फरवरी में कितने तारीख को पूर्णिमा है? - pharavaree mein kitane taareekh ko poornima hai?

Magha Purnima 2022 : माघ का महीना चल रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ का महीना 11वां महीना माना गया है. धार्मिक दृष्ठि से माघ के महीने को बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है. माघ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा के नाम से जानते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है. माघ पूर्णिमा कब है? जानते हैं-

माघ पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 16 फरवरी 2022, बुधवार को माघ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. इसी दिन को माघ पूर्णिमा कहा जाता है. पूर्णिमा का व्रत इसी दिन रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार पूर्णिमा की तिथि 15 फरवरी 2022, मंगलवार को रात 09 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होगी. पूर्णिमा की तिथि 16 फरवरी को रात 01 बजकर 25 मिनट तक रहेगी. 

माघ पूर्णिमा का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ के महीने में देवतागण पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयागराज में स्नान, दान और जाप करते हैं. माना जाता है कि इस दिन प्रयागराज में गंगा स्नान करने से सभी कामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

माघ पूर्णिमा पर ग्रहों की स्थिति
माघ पूर्णिमा पर ग्रहों की स्थिति सभी राशियों को प्रभावित कर रही है. इस दिन क्या विशेष है जानते हैं-

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  • नक्षत्र- आश्लेषा
  • योग- शोभन
  • चंद्रमा- कर्क राशि
  • सूर्य- कुंभ राशि
  • गुरु- कुंभ राशि
  • शनि- मकर राशि
  • बुध- मकर राशि
  • मंगल- धनु राशि
  • शुक्र- धनु राशि
  • राहु- वृषभ राशि
  • केतु- वृश्चिक राशि
  • करण- विष्टि - 10:10:58 तक, बव - 22:28:46 तक
  • सूर्योदय- 06:59:11
  • सूर्यास्त- 18:11:44
  • राहु काल- दोपहर 12  बजकर 35 मिनट से दोपहर 13 बजकर 59 मिनट तक

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन आकाश में चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है। पूर्णिमा का भारतीय लोगों के जीवन में अपना एक अलग ही महत्व होता है। हर महीने में आने वाली पूर्णिमा को कोई न कोई व्रत या त्यौहार ज़रूर मनाया जाता है।

पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर की बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूरे आकार में होता है। अलग-अलग जगहों पर पूर्णिमा को कई अलग तरह के नामों से जाना जाता है। कहीं इसे पौर्णिमी कहते हैं तो कहीं पूर्णमासी। हिन्दू धर्म में इस दिन दान, धर्म के साथ-साथ व्रत करने की भी मान्यता है। तीर्थ स्थल के दर्शन, स्नान और दान-धर्म के लिए कार्तिक, वैशाख और माघ महीने की पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होने की वजह से पूर्णिमा के दिन कई लोग भगवान सत्यनारायण की कथा और पूजा आदि भी रखते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के सुख और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के दिन पूर्वजों को भी याद किए जाने का रिवाज है।

पूर्णिमा हर महीने में एक बार जरूर आती है इसीलिए देखा जाये तो साल के 12 महीने में कुल 12 पूर्णिमा होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा को मानव के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। दरअसल हिन्दू कैलेंडर में तिथियों का निर्धारण चन्द्रमा की गति को आधार बना कर किया गया है। जिस दिन चन्द्रमा अपने पूरे आकार में होता है उस दिन को पूर्णिमा कहते है और जिस दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं देता उस दिन को अमावस्या कहते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा का महत्व

पूर्णिमा तिथि को ज्योतिष शास्त्र में भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पूर्णिमा के दिन ही महान आत्माओं के जन्म उत्सव से लेकर बड़े-बड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। यह तिथि हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा मायने रखती है। वैदिक ज्योतिष तथा प्राचीन शास्त्रों मत में चन्द्रमा को मन का कारक माना गया है। इसीलिए चन्द्रमा के अपने पूरे रूप में होने की वजह से उसका असर सीधे जातक के मन पर पड़ता है।

पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व

अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो चन्द्रमा पानी को अपनी और आकर्षित करता है और मानव शरीर के भीतर भी 70 प्रतिशत पानी होता है जिसकी वजह से पूर्णिमा वाले दिन व्यक्ति के स्वभाव में कुछ न कुछ परिवर्तन आता है। हिन्दू पंचांग में सभी पूर्णिमाओं का अपना अलग महत्व होता है। इसीलिए साल के 12 महीनों में हर पूर्णिमा पर कुछ खास और अलग अंदाज़ में कोई न कोई त्यौहार या अवसर मनाये जाते हैं।

इस दिन अनेक घरों में भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा करते हैं। पुराणों के अनुसार पूर्णिमा वाले दिन को कई सारे देवी-देवता मानव रूप में परिवर्तित हो गए थे। इस दिन को हम आसमान में पूरा चाँद देखते हैं जो कि रात के अंधकार को मिटाने का काम करती है।

भविष्य पुराण के अनुसार देखें तो पूर्णिमा के दिन किसी तीर्थ स्थान पर जा कर स्नान करने से सारे पाप मिट जाते हैं और यदि कोई तीर्थ-स्थल पर नहीं जा सकता तो उसे घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिला सकता है। पूर्णिमा के दिन पितरों का तर्पण (जल दान) करना भी बेहद शुभ माना गया है।

पूर्णिमा पर होने वाली पूजा और व्रत की विधि

इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करना चाहिए। अगर संभव हो तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिला लें, ऐसा करने से आपको भूतकाल में किए गए सारे पापों से छुटकारा मिल जाता है। पूर्णिमा वाले दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने का विशेष विधान है। कई सारे श्रद्धालु बिना कुछ खाए-पिए उपवास रखते हैं। उपवास का समय सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्र दर्शन के साथ समाप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति पूरे विश्वास और श्रद्धा से इस व्रत को करता है तो वह इसी जन्म में मोक्ष प्राप्ति कर सकता है।

एस्ट्रोसेज पर आपको इस साल में आने वाली हर एक पूर्णिमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। यहाँ पूजन के सही समय से लेकर उस दिन के पूजा का महत्व और विधि के बारे में बताया गया है।

नहाने वाली पूर्णिमा कब की है?

पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त 2022 को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी. पूर्णिमा तिथि का समापन 12 अगस्त 2022 को प्रात: 07 बजकर 05 मिनट पर होगा. वहीं श्रावण पूर्णिमा का चांद 11 अगस्त को उदय होगा.

फरवरी 2022 में पूर्णिमा कितने तारीख की है?

माघी पूर्णिमा 2022 कब है? पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 15 फरवरी दिन मंगलवार को रात 09 बजकर 42 मिनट पर हो रहा है, इसका समापन अगले दिन 16 फरवरी यानी आज रात 01 बजकर 25 मिनट पर होगा। ऐसे में माघी पूर्णिमा 16 फरवरी यानी आज है। इस दिन ही पूर्णिमा स्नान, दान एवं व्रत रखा जाएगा।

पूर्णिमा कब है 2022 June?

Vat Purnima 2022 Date and Muhurat: वट पूर्णिमा व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस साल वट पूर्णिमा 14 जून 2022, मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं।

व्रत की पूर्णिमा कब है 2022?

कब है कार्तिक पूर्णिमा 2022 इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु का पूजन होता है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा तिथि 7 नवंबर 2022 को शाम 4 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और इसकी समाप्ति 8 नवंबर 2022 को शाम 4 बजकर 31 मिनट पर होगी. उदयातिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 8 नवंबर 2022 को रखा जाएगा.

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