कभी अपनी मातृभूमि को अपना सब कुछ समर्पित क्यों करना चाहते हैं? - kabhee apanee maatrbhoomi ko apana sab kuchh samarpit kyon karana chaahate hain?

'हमारी मातृभूमि के प्रति जिम्मेदारी है'

बिजनौर : हमारी मातृभूमि हमारे देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि मन, कर्म एवं वचन से राष्ट्रहित के

बिजनौर : हमारी मातृभूमि हमारे देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि मन, कर्म एवं वचन से राष्ट्रहित के कार्य करें। आधुनिकता की दौड़ में हम सब अपने दायित्वों का पालन सही तरीके से करने से भूल जाते हैं। राष्ट्र के जो भी संसाधन हैं, चाहे प्रकृतिक हो अथवा कृत्रिम सभी का उचित ध्यान रखें। हम कोई भी ऐसा कार्य न करें,जिससे इन संसाधनों का दुरुपयोग हो।

-शुचि शिक्षिका, मिलेनियम पब्लिक स्कूल, बिजनौर।

जिम्मेदारी से होगा समृद्ध होगा राष्ट्र

-यदि हम सब राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान रखेंगे तो शीघ्र ही हमारा देश सबसे समृद्ध सबसे उन्नत राष्ट्र होगा। हमने नौकरी, व्यवसाय आदि के माध्यम से जो धन अर्जित किया है, उसमें कुछ अंश गरीब, जरूरतमंदों व देशहित में खर्च करना चाहिए। इससे मन को शांति मिलती है। हमें आगे आकर भूगर्भ जलस्तर बचाने और समाज के इसके प्रति जागृति फैलाने का काम भी बढ़-चढ़कर करना चाहिए। यहीं सच्चा राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वहन है।

-शीतल अग्रवाल शिक्षिका, मिलेनियम पब्लिक स्कूल, बिजनौर।

सभी को देशहित में काम करना चाहिए

-हमें अपने निजी व पारिवारिक दायित्व के साथ-साथ अपने देशहित में काम करना चाहिए। चाहे हम समाज के किसी वर्ग, किसी क्षेत्र में कार्य करते हों। हमें कर्तव्य पालन के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति अपने सर्वोत्तम कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होना चाहिए और अन्य साथियों को भी जागरूक करना चाहिए। हमें समय निकालकर राष्ट्रीय कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर देश सेवा में कदमताल करना चाहिए।

अमन कुमार, शिक्षक मिलेनियम पब्लिक स्कूल बिजनौर।

राष्ट्र के प्रति दायित्व को समझें

-शिक्षा हमें इस योग्य बनाती है कि हम राष्ट्रहित एवं राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को समझ सकें और उनका निर्वाहन कर सकें। विद्यार्थी के रूप में भी हम साफ-सफाई, पौधारोपण, प्रौढ़ शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा में अपना योगदान देकर देश सेवा कर सकते हैं।

-यश भारद्वाज, छात्र मिलेनियम पब्लिक स्कूल, बिजनौर।

पूरी निष्ठा से जिम्मेदारी को निभाएं

विद्यार्थी के रूप में हम पूरी निष्ठा व जिम्मेदारी से अपने दायित्व यानी पढ़ाई का भरपूर प्रयास कर रहे हैं ताकि आगे चलकर किसी भी क्षेत्र में कार्य कर देश का नाम रोशन कर सकें। ऐसी प्रेरणा हमें विद्यालय के शिक्षकों व महापुरुष के जीवन से प्राप्त होती है।

-अरबाज खान, छात्र मिलेनियम पब्लिक स्कूल बिजनौर।

अपने देश पर अभिमान होना चाहिए

जिस को अपने देश से प्यार और अभिमान है, वह देश के प्रति अपने दायित्वों का पूरी तरह अनुपालन करता है और उसका महत्व जानता है। हमें ऐसी शिक्षा विद्यालय से मिलती है कि बाहर जाकर हम उसका पूरी निष्ठा से साथ पालन करते हैं।

-शौर्य, छात्र मिलेनियम पब्लिक स्कूल, बिजनौर।

Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 समर्पण

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

पाठ से
सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
कवि किसके प्रति समर्पित होने की बात कह रहा है?
उत्तर:
कवि मातृभूमि के प्रति समर्पित होने की बात कह रहा है।

