अगस्त महीने का प्रदोष व्रत कब है? - agast maheene ka pradosh vrat kab hai?

Myjyotish Expert Updated 22 Aug 2022 10:39 PM IST

कब पड़ेगा अगस्त महीने का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त - फोटो : Google

कब पड़ेगा अगस्त महीने का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता की उपासना की जाती है। इस दिन महादेव की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि और धन धान की कभी भी कमी नहीं होती है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना करने से सारे कष्टों , दिक्कतों और पाप जैसी दिक्कतों से राहत मिल जाती है। इस दिन भगवान श्री गणेश की भी पूजा की जाती है। ऐसा कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने से जीवन की हर मुश्किल खत्म हो जाती है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को  रखा जाता है।

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अगस्त का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जायेगा। तात्पर्य भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत 24 अगस्त दिन बुधवार को रखा जाएगा। दिन बुधवार होने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रदोष व्रत के बारे में मान्यता है कि इसे विधि-विधान से करने पर साधक को औघढ़रदानी भगवान शिव के साथ माता पार्वती की कृपा भी प्राप्त होती है। आइए प्रदोष व्रत की कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।

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बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त 2022 दिन बुधवार को प्रात:काल 8:30 मिनट से लेकर 25 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को प्रात:काल 10:37 मिनट तक रहेगी, जबकि प्रदोष काल 24 अगस्त को सायंकाल 6:52 मिनट से रात्रि 9:04 मिनट तक है। इस तरह लगभग 2 घंटे तक रहने वाले प्रदोष काल में शिव साधक अपनी पूजा कर सकेंगे। चूंकि दिन विशेष पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत का नाम उसी के नाम पर पड़ता है, ऐसे में यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा।

बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि

जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है, उस दिन सुबह उठकर स्नान करके सूर्य देव को सबसे पहले जल अर्पित करें। उसके बाद भगवान शिव के लिए रखे जाने वाले प्रदोष व्रत को करने का संकल्प ले कर भगवान शिव का विधि विधान से पूजा पाठ करें। इस दिन जो भी व्यक्ति उपवास रख रहे हैं वो दिन में ना सोएं। पूरे दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
इसके बाद शाम के समय प्रदोष की विशेष शिव पूजा करने से पहले एक बार फिर स्नान करना चाहिए। शाम के समय में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हुए प्रदोष व्रत की कथा का पाठ और आरती करें। उसके बाद अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

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प्रदोष व्रत 2022 की आगामी तिथियां

08 सितंबर 2022, दिन गुरुवार — गुरु प्रदोष व्रत

23 सितंबर 2022, दिन शुक्रवार — शुक्र प्रदोष व्रत

07 अक्टूबर 2022, दिन शुक्रवार — शुक्र प्रदोष व्रत

22 अक्टूबर 2022,दिन शनिवार — शनि प्रदोष व्रत

05 नवंबर 2022,दिन शनिवार — शनि प्रदोष व्रत

21 नवंबर 2022, दिन सोमवार — सोम प्रदोष व्रत

05 दिसंबर 2022, दिन सोमवार — सोम प्रदोष व्रत

21 दिसंबर 2022, दिन बुधवार — बुध प्रदोष व्रत

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हिंदू धर्म में जिस प्रदोष व्रत को भगवान शिव के साथ माता पार्वती की कृपा बरसाने वाला माना गया है और जिसे करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं, उसकी पूजा का विधि और शुभ मुहूर्त जानने के लिए पढ़ें ये लेख .

प्रदोष व्रत की पूजा विधि और धार्मिक महत्‍व

हिंदू धर्म में त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है. सनातन परंपरा में इस पावन तिथि पर उस प्रदोष व्रत रखे जाने की परंपरा है, जिसे करने पर व्यक्ति को जीवन से जुड़े सभी सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत के बारे में मान्यता है कि इसे विधि-विधान से करने पर साधक को औढरदानी भगवान शिव के साथ माता पार्वती की कृपा भी प्राप्त होती है. पंचांग के अनुसार अगस्त माह का आखिरी प्रदोष व्रत 24 अगस्त 2022 को पड़ने जा रहा है. आइए प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.

बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त 2022 को प्रात:काल 08:30 से लेकर 25 अगस्त 2022 को प्रात:काल 10:37 बजे तक रहेगी, जबकि प्रदोष काल 24 अगस्त को सायंकाल 06:52 से रात्रि 09:04 बजे तक रहेगा. इस तरह लगभग दो घंटे तक रहने वाले प्रदोष काल में शिव साधक अपनी पूजा कर सकेंगे. चूंकि दिन विशेष पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत का नाम उसी के नाम पर पड़ता है, ऐसे में यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा.

बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि

साधक को त्रयोदशी तिथि पर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले भगवान शिव के लिए रखे जाने वाले प्रदोष व्रत को करने का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए और पूरे दिन मन ही मन में ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करते रहना चाहिए. इसके बाद शाम के समय प्रदोष की विशेष शिव पूजा करने से पहले एक बार फिर स्नान करना चाहिए. शाम के समय भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हुए प्रदोष व्रत की कथा का पाठ और आरती अवश्यक करना चाहिए. प्रदोष व्रत की पूजा के बाद अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.

प्रदोष व्रत 2022 की आगामी तिथियां

08 सितंबर 2022, गुरुवार — गुरु प्रदोष व्रत

23 सितंबर 2022, शुक्रवार — शुक्र प्रदोष व्रत

07 अक्टूबर 2022, शुक्रवार — शुक्र प्रदोष व्रत

22 अक्टूबर 2022, शनिवार — शनि प्रदोष व्रत

05 नवंबर 2022, शनिवार — शनि प्रदोष व्रत

21 नवंबर 2022, सोमवार — सोम प्रदोष व्रत

05 दिसंबर 2022, सोमवार — सोम प्रदोष व्रत

21 दिसंबर 2022, बुधवार — बुध प्रदोष व्रत

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

अगस्त महीने में 2022 में प्रदोष व्रत कब है?

Pradosh Kaal on Trayodashi 2022: भाद्रपद महीने का प्रदोष व्रत कल यानी कि 24 अगस्त 2022, बुधवार को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से की गई पूजा सारे कष्‍टों को दूर कर देती है. Pradosh Vrat 2022 Date Time Pradosh Kaal: भगवान शिव की पूजा करने से सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं.

इस महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?

शुक्रवार को होने से ये शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा. जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत का मुहूर्त और महत्व. Ashwin Shukra Pradosh Vrat 2022: अश्विन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 23 सितंबर 2022 (shukra pradosh vrat 2022 date) को है. शुक्रवार को होने से ये शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा.

प्रदोष कब है September 2022?

प्रदोष व्रत 2022 शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 07 सितंबर को रात में 12 बजकर 05 मिनट से होगी, जो कि 08 सितंबर, गुरुवार की रात लगभग 9 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 08 सितंबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

2022 में प्रदोष काल कब है?

प्रदोष व्रत की शुरुआत 21 नवंबर यानी आज सुबह 10 बजकर 07 मिनट पर होगी और इसका समापन 22 नवंबर को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर होगा. शिव पूजन का समय आज शाम 05 बजकर 34 मिनट से मिनट से लेकर रात 08 बजकर 14 मिनट रहेगा. प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले आप त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं.

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