हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?

हड़प्पा सभ्यता या सिन्धु घाटी सभ्यता: ईंटें, मनके और अस्थियाँ l हड़प्पा सभ्यता की खोज सर्वप्रथम दयाराम साहनी ने की थी l अध्याय में सिन्धु घाटी सभ्यता के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी है l नोट्स समझने के लिए कृपया पूरा पेज ध्यान से पढ़े और समझे

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हड़प्पा सभ्यता क्या है?

हड़प्पा सभ्यता प्राचीन भारत की पहली सभ्यता है जिसमें नगरीकरण के अवशेष मिलते हैं l  इसका समय काल  वर्तमान से 4620 वर्ष से लेकर 3920 वर्ष तक निर्धारित किया गया है l  यह एक ऐसी सभ्यता है जो पूर्ण रूप से नियोजित थी l  हड़प्पा सभ्यता को कई चरणों में बांटा गया है l ऐसा देखा गया है कि यह सभ्यता अस्तित्व में आने से पहले क्षेत्र में कई बस्तियां अस्तित्व में थी l  हड़प्पा सभ्यता के पश्चात भी क्षेत्र में  बस्तियों का बसना प्रारंभ रहा है l  हालांकि नवीनतम खोजों से पता चलता है राखीगढ़ी जैसे हड़प्पाई नगरों की खुदाई में कुछ रोचक तथ्य निकल कर सामने आये है l इसके अनुसार यह सभ्यता आज से 8000 से 9000 वर्ष पहले अस्तित्व में थी l 

हड़प्पा सभ्यता के इतिहास के साक्ष्य

 हड़प्पा सभ्यता की जानकारी मुख्य रूप से भौतिक साक्ष्यों पर आधारित है l प्राचीन वस्तुओं को पूरा वस्तुएँ कहा जाता है l

हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
सिन्धु घाटी सभ्यता

हड़प्पा सभ्यता इतिहास के बारे में हमें मुख्य रूप से जानकारी निम्नलिखित पुरा-वस्तुओं से मिलती है:

  • ईंटें
  • मनके
  • अस्थियाँ
  • आवास 
  • मृदभांड
  • मृणमूर्तियाँ  और खिलौने 
  • आभूषण 
  • औजार 
  • मुहरे
  • वनस्पति 
  • शावाधन 
  • अनाज के दाने 
  • जंतुओं के अवशेष 

हड़प्पा सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के इस अध्याय को अच्छी तरह से समझने के लिए यह बहुत जरूरी है कि इस अध्याय में आए सभी प्रकार के कठिन शब्दों को हम अच्छी तरह से समझ ले l 

 तो आइए ऐस ही कुछ शब्दों के बारे में चर्चा करते हैं और उनको समझने की कोशिश करते हैं :

सिन्धु घाटी सभ्यता अध्याय से जुड़े कुछ प्रमुख शब्द

पुरातत्व विज्ञान 

विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत पुरा वस्तुओं या प्राचीन वस्तुओं के विश्लेषण के आधार पर इतिहास का पुनर्निर्माण किया जाता है उसे पुरातत्व विज्ञान कहते हैं l 

पुरातत्व विद 

विद्वान जो पुरा वस्तु की खोज और पुरा वस्तु का अध्ययन करके इतिहास का पुन: निर्माण करते हैं उन्हें पुरातत्व विद कहते हैंl 

पुरा वस्तुएँ

वे वस्तुएँ  जो प्राचीन सभ्यताओं के खोज के दौरान खुदाई में प्राप्त होती हैं उन्हें पूरा वस्तुएँ कहा जाता है 

संस्कृति

संस्कृति शब्द का प्रयोग पूरा वस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते हैं जो एक विशिष्ट शैली के होते हैं l सामान्य रूप से एक साथ एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा कालखंड से संबंधित होते हैं l 

पूरा वनस्पतिज्ञ

वैज्ञानिक जो प्राचीन वनस्पति के अध्ययन के विशेषज्ञ होते हैं l उन्हें पूरा वनस्पतिज्ञ  कहते हैं l ये प्राचीन वनस्पति के विभिन्न पेड़ पौधों की खोज करते है l 

