गणित महत्वपूर्ण विषय क्यों है स्पष्ट कीजिये? - ganit mahatvapoorn vishay kyon hai spasht keejiye?

मुख्यपृष्ठMATHEMATICSगणित के 10 महत्वपूर्ण दैनिक जीवन में उपयोग जानें

 बहुत से लोग गणित को एक विषय मानते हैं, लेकिन वास्तव में यह संभावनाओं और विचारों की एक रोमांचक दुनिया है। एक पेड़ की तरह, इसकी कई अलग-अलग शाखाएँ हैं।

गणित महत्वपूर्ण विषय क्यों है स्पष्ट कीजिये? - ganit mahatvapoorn vishay kyon hai spasht keejiye?

गणित के निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपयोग

1) गणित एक भाषा है। गणित के एक नए क्षेत्र का अध्ययन करने से आपको एक सार्वभौमिक बातचीत का हिस्सा बनने में मदद मिल सकती है।

2) पैसा। विषय के बारे में अधिक समझने से व्यक्ति को मुद्रा, ब्याज दरों, ऋणों और परिसंपत्तियों के बारे में अधिक जानने में मदद मिलती है। यह आपको बिक्री के प्रतिशत का तुरंत पता लगाने या बुद्धिमानी से निवेश करने की अनुमति भी देता है।

3) माप और खाना पकाने। एक केक को आठ बराबर टुकड़ों में काटने की जरूरत है? इसके लिए आपको भिन्नों की आवश्यकता होगी। कैसे मीट्रिक और शाही माप के बीच परिवर्तित करने के बारे में? हां, नंबर काम आने वाले हैं।

4) प्रोग्रामिंग। कंप्यूटर कोडिंग संख्याओं पर आधारित होती है। एल्गोरिदम में अक्सर गणना शामिल होती है।

5) खेल। लक्ष्यों का मिलान करना, जीतने के लिए कितने अंकों की आवश्यकता है, इस पर नज़र रखना और यह अनुमान लगाना कि कौन जीतेगा या हारेगा, कुछ गणितीय तरकीबें हैं जिनका प्रदर्शन किया जा सकता है।

6) विज्ञान। तापमान, माप, रूपांतरण ... सूची चलती रहती है। चाहे आप जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी या पृथ्वी विज्ञान का अध्ययन कर रहे हों, आपको गणित की आवश्यकता होगी।

7) संगीत। संगीत के पैमाने आठ स्वरों से बने होते हैं और स्वरों के बीच की दूरी महत्वपूर्ण चीजों जैसे हारमोंस और कॉर्ड्स में जाती है। यह कोई संयोग नहीं है कि गणित में अच्छा होने का मतलब अक्सर एक व्यक्ति में संगीत की क्षमता भी होती है।

8) पहेलियाँ। नए तरीके से सोचने में सक्षम होना गणित की खूबियों में से एक है। ज्यामिति विशेष रूप से स्थानिक सोच में सहायता करती है। जो बच्चे युवावस्था में पहेलियाँ पूरी करते हैं, उन्हें बाद में जीवन में बेहतर गणितीय योग्यता दिखाई गई है।

9) समस्या का समाधान। बाड़ बनाने की जरूरत है? अपनी सफेद दीवारों को नीला करने के लिए कितना पेंट खरीदना है, यह तय करने के बारे में क्या? ऐसा करने में सक्षम होने के लिए बीजगणित एक महान उपकरण है।

10) नेविगेशन। सदियों से जहाजों ने सटीक दूरी मापने के लिए कंपास और सेक्सटेंट का इस्तेमाल किया है। आज, जीपीएस और अन्य डिजिटल सिस्टम हमें सही दिशा में चलाने के लिए गणित की शक्ति का उपयोग करते हैं। गणित के बिना, हम सचमुच खो गए हैं।

गणित के और भी कई उपयोग हैं। हम जहां भी जाते हैं नंबर हमें घेर लेते हैं। पुलों में इंजीनियरिंग, इंटरनेट बनाने के लिए कोड, मुद्रा विनिमय दर, पिनकोड और तालों का संयोजन, मौसम का पूर्वानुमान, खरीदारी की बिक्री और रेस्तरां सभी गणित पर निर्भर हैं। गणित के नए क्षेत्रों को सीखकर, आप दुनिया में और अधिक संभावनाओं के लिए खुद को खोज रहे हैं।

Que : 5. गणित शिक्षण के मूल्यों का वर्णन कीजिये।

Answer:   गणित शिक्षण के मूल्य :

