गृह प्रवेश के लिए कौन सा दिन शुभ है? - grh pravesh ke lie kaun sa din shubh hai?

गृह प्रवेश (Griha Pravesh) का मुहूर्त कौन से महीने में गृह प्रवेश करना चाहिए

गृह प्रवेश पूजा: जिस स्थान पर मकान का निर्माण करवाना हो उस स्थान की जांच करवाना, उस स्थान की स्थिति वास्तुशास्त्र के अनुकूल है या नहीं तथा मकान बन जाने के बाद उस मकान में प्रवेश करने का कौन सा दिन शुभ है, इन सभी का ध्यान रखना आवश्यक होता है। भारत में बहुत पुराने समय से चला आ रहा है कि नए मकान में प्रवेश करने से पहले उसका का मुहूर्त निकालकर गृह प्रवेश (Griha Pravesh) के लिए पूजा कराई जाएंं।

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मकान बनवाने के लिए ज्योतिष शास्त्र (Astrology) का सहारा लेना आवश्यक होता है। इससे मकान किस मुहूर्त में बनवाना शुरू करना चाहिए, इसके बारे में सही जानकारी मिलती है और निर्माण होने के बाद शुभ फल मिलता है। मकान बनवाने के लिए सूर्य के अनुसार निम्न तिथियों का ध्यान रखना चाहिए-

  • गृहप्रवेश व वास्तुशांति
  • सूर्य के अनुसार मकान बनवाने के लिए मुहूर्त
  • निर्माण शुरू करने के लिए महीनाः
  • निर्माण शुरू करने के लिए तिथियां
  • मकान का निर्माण करवाने के लिए शुभ नक्षत्र-
  • मकान निर्माण शुरू करने के लिए शुभ लग्न-
  • मकान निर्माण के लिए शुभ दिन
  • गृह प्रवेश पूजा
  • गृह प्रवेश के लिए वास्तुपूजन
  • नए घर में प्रवेश कब करना चाहिए
  • मेष लग्न में गृह प्रवेश
  • आसन शुद्धि के पश्चात पूजनकर्ता तीन बार जल से आचमन करें और फिर इन मंत्रों को पढ़ें-
  • पूजा करते समय इन मंत्रों को पढ़ेंः
  • शिख्यादि देवताओं का आह्वान एवं स्थापन
  • वास्तु शास्त्र से संबंधित अन्य लेख

गृहप्रवेश व वास्तुशांति

विद्वानों का कहना है कि जातक के सूर्य से विचार करना चाहिए। यदि सूर्य सिंह, कन्या, तुला राशि में हो तो नैऋत्य कोण में, वृश्चिक, धनु, मकर राशि में सूर्य हो तो वायव्य कोण में, कुभ, मीन, मेष, राशि में सूर्य हो तो ईशान कोण में और वृष, मिथुन, कर्क राशि में सूर्य हो तो आग्नेय कोण में वास्तुपूजा करने से कल्याण होता है। भवन बनवाते समय वास्तुशांति में वास्तुपूजा करें। शिलान्यास के लिए ऊपर बताई गई दिशा का निश्चय करके पूजा करनी चाहिए।

भवन का द्वार निर्माण और त्रिगृह प्रवेश (यात्रा से लौटने पर, नूतन गृहप्रवेश और यात्रा से आकर नवीन गृहप्रवेश) में, प्रत्येक वर्ष यज्ञादि में, पुत्रजन्म पर, यज्ञोपवीत, विवाह, महोत्सवों में, जीर्णोद्धार, धान्य संग्रह में, बिजली गिरने से टूटे हुए घर में, अग्नि से जले हुए घर में, उल्लू और कौआ सात दिन तक जिस घर में रहते हो, जिस घर में रात में मृग वास करें, हाथी, घोड़े विशेष शब्द करें और जिसमें स्त्रियों के झगड़े होते हो, जिस घर में कबूतर रहते हो, मधुमक्खियों का छत्ता हो तो वहां वास्तुशांति जरूर करानी चाहिए।