प्रश्न 2.
‘भाले पर मल दो, चरण की धूल थोड़ी’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मातृभूमि की धूल को सिर पर लगाने दो, अर्थात् धूल का टीका लगाने दो।

प्रश्न 3.
कवि किस-किस से क्षमा माँगता है?
उत्तर:
कवि अपने घर-परिवार के लोगों से तथा अपनेगाँव-द्वार-आँगन से क्षमा माँगता है।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 लिखेंबहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
समर्पण कविता के माध्यम से कवि हमें संदेश देना चाहता है
(क) सर्वस्व समर्पण का
(ख) स्वाभिमान को
(ग) परोपकार करने का
(घ) स्वावलम्बन का

प्रश्न 2.
कविता के अनुसार हम ऋणी हैं-
(क) मातृभूमि के
(ख) साहूकार के
(ग) डॉक्टर के
(घ) किसान के

अथवा

समर्पण कविता के अनुसार हम ऋणी हैं-
(क) मातृभूमि के
(ख) जागीरदार के
(ग) राजा के
(घ) किसान क

प्रश्न 3.
थाल में भाल सजाकर लाने की बात कही है-
(क) प्राप्ति के लिए
(ख) स्वार्थ के लिए
(ग) शील के लिए
(घ) समर्पण के लिए
उत्तर:
1. (क) 2. (क) 3. (घ )

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं (अकिंचन/निवेदन)
2. मन समर्पित … अर्पित, रक्त का कण-कण समर्पित। ( धरती/प्राण)
3. तोड़ता हूँ…. को बंधन। (मोह/क्षमा)
4. ……… का तृण-तृण समर्पित। (सुमनानीड़)
उत्तर:
1. अकिंचन
2. प्राण
3. मोह
4. नीड़

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1,
कविता में किसके चरण की धूल भाल पर मलने की बात कही है?
उत्तर:
कविता में कवि ने मातृभूमि की धूल को भाल पर मलने की बात कही हैं। इसका आशय है कि वह मातृभूमि की धूल का टीका लगाकर देश की खातिर अपना जीवन समर्पित करने को जाना चाहता है।

प्रश्न 2.
कवि ‘माँ’ का ऋण कैसे उतारना चाहता है ?
अथवा

समर्पण कविता के आधार पर कवि माँ का ऋण कैसे उतारना चाहता है?
उत्तर:
कवि स्वयं को भारत माता के ऋण से दबा हुआमानता है। वह गरीब होने से माँ का ऋण नहीं चुका सकता है। इसलिए वह अपना मस्तक थाल में सजाकर देना चाहता है, अर्थात् माँ के ऋण को अपना मस्तक समर्पित कर उतारना चाहता है, अपने जीवन को सहर्ष भेंट करना चाहता है।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए
(क) मन समर्पित, प्राण अर्पित,
रक्त का कण-कण समर्पित।
उत्तर:
व्याख्या:
कवि कहता है कि भारत माता के चरणों |में मेरा मन अर्पित है, प्राण भी अर्पित हैं और मेरे रक्त को प्रत्येक कण समर्पित है। अर्थात् मैं भारत की खातिर अपना जीवन समर्पित करने को सहर्ष उद्यत हूँ।

(ख) ये सुमन लो, यह चमन लो,
नीड़ का तृण-तृण समर्पित।
उत्तर:
व्याख्या:
हे भारत माता ! तुम फूल के समान जीवन के सुख और यह बगीचे के समान भू भाग ले लो। अपने घोंसले अर्थात् अपने आश्रय का एक-एक तिनका तुम्हें समर्पित |है। अर्थात् मेरी सारी खुशियाँ, आश्रय एवं आनन्द के स्थानआपके चरणों में समर्पित हैं।

(ग) स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित,
आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
उत्तर:
व्याख्या-
कवि रामावतार त्यागी ‘समर्पण’ कविता की इन पंक्तियों में कहते हैं कि हे भारतमाता ! मेरे सारे सपने अर्थात् सभी सुन्दर आकांक्षाएँ तुम्हें अर्पित हैं, मेरे हृदय की सारी जिज्ञासाएँ एवं शंकाएँ भी तुम्हें अर्पित हैं। मैं अपनी आयु का प्रत्येक क्षण आपकी सेवा में समर्पित कर रहा हूँ, अर्थात् सारी आयु आपको समर्पित है।

