हस्तिनापुर की राजगद्दी पर कौन बैठा? - hastinaapur kee raajagaddee par kaun baitha?

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 2 भीष्म-प्रतिज्ञा are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 2 भीष्म-प्रतिज्ञा

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 2

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सत्यवती कौन थी? राजा शांतनु ने उसे कहाँ देखा?
उत्तर:
सत्यवती मल्लाहों के राजा केवटराज की पुत्री और राजा शांतनु की दूसरी पत्नी थी। राजा शांतनु ने यमुना नदी के किनारे देखा था।

प्रश्न 2.
केवटराज ने शांतन के सामने क्या शर्त रखी थी?
उत्तर:
पुत्री से विवाह का प्रस्ताव सुनकर केवटराज ने शांतनु से शर्त रखी कि आपके बाद हस्तिनापुर के राज-सिंहासन पर मेरी लड़की का पुत्र बैठेगा। क्या आप मुझे इस बात का वचन दे सकते हैं?

प्रश्न 3.
केवटराज ने देवव्रत के सामने दूसरी शर्त क्या रखी?
उत्तर:
दूसरी शर्त में केवटराज में कहा कि मुझे डर है कि आपकी संतान आपके वचन का ध्यान न रखकर मेरे नाती से राज्य छीनने की कोशिश करने लगे तो आपके वचन का क्या होगा?

प्रश्न 4.
सत्यवती को देखकर राजा शांतनु के मन में क्या इच्छा बलबती हो उठी?
उत्तर:
सत्यवती को देखकर राजा शांतनु के मन में उसे अपनी पत्नी बनाने की इच्छा बलबती हो उठी।

प्रश्न 5.
केवटराज ने सत्यवती के विवाह के लिए क्या शर्त लगाई ?
उत्तर:
केवटराज ने शर्त लगाई-शांतनु की मृत्यु के बाद सत्यवती का पुत्र ही हस्तिनापुर के राज सिंहासन पर बैठेगा।

प्रश्न 6.
केवटराज की प्रथम शर्त पर देवव्रत ने क्या उत्तर दिया।
उत्तर:
केवटराज की प्रथम शर्त सुनकर देवव्रत ने कहा- मैं वचन देता हूँ कि मेरे पिता के बाद सत्यवती का पुत्र ही राजा बनेगा।

प्रश्न 7.
देवव्रत ने केवटराज की शंका का निवारण कैसे किया?
उत्तर:
केवटराज’ की शंका निवारण करते हुए देवव्रत ने कहा- “मैं जीवन भर विवाह नहीं करूँगा। आजन्म ब्रह्मचारी रहूँगा। मेरे संतान ही नहीं होगी। अब तो तुम खुश हो।”

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
देवव्रत किस प्रतिज्ञा के कारण भीष्म कहलाए।
उत्तर:
जीवनभर विवाह न करने तथा आजन्म ब्रह्मचारी रहने की भयंकर प्रतिज्ञा के कारण देवव्रत भीष्म कहलाए। इन्हीं कारणों से वे भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुए।

प्रश्न 2.
सत्यवती से शांतनु को कितने पुत्र प्राप्त हुए। उनके नाम बताइए।
उत्तर:
सत्यवती से शांतनु के दो पुत्र हुए चित्रांगद और विचित्रवीर्य।

प्रश्न 3.
शांतनु के बाद हस्तिनापुर के सिंहासन पर कौन बैठा?
उत्तर:
शांतनु के बाद हस्तिनापुर के सिंहासन पर चित्रांगद बैठा। उसके युद्ध में मारे जाने के बाद विचित्रवीर्य ने राजगद्दी सँभाली।

प्रश्न 4.
देवव्रत के चरित्र से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
देवव्रत ने अपने पिता की खुशी के लिए अपना सबकुछ बलिदान कर दिया और आजीवन शादी न करने की प्रण ली। उनके पिता जिस सुंदरी से विवाह करना चाहते थे उसके पिता की भी ऐसी ही शर्त थी। अपने पिता के लिए ऐसी कठोर प्रतिज्ञा लेने वाले देवव्रत के चरित्र से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने माता-पिता की खुशी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देना चाहिए।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 2

राजा शांतनु अपने तेजस्वी बेटे को पालकर प्रसन्नचित होकर खुशी-खुशी अपने नगर में लौट गए। गंगा से देवव्रत को प्राप्त करके शांतनु ने उसको राजकुमार बना दिया। इस प्रकार से चार वर्ष बीत गए। एक दिन राजा शांतनु यमुना के किनारे घूम रहे थे। वहाँ उन्होंने नदी के किनारे सत्यवती नाम की युवती को देखा। राजा ने उससे अपने प्रेम की याचना की तो सत्यवती ने बताया कि मेरे पिता मल्लाहों के सरदार हैं। आप उनसे अनुमति लीजिए फिर मैं आपसे विवाह करने के लिए तैयार हूँ।