सूर्य के अनुसार मकान बनवाने के लिए मुहूर्त

1. मेष राशि में सूर्य होने पर 14 अप्रैल से 13 मई मकान का निर्माण शुरू करने के लिए यह समय शुभ होता है।
2. वृष राशि में सूर्य होने पर 14 मई से 13 जून तक इस समय में मकान का निर्माण शुऱू कराने से धनवृद्धि होती है।
3. मिथुन राशि में सूर्य होने पर 14 जून से 13 जुलाई तक इस  समय में मकान का निर्माण शुरू करवाना परिवार में दुर्घटना का सूचक है।
4. कर्क राशि में सूर्य होने पर 14 जुलाई से 13 अगस्त तक मकान का निर्माण शुऱू करवाना शुभ माना गया है।
5. सिंह राशि में सूर्य होने पर 14 अगस्त से 13 सितम्बर तक इन तिथियों में मकान का निर्माण कराने से घर में नौकर-चाकरों की वृद्धि होती है।
6. कन्या राशि में सूर्य होने पर 14 सितम्बर से 13 अक्टूबर तक मकान का निर्माण शुरू कराने से परिवार में रोग का आगमन होता है।
7. तुला राशि में सूर्य होने पर 14 अक्टूबर से 13 नवम्बर तक मकान का निर्माण कार्य शुरु कराने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
8. वृश्चिक राशि में सूर्य होने पर 14 नवम्बर से 13 दिसम्बर मकान का निर्माण शुरू कराने से परिवार में धन की वृद्धि होती है।
9. धनु राशि में सूर्य होने पर 14 दिसम्बर से 13 जनवरी तक इस समय के दौरान मकान का निर्माण शुरू करवाने से धन की हानि होती है।
10. मकर राशि में सूर्य होने पर 14 जनवरी से 13 फरवरी तक इस तिथि में मकान का निर्माण शुरू करवाना शुभ होता है। इस तिथि में निर्माण शुरू करवाने से धन का लाभ होता है।
11. कुम्भ राशि में सूर्य होने पर 14 फरवरी से 13 मार्च तक इन तिथियों में मकान का निर्माण शुरू करवाने से रत्न लाभ होता है।
12. मीन राशि में सूर्य होने पर 14 मार्च से 13 अप्रैल तक मकान का निर्माण शुरू करवाने से परिवार भय ग्रस्त रहता है।

निर्माण शुरू करने के लिए महीनाः

वास्तुशास्त्र के अनुसार वैशाख, श्रावण, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन आदि महीनें मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए उत्तम माने जाते हैं। भाद्रपद और कार्तिक के महीने सामान्य रूप से मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए उचित नहीं है।

निर्माण शुरू करने के लिए तिथियां

2, 3, 5, 6, 7, 10, 12, 13, 15 तथा  कृष्णपक्ष की 1 तिथि मकान का निर्माण शुरू करवाने के लिए शुभ होती है।

1, 4, 8, 9, 14 और अमावस्या तिथियों में मकान का निर्माण करवाना उचित नहीं होता है। इन तिथियों में निर्माण कार्य करवाने से परिवार में दरिद्रता. आर्थिक कमी, परेशानियां, धनहानि, चरित्रहीनता आती है। इन तिथियों में मकान बनवाने से परिवार के लोगों में किसी को सजा भी हो सकती है। अतः वास्तुशास्त्र के अनुसार इन तिथियों में भूलकर भी निर्माण कार्य शुरू न करवाएं। इस प्रकार के तिथियों में बनी मकान में गृह प्रवेश (Griha Pravesh) करने से घर में सुख-सम्पत्ति का नाश हो जाता है।