गणित शिक्षण द्वारा मुख्य रूप से निम्न मूल्यों अथवा लाभों की प्राप्ति हो सकती है–

1. बौद्धिक मूल्य– बौद्धिक विकास हेतु गणितीय शिक्षण का बहुत महत्व है। पाठ्यक्रम का अन्य कोई विषय ऐसा नहीं है जो कि गणित की तरह बच्चों के मस्तिष्क को क्रियाशील बनाता हो। गणित की हर समस्या को हल करने हेतु मानसिक कार्य की जरूरत होती है। जैसे ही गणित की कोई समस्या बच्चे के सामने आती है उसका मस्तिष्क उस समस्या को समझने एवं उसका समाधान करने हेतु क्रियाशील हो जाता है। गणित की हर समस्या एक ऐसे क्रम से गुजरती है जो कि एक रचनात्मक तथा सृजनात्मक प्रक्रिया हेतु जरूरी है। इस तरह बच्चे की सम्पूर्ण मानसिक शक्तियों का विकास गणित पढ़ने से आसानी से हो जाता है। किसी भी समस्या का उचित हल ज्ञात करने की क्षमता का विकास गणित के अध्ययन से ही सम्भव है।

गणित का अध्ययन करने से बच्चे को अपनी सभी मानसिक शक्तियों को विकसित करने का पूर्ण अवसर मिलता है। गणित का अध्ययन बच्चों को अपनी निरीक्षण शक्ति, तर्क शक्ति, स्मरण शक्ति, एकाग्रता, मौलिकता, अन्वेषण शक्ति, विचार तथा चिन्तन शक्ति, आत्मनिर्भरता एवं कठिन परिश्रम आदि सभी मानसिक शक्तियों को पूर्णरूप से विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।

2. प्रयोगात्मक मूल्य– हमारा दैनिक जीवन तथा व्यवहार पूर्णरूप से गणित के ज्ञान पर आधारित है। हर बात या कार्य को समझने तथा समझाने के लिये हमें किसी न किसी रूप में गणित की जरूरत अवश्य ही होती है। अपने दैनिक व्यवहार में घर, बाहर, बाजार, आय–व्यय आदि सभी में गणित ज्ञान की जरूरत पड़ती है। गणित के ज्ञान के अभाव में व्यक्ति न तो अपने परिवार को सुचारु ढंग से चला सकता है तथा न ही समाज में अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर सकता है। इस तरह हमारे जीवन का कोई भी पहलू गणित के प्रयोग से अछूता नहीं है। हमारी दैनिक क्रियायें: माप तौल तथा गणनायें इस पर ही आधारित हैं। प्रात:काल जागने के बाद एवं रात को सोने से पहले तक गणित का उपयोग हमारी जरूरत हो जाता है। कब उठना (जागना) है? कब सोना है? कब फैक्ट्री या ऑफिस जाना है? एवं किस समय पर कौन–सा कार्य करना है ? आदि सभी व्यवस्थाएँ गणित पर ही आधारित हैं।

अन्य विद्यालयी विषयों; विशेष रूप से विज्ञान विषयों में शिक्षा प्राप्त करने हेतु गणित के ज्ञान की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। सामान्य तौर पर यह कहा जाता है जो बच्चा गणित में उच्च उपलब्धि रखता है वह भौतिक विज्ञान में भी उच्च उपलब्धि वाला होगा क्योंकि भौतिक विज्ञान में भी बच्चों को गणित की भाँति विभिन्न तरह का गणना–कार्य करना होता है। जिन वैज्ञानिक यन्त्रों के द्वारा हमारा दैनिक जीवन इतना सरल तथा सुखद बना है, उन सभी का आविष्कार गणित से ही सम्भव हुआ है एवं गणित के द्वारा ही हम उनका सही ढंग से उपयोग कर सकते हैं।

3. अनुशासन संबंधी मूल्य– गणित का ज्ञान सिर्फ बच्चों की मानसिक शक्तियों का विकास तथा उन्हें नियन्त्रित ही नहीं करता है, वरन उनके व्यक्तित्व को गम्भीरता, विवेक और चिन्तनशीलता जैसे गुण भी प्रदान करता है। यही कारण है कि गणित का अनुशासन संबंधी मूल्य भी महत्वपूर्ण है। गणित का ज्ञान प्राप्त करने वाले हर व्यक्ति हेतु भावनाओं के प्रवाह में आकर नियम विरूद्ध कार्य करना अनुकूल नहीं होता है। गणित पढ़ने वाला बच्चा कोई भी निर्णय लेने से पहले अपनी तर्क शक्ति, विवेक, धैर्य तथा आत्मविश्वास का उचित प्रयोग करके अपना लाभ–हानि या अच्छे–बुरे के बारे में ठीक तरह से सोच लेता है।