प्रश्न 2.
कविता में कवि मातृभूमि पर क्या-क्या न्योछावर कर देना चाहता है ? अपने विचार विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
‘समर्पण’ कविता में कवि मातृभूमि को अपना सर्वस्व और सारा जीवन न्योछावर कर देना चाहता है। वह अपना मन, शरीर और जीवन समर्पित करना चाहता है। वह अपने प्राण तथा शरीर के रक्त को एक-एक कण भी समर्पित करने को तैयार है। वह अपना सिर भेंट करना चाहता है। इस तरह कवि – पने जीवन का बलिदान एवं प्राणों का त्याग कर मातृभूमि की सेवा करना चाहता है। कवि अपनी सारी खुशियों को, अपने सुखदायी घर-परिवार और निवास स्थान को समर्पित करना चाहता है। इस तरह वह अपना सब कुछ भारत माता की सेवा एवं सुरक्षा में भेंट करना चाहता है। वह अपना सब कुछ न्योछावर कर और भी कुछ भेंट करना चाहता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे लिखे पदों में समास का नाम बताइए-
क्षण-क्षण, मोह-बन्धन, घर-आँगन।
उत्तर:
क्षण – क्षण:अव्ययीभाव समास।
मोह – बन्धन:मोह का बन्धन, तत्पुरुष समास।
घर – आंगन:घर का आंगन-तत्पुरुष समास।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
तलवार, धरती, सुमन, चमन।
उत्तर:
तलवार – खड्ग, असि
धरती   – भूमि, धरा
सुमन   – पुष्प, कुसुम
चमन   – बाग, आराम

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ जानकर वाक्य में प्रयोग कीजिए
निवेदन, अर्पित, भाल, क्षमा।
उत्तर:
निवेदन = विनम्र प्रार्थना । मैंने गुरुजी से निवेदन किया कि कल हमारे घर पर अवश्य पधारें।
अर्पित  = सँपना, भेंट देना। देवता को ये सुमन अर्पित कर दो।
भाल    = ललाट, मस्तक। वीर देशभक्त अपने भाल को समर्पित करने में जरा भी संकोच नहीं करते हैं।
ध्वज    = राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा । हमें हमेशा अपने ध्वज का सम्मान करना चाहिए।
क्षमा    = माफ। आप मेरी इस गलती को क्षमा कीजिए।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए
आशिस, सपन, अरपित, रिण।
उत्तर;
आशिस    – आशीष
सपन       – स्वप्न
अरपित    – अर्पित
रिण         – ऋण

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
हमारे लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है। हम ऐसे क्या कार्य कर सकते हैं, जिनसे हमारे राष्ट्र का विकास हो। सके, लिखिए।
उत्तर:
हम राष्ट्र के विकास के लिए ये कार्य कर सकते हैं-

  1.  कच्ची बस्तियों एवं ढाणियों में अनपढ़ लोगों को शिक्षित करने का कार्य कर सकते हैं।
  2.  बेसहारा बालकों एवं विधवा वृद्ध महिलाओं की सहायता कर सकते हैं।
  3.  गाँव व नगर आदि में स्वच्छता का अभियान चला सकते हैं।
  4.  लोगों को ईमानदारी एवं अच्छे आचरण की प्रेरणा दे सकते हैं।

प्रश्न 2.
देश की सेवा में हम सब क्या-क्या कर सकते हैं? समूह में चर्चा कर लिखिए।
उत्तर:
समूह में या कक्षा के साथियों से चर्चा करें और लिखें। देश-सेवा में ये काम हो सकते हैं

  1.  चोरउचक्कों से जनता को सावधान करना
  2.  उनकी सूचना पुलिस को देना,
  3.  शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना
  4.  जल-संरक्षण के कार्य करना
  5.  शौचालय निर्माण पर जोर देना
  6.  सफाई का अभियान चलाना
  7.  प्रदूषण को रोकना
  8.  समाज-कल्याण के कामों में सहयोग करना, आदि।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
शुद्ध वर्तनी का शब्द है-
(क) आशिस
(ख) आशीष
(ग) आशिष
(ग) आसिश

प्रश्न 2.
‘समर्पण’ कविता के रचयिता हैं-
(क) हरिशंकर परसाई
(ख) निराला
(ग) रामावतार त्यागी
(घ) सुमित्रानन्दन पंत

प्रश्न 3.
ऋण चुकाने में कवि ने स्वयं को बताया है-
(क) उदार
(ख) अकिंचन
(ग) अशक्त
(घ) अवश

