पीपल के पेड़ के नीचे कौन सा दीपक जलाना चाहिए? - peepal ke ped ke neeche kaun sa deepak jalaana chaahie?

Authored by Priyanka Pandey | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 7, 2022, 2:30 PM

  • पीपल के पेड़ के नीचे कौन सा दीपक जलाना चाहिए? - peepal ke ped ke neeche kaun sa deepak jalaana chaahie?

    दीपक जलाने के इन न‍ियमों का रखें ख्‍याल

    पूजा-पाठ, जप-अनुष्‍ठान हर कार्य में दीपक का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। मान्‍यता है क‍ि ब‍िना दीपक जलाए कोई भी पूजा-पाठ संपन्‍न नहीं होती। यही वजह है क‍ि प्रत्‍येक धार्मिक कार्य में दीपक जरूर जलाया जाता है। लेक‍िन क्‍या आप जानते हैं क‍ि ज्‍योत‍िषशास्‍त्र में दीपक जलाने के भी न‍ियम और कब कहां कैसे दीपक जलाना चाह‍िए यह बताया गया है। कहते हैं क‍ि यद‍ि इनका पालन न क‍िया जाए तो पूजा-पाठ, जप और अनुष्‍ठान सफल नहीं होता। तो आइए ऐस्‍ट्रॉलजर और वास्‍तु एक्‍सपर्ट सच‍िन मेहरा से जानते हैं इस बारे में….

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    सबसे पहले करें यह काम

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    संध्‍या के समय यहां जरूर जलाएं दीपक

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    पीपल के नीचे दीपक रखने का ऐसा न‍ियम

    ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार पीपल के नीचे दीपक जलाने का भी व‍िशेष न‍ियम है। मान्‍यता है क‍ि प्रत्येक अमावस्या को रात्रि में पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं। वहीं अगर न‍ियम‍ित रूप से 41 द‍िनों तक पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाया जाए तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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    ये न‍ियम दूर कर सकते हैं असाध्‍य रोग

    ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार अगर आप केले के पेड़ के नीचे गुरुवार को दीपक जलाते हैं। तो ध्‍यान रखें क‍ि घी का दीपक ही जलाएं। इसके अलावा कहते हैं क‍ि अगर कोई जातक असाध्‍य रोग से जूझ रहा हो तो उसके पहने हुए कपड़ों में से कुछ धागे निकालकर उसकी जोत शुद्ध घी में अपने इष्ट के समक्ष जलानी चाह‍िए। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से असाध्‍य रोग भी दूर हो जाते हैं।

पीपल के पेड़ के नीचे कौन सा दीपक जलाना चाहिए? - peepal ke ped ke neeche kaun sa deepak jalaana chaahie?

peepal tree worship (pic: Istock) 

Peepal tree worship on Saturday: हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का विशेष महत्‍व है। श्रीमद्भगवदगीता के अनुसार पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी व अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। यही वजह है कि पीपल पर रोजाना स्‍नान के बाद जल अर्पण करने से तकलीफों से छुटकारा मिलता है। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा विशेष फलदायी होती है, इसलिए कुछ खास उपाय करने एवं जल चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखने से आपकी सारी दिक्‍कतें दूर हो सकती है। इससे पैसों को लेकर आपकी चिंता भी दूर होगी। 

इस समय न जाएं पीपल के पास, साथ चली आएंगी परेशानियां

पीपल के पेड़ के नीचे कौन सा दीपक जलाना चाहिए? - peepal ke ped ke neeche kaun sa deepak jalaana chaahie?

सनातन धर्म में पीपल वृक्ष को देवतुल्य माना गया है। तभी तो इसके पूजन का विधान शास्त्रों में भी बताया गया है।

सनातन धर्म में पीपल वृक्ष को देवतुल्य माना गया है। तभी तो इसके पूजन का विधान शास्त्रों में भी बताया गया है। पीपल को कलियुग का कल्पवृक्ष माना जाता है। पीपल एकमात्र पवित्र देववृक्ष है जिसमें सभी देवताओं के साथ ही पितरों का भी वास रहता है। श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि


‘अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम, मूलतो ब्रहमरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय अश्वत्थाय नमो नम:’ 


अर्थात मैं वृक्षों में पीपल हूं।


पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी तथा अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। स्कंदपुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फलों में सभी देवताओं का वास है।