गणित ही ऐसा विषय है जिसके अध्ययन से बच्चों में कठिन परिश्रम, एकाग्रता, सुव्यवस्थित, स्पष्ट एवं सही तरीके से कार्य करने की आदतों का विकास होता है। ये ऐसी परिस्थितियाँ हैं जिनमें गणित का छात्र स्वयं ही संयमी, गंभीर, विवेकशील एवं अनुशासनबद्ध जीवन बिताने में समर्थ हो जाता है।

4. नैतिक मूल्य – नैतिकता एक ऐसा महत्वपूर्ण प्रत्यय है जो समय, व्यक्ति, परिस्थिति एवं स्थान से सबसे ज्यादा प्रभावित है। गणित का ज्ञान बच्चों के चारित्रिक तथा नैतिक विकास में मददगार है। एक अच्छे चरित्रवान व्यक्ति में जितने गुण होने चाहिएँ, उनमें से ज्यादातर गुण गणित के अध्ययन से विकसित होते हैं। गणित पढ़ने से बच्चों में स्वच्छता, यथार्थता, समय की पाबन्दी, सच्चाई, ईमानदारी, न्यायप्रियता, कर्तव्यनिष्ठा, आत्म–नियंत्रण, आत्म–निर्भरता, आत्म–सम्मान, धैर्य, नियमों पर अडिग रहने की शक्ति, दूसरों की बात को सुनना तथा सम्मान देना, अच्छा–बुरा सोचने की शक्ति आदि गुणों का विकास स्वयं ही हो जाता है। इस तरह गणित के अध्ययन से चरित्र–निर्माण एवं नैतिक उत्थान में भी मदद मिलती है गणित का प्रशिक्षण लेने वाले का स्वभाव स्वयं ही ऐसा हो जाता है कि उसके मन से ईर्ष्या, घृणा इत्यादि स्वत: ही निकल जाते हैं।

5. सामाजिक मूल्य– मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है एवं मानव जीवन एक–दूसरे से परस्पर सहयोग पर निर्भर करता है। सामाजिक जीवन यापन करने हेतु गणित के ज्ञान की बहुत जरूरत होती है क्योंकि समाज में भी लेन–देन,व्यापार, उद्योग आदि व्यवसाय गणित पर ही निर्भर हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना एवं समाज के विभिन्न अंगों को निकट लाने में मददगार विभिन्न आविष्कारों, सामाजिक कठिनाइयों, आवश्यकताओं आदि में मदद देने में गणित का बहुत बड़ा योगदान है, क्योंकि सभी वैज्ञानिक खोजों का आधार गणित विषय ही है !

समाज की उन्नति को उचित ढंग से समझने हेतु ही नहीं, वरन समाज को आगे बढ़ाने में भी गणित की प्रमुख भूमिका रही है। वर्तमान में हमारी सामाजिक संरचना इतनी वैज्ञानिक। तथा सुव्यवस्थित नजर आती है, जिसका श्रेय भी गणित को ही जाता है। गणित के अभाव में सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था तथा संरचना का स्वरूप ही बिगड़ जायेगा।

6. सांस्कृतिक मूल्य– किसी राष्ट्र अथवा समाज की संस्कृति की अपनी कुछ अलग ही विशेषतायें होती हैं। हर समाज अथवा राष्ट्र की संस्कृति का अनुमान उस राष्ट्र या समाज के निवासियों के रीति–रिवाज, खान–पान, रहन–सहन, कलात्मक उन्नति, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक आदि पहलुओं के द्वारा हो जाता है। गणित का इतिहास विभिन्न राष्ट्रों की संस्कृति का चित्र पेश करता है। गणित हमें सिर्फ संस्कृति तथा सभ्यता से ही परिचित नहीं कराता है, वरन सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित, उन्नत तथा उसे भविष्य में आने वाली पीढ़ी तक हस्तान्तरित करने में भी मदद प्रदान करता है।

गणित विषय को संस्कृति तथा सभ्यता का सृजनकर्ता एवं पोषक माना जाता है। रस, छन्द, अलंकार, संगीत के सभी साज–सामान, चित्रकला तथा मूर्तिकला आदि सभी अप्रत्यक्ष रूप से गणित के ज्ञान पर ही निर्भर होते हैं। संस्कृति किसी भी राष्ट्र के जीवन–दर्शन का प्रतिबिम्ब होती है। जीवन के प्रति दृष्टिकोण, जीवन पद्धति को प्रभावित करता है, जिसके कारण हमारा जीवन–दर्शन प्रभावित होता है। इस तरह नये–नये आविष्कारों से हमारे जीने का ढंग, सभ्यता तथा संस्कृति में लगातार परिवर्तन होता रहता है।

