निर्देशांक: 22°18′N 72°37′E / 22.3°N 72.62°E खंभात नगर, (गुजराती:ખંભાત) पूर्व-मध्य गुजरात के आनन्द जिले की एक नगरपालिका है।[1] यह खंभात की खाड़ी के उत्तर में, माही नदी के मुहाने पर स्थित एक प्राचीन नगर है। टॉलमी नामक विद्वान ने भी इसका उल्लेख किया है। प्रथम शती में यह महत्वपूर्ण सागर पत्तन था। १५वीं शताब्दी में खंभात पश्चिमी भारत के हिंदू राजा की राजधानी था। जेनरल गेडार्ड ने १७०० ई. में इस नगर को अधिकृत कर लिया था, किंतु १७८३ ई. में यह पुन: मराठों को लौटा दिया गया। १८०३ ई. के बाद से यह अंग्रेजी राज्य के अंतर्गत रहा। नगर के दक्षिण-पूर्व में प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावशेष विस्तृत प्रदेश में मिलते हैं। Show प्राचीन काल में रेशम, सोने का समान और छींट यहाँ के प्रमुख व्यापार थे। कपास प्रधान निर्यात थी। किन्तु नदियों के निक्षेपण से पत्तन पर पानी छिछला होता गया और अब यह जलयानों के रुकने योग्य नहीं रहा। फलत: निकटवर्ती नगरों का व्यापारिक महत्त्व खंभात की अपेक्षा अधिक बढ़ गया और अब यह एक नगर मात्र रह गया है। नाम की उत्पत्ति[संपादित करें]कुछ विद्वानों का मानना है कि खंभात संस्कृत के शब्द "कंबोज" का अपभ्रंस है,[2]जबकि अरबी लेखकों ने इसकी उत्पत्ति "कांबया" से बताया है। कुछ लोगों का मानना है कि यह शहर "स्तम्भ सिटी" हो सकता है। लेफ्टिनेंट कर्नल जेम्स टॉड ने यह स्वीकार किया है कि खंभात शब्द संस्कृत के "खंभ" और "आयात" से बना है।[3][4] इतिहास[संपादित करें]खंभात के शहर को मार्को पोलो ने नोट किया, जिनके अनुसार 15 वीं सदी में यहां सचित्र एक महत्वपूर्ण भारतीय विनिर्माण और व्यापारिक केंद्र था। यह नगर खंभात रियासत की राजधानी था, जिसे 1949 में खैरा (बाद में खेड़ा) जिले में मिला दिया गया। खंभात पूर्व में एक समृद्ध शहर था और रेशम के विनिर्माण के साथ-साथ छींट और सोने के सामान लिए विख्यात था। अरब यात्री, अल मसुद्दी ने इसका एक बहुत ही सफल बंदरगाह के रूप में वर्णन किया है। उन्होने 915 ई. में इस शहर का दौरा किया था। 1293 ई. में मार्को पोलो ने भी इसका उल्लेख एक व्यस्त बंदरगाह के रूप में किया था, जिनके अनुसार यहाँ एक सचित्र व महत्वपूर्ण भारतीय विनिर्माण और व्यापारिक केंद्र था। एक समकालीन इतालवी यात्री, मैरिनो सानुड़ो ने भी इस शहर का उल्लेख एक व्यस्त बन्दरगाह के रूप में किया है। 1440 ई. में एक और इतालवी निकोलो डे 'कोंटी ने इस शहर का उल्लेख समृद्धि और संपन्नता के रूप में किया है। पुर्तगाली अन्वेषक ड्यार्टे बारबोसा ने भी सोलहवीं सदी में खंभात का दौरा किया।[5] उनका कहना था कि यह शहर काफी भरा-भरा सा है। उनका कहना था कि खंभात में प्रवेश करते ही एक आंतरिक नदी मिलती है, जो मौरोस (मुसलमान) और हिंदुओं (गेंटिओस) की आबादी को बांटती हुयी एक सुंदर व महान शहर का बोध कराती है।[6] यहाँ खिड्कियों के साथ कई ऊंचे और सुंदर मकान हैं साथ ही अच्छी सड़कें और चौक हैं। व्यापारियों के चारों ओर दुनिया से समुद्र के द्वारा बार बार आने के साथ, बहुत व्यस्त और समृद्ध के रूप में यह शहर दृश्यमान है। भौगोलिक स्थिति[संपादित करें]यह नगर खंभात की खाड़ी के सिरे पर माही नदी के मुहाने पर स्थित है। यह 15 वीं सदी के उत्तरार्द्ध तक मुस्लिम शासन के अंतर्गत एक समृद्ध बन्दरगाह था, लेकिन खड़ी में गाद जमा होने के साथ बन्दरगाह का महत्त्व समाप्त हो गया। खंभात कपास, अनाज, तंबाकू, वस्त्र, कालीन,नमक और पत्थर के अलंकारणों का वाणिज्यिक और औद्योगिक केंद्र है। इस क्षेत्र में पेट्रोल की खोज हो चुकी है और 1970 से पेट्रो-रसायन उद्योग का विकास किया जा रहा है।[7] परिवहन[संपादित करें]खंभात सड़क और रेलमार्ग द्वारा अन्य जगहों से जुड़ा हुआ है। सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
गुजरात का मुख्य अनाज क्या है?गुजरात मे मूंगफली, कपास, देशी व वर्जीनिया तंबाकू मुख्य फसलें हैं, व अल्पं मात्रा मे इसबगोल, धान, गेहूं, ज्वार व बाजरा भी होता है।
गुजरात में प्रमुख फसलें कौन सी हैं?कृषि गुजरात कपास, तम्बाकू और मूँगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है तथा यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है। यहाँ की अन्य महत्वपूर्ण नकदी फसलें हैं - इसबगोल, धान, गेहूँ और बाजरा।
गुजरात का महत्वपूर्ण उद्योग कौन सा हैं?वस्त्र, रासायनिक पैट्रो रसायन, दवाई, रंग, उर्वरक, सीमेण्ट, दुग्ध उत्पाद, चीनी, इंजीनियरी सामान, काग़ज़, नमक आदि। गुजरात का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग सूती वस्त्र है। भारत का मैनचेस्टर अहमदाबाद को कहा जाता है।
गुजरात में कौन कौन से फल उगाए जाते हैं?देश में कमलम फलों की खेती गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में की जाती है। कमलम फलों के उत्पादन में गुजरात का हिस्सा 35 फीसदी है। उत्तरी गुजरात, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के किसानों में इसकी खेती और उत्पादन की रुचि तेजी से बढ़ी है।
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