हड़प्पा सभ्यता या सिन्धु घाटी सभ्यता: ईंटें, मनके और अस्थियाँ l हड़प्पा सभ्यता की खोज सर्वप्रथम दयाराम साहनी ने की थी l अध्याय में सिन्धु घाटी सभ्यता के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी है l नोट्स समझने के लिए कृपया पूरा पेज ध्यान से पढ़े और समझे Show
हड़प्पा सभ्यता क्या है?हड़प्पा सभ्यता प्राचीन भारत की पहली सभ्यता है जिसमें नगरीकरण के अवशेष मिलते हैं l इसका समय काल वर्तमान से 4620 वर्ष से लेकर 3920 वर्ष तक निर्धारित किया गया है l यह एक ऐसी सभ्यता है जो पूर्ण रूप से नियोजित थी l हड़प्पा सभ्यता को कई चरणों में बांटा गया है l ऐसा देखा गया है कि यह सभ्यता अस्तित्व में आने से पहले क्षेत्र में कई बस्तियां अस्तित्व में थी l हड़प्पा सभ्यता के पश्चात भी क्षेत्र में बस्तियों का बसना प्रारंभ रहा है l हालांकि नवीनतम खोजों से पता चलता है राखीगढ़ी जैसे हड़प्पाई नगरों की खुदाई में कुछ रोचक तथ्य निकल कर सामने आये है l इसके अनुसार यह सभ्यता आज से 8000 से 9000 वर्ष पहले अस्तित्व में थी l हड़प्पा सभ्यता के इतिहास के साक्ष्यहड़प्पा सभ्यता की जानकारी मुख्य रूप से भौतिक साक्ष्यों पर आधारित है l प्राचीन वस्तुओं को पूरा वस्तुएँ कहा जाता है l सिन्धु घाटी सभ्यताहड़प्पा सभ्यता इतिहास के बारे में हमें मुख्य रूप से जानकारी निम्नलिखित पुरा-वस्तुओं से मिलती है:
हड़प्पा सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के इस अध्याय को अच्छी तरह से समझने के लिए यह बहुत जरूरी है कि इस अध्याय में आए सभी प्रकार के कठिन शब्दों को हम अच्छी तरह से समझ ले l तो आइए ऐस ही कुछ शब्दों के बारे में चर्चा करते हैं और उनको समझने की कोशिश करते हैं : सिन्धु घाटी सभ्यता अध्याय से जुड़े कुछ प्रमुख शब्दपुरातत्व विज्ञानविज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत पुरा वस्तुओं या प्राचीन वस्तुओं के विश्लेषण के आधार पर इतिहास का पुनर्निर्माण किया जाता है उसे
पुरातत्व विज्ञान कहते हैं l पुरातत्व विदविद्वान जो पुरा वस्तु की खोज और पुरा वस्तु का अध्ययन करके इतिहास का पुन: निर्माण करते हैं उन्हें पुरातत्व विद कहते हैंl पुरा वस्तुएँवे वस्तुएँ जो प्राचीन सभ्यताओं के खोज के दौरान खुदाई में प्राप्त होती हैं उन्हें पूरा वस्तुएँ कहा जाता है संस्कृतिसंस्कृति शब्द का प्रयोग पूरा वस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते हैं जो एक विशिष्ट शैली के होते हैं l सामान्य रूप से एक साथ एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा कालखंड से संबंधित होते हैं l पूरा वनस्पतिज्ञवैज्ञानिक जो प्राचीन वनस्पति के अध्ययन के विशेषज्ञ होते हैं l उन्हें पूरा वनस्पतिज्ञ कहते हैं l ये प्राचीन वनस्पति के विभिन्न पेड़ पौधों की खोज करते है l पूरा प्राणी विज्ञानियों अथवा जीव पुरातत्व विदवे पुरातत्व विद जो प्राचीन जीव जंतुओं की प्रजाति का अध्ययन