अगर आप गेहूं की खेती करने की सोच रहे हैं तो ऐसे में हम आपको गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट व रोगों की पहचान और फसल प्रबंधन के बारे में जानकारी देंगे... Show
गेहूं की फसल में कीट व रोगों की प्रकोप की वजह से बढ़वार कम होने के साथ ही कल्ले भी कम निकलते हैं. इसलिए सही वक्त पर इनकी पहचान कर समुचित फसल प्रबंधन करना बेहद जरूरी होता है. जिससे उपज पर कोई प्रभाव न पड़ें. ऐसे में आइये आज हम आपको
गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट व रोगों की पहचान और फसल प्रबंधन के बारे में विस्तृत रूप में जानकारी देते है- दीमक (Termite)दीमक सफेद मटमैले रंग का बहुभक्षी कीट है जो कालोनी बनाकर रहते हैं. बलुई दोमट मृदा, सूखे की स्थिति में दीमक के प्रकोप की सम्भावना ज्यादा रहती है. ये कीट जम रहे बीजों को व पौधों की जड़ों को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं. ये पौधों को रात में जमीन की सतह से भी काटकर हानि पहुंचाती है. प्रभावित पौधे अनियमित आकार में कुतरे हुए दिखाई देते हैं. रोकथाम
माहॅू (Maahu)यह पंखहीन अथवा पंखयुक्त हरे रंग के चुभाने एवं चूसने वाले मुखांग वाले छोटे कीट होते है. कीट के शिशु तथा प्रौढ़ पत्तियों तथा बालियों से रस चूसते हैं तथा मधुश्राव भी करते हैं जिससे काले कवक का प्रकोप हो जाता है तथा प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधित होती है. रोकथाम
गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग (Major diseases in wheat crop)1- पत्ती धब्बा रोगइस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में पीले व भूरापन लिये हुए अण्डाकार धब्बे नीचे की पत्तियों पर दिखाई देते है बाद में धब्बो का किनारा कत्थई रंग का तथा बीच में हल्के भूरे रंग का हो जाता है. रोकथाम
2- करनाल बन्टइस रोग में दाने आंशिक रूप से काले चूर्ण में बदल जाते है यह रोग संक्रमित /दूषित बीज तथा भूमि द्वारा फैलता है. रोकथाम
3- गेरूई या रतुआ रोगगेरूई भूरे, पीले अथवा काले रंग की होती है. फफूंदी के फफोले पत्तियों पर पड़ जाते है जो बाद में बिखर कर अन्य पत्तियों को ग्रसित कर देते है. रोकथाम
4- अनावृत्त कंडुआ रोगइस रोग में बालियों में दाने के स्थान पर काला चूर्ण बन जाता है बाद में रोग जनक के असंख्य बीजाणु हवा द्वारा फैलते है और स्वस्थ बालियों में फूल आते समय उनका संक्रमण करते है. रोकथाम
English Summary: wheat major pests and diseases: Identification of major pests and diseases in wheat crop and crop management Published on: 31 December 2019, 12:05 IST कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है। आप हमें सहयोग जरूर करें (Contribute Now) गेहूं की फसल में कौन सा कवक रोग पाया जाता है?गेहूँ का पर्ण झुलसा रोग या लीफ ब्लाइट रोग
यह रोग मुख्यत: बाईपोलेरिस सोरोकिनियाना नामक कवक से पैदा होता है। यह रोग सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है लेकिन इस रोग का प्रकोप नम तथा गर्म जलवायु वाले उत्तर पूर्वी क्षेत्र में अधिक होता है।
गेहूं में कौन कौन सी बीमारी लगती है?गेहूं के रोगों की पहचान एवं नियंत्रण. गेहूं का उत्पादन. पीला रतुआ. भूरा रतुआ. काला रतुआः यह 'पक्सीनिया ग्रैमिनिस. खुला कंड. पर्ण झुलसा. सिरियल सिस्ट निमेटोड. गेहूं की फसल पीली क्यों पड़ रही है?कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल में खाद की कमी तथा अधिक समय तक पानी खड़ा रहने से फसल में पीलापन जाता है। इसलिए किसान विशेषज्ञों से सलाह लेकर उचित मात्रा में खाद का प्रयोग करें। मौसम में हो रहे बदलाव से जहां लोगों को सर्दी से कुछ राहत मिली है।
गेहूं की रस्ट नामक रोग का वाहक क्या है?" गेहूं का पीला रतुआ, जिसे गेहूं का धारीदार रतुआ रोग भी कहते हैं, 'पुसीनिया' नामक फफूंद के कारण होता है। यह फफूंद अक्सर ठंडे क्षेत्रों, जैसे- उत्तर-पश्चिमी मैदानी और उत्तर के पहाड़ी इलाकों में उगाए जाने वाले गेहूं की प्रजातियों में पाया जाता है।"
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