस अवधि में हुए पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक पूर्ण विकसित परमाणु राज्य घोषित किया. क्या आप जानते हैं कि 1998 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सोमा राजू के साथ अब्दुल कलाम जी ने एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी? जिसे बाद में “कलाम-राजू स्टेंट” नाम दिया गया था. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में इन दोनों लोगों ने स्वास्थ्य देखभाल के लिए टैबलेट पीसी भी डिजाइन किया गया था जिसे "कलाम-राजू टैबलेट" नाम दिया गया था. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: सामान्य ज्ञान प्रश्न और उत्तर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (2002 से 2007) - 10 जून 2002 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का नाम विपक्ष की नेत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को प्रस्तावित किया था. - डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था. वह राष्ट्रपति भवन में रहने वाले पहले अविवाहित और वैज्ञानिक थे. - क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें लगभग 922,884 वोट मिले थे और विपक्ष के लक्ष्मी सहगल को हराकर चुनाव जीता था? - के.आर. नारायणन के बाद डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने. - वे सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे. इनसे पहले वर्ष 1954 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वर्ष 1963 में डॉ. जाकिर हुसैन को यह सम्मान प्रदान किया गया था. - डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को पीपुल्स प्रेसिडेंट के रूप में भी जाना जाता था. - उनके अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिया गया सबसे कठिन निर्णय ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के बिल पर हस्ताक्षर करने का था. - अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे. - हालांकि, 21 में से 20 लोगों की दया याचिकाओं के भाग्य का फैसला करने की निष्क्रियता के लिए उन्हें एक राष्ट्रपति रूप में आलोचित भी होना पड़ा था, जिसमें कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु भी शामिल थे, जिन्हें दिसंबर 2001 में संसद हमलों के लिए दोषी पाया गया था. - उन्होंने 2007 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम IIM शिलॉन्ग में एक व्याख्यान दे रहे थे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी स्थिति गंभीर हो गई, इसलिए, उन्हें बेथानी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां बाद में कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई. श्रीजन पाल सिंह को उनके कहे गए अंतिम शब्द थे "Funny guy! Are you doing well?" 30 जुलाई 2015 को, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का अंतिम संस्कार उनके पैत्रक गाँव रामेशवरम के पास हुआ. क्या आप जानते हैं कि लगभग 350,000 लोग कलाम जी के अंतिम अनुष्ठान में शामिल हुए थे, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल थे? डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पुरस्कार और उपलब्धियां - 1981 में, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: आत्मकथाएँ - इटरनल क्वेस्ट: जीवन और टाइम्स ऑफ डॉ कलाम ( Eternal Quest: Life and Times of Dr. Kalam ) (लेखक: एस चंद्र) डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गयी 25 पुस्तकों की सूची एपीजे अब्दुल कलाम का गांव कौन सा है?तमिलनाडु के धनुषकोडी गांव में हुआ जन्म
15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ।
कलाम का परिवार कहां रहता था?पूर्ण उत्तर:
वे रामेश्वरम, मद्रास के द्वीप शहर में रहते थे।
अब्दुल का पुश्तैनी घर कहाँ स्थित था?अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam ), (15 अक्टूबर 1931 – 27 जुलाई 2015) इन्हे मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम अंसार परिवार में इनका जन्म हुआ।
अब्दुल कलाम बायोग्राफी का नाम क्या है?कलाम ने एक आत्मकथा, विंग्स ऑफ फायर (1999) सहित कई किताबें लिखीं।
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