मकान का निर्माण करवाने के लिए शुभ नक्षत्र-

किसी भी मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए वास्तुशास्त्र के अनुसार रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, हस्त, स्वाति, अनुराधा उत्तराषाढ़, उत्तरा भा़द्रपद, उत्तर फाल्गुनी, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती आदि नक्षत्र शुभ माने जाते हैं।

मकान निर्माण शुरू करने के लिए शुभ लग्न-

वास्तुशास्त्र के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, वृश्चिक, कुंभ और मीन पंचबाण और भूमिशयन के दिन हो और केन्द्र व त्रिकोण स्थानों में शुभ ग्रह हों तथा तीसरे, छठे एवं 11वें स्थान में पाप ग्रहों के रहते हुए अष्टम स्थान शुद्ध हो तो नए मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाना शुभ होता है।

भूमिशयन

सूर्य जिस नक्षत्र में हो उससे 5, 7, 9, 12, 19, 26 इन दिनों एवं नक्षत्रों में भूमिशयन होती है। इनमें भी 4, 8, 5, 3, 6, 7 घटी मात्र में भूमिशयन तथा शेष घटियों में भूमिशयन नहीं होता है।

भूमिशयन में मतांतर होने के कारण सूर्य संक्रांति से 5, 7, 9, 11, 15, 20, 22, 23, 28, दिन भूमिशयन दोष तथा कतिपय विद्वानों के अनुसार 7, 9, 15, 21, 24 दिन मात्र भी भूमि शयन मानते हैं।

मकान निर्माण के लिए शुभ दिन

वास्तु शास्त्र के अनुसार मकान निर्माण के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार एवं शनिवार के लिए शुभ होते हैं। रविवार और मंगलवार को मकान का निर्माण शुरू करवाना उचित नहीं होता है।

मकान का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए वृष वत्स गणना कर देखना चाहिए कि सूर्य के नक्षत्र से दिन के नक्षत्र तक गणना करने पर 7 तक अशुभ उसके आगे 11 तक शुभ तथा आगे के 10 अशुभ मानने चाहिए।

7 11 10 28 नक्षत्र
अशुभ शुभ अशुभ सूर्य जिस नक्षत्र में हो उससे गणना कर चन्द्रमा के नक्षत्र का फल

गृह प्रवेश पूजा

मकान का निर्माण कार्य शुरू करने में विशिष्ट योग भी उल्लेख प्राप्त होता है जिनमें शनिवार, स्वाति, नक्षत्र, सिंह लग्न, शुक्ल पक्ष, सप्तमी तिथि, शुभयोग एवं श्रावणमास यह सब सात सकार से युक्त हैं और इन सातों सकारों के योग में मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाना चाहिए। इन सातों योगों में मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाना वाहन सुख, धन-धान्य की वृद्धि, पुत्र-पौत्र आदि की प्राप्ति होने के साथ परिवार के मुखिया को अनेक प्रकार के लाभ एवं सौभाग्य की वृद्धि करने वाला होता है। लेकिन इस प्रकार के घर में गृह प्रवेश से पहले मुहूर्त निकाल कर पूजाकरवाई जाए तो आपका घर और भी शुभ माना जाएगा।

वैसे तो सिंह लग्न में मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाना उचित नहीं होता है। अकेले सिंह लग्न में मकान का निर्माण नहीं करवाना चाहिए लेकिन उपर्युक्त योगों के साथ सिंह लग्न होने पर मकान का निर्माण कराना शुभ माना जाता है।

मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए शुभ मुहूर्त देख लेना चाहिए क्योंकि मकान का निर्माण कार्य शुभ मुहूर्त में करवाने से परिवार की बाधाएं समाप्त हो जाती है। मकान का निर्माण कार्य समाप्त होने के बाद उसमें गृह प्रवेश (Griha Pravesh) करने के लिए भी शुभ मुहूर्त एवं दिन देखा जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार शुभ दिन एवं शुभ मुहूर्त में मकान में प्रवेश करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है तथा परिवार धन-धान्य परिपूर्ण रहता है।

