क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?

चांद पर जीवन की संभावना को लेकर चल रही रिसर्च के बीच एक रिसर्च सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि चांद पर कुछ स्थान ऐसे हैं, जहां तापमान स्टेबल है और इंसान के रहने के अनुरूप है.

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?

चांद पर जीवन को लेकर लंबे समय से रिसर्च चल रही है. अब हाल ही में एक रिसर्च में इसे लेकर पॉजिटिव रेस्पॉन्स आया है, जिसमें बताया गया है कि वहां कुछ इलाकों में इतना तापमान है कि वहां इंसान आराम से रह सकता है. ऐसे में इंसानों के चांद पर जीवन की संभावना बढ़ रही है. ऐसे में जानते हैं चांद पर मिले इस तापमान के क्या मायने हैं?

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?

कितना है तापमान?- डीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां गुफाओं की तरह के कुछ स्ट्रक्चर हैं, जो आने वाले वक्त में इंसानों की सुरक्षा कर सकते हैं. रिसर्च में बताया गया है कि जहां भी इंसानों के हिसाब से तापमान है, वहां कुछ गड्ढे हैं और उन गड्ढों में पृथ्वी के हिसाब से तापमान है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों के अनुसार, 17 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान पाया गया है.

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?

दरअसल, वैसे चांद की तहत पर तापमान काफी बदलता रहता है. चांद की अधिकांश सतह पर दिन के वक्त 260 डिग्री तक तापमान रहता है और रात में यह तापमान जीरो से 280 डिग्री नीचे तक आ जाता है. हालांकि, अब कुछ स्थानों पर स्थिर तापमान से लग रहा है कि आने वाले वक्त में यहां के जीवन की संभावना बढ़ सकती है.

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?

खास बात ये है कि जिन क्षेत्रों या गड्ढों में तापमान कम है, वहां सौर विकिरण, अन्य हानिकारक किरणों और छोटे उल्कापिंडों से भी बचा जा सकता है. बता दें कि चंद्रमा पर एक दिन या रात पृथ्वी पर दो हफ्ते से थोड़े अधिक के बराबर है. इस वजह से यहां काफी मुश्किलें भी हैं.

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?

बता दें कि रिसर्च के अनुसार, 200 से अधिक खोजे गए गड्ढों में से करीब 16 लावा ट्यूब की वजह से है. रिसर्चर्स को लगता है कि चांद पर हुए गड्ढों में ओवरहैंग्स स्थिर तापमान का कारण हो सकते हैं. इनकी खोज साल 2009 में ही कर दी गई थी.

भारतीय अंतिरक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) कुछ घंटे बाद 15 जुलाई यानी देर रात 2.51 बजे अपना मून मिशन चंद्रयान-2 चांद के लिए लॉन्च करेगा. इससे सिर्फ एक बात जहन में आती है कि आखिर चांद पर इंसान जाना ही क्यों चाहता है? साल 1950 में किसी ने नहीं सोचा था कि कि अगले दो दशकों में लोग चांद की सतह पर पहुंच जाएंगे.

क्या चंद्रयान जैसे मून मिशन भेजने का मकसद चांद पर इंसानी बस्ती बनाने की शुरुआत है? ये चर्चा 2008 में भी हुई थी जब चंद्रयान-1 चांद पर गया था. तब भी विख्यात वैज्ञानिक प्रो. यशपाल ने कहा था कि निकट भविष्य में तो यह संभव नहीं है, लेकिन 50 से 75 साल में इंसान चाहे तो चांद पर बस्ती बसा सकता है. लेकिन उसके लिए तो लाखों करोड़ों रुपयों की जरूरत पड़ेगी. अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश ये कर सकते हैं लेकिन भारत को ऐसा करने में कम से कम 100 से 150 साल लग जाएंगे.

सवाल ये है कि चांद पर ही बस्ती क्यों बनाई जाएं?

बस्तियां बसाने के लिए हम चाँद पर ही क्यों जाएं? स्पेस मिशन के करीब 60 वर्ष हो चुके हैं. एक तरह से देखे तो हमें इसका जवाब मिलता दिखता है. हम बस्ती बनाने का प्रयास कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास संचार प्रणाली है. हम मौसम का पूर्वानुमान लगा सकते हैं. जलवायु परिवर्तन समझ सकते हैं. हमारे पास जीपीएस है. धरती और इसके पर्यावरण के बारे में गहन जानकारी और आपदाओं की चेतावनी हैं.

टेक्नोलॉजी दिनोदिन आधुनिक हो रही है. इन्फ्रा-रेड इयर थर्मामीटर और एलईडी आधारित उपकरण चांद पर मददगार साबित होंगे. इंसान 6 बार पहले ही चांद पर पांव के निशान छोड़ आया है. अपोलो 17 मिशन सबसे अधिक तीन दिनों तक चाँद पर रहा था, जहां 3.8 करोड़ वर्ग किलोमीटर जमीन है.

करीब 2.40 लाख करोड़ का खर्च आएगा इंसान को चांद पर ले जाने और वापस लाने में

अमेरिका ने जितनी बार चांद पर मानव मिशन भेजा उसका खर्च साल-दर-साल बढ़ता चला गया. आज की तारीख में दो लोगों को चांद पर भेजकर, कुछ दिन वहां बिताकर लौटने में कम से कमा 2.40 लाख करोड़ रुपयों का खर्च आएगा. इससे ज्यादा पैसा लगेगा चांद पर हवा और पानी बनाने में.

