कलकत्ता के नाम पर कलंक क्या था? - kalakatta ke naam par kalank kya tha?

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।

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इस पंक्ति का आशय यह है कि इस आंदोलन के पहले यह कहा जाता था कि कलकत्तावासी देश के लिए अधिक कार्य नहीं करते हैं और यह बात यहाँ के निवासियों के लिए एक कलंक के समान थी परन्तु 26 जनवरी 1931 के दिन को यादगार और अपूर्व बनाकर कलकत्तावासियों ने इस कलंक को पूरी तरह से धो दिया। हजारों स्त्री पुरूषों ने जुलूस में भाग लिया, आज़ादी की सालगिरह मनाने के लिए बिना किसी डर के प्रदर्शन किया। पुलिस के बनाए कानून कि, जुलूस आदि गैर कानूनी कार्य, आदि की भी परवाह नहीं की। पुलिस की लाठी चार्ज होने पर लोग घायल हो गए। खून बहने लगे परन्तु लोगों में जोश की कोई कमी नहीं थी।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिये-
पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों और मैदानों को क्यों घेर लिया था?


आज़ादी मनाने के लिए पूरे कलकत्ता शहर में जनसभाओं और झंडारोहण उत्सवों का आयोजन किया गया। पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को लोगों को स्वतंत्रता दिवस मनाने से रोकने के लिए घेर लिया था।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिये-
सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था? 


सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था किन्तु पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिये-
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू का झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?


बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और लोगों पर लाठियाँ चलाई और उनके साथ आए लोगों को मार-पीटकर उस जगह से हटा दिया गया। 

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिये-
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?


लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर अपनी देशभक्ति का प्रमाण बताना चाहते थे कि वे अपने को आज़ाद समझ कर आज़ादी मना रहे हैं। उनमें जोश और उत्साह है।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिये-
कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था?
 


26 जनवरी 1930 को गुलाम भारत में पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था जिसमे बंगाल वासियों की भूमिका नहीं थी। 26 जनवरी 1931 को उसकी पुनरावृत्ति थी परन्तु इस बार कलकत्ता में इसकी तैयारियाँ जोरो पर थी। इसीलिए कलकत्ता वासियों के लिए यह दिन महत्वपूर्ण था।

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इसका आशय है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए इतना बड़ा आंदोलन बंगाल या कलकत्ता में नहीं हुआ था। यहाँ के विषय में लोगों के मन में जोश नहीं था, यह बात कलकत्ता के माथे पर कलंक थी। लेकिन इसे 26 जनवरी, 1931 को हुई स्वतंत्रता संग्राम की पुनरावृत्ति ने धो दिया। इस संग्राम में लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था और लोग जेल भी गए। लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना का संचार हो चुका था।

Question

आशय स्पष्ट कीजिए −आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।

Solution

हजारों स्त्री पुरूषों ने जुलूस में भाग लिया, आज़ादी की सालगिरह मनाने के लिए बिना किसी डर के प्रदर्शन किया। पुलिस के बनाए कानून कि, जुलूस आदि गैर कानूनी कार्य, आदि की भी परवाह नहीं की। पुलिस की लाठी चार्ज होने पर लोग घायल हो गए। खून बहने लगे परन्तु लोगों में जोश की कोई कमी नहीं थी। बंगाल के लिए कहा जाता था कि स्वतंत्रता के लिए बहुत ज़्यादा योगदान नहीं दिया जा रहा है। आज की स्थिति को देखकर उन पर से यह कंलक मिट गया।

डायरी का एक पन्ना

सीताराम सेकसरिया

NCERT Exercise

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए:

प्रश्न 1: कलकत्तावासियों के लिए २६ जनवरी १९३९ का दिन क्यों महत्वपूर्ण था?

उत्तर: २६ जनवरी १९३९ को कलकत्तावासी महात्मा गाँधी द्वारा घोषित आजादी की दूसरी सालगिरह मना रहे थे। इसलिए वह दिन उनके लिए महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 2: सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?

उत्तर: सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था।


Chapter List

  • कबीर
  • मीरा
  • बिहारी
  • मनुष्यता
  • पर्वत प्रदेश में प्रवास
  • मधुर मधुर मेरे दीपक
  • तोप
  • कर चले हम फिदा
  • आत्मत्राण
  • बड़े भाई साहब
  • डायरी का एक पन्ना
  • तताँरा वामीरो कथा
  • गिरगिट
  • दूसरे के दुख से दुखी
  • पतझर में टूटी पत्तियाँ
  • कारतूस

प्रश्न 3: विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर: विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू को पुलिस ने पकड़ लिया तथा और लोगों को मारा और भगा दिया।

प्रश्न 4: लोग अपने अपने मकानों तथा सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर क्या संकेत देना चाहते थे?

उत्तर: लोग अपने-अपने मकानों तथा सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर आजादी की भावना का संकेत देना चाहते थे।

प्रश्न 5: पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?

उत्तर: पुलिस बड़े पार्कों तथा मैदानों को घेरकर ज्यादा लोगों के जमाव को रोकना चाहती थी, जिससे माहौल नियंत्रण में रहे।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर २५ – ३० शब्दों में लिखिए:

प्रश्न 6: २६ जनवरी १९३९ को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गई थी?

