सिंधु घाटी सभ्यता का धार्मिक जीवन / हड़प्पा सभ्यता का धार्मिक जीवन : सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का धार्मिक जीवन प्रमुखतः मातृ देवी पूजन पर आधारित था। खुदाई में काफी अधिक संख्या में नारी की मूर्तियां मिली हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि सैन्धव वासी मातृ देवी की पूजा किया करते थे और परिवार में भी स्त्री के आदेशों का ही अनुसरण किया जाता था। Show
सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का धार्मिक जीवन
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हड़प्पा सभ्यता के लोगों के धार्मिक और सामाजिक जीवन के बारे में आप क्या जानते हैं?सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का धार्मिक जीवन
सैन्धव वासी मातृ देवी के साथ ही देवताओं की उपासना भी किया करते थे। धार्मिक अनुष्ठानों के लिए धार्मिक इमारतें बनाई गयीं थी। लेकिन मन्दिर के प्रमाण प्राप्त नहीं होते हैं। मातृ देवी और देवताओं को बलि भी दी जाती थी।
हड़प्पा संस्कृति के लोगों के सामाजिक जीवन के प्रमुख विशेषता क्या है?हड़प्पा सभ्यता के निवासी कई प्रकार के पेड़-पौधों से प्राप्त उत्पाद और जानवरों जिनमें मछली भी शामिल है, से प्राप्त भोजन करते थे। जले अनाज के दानों तथा बीजों की खोज से पुरातत्वविद आहार संबंधी आदतों के विषय में जानकारी प्राप्त करने में सफल हो पाए हैं। स्थलों से प्राप्त हुए थे। चावल के दाने अपेक्षाकृत कम पाए गए हैं।
सिंधु घाटी के लोगों के सामाजिक जीवन के बारे में आप क्या जानते हैं?Solution : (1) सामाजिक जीवन : सिन्धु घाटी का समाज 'मातृ प्रधान' था। व्यवसाय के आधार पर समाज चार भागों में विभाजित था-विद्वान, योद्धा, व्यवसायी तथा मजदूर। यहाँ के निवासी शाकाहारी होने के साथ-साथ माँसाहारी भी थे। गेहूँ और जौ की रोटी विशेष रूप से खायी जाती थी।
हड़प्पा के लोगों के धर्म के बारे में आप क्या जानते हैं?हड़प्पा सभ्यता का हिन्दू धर्म के बीच सामानता
खुदाई के दौरान हिन्दू धर्म के प्राचीन स्थिति कैसी थी यह बाय बात स्पष्ट हो जाती है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में मिली मूर्तिया मातृदेवी और प्रकृति देवी की है। प्राचीन काल में भारतीय मातृदेवी और प्रकृति देवी की पूजा अर्चना किया करते थे।
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