प्रश्न 4.
भाल पर क्या मलने को कहा गया है ?
(क) अबीर-गुलाल को
(ख) रोली-सिन्दूर को
(ग) कुंकुम-चन्दन को
(घ) चरणों की धूल को

प्रश्न 5.
‘हाथ में ध्वज थमा दो’-इसमें किस ध्वज को उल्लेख हुआ है?
(क ) राष्ट्रध्वज का
(ख) सैन्य ध्वज का
(ग) युद्ध-ध्वज का
(घ) मन्दिर के ध्वज का

प्रश्न 6.
शीश पर किसकी छाया घनेरी है?
(क) माता-पिता के आशीष की
(ख) मातृभूमि के आशीष की
(ग) देवताओं के आशीर्वाद की
(घ) हरे-भरे पेड़-पौधों की
उत्तर:
1. (ख) 2. (ग) 3. (ख) 4. (घ) 5. (क) 6. (ख)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 7.
निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिये गये सही शब्दों से कीजिए
(i) चाहता हूँ देश की……..। (धरती/खेती)
(ii) बाँध दो कसकर, कमर पर मेरी । (तलवार/ढाल)
(iii) तोड़ता हैं मोह का….., क्षमा दो। (फंदा/बन्धन)
(iv) आज सीधे हाथ में…….दे दो। ( ध्वजा/तलवार)
उत्तर:
(i) धरती (ii) ढाल (iii) बन्धन (iv) तलवार

सुमेलन

प्रश्न 8.
खण्ड ‘अ’ एवं खण्ड ‘ब’ में दी गई पंक्तियों का मिलान कीजिए।

कभी अपनी मातृभूमि को अपना सब कुछ समर्पित क्यों करना चाहते हैं? - kabhee apanee maatrbhoomi ko apana sab kuchh samarpit kyon karana chaahate hain?

उत्तर:
पंक्तियों का मिलान-
(क) मन समर्पित तन समर्पित
(ख) थाल मैं लाऊं सजा कर भाल जब भी।
(ग) बाँध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी।
(घ) चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दें।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 9.
‘समर्पण’ कविता में देशभक्त घर-आँगन से क्षमा क्यों माँगता है?
उत्तर:
‘समर्पण’ कविता में देशभक्त घर-आँगन से क्षमाइसलिए माँगता है, क्योंकि घर-आँगन की देखभाल करना उसका कर्तव्य है। इसलिए वह घर-आँगन से क्षमा माँगकर अपने आप को देश की रक्षा के लिए बलिदान हो जाना चाहता है।

प्रश्न 10.
कवि अपना तन-मन किसे समर्पित करना चाहता
उत्तर:
कवि अपना तन-मन भारत माता या मातृभूमि को समर्पित करना चाहता है।

प्रश्न 11.
‘थाल में भाल सजाने’ का क्या आशय है?
उत्तर:
इसका आशय यह है कि मातृभूमि की खातिर अपना बलिदान करने को उद्यत हैं।

प्रश्न 12.
कवि किस बन्धन को तोड़ने की बात कह रहा है?
उत्तर:
कवि देश की खातिर अपने घर-परिवार एवं प्रियजनों के प्रेम-बन्धन को तोड़ने की बात कह रहा है।

प्रश्न 13.
‘स्वप्न अर्पित”-इससे कवि का क्या आशय
उत्तर:
इसका आशय यह है कि कवि ने अपने भविष्य को लेकर जो सुन्दर कल्पनाएँ की थीं, उन्हें वह देश की खातिर त्याग देना चाहता है।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 14.
‘समर्पण’ का क्या प्रभाव रहता है? कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर;
‘समर्पण’ का यह प्रभाव रहता है कि इससे शरीर, मन और अन्त:करण शुद्ध हो जाता है, जीवन में निर्मलता आ जाती है। स्वभाव सरल बन जाता है।

प्रश्न 15.
देश की धरती को कुछ और क्या समर्पित हो। सकता है?
उत्तर;
देश की धरती को युवकों की कर्तव्यनिष्ठा, भाईचारा, आपसी सद्भाव तथा एकता का आचरण समर्पित हो सकता है। देश के विकास के लिए हाथों की शक्ति चाहिए, बुद्धि का कौशल चाहिए और वैज्ञानिक दृष्टि चाहिए। यह सब देश के नागरिकों से ही हो सकता है। परन्तु इसके लिए समर्पण भावना होनी चाहिए।

