कंस पिछले जन्म में क्या था? - kans pichhale janm mein kya tha?

धर्म डेस्क, अमर उजला, नई दिल्ली Published by: ज्योति मेहरा Updated Wed, 17 Aug 2022 12:36 PM IST

janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले ही अगर किसी को उनसे भय था, तो वह उनका मामा कंस था। असल में, कंस न ही तो एक राक्षस था, न ही कोई असुर या दानव। लेकिन कंस को लेकर जो भविष्यवाणी हुई थी कि, उनकी बहन देवकी का एक पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इसकी वजह से वह दहशत में रहने लगा था। इस कहानी के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कंस पिछले जन्म में क्या था? कंस की मृत्यु कैसे हुई थी? आज हम आपको श्रीकृष्ण के मामा कंस के बारे में दस ऐसी खास बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

कंस अपने पिछले जन्म में 'कालनेमि' नाम का एक असुर था, जिसका वध भगवान विष्णु ने किया था। कालनेमि के पिता का नाम विरोचन था। कालनेमि ने देवासुर संग्राम में भगवान हरि पर अपने सिंह पर बैठे-बैठे ही बड़े वेग से त्रिशूल चलाया। लेकिन हरि ने उस त्रिशूल को पकड़कर, उसी त्रिशूल से वाहन समेत उसको मार डाला।

1. इसी कालनेमि ने उग्रसेन के यहां कंस के रूप में जन्म लिया। कंस शूरसेन जनपद के राजा उग्रसेन का पुत्र और श्री कृष्ण का मामा था। उस काल में अंधक, अहीर, भोज, स्तवत्ता, गौर जैसे 106 कुलों को मिलाकर यादव गणराज्य कहलाता था। उग्रसेन यदुवंशीय राजा आहुक के पुत्र थे, जिनके नौ पुत्र और पांच पुत्रियां थी और कंस इन भाइयों में सबसे बड़ा था।
 

2. कहा जाता है कि कंस अपने पिता को राज पद से हटाकर स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा था। उसने अपने पिता उग्रसेन को जेल में डाल दिया था। बता दें मथुरा भी शूरसेन जनपद के अंतर्गत ही आता है। इतना ही नहीं कंस के अपने काका शूरसेन को भी राज पद से हटाकर मथुरा को अपने अधीन कर लिया था। कंस प्रजा को पीड़ित करने लगा। इससे पहले शूरसेन का मथुरा पर राज था।  
 

3. कंस ने आर्यावर्त के तत्कालीन सर्वप्रतापी राजा और मगध के विशाल साम्राज्य का शासक जरासंध की पुत्री से विवाह किया था, जिससे उसकी शक्तियां और भी बढ़ गईं। जरासंध पौरव वंश का था, जिसने कंस के साथ 'अस्ति' और 'प्राप्ति' नाम की अपनी दो पुत्री का विवाह कर दिया था।
 

4. कंस ने अपने आस पास के राजाओं से भी काफी अच्छे संबंध बना रखे थे। कंस ने उत्तर-पश्चिम में कुरुराज दुर्योधन को अपना सहायक बनाया हुआ था। वहीं जरासंध ने चेदि के यादव वंशी राजा शिशुपाल को गहरा मित्र बना लिया था। शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण की बुआ का बेटा था, जिसकी आस्था कंस के प्रति भी थी। इसके अलावा र्वोत्तर की ओर असम के राजा भगदन्त से भी जरासंध के कारण कंस ने मित्रता जोड़ी हुई थी।
 

नई दिल्लीः Secrets Of Mama Kansa Happy Janmashtmi 2021: देशभर में इस वक्त जन्माष्टमी की धूम है, और अब कान्हा के जन्म का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है. इस मौके पर उनकी जन्मभूमि मथुरा के तो कहने ही क्या, वो तो सज-धज के अपने कन्हैया की राह देख रही है. मथुरा की बात होती है तो याद आती है वो जेल जहां कान्हा का जन्म हुआ और याद आते हैं मामा कंस.

जिसके पाप से धरती को मुक्त कराने भगवान विष्णु धरती पर अवतार लेकर आए थे. लेकिन, रुकिए, क्या आप कंस को सिर्फ कृष्णा जी का मामा ही जानते हैं? देवकी मां के वे छह बेटों कौन थे, जिन्हें कंस ने मार दिया. इन प्रसंगों के पीछे बड़ा रहस्य छिपा है.

कंस का पूर्व जन्म
पौराणिक कथाओं में कृष्ण भगवान के साथ ही कंस मामा के पैदा होने का रहस्य भी बताया जाता है. असल में कंस अपने पिछले जन्म एक राक्षस था. जिसका नाम था कालनेमि. एक बार देवासुर संग्राम हुआ.

