कहानी के तत्व -कथानक, पात्र एवं चरित्र चित्रण,कथोपकथन,वातावरण,भाषा-शैली उद्देश्य Show
कहानी के तत्व का अर्थ , कहानी के तत्वों का उल्लेख कीजिएमूल्यांकन की दृष्टि से कहानी के कुछ तत्व निर्धारित किये गये हैं। समीक्षकों ने कथा साहित्य के रूप में उपन्यास और कहानी को एक समान मानकर मापदण्ड की एक ही पद्धति अपनाई है, और उपन्यास की भाँति कहानी के भी छः तत्व माने हैं: 1 कथानक- कथानक का अर्थ
कथानक का उदाहरण
2 पात्र एवं चरित्र चित्रण
पात्र एवं चरित्र चित्रण का उदाहरण
3 कथोपकथन
कथोपकथन का उदाहरण
4 वातावरण
5 भाषा-शैली
6 उद्देश्य
कथाकार और समीक्षक 'बटरोही' ने कहानी के केवल दो तत्व बताए
बहुत बार कहानीकार के अलावा कहानी में कोई दूसरा पात्र नहीं होता। इस विधा के दो निम्नलिखित रचना-तत्व हैं :
'कथा- तत्व' से आशय
'संरचना - तत्व'
दोपहर का भोजन कहानी का मूल विषय क्या है?अमरकांत ने बाल साहित्य भी लिखा है। इस पुस्तक के लिए उनकी कहानी दोपहर का भोजन ली गई है। सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियाँ या ज़मीन पर चलते चींटे-चींटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी है।
दोपहर का भोजन कहानी में लेखक क्या संदेश देना चाहता है?उद्देश्य - 'दोपहर का भोजन' कहानी के माध्यम से लेखक ने निम्न मध्यवर्गीय परिवार की आर्थिक-विपन्नता एवं उसके कारण दयनीय हालत को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करना चाहा है, जिसमें उसे पर्याप्त सफलता भी मिली है।
दोपहर का भोजन कहानी के पात्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए आप कहानी के किस पात्र से सर्वाधिक प्रभावित हुए और क्यों?'दोपहर का भोजन' कहानी में कुल पांच पात्र हैं / सिद्धेश्वरी, चन्द्रिका प्रसाद, रामचंद्र, मोहन और प्रमोद | सिद्धेश्वरी इस कहानी की मुख्य पात्र है। दोपहर का समय है, सिद्धेश्वरी रोटी और पनियाई दाल बना रखी है ।
दोपहर का भोजन पाठ की विद्या कौन सी है?1995 से 2002 प्रतिबच्चा 3 कि0 ग्रा0 अन्न प्रतिमाह वितरित किया गया था। 2003 से 2004 10 जिलों के (30 प्रखण्डों) 2532 विद्यालयों में प्रयोग के तौर पर तैयार भोजन का वितरण। 1 जून 2005 से तैयार भोजन व्यवस्था का सर्वव्यापीकरण एवं वर्ग के सभी बच्चों के लिए लागू।
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