7. सौन्दर्यात्मक अथवा कलात्मक मूल्य– गणित पढ़ने वाले एवं गणित के प्रेमियों के लिये यह एक गीत है, सुन्दर है, कला है, संगीत है एवं आनन्द प्राप्ति का एक प्रमुख साधन है। ऐसे लोगों ने ही धारणा बना रखी है कि गणित एक रसहीन एवं नीरस विषय है जिन्हें गणित का अध्ययन करने का अवसर नहीं मिला है। गणित में विभिन्न समस्याओं को हल करने में बहुत आनन्द की प्राप्ति होती है। विशेषतया जब उनकी समस्या का उत्तर किताब में दिये गये उत्तरों से मिल जाता है उस समय गणित पढ़ने वाला हर बच्चा संतुष्टि, आत्म–विश्वास, आत्म–निर्भरता एवं सफलता की खुशी में प्रफुल्लित हो उठता है; शायद इसी कारण, पाइथागोरस ने अपनी प्रमेय की खोज की खुशी में 100 बैलों की बलि चढ़ाई थी एवं आर्कमिडीज तो अपने सिद्धान्त की खोज के पश्चात अपना नंगापन भूलकर खुशी से प्रफुल्लित हो गया था।

अगर गणित को कलाओं का सृजनकर्ता एवं पोषक भी कहा जाये तो गलत नहीं है, क्योंकि सभी कलायें चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत या नृत्यकला आदि सभी की प्रगति में गणित का विशेष महत्व है।

अवकाश का सदुपयोग करने हेतु गणित की संख्याओं के खेल तथा पहेलियाँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। जादू के वर्ग बनाये जा सकते हैं निजी मदद से छात्र अभ्यास करके अपने मस्तिष्क को और ज्यादा विकसित कर सकते हैं। इस तरह विभिन्न गणितीय खेल अथवा पहेलियाँ बच्चों का सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करतीं वरन बच्चों में आनंद की अनुभूति एवं गणित के ज्ञान की प्रशंसा करने की भावना भी ज्यादा प्रबल होती है।

8. जीविकोपार्जन संबंधी मूल्य– शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य बालकों को अपनी जीविका कमाने एवं रोजगार प्राप्त करने में समर्थ बना देना भी है। अन्य विषयों की बजाय गणित इस उद्देश्य की प्राप्ति में सर्वाधिक मददगार सिद्ध हुआ है। आज वैज्ञानिक एवं तकनीकी है समय में विज्ञान के सूक्ष्मतम नियमों, सिद्धान्तों तथा उपकरणों का प्रयोग और प्रसार सर्वव्यापी हो गया है जिनकी आधारशिला गणित ही है। वर्तमान समय में इंजीनियरिंग एवं तकनीकी व्यवसायों को अधिक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित माना जाता है। इन सभी व्यवसायों का ज्ञान तथा प्रशिक्षण गणित के द्वारा ही सम्भव है। लघु उद्योग तथा कुटीर उद्योगों की स्थापना का आधार भी गणित ही है। अतः यह कहा जा सकता है कि हर व्यक्ति को अपनी जीविका कमाने हेतु गणित के ज्ञान की जरूरत प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अवश्य ही होती है, तभी वह अपना जीवनयापन कर सकता है एवं अपने जीवन को सरस बना सकता है।

9. मनोवैज्ञानिक मूल्य– गणित की शिक्षा मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उपयोगी है। गणित के अध्ययन से बालकों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। गणित में क्रियाओं एवं अभ्यास कार्य पर ज्यादा बल दिया जाता है जिसके कारण गणित का ज्ञान ज्यादा स्थाई हो जाता है। गणित का शिक्षण मनोविज्ञान के विभिन्न नियमों तथा सिद्धान्तों का अनुसरण करता है। उदाहरण के लिए गणित में छात्र करके सीखना, अनुभवों द्वारा सीखना, एवं समस्या समाधान आदि महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के आधार पर ज्ञान प्राप्त करता है। गणित शिक्षण द्वारा बालकों की जिज्ञासा, रचनात्मक प्रवृत्तियाँ, आत्मतुष्टि एवं आत्म–प्रकाशन आदि मानसिक भावनाओं की तृप्ति और सन्तुष्टि होती है।

10. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संबंधित मूल्य– गणित का अध्ययन करने से बच्चों को समस्याओं का सामना करने हेतु एक विशेष तरह की विधि का प्रशिक्षण मिलता है जिससे छात्र नियमित अपना कार्य करते हैं, जिसे हम वैज्ञानिक ढंग कहते हैं। प्रायः गणित की समस्या को वैज्ञानिक ढंग से हल करने हेतु निम्न पदों का प्रयोग किया जाता है :

(अ) समस्या क्या है?