गृह प्रवेश के लिए मुहूर्त (नए मकान में प्रवेश के लिए शुभ दिन, तिथि)

वास्तुशास्त्र के अनुसार जब मकान बनकर पूर्णरूप से समाप्त हो जाता है तो उसमें निवास (रहने) करने के लिए शुभ दिन एवं तिथि निकालना आवश्यक होता है। मकान में निवास करने के लिए जाने से पहली रात वास्तु शांति करनी चाहिए अर्थात नए बने मकान की बाधाएं एवं दोषों को दूर करने के लिए विधि-पूजन करना चाहिए तथा शुभ मुहूर्त में मकान में निवास के लिए गृह प्रवेश (Griha Pravesh) करना चाहिए। ऐसा करना मकान में रहने वाले परिवार के लिए अतिशुभ होता है और उनकी दोष-बाधाएं भी समाप्त हो जाती है।

गृह प्रवेश के लिए वास्तुपूजन

गांव, नगर, देवालय एवं अपना मकान आदि निर्माण कार्य शुरू करवाते समय एवं निर्माण कार्य समाप्त होने के बाद उसमें प्रवेश करने के समय वास्तुपूजन करवानी चाहिए। बिना वास्तुपूजन करवाएं और गृह प्रवेश का मुहूर्त निकाले किसी मकान में निवास करना अशुभ एवं कष्टदायक होता है जो व्यक्ति श्रद्धा एवं विधिपूर्वक वास्तुपूजन करके मकान में निवास करता है उसे वास्तु संबंधी किसी प्रकार की विपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ता।

वास्तु शास्त्र के अनुसार नए घर में बिना पूजा-पाठ किए प्रवेश करना अनेक प्रकार के व्याधियों तथा दुखों का जन्म देने वाला होता है। गांव, भवन, नगर, देवालय आदि में प्रवेश करने पर 64 पद का तथा अन्य सभी प्रकार के मकान में प्रवेश के शुभ अवसर पर 81 पद के वास्तुमंडल की पूजा की जाती है।

महर्षि वशिष्ट जी के मतानुसार नए मकान में प्रवेश करना अपूर्वसंज्ञक कहलाता है। यात्रा के अंत में मकान प्रवेश करने को सपूर्वप्रवेश कहते हैं और अग्नि आदि में जलने-टूटने के बाद जो घर बना होता है उसमें प्रवेश करने को द्वंद्वाह कहते हैं। इस तरह महर्षि वशिष्ट के अनुसार तीन प्रकार के गृह प्रवेश होते हैं।

नए घर में प्रवेश कब करना चाहिए

दिन में वधू का मकान में प्रवेश करना शुभ नहीं होता, यात्रा के अंत में परिवार के मुखिया को रात के समय मकान में प्रवेश करना शुभ नहीं होता। सामान्य रूप से जो मकान में प्रवेश होता है वह दिन और रात दोनों समय शुभ होता है।

यदि किसी नए मकान में प्रवेश करना हो तो उत्तरायण में करना चाहिए। यात्रा की समाप्ति पर परिवार के मुखिया को भी मकान में उत्तरायण में ही प्रवेश करना चाहिए। पहले दिन वास्तु पूजन करके और बलि आदि देकर माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ में मकान में निवास के लिए प्रवेश करते हैं तथा कार्तिक, मार्गशीर्ष में मकान में निवास के लिए गृह प्रवेश मध्यम होता है।

सूर्य उत्तरायण

वास्तुशास्त्र के अनुसार मकान के निर्माण के लिए बताए गए नक्षत्र तथा दिन के समय सूर्य उत्तरायण में हो तो ईंट, पत्थर, मिट्टी के घर में प्रवेश करना शुभ होता है। तृणनिर्मित घर में किसी भी दिन या वार को गृह प्रवेश किया जा सकता है।

