कान में सीटी की आवाज सुनाई देना - kaan mein seetee kee aavaaj sunaee dena

बिना किसी बाहरी आवाज के कान में सीटी या घंटी बजने जैसी आवाज का आना टिनिटस कहलाता है। ज्यादातर मामलों में इसका कोई गंभीर कारण नहीं होता लेकिन कई बार यह ट्यूमर से भी हो सकता है। शांत वातावरण में यह परेशानी ज्यादा महसूस होती है क्योंकि व्यस्तता और शोरगुल वाले स्थान पर इस समस्या पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता। यह तकलीफ ज्यादातर एक कान में होती है लेकिन कई बार यह दोनों कान को भी प्रभावित कर सकती है।

कई लोगों में शांत वातावरण में बैठे होने और किसी तरह का बाहरी शोर नहीं होने पर भी कानों में आवाज गूंजने की समस्या होती है। कानों में सीटी बजने जैसी आवाज आना एक बीमारी है। कुछ लोग इसे बोलचाल की भाषा...

कान में सीटी की आवाज सुनाई देना - kaan mein seetee kee aavaaj sunaee dena

Manju

कान में सीटी की आवाज सुनाई देना - kaan mein seetee kee aavaaj sunaee dena
Wed, 22 Jan 2020 01:22 PM

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कई लोगों में शांत वातावरण में बैठे होने और किसी तरह का बाहरी शोर नहीं होने पर भी कानों में आवाज गूंजने की समस्या होती है। कानों में सीटी बजने जैसी आवाज आना एक बीमारी है। कुछ लोग इसे बोलचाल की भाषा में कान बजना भी कहते हैं। 

यह आम समस्या नहीं है, बल्कि टिनिटस नाम की बीमारी है। इस बीमारी में कानों के अंदर बिना किसी कारण आवाज सुनाई देती है। हालांकि यह समस्या स्थाई नहीं होती, लेकिन सही उपचार न किए जाने पर लंबे समय तक और लगातार परेशानी का कारण बन सकती है। 
यह समस्या कभी भी पैदा हो सकती है और खास बात यह है कि कई बार अपने आप ही ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ गंभीर मामलों में यह सुनने की क्षमता पर असर डालती है।

अगर कोई व्यक्ति टिनिटस यानी कान बजने का शिकार हो गया है तो उन्हें उन लक्षणों को पहचानना होगा, क्योंकि कई बार लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जिससे बीमारी लंबे समय चलती है। 

इस बीमारी का सामान्य लक्षण है कि कान में तेजी से घंटियां बजती हैं और तेज सिरदर्द होता है। इसके अलावा कान में झनझनाहट होती है। कान बजने की तीव्रता घटती-बढ़ती रहती है।

टिनिटस के सामान्य कारणों में कान में मैल हो जाना, कान में पस पड़ना, गंभीर चोट या संक्रमण के कारण कान के पर्दे में छेद होना या फिर लगातार तेज आवाज सुनने के कारण कान में क्षति हुई हो। 

एक अन्य कारण में बढ़ती उम्र के कारण सुनने की क्षमता पर असर है। वैसे सर्दी के मौसम में फ्लू या इन्फेक्शन के कारण नाक बंद हो जाती है, इससे कान पर दबाव पड़ता है और यह भी कान बजने का एक कारण है। 

कान बजने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिनमें हाई बीपी, कम या अधिक सक्रिय थायराइड ग्रंथि, डायबिटीज, एनीमिया, अपने आसपास कोई बड़ा विस्फोट या गोलियों की जोर से आवाज सुनना जैसे कारण शामिल हैं।

डॉ. अभिषेक गुप्ता का कहना है कि कुछ महत्वपूर्ण सवालों के आधार पर इसके गंभीर कारणों का पता लगाया जा सकता है जैसे, सुनाई देने वाली आवाज लगातार आ रही है या रुक रुककर, सुनाई दे रहा है या नहीं, चक्कर तो नहीं आ रहे, कान के पास दर्द और जबड़े के चटखने की आवाज या कान के पास कभी चोट लगी हो। 
इस दौरान कुछ टेस्ट किए जाते हैं जिसमें कान, सिर, गर्दन या धड़ का संपूर्ण परीक्षण, सुनने की क्षमता की जांच, ब्लड टेस्ट, कान में ट्यूमर या अन्य स्थिति की जांच के लिए सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन कराना शामिल है।

बीमारी की गंभीरता के आधार पर इसका उपचार है। समस्या हल्की या पिछले कुछ समय से ही हो तो अपने आप ठीक हो जाती है। इस बीमारी के रोगियों को साउंड थेरेपी दी जाती है।  कुछ विशेष मामलों में ही सर्जिकल उपचार दिया जाता है। नसों से जुड़ी समस्याएं या कान में ट्यूमर की स्थिति में ही यह उपचार दिया जाता है।