इस दौरान भगवान विष्णु ने कालनेमि का वध कर दिया. लेकिन श्रीहरि ने कहा, कालनेमि मरा नहीं है, सिर्फ उसका एक जन्म समाप्त हुआ है. वह पहले भी असुर रूप में जन्म ले चुका है और आगे भी असुर बन कर पैदा होगा.

उग्रसेन का नहीं था पुत्र
इस घटना के हजारों वर्षों बाद द्वापर युग में महाराज उग्रसेन और उनकी पत्नी पवनरेखा के घर कंस का जन्म होता है. कंस के पिता भले ही उग्रसेन हैं, लेकिन कथाओं के अनुसार वह उनका पुत्र नहीं था. हुआ यूं कि एक बार रानी पवनरेखा विवाह के बाद अपने मायके गई थीं. एक दिन उन पर एक गंधर्व की नजर पड़ गई और वह उन पर मोहित हो गया.

इसके बाद गंधर्व ने माया फैलाकर रानी पवनरेखा को अपने वश में कर लिया. इसके कुछ दिन बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया. यही पुत्र कंस था और इसके आसुरी प्रभाव बचपन से ही दिखने लगे थे. बड़ा होते-होते कंस अत्याचारी और घमंडी होता चला गया.

गर्भ देवकी का, पुत्र कंस के?
इसके बाद कंस को आकाशवाणी में अपनी मौत का रहस्य पता चला, इसके बाद उसने देवकी-वसुदेव को कारागार में डाल दिया. अब कहानी नए मोड़ पर आती है. दरअसल, कंस आठवें पुत्र के इंतजार में देवकी के सभी पुत्रों की हत्या करता जा रहा था. एक-एक करके उसने छह पुत्रों की हत्या कर दी थी.

कंस पिछले जन्म में क्या था? - kans pichhale janm mein kya tha?

ये छह पुत्र भी साधारण नहीं थे, कृष्ण कथा के साथ इनका भी रहस्य जुड़ा है. दरअसल, ये कंस की ही संतानें थीं. अब आप चौंक जाएंगे कि कंस के पुत्र और बहन के गर्भ से.... है न चौंकाने वाली बात?

इसलिए की छह पुत्रों की हत्या
ये कहानी भी कंस के पूर्व जन्म कालनेमि से जुड़ी है. दरअसल राक्षस कालनेमि के छह पुत्र थे, लेकिन वह अपने पिता की तरह राक्षसी विचार वाले नहीं थे. उन्होंने ब्रह्मा-विष्णु की तपस्या की. इस बात से नाराज होकर राक्षस हिरण्यकशिपु ने उन्हें श्राप दे दिया. उसने कहा कि जिस पिता ने तुम्हें पालकर बड़ा किया, तुम उसका ही विद्रोह कर रहे हो, तुम्हें तुम्हारा यही पिता पटककर मार डाले तो अच्छा.

कालनेमि उस जन्म में तो उन्हें मार नहीं सकता था, इसलिए जब वह कंस बनकर जन्मा तब द्वापर में इन्हीं छह पुत्रों ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया. तपस्या के फल के कारण वह भगवान विष्णु के भाई बने और परमधाम को गए.

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कंस अपने पूर्व जन्म में कौन था?

कंस अपने पिछले जन्म में 'कालनेमि' नाम का एक असुर था, जिसका वध भगवान विष्णु ने किया था। कालनेमि के पिता का नाम विरोचन था। कालनेमि ने देवासुर संग्राम में भगवान हरि पर अपने सिंह पर बैठे-बैठे ही बड़े वेग से त्रिशूल चलाया। लेकिन हरि ने उस त्रिशूल को पकड़कर, उसी त्रिशूल से वाहन समेत उसको मार डाला।

कंस के मरने के बाद क्या हुआ?

कंस को मारने के बाद देवकी तथा वसुदेव को मुक्त किया और उन्होंने माता-पिता के चरणों में वंदना की। 10. कंस का वध करने के पश्चात कृष्ण और बलदेव ने कंस के पिता उग्रसेन को पुन: राजा बना दिया। उग्रसेन के 9 पुत्र थे, उनमें कंस ज्येष्ठ था।

कंस गोकुल क्यों नहीं जाता था?

कंस के भाइयों को नाम न्यग्रोध, सुनामा, कंक, शंकु, अजभू, राष्ट्रपाल, युद्धमुष्टि और सुमुष्टिद था। बहनें कंसा, कंसवती, सतन्तू, राष्ट्रपाली और कंका थीं। 3. कंस ने अपने पिता उग्रसेन को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था और स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा।

क्या कंस राक्षस था?

असल में कंस अपने पिछले जन्म एक राक्षस था. जिसका नाम था कालनेमि. एक बार देवासुर संग्राम हुआ. इस दौरान भगवान विष्णु ने कालनेमि का वध कर दिया.