प्रश्न 16.
‘समर्पण’ कविता से मन में क्या भावना जागती है ? बताइये।
उत्तर:
‘समर्पण’ कविता में देश पर बलिदान होने, त्यागभावना रखने और स्वार्थ न रखने का भाव व्यक्त हुआ है। इससे यह भावना जागती है कि भारत के सब नागरिक त्यागशील हों, जरा भी स्वार्थी न हों, भ्रष्टाचार न करें तथा समय का सही उपयोग कर देशसेवा में लगे रहें। देश सेवा ही सच्ची मानव-सेवा एवं भगवान् की पूजा है ऐसी पवित्र भावना रखें।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 1  निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 17.
‘समर्पण’ कविता से क्या सन्देश दिया गया है? लिखिए।
अथवा
समर्पण कविता से क्या शिक्षा दी गई है? बताइये।
उत्तर:
‘समर्पण’ कविता से यह सन्देश एवं शिक्षा दी गई है कि हमें तन, मन, धन और जीवन से अपने देश की सेवा करनी चाहिए। हमें मातृभूमि को माता के समान पूज्य मानना  चाहिए और इसके प्रति सच्चे हृदय से श्रद्धा और भक्ति रखनी चाहिए। मातृभूमि पर हमने जन्म लिया है, इसी पर खेलकर हम बड़े हुए हैं और यही हमारे प्यारे देश की धरती है। इसी धरती पर हमारे पूर्वज हुए और इसी पर हमारा भविष्य टिका हुआ है। इसीलिए हम इसके ऋण से मुक्त नहीं हो सकते। इस तरह मातृभूमि के प्रति हमारा यह दायित्व बनता है कि हम इसकी उन्नति के लिए जी-जान से प्रयास करें और देशभक्ति को अपने जीवन का मूल लक्ष्य बना दें।

पाठे-सार-

पाठ में संकलित ‘समर्पण’ कविता कवि रामावतार त्यागी द्वारा रची गई है। इसमें कवि ने मातृभमि के प्रति भक्ति व प्रेम का भाव प्रकट कर अपना सब कुछ न्योछावर करने का संकल्प प्रकट किया है। यह कविता देश-प्रेम पर आधारित है। सप्रसंग व्याख्याएँ

(1) मन समर्पित ……………………………. और भी हूँ।

कठिन शब्दार्थ-तन = शरीर समर्पित = सौंपा हुआ, भेंट किया गया।

प्रसंग-यह पद्यांश रामावतार त्यागी द्वारा रचित कविता ‘समर्पण’ शीर्षक से लिया गया है। इसमें मातृभूमि के लिए समर्पण का भाव व्यक्त किया गया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि अपने देश की धरती के लिए मेरा मन समर्पित है और मेरा शरीर भी इसके लिए समर्पित है। मैं देश की धरती अर्थात् मातृभूमि के लिए कुछ और भी देना चाहता हूँ, हे मातृभूमि! तुझे मैं सब कुछ भेंट करना चाहता हूँ।

(2) माँ तुम्हारा ऋण ……………………………. और भी दें।

कठिन शब्दार्थ-अकिंचन = बहुत गरीब। निवेदन = विनम्रतापूर्वक कहना, प्रार्थना। भाल = मस्तक, सिर। अर्पित = भेंट किया हुआ। समर्पण = भेट।

प्रसंग-यह पद्यांश कवि रामावतार त्यागी की ‘समर्पण’ कविता से लिया गया है। इसमें मातृभूमि के लिए कवि ने अपना सिर और प्राण भेंट करने का निवेदन किया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि हे मातृभूमि ! हे माँ! मुझ पर तुम्हारा बहुत ऋण है, परन्तु मैं एकदम गरीब हूँ अर्थात् तुम्हारा ऋण चुकाने में असमर्थ हूँ। किन्तु मैं फिर भी इतना निवेदन कर रहा हूँ कि जब भी मैं थाल में अपना सिर सजा कर लाऊँ, तो तब तुम मेरी वह भेंट दया करके स्वीकार कर लेना। अर्थात् मैं अपना बलिदान करूं तो उसे मना मंत करना। मेरा मन भी और प्राण भी तुम्हें समर्पित हैं, मेरे रक्त का एक-एक कण तुम्हें समर्पित है। हे देश की धरती, मैं इससे भी अधिक और कुछ भी तुम्हें भेंट करना चाहता हूँ।