पूरा प्राणी विज्ञानियों अथवा जीव पुरातत्व विद

वे पुरातत्व विद जो प्राचीन जीव जंतुओं की प्रजाति का अध्ययन करते हैं और अन्वेषण के द्वारा उनका पता लगाते हैं l उनको जीव पुरातत्वविद् जीव प्राणीवज्ञानी कहते हैं l 

सभ्यता का काल निर्धारण

एनसीईआरटी पुस्तक के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का समय काल 2600 ईसा पूर्व से 1920 अपूर्व बताया गया है l  वर्तमान समय के अनुसार बात करें तो आज से लगभग 4600 वर्ष से लेकर 3900 वर्ष तक यह सभ्यता अस्तित्व में थी l 

नवीनतम खोजो और अन्वेषण से यह पता चला है कि भारतीय क्षेत्र में पाई जाने वाली राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता में सबसे प्राचीन नगर है l  वैज्ञानिकों ने पता लगाया है राखीगढ़ी के किसानों का डीएनए किसी से भी नहीं करता है l  पुरातत्व विधु के अनुसार राखीगढ़ी का समय काल आज से लगभग 8500 वर्ष पहले का है  अर्थात 6500 ईसा पूर्व का समय निर्धारित किया गया है l 

अन्वेषण इस बात की ओर इशारा करती है की  एशिया में आर्यन नहीं आए थे बल्कि यही के लोग मध्य एशिया में फैले थे l 

हड़प्पा सभ्यता का वर्णन

  • आरंभिक हड़प्पा सभ्यता : हड़प्पा सभ्यता क्षेत्र में ऐसा देखने में आया है कि विकसित हड़प्पा सभ्यता से पहले भी क्षेत्र में कई प्रकार की बस्तियां अस्तित्व में थी l  इन बस्तियों को आरंभिक हड़प्पा सभ्यता कहा गया है
  •  विकसित हड़प्पा सभ्यता: विकसित हड़प्पा सभ्यता हड़प्पा सभ्यता है जिसमें इस सभ्यता का विकास अपने चरम पर था l जिसमें नियोजन मुख्य विशेषता थी l  मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता हड़प्पा नगर पूर्ण रूप से नियोजित थे l  जो वास्तुकला और शहरीकरण का विकसित रूप था l 
  • पूर्ववर्ती हड़प्पा सभ्यता: सिंधु घाटी और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकसित हड़प्पा सभ्यता के पश्चात भी बसी थी इन बस्तियों को पूर्वर्ती हड़प्पा सभ्यता कहा गया है l
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
सिन्धु घाटी सभ्यता

हड़प्पा सभ्यता की आर्थिक व्यवस्था

हड़प्पा सभ्यता की  अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और पशुपालन पर आधारित थी l इसके अलावा आसपास और सुदूर क्षेत्रों से व्यापार भी किया जाता था l 

कृषि और पशुपालन

  • पुरा वनस्पतिज्ञो के अनुसार हड़प्पा स्थलों से अनाज के दानों में गेहूं, दाल, सफेद चना तथा तील के अवशेष प्राप्त हुए हैं l
  • इसके साथ ही यहां पर बाजरे और चावल के दाने के अवशेष भी प्राप्त हुए हैंl  जिससे यह पता चलता है कि इन फसलों की खेती बड़े स्तर पर की जाती थी l 
  • चावल और बाजरे की खेती गुजरात में होती थी l 
  • पशुपालन में मुख्य रूप से भेड़ बकरी तथा सूअर और मवेशियों का स्थान महत्वपूर्ण था l
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
सिन्धु घाटी सभ्यता
  • पालतू पशु भोजन के साथ साथ दूध और पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत थे l 
  • हड़प्पा सभ्यता में कुछ जंगली जानवरों के अवशेष भी प्राप्त होते हैं l
  • जैसे: वराह, हिरण तथा घड़ियाल l 
  • सिंचाई के लिए सम्भवतः नहरों, कुओं और जलाशयों का उपयोग किया जाता था l
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
धौलावीरा के जलाशय

