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'हमारी मातृभूमि के प्रति जिम्मेदारी है'बिजनौर : हमारी मातृभूमि हमारे देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि मन, कर्म एवं वचन से राष्ट्रहित के बिजनौर : हमारी मातृभूमि हमारे देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि मन, कर्म एवं वचन से राष्ट्रहित के कार्य करें। आधुनिकता की दौड़ में हम सब अपने दायित्वों का पालन सही तरीके से करने से भूल जाते हैं। राष्ट्र के जो भी संसाधन हैं, चाहे प्रकृतिक हो अथवा कृत्रिम सभी का उचित ध्यान रखें। हम कोई भी ऐसा कार्य न करें,जिससे इन संसाधनों का दुरुपयोग हो। -शुचि शिक्षिका, मिलेनियम पब्लिक स्कूल, बिजनौर। जिम्मेदारी से होगा समृद्ध होगा राष्ट्र -यदि हम सब राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान रखेंगे तो शीघ्र ही हमारा देश सबसे समृद्ध सबसे उन्नत राष्ट्र होगा। हमने नौकरी, व्यवसाय आदि के माध्यम से जो धन अर्जित किया है, उसमें कुछ अंश गरीब, जरूरतमंदों व देशहित में खर्च करना चाहिए। इससे मन को शांति मिलती है। हमें आगे आकर भूगर्भ जलस्तर बचाने और समाज के इसके प्रति जागृति फैलाने का काम भी बढ़-चढ़कर करना चाहिए। यहीं सच्चा राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वहन है। -शीतल अग्रवाल शिक्षिका, मिलेनियम पब्लिक स्कूल, बिजनौर। सभी को देशहित में काम करना चाहिए -हमें अपने निजी व पारिवारिक दायित्व के साथ-साथ अपने देशहित में काम करना चाहिए। चाहे हम समाज के किसी वर्ग, किसी क्षेत्र में कार्य करते हों। हमें कर्तव्य पालन के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति अपने सर्वोत्तम कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होना चाहिए और अन्य साथियों को भी जागरूक करना चाहिए। हमें समय निकालकर राष्ट्रीय कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर देश सेवा में कदमताल करना चाहिए। अमन कुमार, शिक्षक मिलेनियम पब्लिक स्कूल बिजनौर। राष्ट्र के प्रति दायित्व को समझें -शिक्षा हमें इस योग्य बनाती है कि हम राष्ट्रहित एवं राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को समझ सकें और उनका निर्वाहन कर सकें। विद्यार्थी के रूप में भी हम साफ-सफाई, पौधारोपण, प्रौढ़ शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा में अपना योगदान देकर देश सेवा कर सकते हैं। -यश भारद्वाज, छात्र मिलेनियम पब्लिक स्कूल, बिजनौर। पूरी निष्ठा से जिम्मेदारी को निभाएं विद्यार्थी के रूप में हम पूरी निष्ठा व जिम्मेदारी से अपने दायित्व यानी पढ़ाई का भरपूर प्रयास कर रहे हैं ताकि आगे चलकर किसी भी क्षेत्र में कार्य कर देश का नाम रोशन कर सकें। ऐसी प्रेरणा हमें विद्यालय के शिक्षकों व महापुरुष के जीवन से प्राप्त होती है। -अरबाज खान, छात्र मिलेनियम पब्लिक स्कूल बिजनौर। अपने देश पर अभिमान होना चाहिए जिस को अपने देश से प्यार और अभिमान है, वह देश के प्रति अपने दायित्वों का पूरी तरह अनुपालन करता है और उसका महत्व जानता है। हमें ऐसी शिक्षा विद्यालय से मिलती है कि बाहर जाकर हम उसका पूरी निष्ठा से साथ पालन करते हैं। -शौर्य, छात्र मिलेनियम पब्लिक स्कूल, बिजनौर। Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 समर्पणRBSE Class 8 Hindi Chapter 1 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नपाठ से प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 लिखेंबहुविकल्पी प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. अथवा समर्पण कविता के अनुसार हम ऋणी हैं- प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1, प्रश्न 2. समर्पण कविता के आधार पर कवि माँ का ऋण कैसे उतारना चाहता है? RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. (ख) ये सुमन लो, यह चमन लो, (ग) स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित, प्रश्न 2. भाषा की बात प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. पाठ से आगे प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नRBSE Class 8 Hindi Chapter 1 वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 7. सुमेलन प्रश्न 8. उत्तर: पंक्तियों का मिलान- (क) मन समर्पित तन समर्पित (ख) थाल मैं लाऊं सजा कर भाल जब भी। (ग) बाँध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी। (घ) चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दें। RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. RBSE Class 8 Hindi Chapter 1 निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न 17. पाठे-सार- पाठ में संकलित ‘समर्पण’ कविता कवि रामावतार त्यागी द्वारा रची गई है। इसमें कवि ने मातृभमि के प्रति भक्ति व प्रेम का भाव प्रकट कर अपना सब कुछ न्योछावर करने का संकल्प प्रकट किया है। यह कविता देश-प्रेम पर आधारित है। सप्रसंग व्याख्याएँ (1) मन समर्पित ……………………………. और भी हूँ। कठिन शब्दार्थ-तन = शरीर समर्पित = सौंपा हुआ, भेंट किया गया। प्रसंग-यह पद्यांश रामावतार त्यागी द्वारा रचित कविता ‘समर्पण’ शीर्षक से लिया गया है। इसमें मातृभूमि के लिए समर्पण का भाव व्यक्त किया गया है। व्याख्या-कवि कहता है कि अपने देश की धरती के लिए मेरा मन समर्पित है और मेरा शरीर भी इसके लिए समर्पित है। मैं देश की धरती अर्थात् मातृभूमि के लिए कुछ और भी देना चाहता हूँ, हे मातृभूमि! तुझे मैं सब कुछ भेंट करना चाहता हूँ। (2) माँ तुम्हारा ऋण ……………………………. और भी दें। कठिन शब्दार्थ-अकिंचन = बहुत गरीब। निवेदन = विनम्रतापूर्वक कहना, प्रार्थना। भाल = मस्तक, सिर। अर्पित = भेंट किया हुआ। समर्पण = भेट। प्रसंग-यह पद्यांश कवि रामावतार त्यागी की ‘समर्पण’ कविता से लिया गया है। इसमें मातृभूमि के लिए कवि ने अपना सिर और प्राण भेंट करने का निवेदन किया है। व्याख्या-कवि कहता है कि हे मातृभूमि ! हे माँ! मुझ पर तुम्हारा बहुत ऋण है, परन्तु मैं एकदम गरीब हूँ अर्थात् तुम्हारा ऋण चुकाने में असमर्थ हूँ। किन्तु मैं फिर भी इतना निवेदन कर रहा हूँ कि जब भी मैं थाल में अपना सिर सजा कर लाऊँ, तो तब तुम मेरी वह भेंट दया करके स्वीकार कर लेना। अर्थात् मैं अपना बलिदान करूं तो उसे मना मंत करना। मेरा मन भी और प्राण भी तुम्हें समर्पित हैं, मेरे रक्त का एक-एक कण तुम्हें समर्पित है। हे देश की धरती, मैं इससे भी अधिक और कुछ भी तुम्हें भेंट करना चाहता हूँ। (3) माँज दो तलवार ……………………………. और भी हूँ। कठिन