जूझ कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? - joojh kahaanee se hamen kya shiksha milatee hai?

विषयसूची

  • 1 जूझ कहानी से क्या प्रेरणा मिलती है?
  • 2 जूझ शीर्षक कहानी में आपको सबसे अच्छी बात क्या लगती है?
  • 3 लेखक का पिता आनंदा को पढ़ाने के बजाय क्या काम करवाना चाहता था?
  • 4 जूस कहानी से युवा पीढ़ी को क्या प्रेरणा मिलती है?
  • 5 जूझ पाठ में न वा सौंदलगेकर शिक्षक क्या पढ़ाते थे *?
  • 6 लेखक आनंद यादव क्या करना चाहता था *?

जूझ कहानी से क्या प्रेरणा मिलती है?

इसे सुनेंरोकेंजूझ के कथानायक का मन पाठशाला जाने के लिए इसलिए तड़पता था क्योंकि उसे शिक्षा से अत्यंत गहरा लगाव था। शिक्षा से ही व्यक्ति अपनी उन्नति के बारे में सोच सकता है तथा वह समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकता है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शिक्षा व्यक्ति की उन्नति का द्वार खोलती है।

जूझ शीर्षक कहानी में आपको सबसे अच्छी बात क्या लगती है?

इसे सुनेंरोकें’जूझ’ कहानी में हमें सर्वाधिक प्रेरित करने वाली बात यह लगी कि एक सामान्य-सा बालक सौदगलेकर की कला और कविता सुनाने की शैली से प्रभावित होकर स्वयं काव्य-रचना करने में सफल हो गया। उसकी जिजीविषा भी हमें अच्छी लगी। आपके ख्याल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का?

जूझ नामक पाठ क्या शिक्षा देता है?

इसे सुनेंरोकें’जूझ’ में लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। समस्याएँ तो जीवन में आती ही रहती हैं। हमें इन समस्याओं से भागना नहीं चाहिए बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए। संघर्षों से जूझने के लिए आत्मविश्वास का होना जरूरी है।

लेखक का पिता आनंदा को पढ़ाने के बजाय क्या काम करवाना चाहता था?

इसे सुनेंरोकेंवह सुरीले गले के साथ छंद की बढ़िया चाल के साथ कविता पढ़ाते थे। उन्हें नयी-पुरानी मराठी एवं अंग्रेजी कविताएँ अच्छी तरह याद थीं। कविताओं से संबंधित अनेक छंदों की लय, गति और ताल पर उनकी अच्छी पकड़ थी। पढ़ाते समय पहले कविता गाकर सुनाते थे।

जूस कहानी से युवा पीढ़ी को क्या प्रेरणा मिलती है?

इसे सुनेंरोकेंउसी की प्रेरणा से लेखक का पिता बेटे को पड़ाने को तैयार हो जाता है। पढ़ाई-लिखाई के संबंध में इन दोनों का रवैया हर तरह से सही हैं जबकि लेखक के पिता खुद अपने बेटे को नहीं पढ़ाना चाहते हैं। आधुनिक समाज में एवं किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा के महत्त्व से इंकार नहीं किया जा सकता है।

जूझ कहानी से युवा पीढ़ी को क्या प्रेरणा मिलती है?

इसे सुनेंरोकें’जूझ’ का अर्थ है-संघर्ष। इसमें कथा नायक आनंद ने पाठशाला जाने के लिए संघर्ष किया। यह एक किशोर के देखे और भोगे हुए गाँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ व परिवेश को विश्वसनीय ढंग से व्यक्त करता है। इसके अतिरिक्त, आनंद की माँ भी अपने स्तर पर संघर्ष करती है।

जूझ पाठ में न वा सौंदलगेकर शिक्षक क्या पढ़ाते थे *?

इसे सुनेंरोकेंन०वा० सौंदलगेकर मास्टर मराठी पढ़ाते थे। पढ़ाते समय वे स्वयं रम जाते थे। सुरीले कंठ, छद व रसिकता के कारण वे कविता बहुत अच्छी पढ़ाते थे। उन्हें मराठी व अंग्रेजी की अनेक कविताएँ याद थीं।

लेखक आनंद यादव क्या करना चाहता था *?

इसे सुनेंरोकेंलेखक पढ़ना चाहता था और उसके पिता उसे पढाने के बजाय उससे खेत का काम, पशु चराने का काम कराना चाहते थे। पिता ने अपनी इच्छा क्रो ध्यान में रखकर ही लेखक की पकाई छुड़वा दी श्री।

जूझ कहानी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

'जूझ' का शाब्दिक अर्थ है-'संघर्ष'। यह शीर्षक आत्मकथा के मूरल स्वर के रूप में सर्वत्र दिखाई देता है। यह एक किशोर के देखे और भागे हुए गँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ और परिवेश को विश्वसनीय ढंग से प्रतिबिम्बित भी करता है। कथानायक अपने जीवन में शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई स्तर पर जूझता है।

जूझ कहानी की शिक्षा क्या है?

एक किसान परिवार की सोच तथा उनकी मान्यता इस कहानी में बड़ी अच्छी तरह से जान पड़ती है। कहानी का नायक पढ़ाई करना चाहता है। उसका पिता शिक्षा के महत्व से अनजाना है। पिता के अनुसार एक किसान को खेती के कामों से ही रोज़ी-रोटी मिलती है।

जूझ कहानी का उद्देश्य क्या है?

Answer: 'जूझ' शीर्षक असलियत में नायक के संघर्ष को चित्रित करता है। शीर्षक हर कहानी का मुख्य बिन्दु है। इससे ही कथा तथा उसकी विषय वस्तु के बारे में जानकारी मिलती है।

जूस कहानी के माध्यम से लेखक ने क्या सीख दी है?

यहाँ तक कि मार्ग का ज्ञान न रहा। जिस परिचित मार्ग से आए थे, उसका यहाँ पता न था। नए-नए गाँव मिलने लगे। तब दोनों एक खेत के किनारे खड़े होकर सोचने लगे, अब क्या करना चाहिए ।