कृषि प्राद्यौगिकी

  • कृषि के तरीकों के बारे में कुछ खास पता नहीं चलता है और ना ही ऐसा कोई सबूत मिलता है जिससे यह पता चल सके कि किस प्रकार से कृषि की जाती थी l 
  • फिर भी मुहरों पर प्राप्त चित्रों से यह ज्ञात होता है की खेती के लिए बैलों का इस्तेमाल किया जाता था l हरियाणा के बनावली और राजस्थान के कालीबंगन नामक स्थान से जूते हुए खेतों के अवशेष प्राप्त हुए हैं l 
  • फसलों की कटाई के लिए लकड़ी के हत्थे वाले औजारों का उपयोग किया जाता था l  कुछ धातुओं के औजारों का प्रयोग देखने को मिलता है l  जिसमें मुख्य रुप से ताबा महत्वपूर्ण हैं l 
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
हड़प्पा सभ्यता में उपयोग होने वाले औजार

सुदूर क्षेत्रों से व्यापार (अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान )

  • पुरातात्विक साक्ष्यों और अन्य स्रोतों से यह सिद्ध होता है कि हड़प्पा सभ्यता का व्यापार सुदूर क्षेत्रों से था l  
  • इसमें मुख्य रूप से ताँबा, कार्नेलियन, लाजवर्द मणि, सोना तथा अन्य प्रकार की लकड़ियों का व्यापार होता था l
  • ऐसा संभव है कि ओमान, बहरीन और मेसोपोटामिया से संपर्क सामुद्रिक मार्गों से था l 
  • ओमान में हड़प्पाई मर्तबान प्राप्त हुआ है l
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
बहरीन में मिली मुहर
  • मेसोपोटामिया की मुहरों से हड़प्पाई वृषभ और नाव के चित्र मिलते है l मेसोपोटामियाई हड़प्पा वासियों को सम्भवतः मेलुहा वासी कहते थे l
  • संभवत मेलूहा शब्द हड़प्पा लोगों के लिए प्रयुक्त होता था l
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
नाव के चित्र वाली मुहर
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
हड़प्पा सभ्यता में व्यापार

सिन्धु घाटी सभ्यता में सामाजिक विभिन्नता

हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
शावाधान हड़प्पा सभ्यता में मिली कब्र
  • सिंधु घाटी सभ्यता में सामाजिक विविधता का पता कई प्रकार से चलता है l
  • ऐसे कई साक्ष्य मिलते हैं जिससे सिद्ध होता है कि समाज विभिनता थे l 
  •  पुरातत्व विद हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक विविधता का पता लगाने के लिए शावाधन का उपयोग करते है l 
  • हड़प्पा सभ्यता से मिले शावाधानो में आमतौर पर मृतकों को गड्ढों में दफनाया गया है l 
  • कभी-कभी शावाधन गर्तों की बनावट एक दूसरे से भिन्न होती थी l 
  • कुछ कब्रों में मृदभांड तथा आभूषण मिले हैं जो संभवत एक ऐसी मान्यता की ओर संकेत करते हैं
  • जिसके अनुसार इन वस्तुओं का मृत्यु प्राप्त उपयोग किया जा सकता था l 
  • पुरुषों और महिलाओं दोनों के शवाधानों के पास से आभूषण प्राप्त हुए हैं l
  • जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों ही आभूषणों का उपयोग करते थे l 
  • कहीं-कहीं पर मृतकों को ताबे के दर्पण के साथ दफनाया गया है l 

