क्या ही स्वच्छ शांत और चुपचाप अर्थ? - kya hee svachchh shaant aur chupachaap arth?

Short Note

निम्‍नलिखित पंक्‍तियों का सरल अर्थ लिखिए :

क्या ही स्‍वच्छ ______ शांत और चुपचाप।

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Solution

चारों ओर स्वच्छ चाँदनी बिखरी हुई है। ऐसा लग रहा है कि जैसे यह रात थम-सी गई है। एक मनमोहक सुगंध वातावरण में फैली हुई है। हर तरफ आनंद-ही-आनंद है। इस स्तब्ध कर देने वाली सुंदरता का प्रभाव सभी की सूत्रधार नियति अर्थात प्रकृति पर नहीं पड़ रहा है। उसके क्रिया-कलाप एकांत भाव से चुपचाप जारी हैं।

Concept: पद्य (9th Standard)

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Chapter 1.01: चाँदनी रात - पाठ के आँगन में [Page 2]

Q (२) (छ)Q (२) (च)Q 1.1

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Balbharati Hindi - Lokbharati 9th Standard Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती ९ वीं कक्षा]

Chapter 1.01 चाँदनी रात
पाठ के आँगन में | Q (२) (छ) | Page 2

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  • पहली इकाई पाठ – १ चाँदनी रात
  • पहली इकाई पाठ – २ बिल्ली का बिलंगुड़ा
  • पहली इकाई पाठ – ३ कबीर
  • दूसरी इकाई पाठ – १. कह कविराय
  • दूसरी इकाई पाठ – २. जंगल
  • दूसरी इकाई पाठ – ३. इनाम
  • दूसरी इकाई पाठ – ४. सिंधु का जल
  • दूसरी इकाई पाठ – ५. अतीत के पत्र

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

उत्तर :

क्या ही स्वच्छ शांत और चुपचाप अर्थ? - kya hee svachchh shaant aur chupachaap arth?

उत्तर :

क्या ही स्वच्छ शांत और चुपचाप अर्थ? - kya hee svachchh shaant aur chupachaap arth?

२. निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए :

(च ) चारु चंद्र …………. झोंको से |

उत्तर : 
भावार्थ:
गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। पृथ्वी हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी प्रकट कर रही है। ऐसा तीत होता है, मानो वृक्ष भी मंद-मंद वायु के झोंकों से झूम रहे हैं।

(छ) क्या ही स्वच्छ  …………. शांत और चुपचाप |

उत्तर : 
भावार्थ:
पंचवटी में दूर-दूर तक चाँदनी फैली हुई है। रात सन्‍नाटे से भरी है। वायु स्वच्छंद होकर अपनी स्वतंत्र चाल से मंद-मंद बह रही है। इस समय कौन-सी दिशा है जो आनंद नहीं ले रही है ? अर्थात सभी दिशाएँ इस सौंदर्य से आनंदित हो रही हैं। ऐसे समय में भी नियति नामक शक्ति-विशेष के समस्त कार्य संपन्न हो रहे हैं। कोई रुकावट नहीं। वह एक भाव से अर्थात्‌ अकेले-अकेले और चुपचाप अपने कर्तव्यों का निर्वाह किए जा रही है।

निम्न शब्दों  के पर्यायवाची शब्द लिखिए :

उत्तर : 

क्या ही स्वच्छ शांत और चुपचाप अर्थ? - kya hee svachchh shaant aur chupachaap arth?

विषयसूची

  • 1 स्वच्छ सुमंद क्या है?
  • 2 क्या ही स्वच्छ चाँदनी?
  • 3 २ निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए च चारु चंद्र छ क्या ही स्वच्छ झोंकों से शांत और?
  • 4 क्या ही स्वच्छ झोंकों से शांत और चुपचाप?
  • 5 चारु चंद्र की चंचल किरणें कविता में किसका महत्व बताया गया है?
  • 6 च चारु चंद्र छ क्या ही स्वच्छ झोंकों से?

स्वच्छ सुमंद क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक मनमोहक सुगंध वातावरण में फैली हुई है। हर तरफ आनंद-ही-आनंद है। इस स्तब्ध कर देने वाली सुंदरता का प्रभाव सभी की सूत्रधार नियति अर्थात प्रकृति पर नहीं पड़ रहा है। उसके क्रिया-कलाप एकांत भाव से चुपचाप जारी हैं।

क्या ही स्वच्छ चाँदनी?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: इन पंक्तियों में पंचवटी के चारों और प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है। यहाँ पर स्वच्छ और निर्मल चांदनी है। चारों तरह वातावरण शांत सा महसूस हो रहा है और अच्छी खुशबू दिशाओं में महक रही है।

निस्तब्ध कौन है?

