केवड़ा का फूल कैसे होते हैं? - kevada ka phool kaise hote hain?

ketki ka phool : दुनिया में फ्लावर्स की अनेकों प्रजातियां उपलब्ध हैं सारे फूलों की जानकारी रख पाना इंसान के लिए संभव नहीं हैं हर फूल का हमारे जीवन में बिशेस महत्व होता है आज हम आपको केतकी का फूल कैसा होता है (ketki ka phool kaisa hota hai) और इसका प्रयोग कहां किया जाता है इन सब की जानकारी इस पोस्ट बताएंगे केतकी एक प्राचीन फूल है जिसका उल्लेख हमारी धार्मिक कथाओं में भी मिलता है।

केतकी का फूल (ketki flower) भगवान शिवजी की पूजा में इसका प्रयोग नहीं किया जाता के पीछे का कारण भी हम आपको इस लेख में बताने वाले हैं तो पोस्ट को अंत तक पढ़िएगा।

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Table of Contents

  • केतकी का फूल कैसा होता है – Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai
  • केतकी का फूल भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ता?
  • केतकी के पौधे में पुष्प कब लगते हैं?
  • केतकी का फूल कहां पाया जाता हैं?
  • केतकी के फूल के प्रयोग – Use Of Ketki Flower
  • Ketki ka phool in english
  • केतकी को हिंदी में क्या बोलते हैं?
  • चंपा और केतकी में अंतर
  • केतकी के फूल कितने प्रकार के होते हैं
  • केतकी फूल की शान – Ketki Phool Ki Shan
  • Faq 

केतकी का फूल कैसा होता है – Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

केतकी को एक महकदार झाड़ी माना जाता है इसकी पत्तियां कोमल चिकनी नुकीली तथा चपटी होती हैं इसकी पीठ पर कांटे भी पाए जाते हैं केतकी को केवड़ा के नाम से भी जाना जाता है केतकी को पुष्प की पत्तियों के रंग के आधार पर दो प्रकार में बांटा गया है जिस केतकी के पौधे पर सफेद रंग की पत्तियां होती हैं उसे केवड़ा कहा जाता है और जिस पौधे पर पीले रंग की पत्तियां पाई जाती हैं उसे सुवर्ण केतकी कहा जाता है।


केतकी का फूल भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ता?

भगवान शिव को केतकी का पुष्प चढ़ाना उन्हें पसंद नही है इससे खुश होने की वजह वह आपसे नाराज हो सकते हैं भगवान शिव को केतकी का फूल पसंद न होने के पीछे का कारण पौराणिक है ।

प्राचीन समय में भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा में इस बात को लेकर भेंस छिड़ गई की दोनों में श्रेष्ठ कौन है तभी एक विशाल शिवलिंग प्रकट हुआ और ये शर्त लगी की जो भी इस शिवलिंग के छोर को सबसे पहले डूंडेगा या छू कर आएगा वही सबसे श्रेष्ठ कहलाएगा दोनो इस शर्त को पूरा करने के लिए अलग अलग छोर तरफ निकल गए भगवान विष्णु को छोर नहीं मिला और वो वापिस लौट आए इसके बाद ब्रह्म भी वापिस लौट आए और झूठ कहा कि वे छोर को छू कर आ गए है और इस बात के लिए उन्होंने केतकी फूल को साक्ष्य बनाया तभी भगवान शिव प्रकट हुए और केतकी को इस झूठ के लिए श्राप दिया की केतकी पुष्प का कभी भी उनको पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

केतकी के पौधे में पुष्प कब लगते हैं?

खेत के पौधे में बरसात के मौसम में पुष्प लगते हैं इसकी पुष्पों में सौगंध बड़ी तीव्र होती है पुष्प में लगी पत्तियां लंबी होती तथा पीछे से पत्तियों से ढकी रहती हैं इसके पुष्प से सुगंधित इत्र बनाए जाते हैं और इसका प्रयोग जल को महकदार बनाने में किया जाता है।

केतकी का फूल कहां पाया जाता हैं?