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हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
कब्र से प्राप्त तांबे का दर्पण
  • सामाजिक विभिनता को पहचानने की एक और विधि है ऐसी पुरा वस्तुओं की खोज जिन्हें पुरातत्व विद मोटे तौर पर उपयोगी तथा विलास की वस्तुओं में वर्णित करते हैं l  
  • इनमें चकिया, मृदभांड, सुईया और झावाँ इत्यादि रोजमर्रा की वस्तुएं हैं और आसानी से प्रत्येक बस्ती में उपलब्ध हैं l 
  • वहीं पर कुछ ऐसी वस्तुएँ है जो दुर्लभ और महंगी थी और जिनका पाया जाना मुश्किल माना जाता था l 
  • फ्यांस से बनी वस्तुएं मुख्य रूप से बड़े नगरों जैसे मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में पाई गई हैं l
  • जो इस ओर इशारा करती हैं कि यह महंगी और दुर्लभ हुआ करती थी l 
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
फ्यांस का बना पात्र

राजनैतिक व्यवस्था

  • हड़प्पा सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है l 
  • हड़प्पा सभ्यता में पाई जाने वाली वस्तुओं जैसे मृदभांडों, बाँटों, फलको और ईंटों के उत्पादन में समानता मिलती है l 
  • कश्मीर से लेकर गुजरात तक सभी वस्तुओं का एक सामान होना एक ही शासक की और इशारा करता है l
  • और राज्य की और इशारा करती है परन्तु इसके कोई ठोस साबुत प्राप्त नहीं हुए है l 
  • कुछ पुरातत्व विद इसपर एकमत हैं कि हड़प्पा समाज में शासक नहीं थे
  • सभी की सामाजिक स्थिति समान थी l 
  • दूसरी पुरातत्व यह मानते हैं कि यहां कोई एक नहीं बल्कि कई शासक थे l
  • जैसे मोहनजोदड़ो हड़प्पा राखीगढ़ी इत्यादि के अपने अलग-अलग राजा होते थे l 
  • कुछ यह तर्क देते हैं कि यह एक ही राज्य था जैसा कि पूरा वस्तुओं में समानता से पता चलता है
  • नियोजित बस्तियों के साथियों के आकार में निश्चित अनुपात तथा उनके स्रोतों के समीप स्थापित होने से स्पष्ट है l
  • मोहनजोदड़ों से एक मूर्ति मिली है जिसे पुरोहित राजा की संज्ञा दी गयी है l
  • जिसे पुरातत्वविदो ने प्रसाद या शासक कहा है l
  • परन्तु कोई कीमती वस्तु प्राप्त नहीं होती है l
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
पुरोहित राजा

हड़प्पा सभ्यता में मुहरे,बाँट और लिपि

बाँट

  • हड़प्पा सभ्यता में मुहर और मुद्रांकन का उपयोग लंबी दूरी के संपर्कों को सुविधाजनक बनाने के लिए होता था l गीली मिट्टी का उपयोग कर मुहर लगायी जाती थी l 
  • मुहर मुहर इस बात का साबुत थी की माल के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है और मुहर से मालिक की पहचान का भी पता चलता था l 
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
हड़प्पा सभ्यता में उपयोग होने वाले बाँट और फलक

लिपि

  • हड़प्पा लिपि को अब तक पढ़ा नहीं जा सका है और यह आज भी एक रहस्य बनी हुई है l 
  • इस लिपि में 375 से लेकर 400 अक्षर मिलते हैं
  • जो यह दर्शाते हैं कि साक्षरता बहुत बड़े स्तर पर उपलब्ध नहीं थी l  
  • हड़प्पा लिपि दाई से बाई ओर लिखी जाती थी क्योंकि कुछ मोहरों पर दाएं और चौड़ा अंतराल है l 
  • बाएं और यह संकुचित है l 
  • यह लिपि मुहरे,तांबे के औजार, मर्तबान तथा मिट्टी की लघु पट्टिकाएँ, आभूषण पर मिलती है l
  • एक प्राचीन सूचना पट पर भी मिलती हैं जिसे अभी तक पढ़ा नही जा सका है l  

बाँट

  • हड़प्पा सभ्यता में विनिमय के लिए बांटो की एक शुद्ध प्रणाली का उपयोग किया जाता था l  
  • सामान्यता ये चर्ट नामक पत्थर से बनाए जाते थे और आमतौर पर किसी भी तरह के निशान से रहित घनाकार होते थे l 
  • इन बातों के निचले मापदंड द्विधारी अर्थात 1, 2, 4, 8, 16, 32 से लेकर 12800 तक थे l 
  • जबकि ऊपरी मापदंड दशमलव प्रणाली का अनुसरण करते थे l 
  • हड़प्पा सभ्यता से धातु से बने तराजू के पल्ले भी प्राप्त हुए हैं l 