राजा शांतनु ने जब अपनी इच्छा प्रकट की तो, केवटराज ने कहा- “आपको मुझे एक वचन देना पड़ेगा।” राजा शांतनु ने कहा-“जो माँगोगे दूंगा यदि वह मेरे लिए अनुचित न हो।”

केवटराज बोले- “आपके बाद हस्तिनापुर के राज सिंहासन पर मेरी लड़की का पुत्र बैठेगा, इस बात का आप मुझे वचन दे सकते हैं” केवटराज की शर्त राजा शांतनु को नागवार लगी। निराश मन से वे अपने नगर राज्य को लौट आए। उनकी व्यथा को देखकर देवव्रत ने अपने पिता शांतनु से पूछा कि आपको किस बात की चिंता है। राजा शांतनु के स्पष्ट जवाब न पाकर देवव्रत ने उनके सारथी से पूछा। सारथी ने उस दिन राजा और केवटराज की बातों को बताया। अपने पिता के मन की व्यथा को जानकर देवव्रत केटवराज के पास गए और, बोले आप अपनी पुत्री का विवाह राजा शांतनु से कर दें। केवटराज ने पुनः वही शर्त देवराज देवव्रत के सामने रखी। देवव्रत ने कहा कि मैं वचन देता हूँ कि पिता के बाद सत्यवती का पुत्र ही राजा बनेगा।

इस पर केवटराज ने कहा- मुझे आप पर भरोसा है कि अपने वचन पर अटल रहेंगे, किंतु आप जैसे वीर का पुत्र भविष्य में मेरे नाती से राज्य छीनने का प्रयास नहीं करेगा, यह मैं कैसे मान लूँ।” केवटराज के इस प्रश्न को सुनकर पितृ भक्त देवव्रत तनिक भी विचलित नहीं हुए। गंभीर स्वर में देवव्रत ने कहा- “मैं जीवन भर विवाह नहीं करूँगा। आजन्म ब्रह्मचारी रहूँगा। मेरे संतान ही न होगी। अब तो तुम संतुष्ट हो?”

देवव्रत के इस भयंकर प्रतिज्ञा के कारण ही उनका नाम भीष्म पड़ गया। केवटराज ने खुशी-खुशी अपनी पुत्री को देवव्रत के साथ विदा कर दिया।

उत्तर प्रदेश राज्य का मेरठ शहर जिसे समृद्ध शहर माना जाता है इस से 40 किलोमीटर दूर प्राचीन नदी गंगा के किनारे पर हस्तिनापुर बसा हुआ है।हस्तिनापुर का उल्लेख न केवल पुरानी कथाओं में है बल्कि आपको आधुनिक भारत के मानचित्र में भी देखने को मिल जाएगा। कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध के साक्ष्य के रूप में हस्तिनापुर को देखा जाता है। अपने ऐतिहासिक दृष्टिकोण की वजह से वर्तमान समय में हस्तिनापुर पर्यटन का बहुत बड़ा स्थल बन चुका है।

दोस्तों आपने महाभारत सीरियल देखा होगा तो उसमें हस्तिनापुर का जिक्र आपको देखने को मिलता है लेकिन बहुत से लोगों को हस्तिनापुर के इतिहास के बारे में पता ही नहीं रहता है। आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको हस्तिनापुर के इतिहास के बारे में ऐसे रोचक तथ्य बताएंगे जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सुना होगा।

Table of Contents

  • हस्तिनापुर की स्थापना के पीछे की कहानी 
    • हस्तिनापुर के ऐतिहासिक अवशेष
    • निष्कर्ष :
    • लोगो द्वारा पूछे गए प्रश्न :
      • प्रश्न :1हस्तिनापुर का प्रथम राजा कौन था?
      • प्रश्न :2 हस्तिनापुर का अंतिम राजा कौन बना?
      • प्रश्न . 3 महाभारत के हस्तिनापुर का वर्तमान नाम क्या है?
      • प्रश्न .4 हस्तिनापुर कौन से राज्य में आता है?
      • प्रश्न .5 भूमन्यु कौन था?
      • प्रश्न.6  हस्तिनापुर का वर्तमान नाम क्या है?