केतकी के फूल को समूचे बस में एक दुर्लभ पोस्ट माना जाता है यह पोस्ट केवल उत्तर प्रदेश के मोहम्मदी नगर में मैं बाग में खिलता है और अपनी सुगंध से पूरे बा को महका देता है इतनी दुर्लभ होने का कारण वैज्ञानिक ढूंढ रहे हैं माना जाता है कि इसके ऊपर भ्रमर नहीं बैठते जिसके कारण यह इतना दुर्लभ है।

मोहम्मदी नगर के एक शख्स ने दूसरी जगह ketki flower उगाने की कोशिश की लेकिन यह काम ना होगा लेकिन एक गांव में यह ketki ka pushp पनप गया लेकिन उस पर भी कई दिनों तक फूल नहीं आए और जब फूल आए तो उनकी गुणवत्ता मेंहदीबाग जैसे केतकी फूलों की तरह नहीं थी।

केतकी के फूल के प्रयोग – Use Of Ketki Flower

केतकी पुष्प का सबसे प्रमुख गुण उसकी खुशबू है जिसके कारण उसे ज्यादातर हर चीज को सुगंधित बनाने में प्रयोग किया जाता है इससे बने इत्र को जल को सुगंधित बनाने में उपयोग किया जाता है तथा इससे पान में उपयोग होने वाले कत्थे को भी सुवाषित करते हैं सफेद पत्ती वाले पुष्प रानी के बड़े का प्रयोग बालों की दुर्गंध दूर करने में उपयोग किया जाता है इसकी पत्तियों से छाते चटाई और टोपी बनाई जाती है इसके तने का प्रयोग बोतल को बंद करने के लिए कॉक बनाने में किया जाता है इसके पत्तियों का सब्जी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है

Ketki ka phool in english

केतकी एक संस्कृत नाम है, जिसका अर्थ है “पुष्पिका”  केतकी को हिंदी में “केउरा” भी कहा जाता है।  इस पौधे का वानस्पतिक नाम “पैंडनस ओडोरैटिसिमस” है  अंग्रेजी में इसे अम्ब्रेला ट्री या स्क्रू पाइन के नाम से जाना जाता है।

केतकी को हिंदी में क्या बोलते हैं?

केतकी एक हिंदी नाम ही है मतलब केतकी को हिंदी में केतकी ही बोलते है इस फूल को सामान्यता लोग केवड़ा भी बोलते है।

चंपा और केतकी में अंतर

चंपा और केतकी के पेड़ दोनो ही पुष्प देने वाले श्रेणी में आते है इनमें कई अंतर है जो उन्हें एक दूसरे से अलग करते हैं लेकिन दोनों पुष्पों में एक खास बात ये है की इन्हें भगवान शिव की पूजा में प्रयोग नहीं किया जाता है और दोनों को झूठ बोलने के कारण यह शाप मिला हैं केतकी की कथा तो हमने ऊपर आपको बता दी है और चंपा पुष्प की कथा भी बड़ी रोचक चंपा का फूल भगवान शिव को सब फूलों से ज्यादा प्रिय है एक ब्राह्मण रोज भगवान शिव की पूजा चंपा के फूल अर्पित कर किया करता था जिससे भगवान उस ब्रह्मण से खुश रहते थे एक दिन नारद जी ने चंपा के पेड़ से उसकी खाली डाली को देखते हुए पूछा की क्या तुम्हारे पुष्पों को किसी ब्राह्मण ने गलत इरादों से तोड़ा है तब चंपा के फूल ने नारद जी से मना कर दिया लेकिन जब नारद जी ने शिवलिंग को चंपा के फूलों से ढकी हुई दिखी तो उन्हें समझने में देर नहीं लगी की उसी ब्रह्मण ने भगवान की पूजा की है और भगवान शिव ने उससे खुश होकर उसकी इच्छाएं भी पूरी की और ब्रह्मण एक शक्ति शाली राजा भी बन गया था जिससे वह गरीब लोगों को बहुत परेशान कर रहा है ।

जब नारद जी ने भगवान से उसकी इक्चाओं को पूरा करने के पीछे का कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया की वह रोज उन्हें चंपा के पुष्प अर्पित किया करता था जिससे वह बहुत खुश थे और जब नारद मुनि वापस चंपा के पेड़ के पास वापस गए तो उसे झूठ बोलने के कारण यह श्राप दे दिया की तुम्हारे फूल का प्रयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं किया जाएगा ।