सिन्धु घाटी सभ्यता में शिल्प उत्पादन

  • सिंधु घाटी सभ्यता में शिल्प उत्पादन केंद्र मुख्य रूप से कच्चे माल के स्रोत के समीप स्थित है l
  • उत्पादन केंद्र बड़े नगरों जैसे मोहनजोदड़ो हड़प्पा इत्यादि से बहुत दूर थे l 
  • चहुँदड़ो, नागेश्वर, बालाकोट, लोथल और धौलावीरा इत्यादि से छेद करने वाले यंत्र मिले है l
  • जिससे यह सिद्ध होता है की ये स्थान शिल्प उत्पादन में संलग्न थे l 
  •  उत्पादन कार्य में मुख्य रूप से मनके बनाना, शंख की कटाई, धातु कर्म, मुहर निर्माण और बांट बनाना शामिल था l 
  • मनको की निर्माण में बहुत विविधता मिलती है l 
  • कार्नेलियन, जैस्पर, स्फटिक, क्वार्टज़ तथा सेलखड़ी जैसे पत्थर,का उपयोग मनके बनाने में किया जाता था
  • ताँबा, काँसा तथा सोने जैसी धातुओं शंख और पक्की मिट्टी सभी प्रकार के पदार्थों का उपयोग मनके बनाने में किया जाता था l 
  • मनको को रेखाचित्र और चित्रकारी से सजाया जाता था l
  • सेलखड़ी मुलायम पत्थर था l इसको पीसकर विभिन्न प्रकार की आकृतियों के मनको का निर्माण किया जाता था l
हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
हड़प्पा सभ्यता के शिल्प उत्पादन केंद्र

मोहनजोदड़ो – सिन्धु घाटी सभ्यता का प्रमुख नगर: एक केस स्टडी

मोहनजोदड़ो एक नियोजित शहर था l  आज के शहरों की तरह मोहनजोदड़ो भी  विकसित और अलंकृत था l  वास्तुकला के लिहाज से यह नगर काफी महत्व रखता है l  यहां पर आधुनिक आधारभूत सुविधाएं जैसे शौचालय, रसोई, बेडरूम, बाथरूम शौचालय,स्विमिंग पूल इत्यादि भवन की मुख्य विशेषता थी l l 

मोहनजोदड़ो नगर दो हिस्सों में बना हुआ था l एक ऊंचा परंतु छोटा वही दूसरा नीचा परंतु काफी बड़ा क्षेत्र बसा हुआ था l  इमारतों को मुख्य रूप से चबूतरो के ऊपर बनाया गया था l  चबूतरो का निर्माण करने में कम से कम 40 लाख श्रम दिवस लगा होगा l पुरातत्वविदो के अनुसार ऊँचाई पर बसे स्थान को दुर्ग और नीचे वाले हिस्से को निचला शहर कहा गया है l दुर्ग को चारो तरफ से दीवारों से घेरा गया था l  

गृह स्थापत्य कला

मोहनजोदड़ो के भवन मुख्य रूप से पक्की ईंटो के बने थे l मोहनजोदड़ो में आवासीय भवन निचले शहर में मिलते हैं l  आवासीय भवनों के बीच में एक आंगन होता था l  आंगन की चारों तरफ कमरे होते थे l  कमरो को इस प्रकार से बनाया गया था कि सभी के द्वार आंगन में खुलते थे l  भूमि तल पर बने कमरों में सड़क के साथ लगने वाली दीवार पर एक भी खिड़की नहीं थी l  जिससे यह पता चलता है कि हड़प्पा वासी एकांतवास को पसंद करते थे l 

