कविता फूलों के बहाने क्या है * 1 Point? - kavita phoolon ke bahaane kya hai * 1 point?

कविता का फूलों के बहाने खिलना कैसे है?


कविता का फूलों के बहाने खिलना इस रूप में है कि कविता भी फूल की भाँति खिलती अर्थात् विकसित होती है। कवि फूलों के बहाने प्रफुल्लित होता है। कविता में फूलों का प्रभाव आ सकता है।

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‘भाषा को ससहूलियत’ से बरतने से क्या अभिप्राय है?


भाषा को सहूलियत से बरतने से यह अभिप्राय है कि भाषा का उचित प्रयोग करना चाहिए। भाषा शब्दों का खेल है। शब्दों के अर्थ संदर्भगत होते हैं। शब्द का सही संदर्भ में प्रयोग करना चाहिए। कई बार हम उस शब्द का पर्यायवाची शब्द प्रयोग कर द्विविधा में फँस जाते हैं। शब्दों को सहूलियत के साथ प्रयोग करने पर ही बात का यह कथ्य का अपेक्षाकृत प्रभाव पड़ जाता है। अत: भाषा के प्रयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?


चिड़िया उड़ती है और फूल खिलता है। इसी प्रकार कविता कल्पना की उड़ान भरती है और फूल की तरह खिलती अर्थात् विकसित होती है। इस प्रकार दोनों में गहरा संबंध है। इसके बावजूद चिड़िया के उड़ने की सीमा है और फूल का खिलना उसे परिणति की और ले जाता है जबकि कविता के साथ ऐसा कोई बंधन नहीं है। कवि फूल की तरह खिलकर और चिड़िया की तरह उड़ान भरकर कविता को व्यापकता प्रदान करता है।

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इस ‘कविता के बहाने’ बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?


‘कविता के बहाने’ में सब घर एक कर देने का माने यह है कि सीमा का बंधन समाप्त हो जाना। जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता, उसी प्रकार कविता में कोई बंधन नहीं होता। कविता शब्दों का खेल है। जहाँ रचनात्मक ऊर्जा होती है वहाँ सभी प्रकार की सीमाओं के बंधन स्वयं टूट जाते हैं। बच्चे खेल-खेल में अपने-पराए घर की सीमाएँ नहीं जानते। वे खेलते हुए सारे घरों में घुस सकते हैं और उन्हें एक कर देते हैं। कविता भी यही करती है, वह समाज को बाँधती है, एक करती है।

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कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?


कविता और बच्चे को समानांतर रखने के ये कारण हो सकते हैं-

- बच्चे के सपने असीम होते हैं और कवि की कल्पना भी असीम होती है।

- बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता। शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। कविता और बच्चे में निस्वार्थ भाव की भी समानता है।

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कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ क्या होते हैं?


फूल तो खिलकर मुरझा जाते हैं और उनकी महक समाप्त हो जाती है। इसके विपरीत कविता भी मुरझाती नहीं। वह सदा ताजा बनी रहती है और उसकी महक बरकरार रहती है। एक अच्छी कविता सदा तरोताजा प्रतीत होती है। कविता का प्रभाव चिरस्थायी होता है।

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Table of content

  1. कुंवर नारायण का जीवन परिचय
  2. कविता के बहाने कविता का सारांश 
  3. कविता के बहाने कविता 
  4. कविता के बहाने कविता की व्याख्या
  5. कविता के बहाने प्रश्न अभ्यास
  6. बात सीधी थी कविता 

कवि कुंवर नारायण का जीवन परिचय- KAVI KUNWAR NARAYAN JI KA JEEVAN PARICHAY

कवि कुंवर नारायण जी का जन्म उत्तर प्रदेश में 19 सितंबर 1927 को हुआ था। कवि कुंवर नारायण इंटर की परीक्षा पास करने के उपरांत विज्ञान के विषय को लेकर आगे बढ़े। उसके पश्चात फिर वह साहित्य के विद्यार्थी बने और लखनऊ विश्वविद्यालय से उन्होंने 1951 में लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. की उपाधि हासिल की।

एम.ए.की उपाधि हासिल करने के बाद कवि कुंवर नारायण ने ठीक 5 वर्ष बाद 1956 में अपना प्रथम काव्य चक्रव्यू की रचना की उस वक्त कवि की उम्र मात्र 21 वर्ष थी। हिंदी साहित्य जगत में कवि कुंवर नारायण जी का बहुत ही बड़ा एवं महत्वपूर्ण योगदान है। कविताओं के अतिरिक्त कवि कुंवर नारायण सिंह चिंतनपरख लेख, कहानियां और सिनेमा तथा अन्य कलाओं पर भी अपने अनुसार समीक्षा लिखा करते थे।

कवि कुंवर नारायण सिंह अपने व्यापक एवं जटिल रचनाओं के कारण बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। इनकी प्रसिद्धि इस तरह थी कि देश एवं विदेशों में भी इनकी कविताएं एवं कहानियों को विदेशी भाषा में अनुवाद किया जा चुका है।

सम्मान- वर्ष 2005 में कवि कुंवर नारायण जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया एवं राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा 6 अक्टूबर को उन्हें भारत देश के सबसे बड़े साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया।