शब्दार्थ-माँज दो = रगड़ कर साफ कर दो। आशीष = आशीर्वाद। घनेरी = बहुत सी, गहरी। प्रश्न = मन की जिज्ञासा, शंका।। प्रसंग-यह पद्यांश कवि रामावतार त्यागी द्वारा रचित ‘समर्पण’ कविता से लिया गया है। इसमें देश-सेवा का भाव व्यक्त किया गया है। व्याख्या-कवि कहता है कि हे मातृभूमि! तुम तलवार चमका दो, इसमें देरी मत करो, लाओ। मेरी कमर पर कसकर ढाल बाँध दो। मेरे ललाट पर अपने चरणों की धूल मसल दो, अर्थात् धूल का टीका लगा दो। तुम मेरे सिर पर अपने आशीर्वाद की घनी छाया कर दो। हे मेरे देश की धरती ! मेरे स्वप्न और मेरी जिज्ञासा तुम्हें समर्पित है, मेरी आयु। का एक-एक क्षण तुम्हारे चरणों में अर्पित है। मैं चाहता हूँ कि तुम्हें इससे भी कुछ अधिक भेंट करूं? (4) तोड़ता हूँ मोह ……………………………. और भी दें। कठिन शब्दार्थ-मोह = ममता। ध्वज = राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा)। सुमन = फूल। चमन = बगीचा। नीड़ = घोंसला। तृण = तिनका। प्रसंग-यह पद्यांश कवि रामावतार त्यागी द्वारा रचित ‘समर्पण’ कविता से लिया गया है। इसमें अपने देश के प्रति समर्पण भाव प्रकट किया गया है। व्याख्या-कवि कहता है कि मैं अपने घर-परिवार एवं सुख-भोग के मोह के बन्धनों को तोड़ता है। इसलिए मेरे अपने लोग मुझे क्षमा दो। मेरे गाँव, घर-द्वार, आँगन आदि सब मुझे क्षमा दो। आज मेरे दायें हाथ में तलवार दे दो और मेरे बायें हाथ में देश का झण्डा थमा दो। हे मेरे देश की धरती ! तुम मुझसे फूल के समान जीवन के सुख ले लो। यह बगीचे के समान भूभाग ले लो। मैं अपने घोंसले का अर्थात् अपने आश्रय का एक-एक तिनका तुम्हें समर्पित कर रहा हूँ। मैं तुम्हें इससे भी अधिक अन्य कुछ भी भेंट करना चाहता हूँ। RBSE Solutions for Class 8 Hindiकवि अपनी मातृभूमि को अपना सब कुछ समर्पित क्यों करना?Solution : इस कविता के कवि अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले देशभक्त हैं। वे अपनी मातृभूमि को सब कुछ अर्पित कर देना चाहते हैं फिर भी उन्हें संतोष नहीं हो रहा है। उनका मानना है कि मातृभूमि का बहुत ज्यादा ऋण उनके ऊपर है, जिसे वे स्वयं को बलिदान करके भी चुकाना चाहते हैं ताकि मातृभूमि की रक्षा हो सके।
कभी अपनी मातृभूमि के लिए क्या करना चाहता है?1. कवि मातृभूमि के लिए अपना तन, मन, जीवन, अपने गान, प्राण, रक्त का प्रत्येक कण, अपने स्वपन, प्रश्न, आयु का प्रत्येक क्षण, सुमन, चमन और अपने नीड़ का प्रत्येक तृण भी अर्पित करना चाहता है। अर्थात वह सर्वस्व अर्पित करना चाहता है।
मातृभूमि को सर्वस्व समर्पण से भी कभी संतुष्ट नहीं है क्यों?मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पित करने के बाद भी कवि इसलिए असंतुष्ट है क्योंकि उसे लगता है कि उसपर मातृभूमि का बहुत अधिक ऋण है तथा अपना सर्वस्व समर्पित करके भी वह उस ऋण से उऋण नहीं हो सकता, इसलिए वह संतुष्ट नहीं है।
मातृभूमि कविता में कवि क्या कामना करते है?कवि की कामना है कि वे सदा मातृभूमि की सेवा करते रहें और खुशी-खुशी देशहित में अपने प्राण निछावर कर दें। कवि कहते हैं, हे मातृभूमि, मैं तेरे चरणों में अपना सिर झुकाता हूँ। मैं अपनी भक्ति रूपी भेंट लेकर तेरी शरण में आना चाहता हूँ।
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