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मोहनजोदड़ो का एक घर

कुछ भवनों में ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए सीढियाँ प्राप्त हुई हैं l  प्रत्येक घर में स्नानघर मिलता है l  आंगन में भोजन बनाने और कटाई करते जैसे काम हुआ करते थे l  जल के स्रोत के रूप में घरों में कुएँ मिलते हैं l  पुरातत्व विदो ने इनको की संख्या लगभग 700 बताई है l  जो इस ओर इशारा करता है कि नगर विकसित और बड़ा था l 

दुर्ग की विशेषताएँ

  • दुर्ग निचले शहर से ऊपर एक चबूतरे पर बसा हुआ क्षेत्र है l  इस पर कई  बड़ी इमारतें मिलती हैं l 
  • जिस पर माल गोदाम, विशाल स्नानागार, महाविद्यालय और एक स्तूप बना था l  स्नानागार  को चारों तरफ से जिप्सम की सहायता से जलवत किया गया था l
  • इसमें उत्तर और दक्षिण की ओर से सीढियाँ है l 
  • स्नानागार के तीन तरफ कमरे बने हुए हैं जिसमें एक कुआँ भी है l
  • सम्भवतः  इसका प्रयोग स्नानागार में जल भरने के लिए किया जाता होगा l 
  • स्नानागार से निकलने वाला जल बगल के नाले में गिरता था l
  • ुरातत्व विधियों का ऐसा मानना है कि यह स्थान किसी अनुष्ठान कार्य के लिए उपयोग में लाई जाती थी l 
  •  दुर्ग पर एक टीला भी मिलता है l 
  • जहां पर कई मृत शरीर पाए गए थे l 
  • यहां पर एक स्तूप बना हुआ है l 
  • दुर्ग की जांच पड़ताल से यह पता चलता है कि इसका निर्माण खासतौर से अनुष्ठान इस कार्य के लिए ही किया गया था l 

नालो और सड़को का निर्माण

मोहनजोदड़ो की सबसे बेजोड़ खासियत है उसकी जल निकासी प्रणाली l  नालों का निर्माण किसके द्वारा किया गया है l  सड़क के साथ-साथ नालों का निर्माण किया गया है l  थोड़ी थोड़ी दूर पर इसमें गाज और कचरे को निकालने के लिए खुली जगह भी छोड़ी गई है l सड़के और गलियाँ एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं l  सड़के खुली और चौड़ी हैं l प्रत्येक भवन की कम से कम एक दीवार सड़क के साथ लगती थी l

हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते हैं? - hadappa sabhyata mein manake kaise banae jaate hain?
मोहनजोदड़ो की पक्की नाली

सिन्धु घाटी: एक प्राचीन सभ्यता का अंत

हड़प्पा सभ्यता के अंत का प्रमुख कारण कोई जनसंहार या आक्रमण नहीं बताया गया है l 

साक्ष्यों से साबित होता है कि यहां पर कोई युद्ध या आक्रमण नहीं हुआ l 

सभ्यता के अंत का मुख्य कारण संभवत: जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, अत्यधिक बाढ़, नदियों का सूख जाना या मार्ग बदल लेना, भूमि का अत्यधिक उपयोग आदि सब हो सकते हैं l 

फिर भी यह कारण कुछ बस्तियों के लिए तो सही साबित हो सकते हैं लेकिन पूरी सभ्यता के लिए ये सही हो ऐसा प्रतीत नहीं होता है l 

एलेक्जेंडर कनिंघम

  • अलेक्जेंडर कनिंघम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रथम जनरल गवर्नर थे l कनिंघम 1861 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल बने l
  • ब्रिटिश इंडिया में ब्रिटिश सरकार में  सैन्य अधिकारी थे l  
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल कनिंघम ने 19वीं शताब्दी के मध्य में पुरातात्विक उत्खनन आरंभ किए l  
  • कनिंघम ने अपने सर्वेक्षण के दौरान मिले अभिलेखों का संग्रहण पर लेखन तथा अनुवाद भी किया l  
  • हड़प्पा वस्तुएं 19वीं शताब्दी में कभी कभी मिलती थी और कनिंघम तक पहुंची भी l 
  • एक अंग्रेज ने कनिंघम को हड़प्पा में पाई गयी एक मुहर दी l 
  • उन्होंने मुहर पर ध्यान तो दिया पर उन्होंने उसे एक ऐसे कालखंड में बिना अंकित करने का असफल प्रयास किया जिससे परिचित थे l 