हस्तिनापुर की स्थापना के पीछे की कहानी 

दोस्तों भरत राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे राजा दुष्यंत ने भरत के बड़े होने पर उसका विवाह करवा कर सिंहासन उसको सोप दिया। भरत के 9 पुत्र हुए थे जब भरत वृद्ध हो गए तब वह हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए काफी चिंतित थे क्योंकि पुरानी परंपरा के अनुसार सिंहासन पर जेष्ठ पुत्र को बैठाया जाता था यही राजा भरत के लिए चिंता का कारण था इसके लिए उसने अपने मंत्रियों और बेटों से इस बारे में बातचीत की। इस बीच में यह एहसास हुआ कि उनके 9 पुत्रों में से कोई भी ऐसा नहीं है जो राजगद्दी के लिए उपयुक्त हो।

लेकिन राजा भरत के पास अपने जेष्ठ पुत्र को राजगद्दी पर बैठाने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं था।वह अपने जेष्ठ पुत्र को सिंहासन पर बैठाने के लिए तैयार हो गए इस बीच उन्होंने अपने अतीत को याद करते हुए यह देखा कि किस तरह से उनके माता-पिता ने उन्हें गर्व के साथ सिंहासन सौंपा था इसके साथ ही उन्होंने अपने गुरु के उपदेशों को भी याद किया। राजा भरत अपने पिता दुष्यंत की तरह काफी बहादुर  शक्तिशाली राजा थे और वह अपनी जनता का बहुत अच्छी तरीके से ख्याल रखते थे वह इस बारे में सोच रहे थे की शायद उनके पुत्र उनकी तरह जनता का ख्याल नहीं रखेंगे इससे उनका राज्य नष्ट हो जाएगा। इसके लिए उनके दिमाग में एक विचार आया की अपने पुत्र के अलावा अपने राज्य का उत्तराधिकारी किसी और को बनाएंगे। राजा भरत के सामने एक बहुत ही शक्तिशाली नौजवान का दृश्य सामने आया जो काफ़ी बहादुर भी था और उनके राज्य को उनकी तरह संभाल सकता था।

अब राजा भरत को अपने परिवार से हटकर अपने साम्राज्य के बारे में सोचना था एक दिन उन्होंने दरबार में सभा बुलाई और उन्होंने कहा कि मैं राजा भरत भूमन्यु को अपने राज्य का नया उत्तराधिकारी घोषित करता हूं राजा भरत की यह बात सुनकर सभा में बैठे सभी लोग चौक गए कि उन्होंने अपने पुत्रों को छोड़कर एक साधारण नौजवानों को अपने राज्य का उत्तराधिकारी क्यों बना दिया ? सभी लोग भूमन्यु को उत्तराधिकारी घोषित करने के पीछे का कारण राजा भरत से जानना चाहते थे। तब राजा भरत ने भूमन्यु को अपने दरबार में बुलाया और राजगद्दी पर बैठा दिया राजा भरत ने कहा तुम एक अकेले इंसान हो जिसे मैं इस सिंहासन के लिए योग्य मानता हूं मैं नहीं चाहता कि मैं अपने अयोग्य पुत्रों को सिंहासन पर बैठा कर सिंहासन के साथ अन्याय करू।

दरबार में बैठे सभी लोगों से राजा भरत ने कहा मैं इस नौजवान की बहादुरी से बहुत प्रसन्न हूं और यदि इस सिंहासन का कोई सही उत्तराधिकारी है तो वह भूमन्यु है तब राजा भरत भूमन्यु का हाथ पकड़कर उसका अभिवादन करते हैं भूमन्यु ने भी राजा भरत के अनुसार अपनी जनता का ध्यान रखा और अच्छी तरीके से शासन किया। भूमन्यु के बाद उनके पुत्र सुबहोध्रा ने भी अच्छी तरह से शासन किया सुबहोध्रा के बाद उनके पुत्र हस्तिन ने राजकाज संभाला और हस्तिन ने ही हस्तिनापुर की स्थापना की थी। कहा जाता है कि हस्तिनापुर को राजधानी बनाने से पहले उनकी राजधानी खांडवप्रस्थ हुआ करती थी लेकिन जल प्रलय के कारण यह पूरी तरीके से नष्ट हो चुकी थी इसी वजह से उन्होंने अपनी राजधानी को बदलकर हस्तिनापुर कर लिया।

हस्तिन के बाद अजामीढ़, दक्ष, संवरण और कुरु ने अपने अपने हिसाब से राज्य की डोर संभाली क्रमांनुसार राज्य किया कुरु का वंशज शांतनु हुआ यहीं से इतिहास ने अपनी रूपरेखा तैयार कर ली थी शांतनु के दो पुत्र हुए पांडु और धृतराष्ट्र उनके पुत्र पांडव और कौरवों ने राज्य के बंटवारे के लिए महाभारत जैसे बड़े युद्ध की लड़ाई लड़ी।