लेकिन चंपा और केतकी में अंतर की बात करें तो चम्पा को अंग्रेजी में प्लूमेरिया कहते हैं चम्पा के खूबसूरत, मन्द, सुगन्धित हल्के सफेद, पीले फूल होते हैं चम्पा को अंग्रेजी में प्लूमेरिया कहते हैं। चम्पा के खूबसूरत, मन्द, सुगन्धित हल्के सफेद, पीले फूल होते हैं

केतकी के फूल कितने प्रकार के होते हैं

केतकी के पुष्प दो प्रकार के होते हैं इनके ये प्रकार के नाम केवड़ा और सुवर्ण केतकी हैं इनके ये प्रकार इनकी पत्तियों में रंग के भेद के कारण बनाए गए है जिस पुष्प में व्हाइट कलर की पत्तियां पाई जाती है उसे केवड़ा बोला जाता है जबकि पीली पत्ती वाले पुष्प को सुवर्ण केतकी कहा जाता है।

केतकी फूल की शान – Ketki Phool Ki Shan

मोहम्मदी सिटी के वर्तमान विधायक श्री लोकेंद्र प्रताप जी का कहना है की इतिहास में मोहम्मदी सिटी एक ऐतिहासिक नगर रहा होगा क्योंकि 1857 की स्वतंत्रता क्रांति के समय मोहम्मदी एक जिला हुआ करता था और इसका स्वतन्त्रता संग्राम में इसका भी खूब योगदान रहा होगा क्योंकि यहां खिलने वाला केतकी फूल सिर्फ मोहम्मदी जिले की ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश राज्य की भी शान है

Faq 

1. केतकी का पर्यायवाची क्या है?
– केतकी का पर्यायवाची केवड़ा , सुवर्ण केतकी हैं।
2. केतकी के फूल की क्या पहचान है?
– केतकी का पुष्प सफेद और पीले रंग के होते हैं यहीं केतकी के फूल की पहचान हैं।
3. क्या चंपा और केतकी एक ही है?
– चंपा और केतकी दोनों अलग अलग फूल है लेकिन लोग इन्हें एक इसलिए समझते है क्यों दोनो पुष्पों को श्राप मिला है की इन्हें भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाएगा 

केवड़ा के फूल कैसे होते हैं?

केवड़ा के फूल अत्यधिक खुशबूदार होते है तथा इसका उपयोग केवड़ा तेल और केवड़ा इत्र बनाने में किया जाता है। केवड़े के फूल के कई उपयोग हैं, जैसे केवड़े का तेल, अर्क, व्यंजनों को सुगंधित करने के लिए। भारत में यह समुद्र के किनारे वाले क्षेत्र में पाया जाता है। यह ज्यादातर नदी किनारे, नहर खेत और तालाबों के आसपास ऊगता है।

केवड़े का फूल कौन सा होता है?

ये होते हैं पारिजात या हरसिंगार के फूल

केतकी और केवड़ा के फूल कैसे होते हैं?

केतकी के पुष्प दो प्रकार के होते हैं इनके ये प्रकार के नाम केवड़ा और सुवर्ण केतकी हैं इनके ये प्रकार इनकी पत्तियों में रंग के भेद के कारण बनाए गए है जिस पुष्प में व्हाइट कलर की पत्तियां पाई जाती है उसे केवड़ा बोला जाता है जबकि पीली पत्ती वाले पुष्प को सुवर्ण केतकी कहा जाता है।

केतकी के फूल की पहचान क्या है?

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai: केतकी का फूल एक सुगन्धित फूल है जिसके लम्बे, नुकीले, चपटे और मुलायम पत्ते होते हैं। केतकी का फूल सफेद एवं पीले रंग का होता है। इसमें से सफेद रंग वाले केतकी के फूल को केवड़ा भी कहा जाता है एवं जो पीले रंग का होता है उसे सुवर्ण केतकी के नाम से जाना जाता है।