वर्ष 2009 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।

कविता के बहाने कविता के रचयिता कवि कुंवर नारायण जी हैं। इस कविता को इन दिनों नामक काव्य संग्रह से लिया गया है। कविता के बहाने कविता में एक यात्रा की शुरुआत होती है, जो चिड़िया से लेकर फूल तक जाती है और फूल से लेकर बच्चों तक यह यात्रा भ्रमण करती है।

इस कविता में कुल 3 छंद है। कवि ने प्रस्तुत कविता में चिड़िया, फूल एवं बच्चों से कविता की तुलना करते हुए यह बताने का प्रयास किया है कि हीरो की तरह कविता में भी फर्क होता है, फूल की तरह यह भी खिलते हैं बच्चों की तरह यह भी बिना किसी भेदभाव के ही निर्मित होते हैं लेकिन फिर भी कविता और प्रकृति में थोड़ा सा अंतर है चिड़िया, फूल सब सीमित होते हैं लेकिन कविता कभी भी सीमित नहीं होता है।

कविता के बहाने कविता- KAVITA KE BAHANE POEM 

कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने

बाहर भीतर
इस घर, उस घर

कविता के पंख लया उड़ने के माने
चिडिया क्या जाने?

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर
इस घर, उस घर

बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?

कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने
बाहर भीतर

यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने

बच्चा ही जाने।

कविता के बहाने कविता का भावार्थ- KAVITA KE BAHANE POEM EXPLANATION

कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने

बाहर भीतर
इस घर, उस घर

कविता के पंख लया उड़ने के माने
चिडिया क्या जाने?

भावार्थ- प्रस्तुत काव्य पंक्तियां कवि कुंवर नारायण जी द्वारा रचित कविता के बहाने काव्य से ली गई हैं। इस कविता में कवि कहते हैं कि कवि जो कविताएं लिखता है, वह कविता कल्पना के उड़ान के जैसे होता है। यह उड़ान चिड़ियों की उड़ान जैसी होती है। लेकिन चिड़ियों के उड़ान और कविता के उड़ान में थोड़ा सा फर्क है।

वह अंतर यह है कि चिड़िया जब उड़ती है सीमा में बंधकर उड़ती है। लेकिन कवि कभी भी अपनी रचना किसी भी सीमा में बंधकर नहीं रचता है। कवि अपने कविता में जो पंख लगाकर उड़ता है, उस पंख के बारे में चिड़िया क्या जाने।

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर
इस घर, उस घर

बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?

भावार्थ- कवि फिर अपनी कविता की तुलना फूलों से करते हैं और कहते हैं कि कवि की कविता में जो कल्पना शक्ति होती है वह कल्पना फूलों के जैसे ही खिलती है। लेकिन फूल के खिलने में एक सीमा रहती है और कविता के खिलने में किसी भी प्रकार की कोई सीमा नहीं रहती है।

फूल सुबह खिलता है और शाम तक वह मुरझा जाता है। एक निश्चित समय में फूल खिलते हैं और एक निश्चित समय में ही उसका अस्तित्व भी नष्ट हो जाता है। लेकिन कविता रूपी फूल ना ही किसी विशेष समय में खिलता है और ना ही वह समाप्त होता है। फूल की तुलना कविता के साथ नहीं की जा सकती ऐसा कवि ने बताने का प्रयास किया है।

कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने
बाहर भीतर

यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने

बच्चा ही जाने।

भावार्थ-कवि फिर बच्चों के खेल के विषय में बताते हुए कहते हैं कि जिस तरह से बच्चे कभी भी कुछ भी खेलने लग जाते हैं। उसी तरह कविता भी सीमा बंधी नहीं होती वह कुछ भी लिख सकती है। जिस तरह बच्चे बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ घुल- मिलकर रहते हैं ठीक उसी तरह कविता भी बिना किसी भेदभाव के सभी को अपने कविता में स्थान देकर आगे बढ़ती है और सब को अपना लेती है।

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कविता फूलों के बहाने क्या है?

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कविता के बहाने कवि का नाम क्या है?

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह, भाग-2' में संकलित कविता 'कविता के बहाने' से उद्धृत है। इसके रचयिता कुंवर नारायण हैं। कवि कविता की यात्रा के बारे में बताता है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है।

कविता के बहाने कविता का उद्देश्य क्या है?

'कविता के बहाने' शीर्षक कविता का उद्देश्य क्या है? उत्तर: 'कविता के बहाने' कविता में कवि ने आज के यंत्र प्रधान, भौतिकतावादी वातावरण में भी कविता के महत्व और प्रभाव को स्थापित करना चाहा है। यद्यपि कविता में लोगों की रुचि कम हुई है, फिर भी मानवीय मूल्यों के रक्षण और सामाजिक समरसता की दृष्टि से कविता आज भी प्रासंगिक है।

कविता के बहाने में कौन सा रस है?

'कविता बिना मुरझाए सदियों तक महकती रहती है T इसका आशय क्या है? (अ) कविता कालजयी है (ब) कविता का प्रभाव सदियों तक बना रहता है