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क्या न करें : शास्त्रानुसार शनिवार को पीपल पर लक्ष्मी जी का वास माना जाता है तथा उस दिन जल चढ़ाना जहां श्रेष्ठ है वहीं रविवार को पीपल पर जल चढ़ाना निषेध है। शास्त्रों के अनुसार रविवार को पीपल पर जल चढ़ाने से जीव दरिद्रता को प्राप्त करते हैं। पीपल के वृक्ष को कभी काटना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलते हैं तथा वंशवृद्धि की हानि होती है। किसी विशेष प्रयोजन से विधिवत नियमानुसार पूजन करने तथा यज्ञादि पवित्र कार्यों के लक्ष्य से पीपल की लकड़ी काटने पर दोष नहीं लगता। अकसर लोग ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर जाते हैं, जो शुभ कर्म है लेकिन मंदिर जाकर पीपल के पेड़ पर जल न चढ़ाएं क्योंकि उस समय पर अलक्ष्मी वहां वास कर रही होती हैं। सूर्योदय के बाद ही पीपल पूजन करें, जिससे महालक्ष्मी प्रसन्न होकर सदा आपके पास रहें।


क्या करें : पीपल के पेड़ का सिंचन, पूजन और परिक्रमा करने से जहां जीव की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है वहीं शत्रुओं का नाश भी होता है। यह सुख सम्पत्ति, धन-धान्य, ऐश्वर्य, संतान सुख तथा सौभाग्य प्रदान करने वाला है। इसकी पूजा करने से ग्रह पीड़ा, पितरदोष, काल सर्प योग, विष योग तथा अन्य ग्रहों से उत्पन्न दोषों का निवारण हो जाता है। अमावस्या और शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करने से कष्ट निवृत्ति होती है। प्रात: काल नियम से पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर जप, तप एवं प्रभु नाम का सिमरण करने से जीव को शारीरिक एवं मानसिक लाभ प्राप्त होता है। पीपल के पेड़ के नीचे वैसे तो प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाना उत्तम कर्म है परंतु यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो तो शनिवार की रात को पीपल की जड़ के साथ दीपक जरूर जलाएं क्योंकि इससे घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है, कारोबार में सफलता मिलती है, रुके हुए काम बनने लगते हैं।


तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान विष्णु जी के अष्टभुज रूप का स्मरण करते हुए पीपल की जड़ में जल चढ़ाना चाहिए। वृक्ष की पांच परिक्रमाएं नियम से करनी चाहिएं। जो लोग पीपल के वृक्ष का रोपण करते हैं उनके पितृ नरक से छूटकर मोक्ष को प्राप्त करते हैं।  

पीपल के पेड़ के नीचे कौन से तेल का दीपक जलाना चाहिए?

पीपल के नीचे दीपक रखने का ऐसा न‍ियम मान्‍यता है क‍ि प्रत्येक अमावस्या को रात्रि में पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं। वहीं अगर न‍ियम‍ित रूप से 41 द‍िनों तक पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाया जाए तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

पीपल के नीचे दीपक कैसे जलाएं?

शनिवार के दिन सूर्यास्त के तुरंत बाद पीपल पेड़ के नीचे आटे का दीपक जलाएं। अब पेड़ के नीचे बैठकर एक कागज पर लाल स्याही या पेन से अपनी मनोकामना लिखें। अब इसे लाल कपड़े में लपेटकर इसे लाल कलावे से पेड़ पर बांध दें या वहां गाड़ दें। इससे आपकी इच्‍छा पूरी होगी और धन की किल्‍लत दूर होगी।

पीपल के नीचे आटे का दिया जलाने से क्या होता है?

यूं लें आटे के दीपक का संकल्प मां अन्नपूर्णा देवी के आगे आटे का दीपक जलाने से घर से आर्थिक तंगी दूर होती है. - बता दें कि कर्ज मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति, खुद का घर, गृह कलह, पति-पत्नी में विवाद जैसे समस्याओं के लिए आटे के दीपक संकल्प के अनुसार जलाए जाते हैं.

शनिवार को पीपल पर दीपक कब जलाना चाहिए?

शनिवार के दिन शनि देव के मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। लेकिन ध्यान रखें कि दीपक में काले तिल अवश्य डालें। हनुमान मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।