(ब) क्या ज्ञात करना है? एवं उसके क्या उद्देश्य हैं?

(स) समस्या पर चिन्तन करना।

(द) समस्या से संबंधित आंकड़े एकत्रित करना एवं हल ज्ञात करके उनकी सत्यता जाँच हेतु अभ्यास कार्य करना।

(य) प्राप्त परिणामों की अन्य परिस्थितियों में जाँच करना।

(र) जो परिणाम सही सिद्ध हों, उन्हें नियम मान लेना।

इस तरह पहले हम समस्या की तह तक पहुंचते हैं; फिर समस्या को हल करने के विभिन्न हलों में से सही हल का चयन अपने अनुभव तथा परीक्षण द्वारा करते हैं।

11. अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य – गणित हमें सिर्फ अपने देश की पृष्ठभूमि से ही परिचित नहीं कराता वरन अंतर्राष्ट्रीयता का संदेश भी देता है। गणित के अध्ययन से ही यह पता चलता है कि आज का मानव जो भी भौतिक उन्नति प्राप्त करने में सफल हुआ है वह कभी इतना असभ्य तथा अनभिज्ञ था कि उसे एक से आगे गिनती भी नहीं आती थी। गणित के क्षेत्र में जो भी प्रगति हुई है वह किसी एक राष्ट्र, वर्ग, जाति अथवा धर्मानुयायियों का कार्य नहीं है, तथा न ही किसी राष्ट्र विशेष की सम्पत्ति है। मानव निर्मित्त दीवारों की परिधि भी गणित के ज्ञान एवं नवीन अनुसंधानों को बांधकर नहीं रख सकती है। किसी एक देश द्वारा किया गया आविष्कार उसकी सीमाओं को पार करके अन्तर्राष्ट्रीय विषय बन जाता है। यही गणित एवं विज्ञान के क्षेत्र में होने वाली उन्नति तथा प्रगति का रहस्य है। वर्तमान समय की यह जरूरत है कि दुनिया भर के सभी है गणितज्ञ, वैज्ञानिक एवं शिक्षा शास्त्री परस्पर मिलकर कार्य करें, क्योंकि एक राष्ट्र द्वारा की गई खोज का अन्य देशों में चल रहे अनुसंधानों पर तत्काल असर पड़ता है। कोई भी चाहे कितना ही उन्नत क्यों न हो, वह अकेला इस क्षेत्र में पूर्णरूप से प्रगति नहीं कर सकता, जब तक उसे अन्य देशों में होने वाले अनुसंधानों की जानकारी न हो।


गणित महत्वपूर्ण विषय क्यों है स्पष्ट कीजिए?

गणित ऐसा विषय है जो व्यक्ति को निश्चितता सिखाता हैगणित छात्रों में दृढ़ता तथा आत्मविश्वास उत्पन्न करता है। सत्य अथवा असत्य की शुद्धि और अशुद्ध की जांच गणित के माध्यम से ही होती हैगणित छात्रों में आत्मनिर्भरता तथा आत्मविश्वास उत्पन्न करता है

गणित विषय की विशेषता क्या है?

गणित के ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेंद्रियां हैं। इसके इसके ज्ञान का आधार निश्चित होता है जिससे उस पर विश्वास किया जा सकता है। गणित में संख्याएं स्थान दिशा तथा मापन या माहौल का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। इसमें इसमें मात्रात्मक तथ्यों एवं संबंधों का अध्ययन किया जाता है।

गणित में सबसे महत्वपूर्ण क्या होता है?

अंकगणित गणित की सबसे महत्वपूर्ण शाखा होती है जिसके अंतर्गत अंकों तथा संख्याओं की गणना एक निश्चित अवस्था में व्यवस्थित करके की जाती है।

विद्यालय में गणित का क्या महत्व है?

यह आज विद्यालयों के पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय है । यह बच्चों में तार्किक दृष्टिकोण पैदा करता है जिससे बच्चों में अनेक मानसिक एवं बौद्धिक शक्तियों का विकास होता है । गणित में सार्थक, अमूर्त, समुच्चयों एवं संरचनाओं का अध्ययन किया जाता है। गणित के द्वारा हम योग, गुणा एवं सामान्यीकरण आदि संक्रियाओं का अध्ययन करते हैं ।