इसे सुनेंरोकेंभावार्थ बताए: क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह, है क्या ही निस्तब्ध निशा। है स्वच्छंद-सुमंद गंध वह निरानंद है कौन दिशा?

निरानंद है कौन दिशा?

इसे सुनेंरोकेंकौन सी दिशा है जो आनंदित नहीं (निरानंद) है, यानि कि सभी ओर आनंद है। अब भी (रात्री में भी) नियति रुपी नर्तकी (नियति -नटी) के काम (कार्य कलाप) बंद नहीं हैं बल्कि कितनी शांति से हो रहे हैं। *नियति का अर्थ है – निश्चित जो होने वाला है या प्रकृति के निश्चित कार्य कलाप।

२ निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए च चारु चंद्र छ क्या ही स्वच्छ झोंकों से शांत और?

इसे सुनेंरोकेंइन पंक्तियों में पंचवटी के चारों और प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है| यहाँ पर स्वच्छ और निर्मल चांदनी है। चारों तरह वातावरण शांत सा महसूस हो रहा है और अच्छी खुशबू दिशाओं में महक रही है| पंचवटी में चारों और स्वच्छ वातावरण फैला हुआ है| सब जगह एकांत और चुप्पी है, फिर भी सब अपना कर्तव्य का पालन कर रहे हैं।

क्या ही स्वच्छ झोंकों से शांत और चुपचाप?

इसे सुनेंरोकें(च ) चारु चंद्र …………. गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। पृथ्वी हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी प्रकट कर रही है। ऐसा तीत होता है, मानो वृक्ष भी मंद-मंद वायु के झोंकों से झूम रहे हैं।

आशय स्पष्ट कीजिए बंद नहीं अब भी चलते हैं नियति नटी के कार्य कलाप पर कितने एकांत भाव से कितने शांत और चुपचाप?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: बंद नहीं, अब भी चलते हैं, नियति-नटी के कार्य-कलाप, पर कितने एकान्त भाव से, कितने शांत और चुपचाप! है बिखेर देती वसुंधरा, मोती, सबके सोने पर, रवि बटोर लेता है उनको, सदा सवेरा होने पर।

किरणें चंचल कैसे होती है?

स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में। मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥ जाग रहा यह कौन धनुर्धर, जब कि भुवन भर सोता है? भोगी कुसुमायुध योगी-सा, बना दृष्टिगत होता है॥…

चारु चंद्र की चंचल किरणें -मैथिलीशरण गुप्त
मृत्यु स्थान चिरगाँव, झाँसी
मुख्य रचनाएँ पंचवटी, साकेत, यशोधरा, द्वापर, झंकार, जयभारत

चारु चंद्र की चंचल किरणें कविता में किसका महत्व बताया गया है?

इसे सुनेंरोकेंपंचवटी के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते हुए लक्ष्मण अपने मन में सोचते हैं कि यहाँ कितनी स्वच्छ और चमकीली चाँदनी है और रात्रि भी बहुत शांत है। स्वच्छ, सुगंधित वायु मंद-मंद बह रही है। यदि लोग अपना तथा दूसरों का भला स्वयं ही करने लगें और इसके लिए दूसरों का मुंह न देखें तो यह संसार कितना सुंदर और सुखद हो जाएगा।

च चारु चंद्र छ क्या ही स्वच्छ झोंकों से?

क्या ही स्वच्छ शांत और चुपचाप सरल अर्थ?

एक मनमोहक सुगंध वातावरण में फैली हुई है। हर तरफ आनंद-ही-आनंद है। इस स्तब्ध कर देने वाली सुंदरता का प्रभाव सभी की सूत्रधार नियति अर्थात प्रकृति पर नहीं पड़ रहा है। उसके क्रिया-कलाप एकांत भाव से चुपचाप जारी हैं।

चारु चंद्र झोंकों से छ क्या ही स्वच्छ शांत और चुपचाप?

(च ) चारु चंद्र …………. भावार्थ: गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। पृथ्वी हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी प्रकट कर रही है।

क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह?

भावार्थ— पंचवटी के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते हुए लक्ष्मण अपने मन में सोचते हैं कि यहाँ कितनी स्वच्छ और चमकीली चाँदनी है और रात्रि भी बहुत शांत है।

२ निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए च चार चंद्र झ्रोंकों से छ क्या ही स्वच्छ शांत और चुपचाप?

Solution. कवि ने इस पद्य में प्रकृति की सुंदरता का सुंदर वर्णन किया है। रात के समय चाँद की चंचल किरणें जल-थल में खेलती हुई प्रतीत हो रही हैं। पृथ्वी और आकाश में चारों ओर चाँदनी फैली हुई है।