Solution : लेखक को यह सुनकर हैरानी इसलिए हुई कि देखने में तो बस अत्यन्त पुरानी खटारा-सी लग रही थी। उसे देखकर विश्वास नहीं हो पा रहा था कि यह सफर तय कर सकेगी। इसी कारण उसने कम्पनी के हिस्सेदार से पूछा कि यह बस चलती भी है, तब उन्होंने कहा कि यह अपने आप चलती है। यही लेखक की हैरानी का कारण था। Show
“गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।” जब लेखक ने बस को जर्जर व क्षीण अवसर मे देखा तो उस यह विश्वास नहीं था कि वह सफर तय कर सकेगी। इसी कारण उसने कंपनी के हिस्सेदार से यह पूछा कि यह बस चलती भी है तो उन्होंने उत्तर दिया कि यह अपने-आप चलती है। यही लेखक की हैरानी का कारण था। 1610 Views “लोगों ने सलाह दी कि
समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।” ‘समझदार आदमी इस शाम वाली बस में सफर नहीं करते’ लोगों ने लेखक और उसके मित्रों को यह सलाह इसलिए दी क्योंकि वे जानते थे कि बस की हालत बहुत खराब है। रास्ते में बस कभी भी और कहीं भी धोखा दे सकती है। 1681 Views “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।” जब बस को चालक ने स्टार्ट किया तो सारी बस में अजीब-सी धड़कन उत्पन्न हुई। ऐसे में लेखक और उसके मित्रों को लगा कि जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के अंदर बैठ हैं। अर्थात् इंजन के स्टार्ट होने पर इंजन के पुर्जो की भाँति बस के यात्री हिल रहे थे और पूरी बस में इंजन का शोर गूँज रहा था। 1272 Views “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।” पुलिया के ऊपर बस का टायर पंचर (फिस्स) हो गया। जिससे बस जोर से हिलकर रुक गई। अगर यह बस तेज गति से चल रही होती तो अवश्य ही उछलकर नाले में गिर जाती। ऐसे में लेखक ने कंपनी के हिस्सेदार की ओर श्रद्धाभाव से देखा। यह श्रद्धा इसलिए जागी क्योंकि हिस्सेदार केवल अपने स्वार्थ हेतु लाचार था। वह जानता था कि बस के टायर खराब हैं और कभी भी लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। फिर भी निरंतर बस को सड़क पर दौड़ा रहा था। यात्रियों की चिंता किए बिना धन बटोरने पर लगा था। 3316 Views “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।”
कारक शब्द से निर्मित वाक्य- • कि योजक शब्द से बनने वाले वाक्य- 483 Views आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए। पिछले वर्ष मैं अपने विद्यालय की ओर से जयपुर घूमने गया। हम पचास बच्चे थे व पाँच अध्यापिकाएँ हमारे साथ थीं। बड़ी खुशी-खुशी हमारी बस शाम को पाँच बजे जयपुर के लिए रवाना हुई। हमें कहा गया कि सुबह पाँच बजे तक हम लीग जयपुर पहुँच जाएँगे। जैसे ही बस चली ऐसा लगा कि जैसे मनचाही मुराद पूरी होने जा रही हो। हमने खूब खेल खेलने व नाच-गाना शुरू कर दिया। अध्यापिकाएँ भी बड़े आनंद भाव से हमारा साथ दे रही थीं। हमने नौ बजे अपने-अपने खाने के डिब्बे खोले और मजे से सब अपने मनपसंद भोजन का आनंद लेने लगे। फिर अध्यापिकाओं ने कहा कि हमें थोड़ी देर आराम करना चाहिए लेकिन हमें चैन, कहाँ हमने फिर अंताक्षरी खेलनी प्रारंभ कर दी। रात के दो बज गए लेकिन किसी की आँखो में नींद न थी। लगभग तीन बजे के करीब एकदम सुनसान जंगल में भरतपुर के पास अचानक हमारी बस का टायर पंचर हो गया। न चाहते हुए भी बस रोकनी पड़ी। हम सब डर गए थे। अचानक दो लुटेरे बस मै चढ़ आए उन्होंने हम सबसे नगदी बटोर ली। हम व हमारी अध्यापिकाएँ सभी डर गए। टायर के ठीक होते ही हम सोच में पड़ गए कि क्या करें? वापिस घरों की ओर जाएँ या जयपुर। तभी हमारी अध्यापिका ने प्रधानाचार्य को फोन किया तो उन्होंने कहा कि बच्चों का उत्साह बनाए रखो और सीधा जयपुर गोल्डन होटल में ही जाकर ठहरो। शाम तक वे स्वयं वहाँ आ रही हैं। उन्होंने शाम की वहाँ पहुँचकर जैसे सबके चेहरों को मुस्कुराहट दे दी और अगले दिन सुबह से लगातार तीन दिन तक हमें घुमाती रहीं और जिस बच्चे ने जो भी पसंद किया उन्होंने इसे लेकर दिया। हम लुटेरों की बात भूल भी गए और जयपुर का मजा लेन लगे। 2583 Views लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई कि यह बस अपने आप चलती है?Solution : लेखक को यह सुनकर हैरानी इसलिए हुई कि देखने में तो बस अत्यन्त पुरानी खटारा-सी लग रही थी। उसे देखकर विश्वास नहीं हो पा रहा था कि यह सफर तय कर सकेगी। इसी कारण उसने कम्पनी के हिस्सेदार से पूछा कि यह बस चलती भी है, तब उन्होंने कहा कि यह अपने आप चलती है। यही लेखक की हैरानी का कारण था।
लेखक को ऐसा क्यों लगा 4 गजब हो गया ऐसी बस अपने आप चलती है लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?4. लेखक को यह सुनकर कि “गजब हो गया, ऐसी बस अपने आप चलती है।” इसलिए हैरानी हुई क्योंकि बस की हालत किसी वयोवृद्ध स्त्री की तरह जीर्ण-क्षीण काया वाली थी । उस की बॉडी पर जगह-जगह पड़े निशान चीख-चीख कर कह रहे थे कि यह बस सदियों पुरानी है। फिर भी कंपनी के हिस्सेदार उसे ऐसी इस बता रहे थे जो अपने आप चलती है।
ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर लेखक को ऐसा क्यों लगा?लेखक कहता है बस के स्टार्ट होते हुए वो इतना शोर कर रहा था मानो कि उन्हें ऐसा लगा जैसे इंजन आगे नहीं अपितु पूरी बस में लगा हो, क्योंकि उसका इंजन दयनीय स्थिति में था। इससे पूरी बस हिल रही थी, इसलिए उन्हें लगा की सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।
लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस में सफर नहीं करते लोगों ने यह सलाह क्यों दी?"लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।" लोगों ने यह सलाह क्यों दी? Solution : लोगों ने यह सलाह लेखक को इसलिए दी, क्योंकि वे यह जानते थे कि बस की हालत बहुत खराब है। रास्ते में बस कभी भी और कहीं भी धोखा दे सकती है। बस यात्रियों को गंतव्य तक ठीक से पहुँचा ही देगी यह कहना मुश्किल था।
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