चित्रा तीनों उत्तरा, रोहिणी, मृगशिरा, अनुराधा, धनिष्ठा, रेवती, शतभिषा नक्षत्रों में त्रिविध प्रवेश करने से धन, आयु, आरोग्य, पुत्र और वंश की वृद्धि होती है। रेवती, धनिष्ठा, शतभिषा, रोहिणी, तीनों उत्तरा ये नक्षत्र हों, चन्द्रमा कमजोर न हो, रिक्ता के अतिरिक्त तिथि हो तो गृह प्रवेश (Griha Pravesh)करना शुभ होता है।

बृहस्पति एवं शुक्र उदायी हो, रवि, मंगलवार तथा रिक्त तिथियों को छोड़कर धनिष्ठा, पुष्प, रेवती, मृगशिरा, शतभिषा, चित्रा, अनुराधा, तीनों उत्तरा नक्षत्र हों तो ऐसे अवसर पर दिन अथवा रात के समय गृह प्रवेश करना शुभ होता है।

मेष लग्न में गृह प्रवेश

मेष लग्न में गृह प्रवेश करने से सुखद, शुभ यात्रा, कुम्भ लग्न में रोग, मकर में धनहानि, कर्क में नाश, इनके अलावा शेष लग्न शुभ माने जाते हैं। निंदितलग्न भी शुभ नवांशक से युक्त हो या तुला, मेष, मकर, कर्क ये राशियां भी यदि गृहपति की राशि से उपचय होकर लग्न में हों तो गृहप्रवेश शुभ होता है।

इन वचनों के अनुसार वास्तुशांति में ग्रहयोग का उचित विधान होने से ग्रहयोग सहित वास्तुशांति करनी चाहिए है। विश्वकर्म प्रकाश के अनुसार ‘वास्तु होम ततः कुर्यात’ अर्थात ग्रह हवन के बाद वास्तुहवन करना चाहिए।

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शुभ दिन एवं तिथि

मकान का निर्माण एवं तीनों प्रकार के प्रवेश के समय वास्तु पूजन करना चाहिए। मकान में प्रवेश करने से पहले शुभ दिन एवं तिथि देखनी चाहिए तथा उचित दिन एवं तिथि पर पूजा-अर्चना करके मकान में प्रवेश करना चाहिए। मकान में प्रवेश के लिए पूजा करने के लिए परिवार के जिस भी व्यक्ति को पुरोहित कहे उसे प्रातः पूजा करने के लिए पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके शुभासन पर पूजा सामग्री से साथ बैठना चाहिए। इसके बाद पुरोहित को पूजा करने वाले के माथे पर कुमकुम का मंगल तिलक करें एवं ग्रंथि बंधन करें। मांगलिक, तिलक तथा ग्रंथि बेधन के बाद यजमान पवित्री धारण करें और निम्न मंत्र से आसन शुद्धि करें।

आसन शुद्धि के पश्चात पूजनकर्ता तीन बार जल से आचमन करें और फिर इन मंत्रों को पढ़ें-

ॐ केश्वाय नमः, ॐ नारायण नमः, ॐ माधावाय नमः आचमन के बाद ॐ हर्षिकेशाय नमः बोलकर हस्त प्रक्षालन करें।

इसके बाद दूर्वायुक्त जल से पूजनकर्ता स्वयं को एवं पूजन सामग्री को इस मंत्र से पवित्र करें-

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षः बाह्नाभ्यांतरः शुचिः।।

शरीर एवं सामग्री को पवित्र करने के बाद अर्चन कलश तथा अक्षत पुंज पर रक्षादीप का स्थापन एवं पूजन करें। बाएं हाथ मे पीत सरसों लेकर दाएं हाथ से दसों दिशाओं में सरसों विकीर्ण कर दिशा शुद्धि करें। पूजनकर्ता अपने गुरु, इष्ट देव तथा कुल देवताओं को हाथ जोड़कर ध्यान एवं वंदन करें।