जॉन मार्शल : हड़प्पा सभ्यता को विश्व के समक्ष रखने वाले ब्रिटिश अधिकारी

  • 1924 में जॉन मार्शल भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल बने l  
  • उन्होंने पूरे विश्व के समक्ष सिंधु घाटी में एक नवीन सभ्यता की खोज की घोषणा की l  
  • भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल के रूप में जॉन मार्शल का कार्यकाल वास्तव में भारतीय पुरातत्व में एक व्यापक परिवर्तन का काल था 
  • यह भारत में कार्य करने वाले पहले पेशेवर पुरातत्व विद थे l
  • वे यहां यूनानी तथा क्रीट में अपने कार्यों का अनुभव लेकर आये थे l  
  • हालांकि अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि कनिंघम की तरह ही उन्हें भी आकर्षक खोजो में दिलचस्पी थी l 
  • पर उनमें दैनिक जीवन की पद्धति को जानने की भी उत्सुकता थी l 

आर. ई. एम. व्हीलर: सिन्धु घाटी सभ्यता के अन्वेषण में योगदान

  • आर. ई. एम. व्हीलर का पूरा नाम रॉबर्ट एरिक मॉर्टिमर व्हीलर था l यह एक ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता और अधिकारी थे l 
  • व्हीलर को 1944 में (आरकेलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का डायरेक्टर जनरल बनाया गया l 
  • अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत में कई जगह उत्खनन कार्य करवाया जैसे ब्रह्मगिरि, अरिकामेडू और हड़प्पा l  
  • व्हीलर की हड़प्पा सभ्यता में विशेष रूचि थी l उन्होंने मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के उत्खनन में विशेष रूचि ली l 
  • व्हीलर ने पहचाना कि एक समान क्षैतिज इकाइयों के आधार पर खुदाई की बजाय टीले के स्तर विन्यास का अनुसरण करना अधिक आवश्यक है l 
  • साथ ही सेना के पूर्व ब्रिगेडियर के रूप में उन्होंने पुरातत्व के पद्धति में एक सैनिक परिशुद्धता का समावेश भी किया l 

हड़प्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते थे?

इसमें कार्नीलियन (सुन्दर लाल रंग का), जैस्पर, स्फटिक, क़्वार्ट्ज़ और सेलखड़ी जैसे पत्थर; ताँबा, काँसा तथा सोने जैसे धातुएँ; तथा शंख, फ़यॉन्स और पक्की मिट्टी, सभी का प्रयोग मनके बनाने में होता था। कुछ मनके दो या उससे अधिक पत्थरों को आपस में जोड़कर बनाए जाते थे और कुछ सोने के टोप वाले पत्थर के होते थे

मनका कैसे बनाया जाता है?

मनके बनाने के लिए कई प्रकार के पदार्थ प्रयोग में लाए जाते थे-कार्जीलियन, जैस्पर, स्फटिक, क्वाटर्ज तथा सेलखड़ी जैसे पत्थर, ताँबा, काँसा तथा सोने जैसी धातुएँ तथा फयॉन्स और पकी मिट्टी आदि। कुछ मनके दो या दो से अधिक पत्थरों को मिलाकर भी बनाए जाते थे। कुछ मनकों पर सोने का टोप होता था।

मनके बनाने के लिए कौन सी बस्ती थी?

Explanation: हड़प्पा स्थल से बनावली और लोथल दोनों में मनके कारखानों की खोज की गई है।

हडप्पा सभ्यता के कौनसे अवस्थल मनके बनाने के लिए प्रसिद्ध थे नाम लिखे?

इसका अधिकांश भाग उष्णकटिबन्धीय वातावरण के क्षेत्र में आता है ।