करते हैं और अन्वेषण के द्वारा उनका पता लगाते हैं l उनको जीव पुरातत्वविद् जीव प्राणीवज्ञानी कहते हैं l सभ्यता का काल निर्धारणएनसीईआरटी पुस्तक के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का समय काल 2600 ईसा पूर्व से 1920 अपूर्व बताया गया है l वर्तमान समय के अनुसार बात करें तो आज से लगभग 4600 वर्ष से लेकर 3900 वर्ष तक यह सभ्यता अस्तित्व में थी l नवीनतम खोजो और अन्वेषण से यह पता चला है कि भारतीय क्षेत्र में पाई जाने वाली राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता में सबसे प्राचीन नगर है l वैज्ञानिकों ने पता लगाया है राखीगढ़ी के किसानों का डीएनए किसी से भी नहीं करता है l पुरातत्व विधु के अनुसार राखीगढ़ी का समय काल आज से लगभग 8500 वर्ष पहले का है अर्थात 6500 ईसा पूर्व का समय निर्धारित किया गया है l अन्वेषण इस बात की ओर इशारा करती है की एशिया में आर्यन नहीं आए थे बल्कि यही के लोग मध्य एशिया में फैले थे l हड़प्पा सभ्यता का वर्णन
हड़प्पा सभ्यता की आर्थिक व्यवस्थाहड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और पशुपालन पर आधारित थी l इसके अलावा आसपास और सुदूर क्षेत्रों से व्यापार भी किया जाता था l कृषि और पशुपालन
कृषि प्राद्यौगिकी
सुदूर क्षेत्रों से व्यापार (अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान )
सिन्धु घाटी सभ्यता में सामाजिक विभिन्नताशावाधान हड़प्पा सभ्यता में मिली कब्र
Dear UPSC Aspirants Download UPSC Free Material कब्र से प्राप्त तांबे का दर्पण
राजनैतिक व्यवस्था
हड़प्पा सभ्यता में मुहरे,बाँट और लिपिबाँट
लिपि
बाँट
सिन्धु घाटी सभ्यता में शिल्प उत्पादन
मोहनजोदड़ो – सिन्धु घाटी सभ्यता का प्रमुख नगर: एक केस स्टडीमोहनजोदड़ो एक नियोजित शहर था l आज के शहरों की तरह मोहनजोदड़ो भी विकसित और अलंकृत था l वास्तुकला के लिहाज से यह नगर काफी महत्व रखता है l यहां पर आधुनिक आधारभूत सुविधाएं जैसे शौचालय, रसोई, बेडरूम, बाथरूम शौचालय,स्विमिंग पूल इत्यादि भवन की मुख्य विशेषता थी l l मोहनजोदड़ो नगर दो हिस्सों में बना हुआ था l एक ऊंचा परंतु छोटा वही दूसरा नीचा परंतु काफी बड़ा क्षेत्र बसा हुआ था l इमारतों को मुख्य रूप से चबूतरो के ऊपर बनाया गया था l चबूतरो का निर्माण करने में कम से कम 40 लाख श्रम दिवस लगा होगा l पुरातत्वविदो के अनुसार ऊँचाई पर बसे स्थान को दुर्ग और नीचे वाले हिस्से को निचला शहर कहा गया है l दुर्ग को चारो तरफ से दीवारों से घेरा गया था l गृह स्थापत्य कलामोहनजोदड़ो के भवन मुख्य रूप से पक्की ईंटो के बने थे l मोहनजोदड़ो में आवासीय भवन निचले शहर में मिलते हैं l आवासीय भवनों के बीच में एक आंगन होता था l आंगन की चारों तरफ कमरे होते थे l कमरो को इस प्रकार से बनाया गया था कि सभी के द्वार आंगन में खुलते थे l भूमि तल पर बने कमरों में सड़क के साथ लगने वाली दीवार पर एक भी खिड़की नहीं थी l जिससे