शांति के पाठ

शांति के पाठ के पश्चात हाथ में जो अक्षत पुष्प हों उन्हें गणेश जी को अर्पण करें तथा गणपत्यादि देवों का स्मरण कर प्रणाम करें। इसके बाद श्री गणेशा जी, श्री उमा महेश्वर, भगवती सरस्वती, श्री लक्ष्मी नारायण, शचीपुरंदर, इष्ट देव, स्थान देवता, कुल देवता, माता-पिता, आचार्यादि ब्राह्मण तथा इस कर्म के प्रधान देवता श्री वास्तु देवा को प्रणाम करें।

गणेशाम्बिका का पूजन

जल लेकर तदंगांतर्गत स्वस्ति पुण्याहवाचन, मातृका, वसोर्धारा पूजन आयुष्य मंत्र जप और सांकल्पिक विधि द्वारा नांदी श्राद्ध करूंगा और सर्वप्रथम निर्विघ्नता सिद्धि के लिए गणेशाम्बिका का पूजन करूंगा। हाथ में अक्षत पुष्प लेकर गणेश गौरी का आह्नान तथा षोडशोपचार से पूजन करें व मंत्र पुष्पांजली समर्पण कर प्रार्थना करें-

विध्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोगराय सकलाय मगद्धिताय।

नागाननाय सितसर्प विभूषिताय, गौरी सुताय गणनाथ! नमो नमस्ते।।

पूजा के बाद अनेनार्चनेन श्री गणेशाम्बिके प्रीयेताम् बोलकर भूमि पर जल छोड़ें। इसी प्रकार आगे समस्त पूजा पुण्याहवाचन से आचार्यादि वरण तक वैदिक एवं पुराणोक्त मंत्रों द्वारा ग्रहशांति के अनुसार करें। पंचगव्य घर के सभी भागों में छिड़कें तथा पंचभू संस्कारपूर्क कुशकण्डिका विधि से अग्नि स्थापना करें। इसके बाद भवन के बीच वेदी निर्माणकर तथा ग्रह के ईशान कोण से चारों कोणों में लोहे के चार कांटे अग्रलिखित मंत्र बोलकर गाढ़ने चाहिए।

विशंतु भूलते नागा लोक पालाश्च सर्वतः।

अस्मिन् गृहेऽवतिष्ठंतु आयुर्बलकराः सदा।।

इन चारों शंकुओं के पास इसी क्रम से दही, उड़द, दीप सहित बलिदान अर्पण करें और अर्पण करते समय इन मंत्रों को पढ़ें-

रुद्रेभ्यश्चैव सर्वेभ्यो ये चाऽन्ये तत्समाश्रिताः।

बलिं तेभ्यः प्रयच्छामि पुण्यमोदन मुत्तमम्।।

ईशाण कोण से वायव्य कोण तक इस प्रकार मंत्रों का उच्चारण करें। इसके बाद वास्तु मंडल पर रजत या सुवर्ण श्लाका द्वारा पूर्व से पश्चिम तक 10 रेखाएं तथा उत्तर से दक्षिण तक 10 रेखाएं इस प्रकार कुल 20 रेखाएं बनाएं और उनका गंध अक्षत से पूजन करें।

पूजा करते समय इन मंत्रों को पढ़ेंः

पूर्व से पश्चिम की ओर जाते समय उत्तर से दक्षिण की ओर जाते समय

ॐ शांतायै नमः ॐ हरिण्यायै नमः
ॐ यशोवत्यै नमः ॐ सुव्रतायै नमः
ॐ कांतायै नमः ॐ लक्ष्म्यै नमः
 ॐ विशालयै नमः ॐ विधृत्यै नमः
ॐ प्राणवाहिन्यै नमः ॐ विमलायै नमः
 ॐ सत्यै नमः ॐ प्रियायै नमः
 ॐ सुमत्यै नमः ॐ जयायै नमः
ॐ नंदायै नमः ॐ ज्वालायै नमः
ॐ सुभद्रायै नमः ॐ विशाकायै नमः
ॐ सुरथायै नमः ॐ इडायै नमः