इस बीमारी के शिकार होने का जोखिम कुछ परिस्थितियों में तब बढ़ जाता है जब जहां आप काम करते हैं वहां लगातार शोर हो। हेडफोन का अधिक इस्तेमाल, अत्यधिक धूम्रपान भी जोखिम के कारक होते हैं। इससे बचाव के लिए तेज आवाज के संपर्क में आने से बचें। कान में लगाकर इस्तेमाल करने वाले उपकरणों की आवाज धीमी रखें।

दरअसल, तेज आवाज की वजह से हमारे कान के अंदरुनी हिस्से में एक स्पाइरल शेप का अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिसे कोक्लिया (Cochlea) कहा जाता है। तेज साउंड के संपर्क में सिर्फ एक बार आने से भी कान में आवाज आने की समस्या हो सकती है। इसीलिए, जब हमारे कान के पास कोई तेज आवाज सुनाई देती है या कान पर किसी भी वजह से कोई चीज लगती है, तो हमें कान में सीटी बजने जैसी आवाज सुनाई देने लगती है।

इन लोगों में ज्यादा हो सकता है बहरापन

तेज साउंड की वजह से होने वाले बहरेपन का खतरा सबसे ज्यादा कारपेंटर, पायलट, रॉक म्यूजिशियन, स्ट्रीट रिपेयर वर्कर या गन व तेज आवाज डिवाइस के साथ काम करने वालों को ज्यादा होता है। इस वजह से निम्नलिखित लोगों को काफी टाइम तक ऐसी जगह कार्य करते रहने की वजह से आगे चलकर कम सुनाई देना शुरू हो जाता है। हालांकि, इसके अलावा कान में आवाज आने की समस्या बूढ़े लोगों में होने वाले बहरेपन की भी निशानी होती है। कान बजने की समस्या कुछ दवाओं का सेवन शुरू करने या रोकने की वजह से भी होती है और विशेषज्ञों ने ऐसी 200 दवाओं को चिन्हित किया है, जो कि इस समस्या का कारण बनती हैं।

कान में आवाज आने की वजह क्या है?

कान में आवाज आने का मुख्य स्रोत न्यूरल सर्किट (ब्रेन सेल्स का नेटवर्क) होता है, जिसकी वजह से हमें किसी भी तरह की आवाज सुनने का आभास होता है। इसका मतलब यह है कि, जिस समस्या को हम कान से जोड़कर देखते हैं, वो दरअसल दिमाग से जुड़ी होती है। कान में आवाज आने के दिमागी कारण के पीछे वैज्ञानिकों के बीच अभी भी मतभेद बना हुआ है। कुछ लोगों को लगता है टिनिटस क्रोनिक पेन सिंड्रोम की तरह ही होता है, जिसमें किसी घाव या टूटी हड्डी के जुड़ जाने के बाद भी दर्द रहता है। इसके अलावा, अंदरुनी कान के क्षतिग्रस्त होने की वजह से ऑडिटरी सिस्टम को भेजे जा रहे साउंड के सिंग्नल का न्यूरल सर्किट द्वारा संतुलन बिगड़ जाने से भी कान में आवाज आने की समस्या हो सकती है।

कान में सीटी की आवाज आए तो क्या करें?

इससे पहले की आपके सुनने की क्षमता कम हो जाए, हाई वॉल्यूम पर गाना सुनना या टीवी देखना कम कर दें। विशेषज्ञ कहते हैं कि लंबे समय तक तेज म्यूजिक या आवाज सुनने से टिनीटिस हो सकता है। इसलिए जब भी आप ईयरफोन या हेडफोन लगाकर काम करें , तो वॉल्यूम को एक नंबर पर सेट कर लें।

टिनिटस कितने दिन में ठीक होता है?

मरीजों को परामर्श सत्र दिए जाते हैं ताकि वे tinnitus की ध्वनि को अवचेतन स्तर पर सामान्य स्थिति के रूप में देखें तथा उससे परेशान न हो । यह उपचार काफ़ी प्रभावी माना जाता है । हालाँकि इसके उचित परिणाम मिलने के लिए इसका कम से कम 12-18 महीने तक पालन करना जरुरी होता है ।

कान में सनसनाहट होने से क्या होता है?

आप जानते हैं कि कानों में होने वाली ये सनसनाहट कुछ और नहीं है बल्कि कानों का इंफेक्शन हो सकता है. इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे खतरनाक टिटनेस की बीमारी का भी जोखिम बढ़ सकता है. कानों में इंफेक्शन के कारण बुखार भी आ सकता है. सीडीसी डॉट गॉव वेबसाइट के मुताबिक कानों में दो तरह के इंफेक्शन होते हैं.

कान में कट कट की आवाज क्यों आती है?

कान में आनेवाली आवाज तनाव और नस में ब्लड सर्कुलेशन न होने के कारण होता है। इसलिए अगर ऐसा होता है तो देर न कर जल्द चिकित्सक का परामर्श लें। अगर कान में सांय- सायं की आवाज के साथ चक्कर व बहरापन हो तो अतिशीघ्र चिकित्सक से परामर्श लें।