यह पता चलता है कि हड़प्पा वासी एकांतवास को पसंद करते थे l कुछ भवनों में ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए सीढियाँ प्राप्त हुई हैं l प्रत्येक घर में स्नानघर मिलता है l आंगन में भोजन बनाने और कटाई करते जैसे काम हुआ करते थे l जल के स्रोत के रूप में घरों में कुएँ मिलते हैं l पुरातत्व विदो ने इनको की संख्या लगभग 700 बताई है l जो इस ओर इशारा करता है कि नगर विकसित और बड़ा था l दुर्ग की विशेषताएँ
नालो और सड़को का निर्माणमोहनजोदड़ो की सबसे बेजोड़ खासियत है उसकी जल निकासी प्रणाली l नालों का निर्माण किसके द्वारा किया गया है l सड़क के साथ-साथ नालों का निर्माण किया गया है l थोड़ी थोड़ी दूर पर इसमें गाज और कचरे को निकालने के लिए खुली जगह भी छोड़ी गई है l सड़के और गलियाँ एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं l सड़के खुली और चौड़ी हैं l प्रत्येक भवन की कम से कम एक दीवार सड़क के साथ लगती थी l मोहनजोदड़ो की पक्की नालीसिन्धु घाटी: एक प्राचीन सभ्यता का अंतहड़प्पा सभ्यता के अंत का प्रमुख कारण कोई जनसंहार या आक्रमण नहीं बताया गया है l साक्ष्यों से साबित होता है कि यहां पर कोई युद्ध या आक्रमण नहीं हुआ l सभ्यता के अंत का मुख्य कारण संभवत: जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, अत्यधिक बाढ़, नदियों का सूख जाना या मार्ग बदल लेना, भूमि का अत्यधिक उपयोग आदि सब हो सकते हैं l फिर भी यह कारण कुछ बस्तियों के लिए तो सही साबित हो सकते हैं लेकिन पूरी सभ्यता के लिए ये सही हो ऐसा प्रतीत नहीं होता है l एलेक्जेंडर कनिंघम
जॉन मार्शल : हड़प्पा सभ्यता को विश्व के समक्ष रखने वाले ब्रिटिश अधिकारी
आर. ई. एम. व्हीलर: सिन्धु घाटी सभ्यता के अन्वेषण में योगदान
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते थे?इसमें कार्नीलियन (सुन्दर लाल रंग का), जैस्पर, स्फटिक, क़्वार्ट्ज़ और सेलखड़ी जैसे पत्थर; ताँबा, काँसा तथा सोने जैसे धातुएँ; तथा शंख, फ़यॉन्स और पक्की मिट्टी, सभी का प्रयोग मनके बनाने में होता था। कुछ मनके दो या उससे अधिक पत्थरों को आपस में जोड़कर बनाए जाते थे और कुछ सोने के टोप वाले पत्थर के होते थे।
मनका कैसे बनाया जाता है?मनके बनाने के लिए कई प्रकार के पदार्थ प्रयोग में लाए जाते थे-कार्जीलियन, जैस्पर, स्फटिक, क्वाटर्ज तथा सेलखड़ी जैसे पत्थर, ताँबा, काँसा तथा सोने जैसी धातुएँ तथा फयॉन्स और पकी मिट्टी आदि। कुछ मनके दो या दो से अधिक पत्थरों को मिलाकर भी बनाए जाते थे। कुछ मनकों पर सोने का टोप होता था।
मनके बनाने के लिए कौन सी बस्ती थी?Explanation: हड़प्पा स्थल से बनावली और लोथल दोनों में मनके कारखानों की खोज की गई है।
हडप्पा सभ्यता के कौनसे अवस्थल मनके बनाने के लिए प्रसिद्ध थे नाम लिखे?इसका अधिकांश भाग उष्णकटिबन्धीय वातावरण के क्षेत्र में आता है ।
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