इसके पश्चात वास्तु मण्डल पर ईशान कोण के पद से शिख्यादि देवताओं का आह्वान एवं स्थापन करें-

शिख्यादि देवताओं का आह्वान एवं स्थापन

ॐ शिखिने नमः ॐ पर्जन्याय नमः
ॐ जयंताय नमः ॐ कुलिशायुधाय नमः
ॐ सूर्याय नमः ॐ सत्याय नमः
ॐ भृशाय नमः ॐ आकाशाय नमः
ॐ वायवे नमः ॐ पूष्णे नमः
ॐ वित्थाय नमः ॐ गृहक्षताय नमः
ॐ यमाय नमः ॐ गंधर्वाय नमः
ॐ भृंग राजाय नमः ॐ मृगाय नमः
ॐ पितृभ्यो नमः ॐ दौवारिकाय नमः
ॐ सुग्रीवाय नमः ॐ पुष्पदंतायनम नमः
ॐ वरुणाय नमः ॐ असुराय नमः
ॐ शोषाय नमः ॐ पापाय नमः
ॐ रोगाय नमः ॐ अहये नमः
ॐ रोगाय नमः ॐ अहये नमः
ॐ मुख्याय नमः ॐ मल्लाराय नमः
ॐ सोमाय नमः ॐ सर्पाय नमः
ॐ आदित्यै नमः ॐ दित्यै नमः
ॐ सावित्राय नमः ॐ दित्यै नमः
ॐ सावित्राय नमः ॐ जायाय नमः
ॐ रुद्राय नमः ॐ अर्यम्णे नमः
ॐ सावित्रे नमः ॐ विवस्वते नमः
ॐ सवित्रे नमः ॐ मित्राय नमः
ॐ विबुधाधिपाय नमः ॐ पृथ्वीधऱाय नमः
ॐ राजयलक्ष्मणे नमः ॐ ब्रह्ममणे नमः
ॐ चरक्यै नमः ॐ विदायै नमः
ॐ पूतनायै नमः ॐ पापराक्षस्यै नमः
ॐ स्कंदाय नमः ॐ अर्यम्णे नमः
ॐ जृम्भकाय नमः ॐ पिलिपिच्छाय नमः
ॐ उग्रसेनाय नमः ॐ डामराय नमः
ॐ कालाय नमः ॐ एकपदे नमः

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गृह प्रवेश का शुभ मुहूर्त 2022 में कब कब है?

गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त 2022 अक्टूबर अनुराधा नक्षत्र 27 अक्टूबर और 28 अक्टूबर को दो दिनों तक रहेगा। उत्तर आषाढ़ 31 अक्टूबर को है।

कौन से दिन गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए?

ज्योतिष में रविवार, मंगलवार और शनिवार के दिन को गृह प्रवेश के लिए शुभ नहीं माना गया है। इसके साथ ही पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को भी गृह प्रवेश वर्जित माना गया है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़, सावन, भाद्रपद (भादो), आश्विन और पौष माह में भी गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए

गृह प्रवेश के लिए कौन सा दिन अच्छा होता है?

गृहप्रवेश करने के लिए सबसे शुभ तिथि शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि होता हैं। इन सभी तिथियों को अत्यंत शुभ तिथि माना जाता है। लेकिन अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि को गृहपवेश नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह शुभ माना जाता है।

मकान में गृह प्रवेश कब करना चाहिए?

माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिए सबसे सही समय बताया गया है। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष इसके लिहाज से शुभ नहीं माने गए हैं। 3. मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाता विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश वर्जित माना गाया है।