उत्तर: २६ जनवरी १९३९ को अमर बनाने के लिए मुख्य कार्यकर्ताओं ने अधिक से अधिक लोगों को जुटाने की पूरी तैयारी की थी। इसके साथ ही जन-जन तक आजादी की भावना को पहुँचाने की कोशिश की थी। हर गली और हर मोहल्ले में जबरदस्त सजावट की गई थी। हर तरफ का माहौल जोश से भरा हुआ लगता था।

प्रश्न 7: ‘आज जो बात थी वह निराली थी’ किस बात से पता चल रहा है कि आज का दिन निराला था? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: लोगों की तैयारी और उनका जोश देखते ही बनता था। एक तरफ पुलिस की पूरी कोशिश थी कि स्थिति उनके काबू में रहे, तो दूसरी ओर लोगों का जुनून पुलिस की कोशिश के आगे भारी पड़ रहा था। हर पार्क तथा मैदान में भारी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। जोश भरा माहौल बता रहा था कि वह दिन वाकई निराला था।

प्रश्न 8: पुलिस कमिश्नर के नोटिस और काउंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?

उत्तर: पुलिस कमिश्नर की नोटिस सभा और आजादी के जश्न को रोकने के लिए थी। दूसरी तरफ काउंसिल की नोटिस लोगों का आह्वान कर रही थी कि वे भारी संख्या में आकर आजादी का उत्सव मनाएँ। दोनों नोटिस एक दूसरे के विरोधाभाषी थे।

प्रश्न 9: धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?

उत्तर: धर्मतल्ले के मोड़ पर पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ लिया तथा लाठी भी चलाई। कुछ लोग आगे बढ़ने में कामयाब हो गये। इस तरह वहाँ पर आकर जुलूस टूट गया।

प्रश्न 10: डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देखभाल तो कर ही रहे थे, उनकी फोटो भी उतरवा रहे थी। फोटो उतारने की क्या वजह हो सकती है?

उत्तर: फोटो उतरवाने का एक ही मकसद हो सकता है। प्रेस में घायलों की फोटो जाने से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के स्वाधीनता संग्राम को प्रचार मिल सकता था। इसके साथ ही सरकार द्वारा अपनाई गई बर्बरता को भी दिखाया जा सकता था।


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ५० – ६० शब्दों में लिखिए:

प्रश्न 11: सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?

उत्तर: सुभाष बाबू के जुलूस में सुभाष बाबू को तो शुरु में ही पकड़ लिया गया था। उसके बाद स्त्रियों ने पूरी तरह से जुलूस को आगे बढ़ाने का जिम्मा ले लिया था। धर्मतल्ले के मोड़ पर ५० – ६० स्त्रियों ने धरना दे दिया। आखिर में करीब १०५ स्त्रियाँ पकड़ी गईं। जिस तरह से स्त्रियों ने जुलूस के तितर बितर होने के बाद भी मामले को आगे बढ़ाया उससे साफ जाहिर होता है कि स्त्रियों ने बखूबी उस दिन अपना योगदान दिया था।

प्रश्न 12: जुलूस के लालबाजार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?

उत्तर: लालबाजार आने पर ज्यादातर लोगों पर लाठियाँ चलाई गई। अधिकाँश लोगों को पकड़ लिया गया। बहुत से लोग घायल हुए। इस तरह से वहाँ पर जाकर जुलूस समाप्त हो गया।

प्रश्न 13: “जब से कानून भंग का काम शुरु हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए एक ओपन लड़ाई थी”। यहाँ पर कौन से और किसके कानून के भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर: प्रस्तुत कथन में अंग्रेजों द्वारा लगाए गए प्रतिरोध को भंग करने की बात की गई है। पाठ में जिस तरह से आजादी के जोश का चित्रण हुआ है उससे स्पष्ट होता है कि उस माहौल में कानून भंग करना उचित था।

प्रश्न 14: बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉक-अप में रखा गया, बहुत सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपाके विचार में ये सब अपूर्व क्यों है?

उत्तर: जैसा कि आखिरी पारा में वर्णन किया गया है, इसके पहले कलकत्ता में इतने बड़े पैमाने पर आजादी की लड़ाई में लोगों ने शिरकत नहीं की थी। उस दिन जनसमूह का बड़ा सैलाब कलकत्ता की बुरी छवि को कुछ हद तक धोने में कामयाब होता दिख रहा था। इसलिए लेखक को वह दिन अपूर्व लग रहा था।


निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 15: आज जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।

उत्तर: उस सभा के पहले कलकत्ता में पहले कभी लोगों ने इतना बढ़ चढ़ कर स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा नहिं लिया था। इस कारण से कुछ लोग हमेशा कलकत्ता पर यह आरोप लगाते थे कि वहाँ के लोग गुलामी को ही पसंद करते हैं। लेकिन उस दिन जो कुछ हुआ उससे कलकत्ता के नाम पर लगा दाग धुलने में बहुत सहायता मिली होगी।

प्रश्न 16: खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।

उत्तर: पुलिस और प्रशासन के मना करने के बावजूद लोगों ने उस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। नौकरी जाने की परवाह किये बिना कई सरकारी मुलाजिमों ने भी अपनी शिरकत की इसलिए कहा गया है कि खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।


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कोलकाता के नाम पर कलंक क्या था?

बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया। 2.

कोलकाता का पुराना नाम क्या है?

कलकत्ता , जिस हलचल वाले महानगर में मैं पैदा हुआ था, कभी ब्रिटिश राज का पहला शहर था, 2001 में पहले ही कोलकाता के रूप में खुद को फिर से नाम दिया गया था।

कोलकाता वासियों के माथे पर क्या कलंक था और उन्होंने उसे किस प्रकार मिटाया?

कलकत्तावासियों पर कलंक था कि वह देश की आज़ादी के प्रति सजग नहीं है। 26 जनवरी को उन्होंने स्वतंत्रता दिवस मनाकर और आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेकर यह कलंक धो दिया।