हस्तिनापुर के ऐतिहासिक अवशेष

हस्तिनापुर में प्राचीन काल में बहुत सी घटनाएं घटी हैं जिनके अवशेष आज भी हस्तिनापुर में मौजूद है। हस्तिनापुर से जुड़ी ऐतिहासिक चीजों के अवशेष आज भी जमीन में दफन है हस्तिनापुर के छह तल हुआ करते थे जिनके अवशेष आपको आज भी देखने को मिल जाएंगे।

हस्तिनापुर के महल के अंदर महादेव का मंदिर आज भी विद्यमान है यह वही मंदिर है जिसमें पांडवों की रानी द्रोपति यज्ञ किया करती थी।इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग और पांचों पांडवों की मूर्तियां महाभारत काल की बताई जाती हैं।

हस्तिनापुर के महल में आज भी बहुत पुराना वटवृक्ष मौजूद है जहां पर लोग अपनी मनोकामना के लिए जाते है इसके साथ ही विशालकाय जल कुआ भी मौजूद है।

निष्कर्ष :

उम्मीद है दोस्तों आपको हमारी द्वारा बताई गई जानकारी हस्तिनापुर का इतिहास अच्छे से समझ में आ गई होगी राजा भरत के शासनकाल से लेकर हस्तिनापुर के निर्माण तक की संपूर्ण घटना के बारे में हमने आपको जानकारी दी है। यदि फिर भी आपका हस्तिनापुर के इतिहास से जुड़ा कोई भी प्रश्न है तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम से पूछ सकते हैं।

लोगो द्वारा पूछे गए प्रश्न :

प्रश्न :1हस्तिनापुर का प्रथम राजा कौन था?

उत्तर : हस्तिनापुर का सबसे पहला राजा भरत था और पुराणों में यह उल्लेख किया गया है कि राज्य भारत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा था।

प्रश्न :2 हस्तिनापुर का अंतिम राजा कौन बना?

उत्तर : हस्तिनापुर का अंतिम राजा निचक्षु था जो की राजा परीक्षित का वंशज था अंतिम शासनकाल इसी ने संभाला था।

प्रश्न . 3 महाभारत के हस्तिनापुर का वर्तमान नाम क्या है?

उत्तर : हस्तिनापुर मेरठ शहर का एक छोटा सा जिला है इसका वर्तमान समय में नाम हस्तिनापुर ही है।

प्रश्न .4 हस्तिनापुर कौन से राज्य में आता है?

उत्तर : हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है जो की मेरठ से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

प्रश्न .5 भूमन्यु कौन था?

उत्तर : भूमन्यु भारतीय पुराणों के अनुसार एक महर्षि थे जो बाद में राजा भरत के पुत्र बने और राज सिंहासन को संभाला इनकी माता का नाम सुनंदा था जो काशी नरेश सर्पसेन की पुत्री थी।

प्रश्न.6  हस्तिनापुर का वर्तमान नाम क्या है?

उत्तर : हस्तिनापुर का वर्तमान नाम हस्तिनापुर ही है जो उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में बसा हुआ एक नगर है।

हस्तिनापुर की गद्दी पर कौन बैठा?

कहानी हस्तिनापुर की चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बालकाल में ही राजा शांतनु की मृत्यु हो गई. बड़े होने के बाद चित्रांगद हस्तिनापुर की राज गद्दी में बैठे और गन्धर्वों के साथ युद्ध के दौरान मारे गए. चित्रांगद के बाद हस्तिनापुर के राजा बने सत्यवती के दूसरे पुत्र विचित्रवीर्य.

उस समय हस्तिनापुर का राजा कौन था?

हस्तिनापुर के राजा का नाम क्या था? हस्तिनापुर कुरुवंश राज्य की गौरवशाली राजधानी थी जिस पर राजा धृतराष्ट्र के बाद पांडु के जेष्ठ पुत्र युधिष्ठिर ने राज्य किया।

हस्तिनापुर का सबसे पहला राजा कौन था?

हिन्दू इतिहास में हस्तिनापुर के लिए पहला सन्दर्भ सम्राट भरत की राजधानी के रूप में आता है। महा काव्य महाभारत में वर्णित घटनाएँ हस्तिनापुर में घटी घटनाओं पर आधारित है।

पांडवों के बाद हस्तिनापुर का राजा कौन बना?

सम्राट जनमेजय अपने पिता परीक्षित की मृत्यु के पश्चात् हस्तिनापुर की राजगद्दी पर विराजमान हुये। पौराणिक कथा के अनुसार परीक्षित पाण्डु के एकमात्र वंशज थे।