हमें पता है कि चांद पर बड़ी मात्रा में बर्फीला पानी है. चट्टानों में ऑक्सीजन कैद है. इसलिए चांद के भावी नागरिकों के लिए हवा और पानी की जरूरतें पूरी हो सकती है. लेकिन अभी तक हवा और पानी की सही मात्रा का अंदाजा नहीं लगाया जा सका. हालांकि भविष्य में संभावनाएं अच्छी हैं. चाँद पर जाने की अन्य वजहें हैं - वहां हीलियम की बड़ी मात्रा, जिसका उपयोग ऊर्जा के लिए हो सकता है और पर्यटन.

चंद्रमा पर इंसानों के रहने लायक जगह मिल गई है. ये ऐसे गड्ढे हैं जहां इंसानों के रहने लायक उपयुक्त तापमान है. इन गड्ढों को नासा (NASA) के लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर (LRO) की मदद से खोजा गया है. इन गड्ढों के अंदर 17 डिग्री सेल्सियस तापमान है. यह ऐसा तापमान है जहां पर इंसान आराम से रह सकता है और काम कर सकता है. यानी भविष्य में ऐसे गड्ढों के अंदर इंसानी बस्तियां बसाना आसान हो जाएगा. 

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?
इन गड्ढों के अंदर तापमान, रेडिएशन और छोटे उल्कापिंडों की मार से बचा जा सकता है. (फोटोः NASA/GSFC/Arizona State University)

चांद पर इंसानों के रहने लायक इन गड्ढों की खोज की रिसर्च रिपोर्ट जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित हुई है. वैज्ञानिक इस बात पर हैरान हैं कि चंद्रमा के अन्य इलाकों के गड्ढों से ये रहने लायक गड्ढे एकदम अलग हैं. चांद पर दिन दो हफ्ते लंबा होता है. यहां पर तापमान इतना ज्यादा हो सकता है कि धरती पर पानी उबल जाए. ऐसे में इन गड्ढों में रहने लायक स्थितियों का होना खुशखबरी मानी जा रही है. 

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?
हर गड्ढे में तापमान आमतौर पर 17 डिग्री सेल्सियस रहता है. (फोटोः NASA/GSFC/Arizona State University)

चांद पर रहने लायक ये गड्ढे मेयर ट्रांक्विलिटैटिस यानी सी ऑफ ट्रांक्विलिटी (Sea of Tranquility) में मिले हैं. ये गड्ढे 328 फीट गहरे हैं. इन गड्ढों का तापमान चांद की बाकी सतह से थोड़ा ही बदलता है. ज्यादा अंतर नहीं आता. NASA के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के LRO प्रोजेक्ट की साइंटिस्ट नोआ पेट्रो ने कहा कि लूनर पिट्स यानी चांद के गड्ढे बेहद हैरान करते हैं. अगर इनका तापमान लगातार स्थिर रहता है तो यहां इंसानी कॉलोनी बनाई जा सकती है. 

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं? - kya chaand par insaan rah sakate hain?
चांद की सतह की तुलना में ये लूनर पिट्स ज्यादा सुरक्षित हैं. (फोटोः NASA/GSFC/Arizona State University)

नोआ पेट्रो ने बताया कि लूनर पिट्स की खोज पहली बार साल 2009 में हुई थी. गड्ढे अलग होते हैं और ये पिट्स अलग. गड्ढे छिछले हो सकते हैं लेकिन पिट्स वर्टिकली सीधी गहराई वाले होते हैं. अगर इनके जाने का रास्ता मिले तो इनके अंदर एस्ट्रोनॉट्स अपने रहने की जगह का निर्माण कर सकते हैं. क्योंकि यहां पर सोलर रेडिएशन, घटते-बढ़ते तापमान और छोटे उल्कापिंडों के टकराने का डर नहीं रहता. ये चांद की सतह से ज्यादा सुरक्षित होते हैं. 

चांद पर हो सकता है इंसानों को इन पिट्स जैसे गुफाओं में रहना पड़े. इसमें कोई बुराई भी नहीं है, क्योंकि इंसानों के पूर्वज गुफाओं में रहते थे. अगर सबकुछ सही रहता है तो अगले कुछ वर्षों में इंसान चांद की सतह पर लौटेंगे. वहां अपनी कॉलोनी बनाएंगे. ये लूनर पिट्स उनकी सुरक्षित कॉलोनी बनाने का सपना पूरा करने में मदद कर सकते हैं. 

क्या इंसान का चांद पर रहना संभव है?

चंद्रमा पर इंसानों के रहने लायक जगह मिल गई है. ये ऐसे गड्ढे हैं जहां इंसानों के रहने लायक उपयुक्त तापमान है. इन गड्ढों को नासा (NASA) के लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर (LRO) की मदद से खोजा गया है. इन गड्ढों के अंदर 17 डिग्री सेल्सियस तापमान है.

चांद हम लोगों से कितना दूर है?

जब भी हम चन्द्रमा की और देख्नते है, तो हमें यह काफी नजदीक (पास) लगता है। लेकिन वास्तव में यह काफी दूर है। चाँद (चन्द्रमा) हमारे पृथ्वी (धरती) से लगभग 3,84,403 किलोमीटर व 238857 मील की दुरी पर स्थित है। दोस्तों चन्द्रमा (चाँद) धरती के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है, जिस कारण व कभी धरती के पास व कभी दूर हो जाता है।

चंद्रमा पर कौन रहता है?

धर्मशास्त्रों के अनुसार पितरों का निवास चंद्रमा के उर्ध्वभाग में माना गया है।

चांद पर इंसान कैसे जाता है?

चांद की सतह बेहद उबड़-खाबड़ थी। नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रखा और इतिहास रच दिया। नील के साथ बज़ एल्ड्रिन भी वहां बाद में उतरे थे।.
चांद पर मानव के पहले कदम का साक्षी है मून डे।.
16 जुलाई को शुरू हुई थी यात्रा।.
नील को मिला था बज़ एल्ड्रिन का साथ।.