पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा कहाँ से मिली? उन्होंने आलम आरा फिल्म के लिए आधार कहाँ से लिया? विचार व्यक्त कीजिए। Show
पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्दशिर एम. ईरानी को प्रेरणा हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म ‘शो बोट’ से मिली। पारसी रंगमंच के नाटक को आधार बनाकर ‘आलम आरा’ फिल्म की पटकथा लिखी गई। 673 Views विट्ठल का चयन आलम आरा फिल्म के नायक के रूप में हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों गया? विट्ठल ने पुन: नायक होने के लिए क्या किया? विचार प्रकट कीजिए। जिस समय आलम आरा फिल्म बनी उस समय के चर्चित नायक थे ‘विट्ठल’। उन्हें ही इस फिल्म में नायक की भूमिका के लिए चयनित किया गया। विट्ठल को उर्दू बोलने में मुश्किल होती थी इसलिए उन्हें हटा दिया गया। ऐसा करने से विट्ठल नाराज हो गए। उन्होंने मशहूर वकील मोहम्मद अली जिन्ना का सहारा लिया। जिन्ना ने उनकी ओर से मुकदमा लड़ा और जीत गए। इस प्रकार विट्ठल ही पहली बोलती फिल्म के नायक बने। 797 Views डब फिल्में किसे कहते हैं? कभी-कभी डब फिल्मों में अभिनेता के मुँह खोलने और आवाज में अंतर आ जाता है। इसका कारण क्या हो सकता है? जिस फिल्म में अभिनय करने वाले और संवाद बोलने वाले दोनों व्यक्ति अलग-अलग होते हैं। उन्हें डब फिल्में कहते हैं। कभी-कभी डब फिल्मों में अभिनेता के मुंह खोलने और आवाज मे अंतर आ जाता है क्योंकि डब करने वाले व अभिनय करने वाले की बोलने की गति समान नहीं होती व कई बार डब की हुई आवाज और अभिनय करने वाले के चलते होंठ आपसी तालमेल बिठाने में असफल रहते हैं। 1488 Views पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निदेशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओं ने उनके लिए क्या कहा था? अर्देशिर ने क्या कहा? और इस प्रसंग में लेखक ने क्या टिप्पणी की है? लिखिए। पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निदेशक अर्देशिर को 1956 में सम्मानित किया गया। सम्मान करने वालों ने उन्हें ‘भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता’ कहा। अर्देशिर ने इस मौके पर कहा-”मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।” 548 Views जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर कौन-से वाक्य छापे गए? उस फिल्म में कितने चेहरे थे? स्पष्ट कीजिए।जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर लिखा था-’वे सभी सजीव हैं. सांस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इंसान जिंदा हो गए; उनको बोलते; बातें करते देखो।’ 1559 Views पहली बोलती फिल्म के पोस्टरों पर कौन से वाक्य छापे गए थे?Solution : जब पहली बार बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर छापा गया-"वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं। अठहत्तर मुर्दा इन्सान जिन्दा हो गए। उनको बोलते, बातें करते देखो।" पोस्टर पढ़कर बताया जा सकता है कि उस फिल्म में अठहत्तर चेहरे थे।
जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसमें कुल कितने चेहरे थे स्पष्ट कीजिए?उस फिल्म में कितने चेहरे थे? स्पष्ट कीजिए। ”वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इनसान जिंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखो।” पाठ के आधार पर 'आलम आरा' में कुल मिलाकर 78 चेहरे थे अर्थात् काम कर रहे थे।
पहली बोलती फिल्म में कुल कितने चेहरे थे?”वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत–प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इनसान जिंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखो।” पाठ के आधार पर 'आलम आरा' में कुल मिलाकर 78 चेहरे थे।
पहली बोलती फिल्म कब प्रदर्शित हुई?गूंगी फ़िल्मों ने बोलना सीखा. दिन था शनिवार, तारीख़ 14 मार्च और वर्ष 1931. इसी दिन मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हॉल में आर्देशिर ईरानी निर्देशित 'आलम आरा' रिलीज़ हुई. ये भारत की पहली बोलती फ़िल्म (टॉकी) थी.
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