(3) माँज दो तलवार ……………………………. और भी हूँ।

कठिन शब्दार्थ-माँज दो = रगड़ कर साफ कर दो। आशीष = आशीर्वाद। घनेरी = बहुत सी, गहरी। प्रश्न = मन की जिज्ञासा, शंका।।

प्रसंग-यह पद्यांश कवि रामावतार त्यागी द्वारा रचित ‘समर्पण’ कविता से लिया गया है। इसमें देश-सेवा का भाव व्यक्त किया गया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि हे मातृभूमि! तुम तलवार चमका दो, इसमें देरी मत करो, लाओ। मेरी कमर पर कसकर ढाल बाँध दो। मेरे ललाट पर अपने चरणों की धूल मसल दो, अर्थात् धूल का टीका लगा दो। तुम मेरे सिर पर अपने आशीर्वाद की घनी छाया कर दो। हे मेरे देश की धरती ! मेरे स्वप्न और मेरी जिज्ञासा तुम्हें समर्पित है, मेरी आयु। का एक-एक क्षण तुम्हारे चरणों में अर्पित है। मैं चाहता हूँ कि तुम्हें इससे भी कुछ अधिक भेंट करूं?

(4) तोड़ता हूँ मोह ……………………………. और भी दें।

कठिन शब्दार्थ-मोह = ममता। ध्वज = राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा)। सुमन = फूल। चमन = बगीचा। नीड़ = घोंसला। तृण = तिनका।

प्रसंग-यह पद्यांश कवि रामावतार त्यागी द्वारा रचित ‘समर्पण’ कविता से लिया गया है। इसमें अपने देश के प्रति समर्पण भाव प्रकट किया गया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि मैं अपने घर-परिवार एवं सुख-भोग के मोह के बन्धनों को तोड़ता है। इसलिए मेरे अपने लोग मुझे क्षमा दो। मेरे गाँव, घर-द्वार, आँगन आदि सब मुझे क्षमा दो। आज मेरे दायें हाथ में तलवार दे दो और मेरे बायें हाथ में देश का झण्डा थमा दो। हे मेरे देश की धरती ! तुम मुझसे फूल के समान जीवन के सुख ले लो। यह बगीचे के समान भूभाग ले लो। मैं अपने घोंसले का अर्थात् अपने आश्रय का एक-एक तिनका तुम्हें समर्पित कर रहा हूँ। मैं तुम्हें इससे भी अधिक अन्य कुछ भी भेंट करना चाहता हूँ।

RBSE Solutions for Class 8 Hindi

कवि अपनी मातृभूमि को अपना सब कुछ समर्पित क्यों करना?

Solution : इस कविता के कवि अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले देशभक्त हैं। वे अपनी मातृभूमि को सब कुछ अर्पित कर देना चाहते हैं फिर भी उन्हें संतोष नहीं हो रहा है। उनका मानना है कि मातृभूमि का बहुत ज्यादा ऋण उनके ऊपर है, जिसे वे स्वयं को बलिदान करके भी चुकाना चाहते हैं ताकि मातृभूमि की रक्षा हो सके।

कभी अपनी मातृभूमि के लिए क्या करना चाहता है?

1. कवि मातृभूमि के लिए अपना तन, मन, जीवन, अपने गान, प्राण, रक्त का प्रत्येक कण, अपने स्वपन, प्रश्न, आयु का प्रत्येक क्षण, सुमन, चमन और अपने नीड़ का प्रत्येक तृण भी अर्पित करना चाहता है। अर्थात वह सर्वस्व अर्पित करना चाहता है।

मातृभूमि को सर्वस्व समर्पण से भी कभी संतुष्ट नहीं है क्यों?

मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पित करने के बाद भी कवि इसलिए असंतुष्ट है क्योंकि उसे लगता है कि उसपर मातृभूमि का बहुत अधिक ऋण है तथा अपना सर्वस्व समर्पित करके भी वह उस ऋण से उऋण नहीं हो सकता, इसलिए वह संतुष्ट नहीं है।

मातृभूमि कविता में कवि क्या कामना करते है?

कवि की कामना है कि वे सदा मातृभूमि की सेवा करते रहें और खुशी-खुशी देशहित में अपने प्राण निछावर कर दें। कवि कहते हैं, हे मातृभूमि, मैं तेरे चरणों में अपना सिर झुकाता हूँ। मैं अपनी भक्ति रूपी भेंट लेकर तेरी शरण में आना चाहता हूँ।