प्रदोष व्रत कब है September 2022 - pradosh vrat kab hai saiptaimbair 2022

Guru Pradosh Vrat 2022: शास्त्रों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई व्रतों का वर्णन है. उनमें से एक हैं प्रदोष व्रत जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. इस बार भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को गुरु प्रदोष व्रत किया जाएगा. इस बार ये व्रत 8 सितंबर, गुरुवार को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत का अपना ही महत्व है, शिव का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने के लिए ये व्रत रखा जाता है. 

गुरु प्रदोष व्रत की शुभ मुहूर्त (Guru Pradosh Vrat 2022 Shubh muhurat)

प्रदोष व्रत प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष काल का मतलब है सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद. इस बार प्रदोष व्रत का मुहूर्त शाम 6 बजकर 35 मिनट से 8 बजकर 52 मिनट तक है. इस बार प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहेंगे.

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गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Guru Pradosh Vrat 2022 puja vidhi) 

सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और सफेद या पीले वस्त्र धारण करें. इस दिन काले रंग के कपड़ों से बचना है. इस दिन पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करना है. शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का दूध, दही और मंचामृत से अभिषेक करें. उसके बाद भगवान शिव को पीले या सफेद चंदन से टीका लगाएं. भगवान शिव को भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित करें और उन्हें पुष्प चढ़ाकर भगवान शिव की आराधना करें. साथ ही साथ ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप भी करना है. माता पार्वती का भी ध्यान लगाना है. 

इस दिन गुरु प्रदोष व्रत की कथा पढ़नी चाहिए. इस व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर होता है. पूरे दिन आपको फलाहार ही लेना होता है, मीठा भोजन ही लेना होता है. इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. अगर कोई नमक के बिना नहीं रह पाता है तो खाने में  सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जा सकता है. 

गुरु प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री (Guru Pradosh Vrat 2022 puja samgari)

1 जल से भरा हुआ कलश, बेल पत्र, धतूरा, भांग कपूर, सफेद और पीले पुष्प की माला, आंकड़े के फूल, सफेद और पीली मिठाई, सफेद चंदन, धूप, घी, दीया, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री, 1 आरती की थाली. 

गुरु प्रदोष व्रत का महत्व (Guru Pradosh Vrat 2022 importance)

अगर किसी के दामप्त्य जीवन में परेशानी, कष्ट या वाद विवाद है तो गुरु प्रदोष व्रत जरूर रखना चाहिए. इससे आपको भगवान शिव के साथ भगवान बृहस्पति का आशीर्वाद भी मिलती है. इस व्रत को करने से सौ गायों को दान करने जितना ही पुण्य प्राप्त होता है. गुरु प्रदोष व्रत करने से आपको सारे कष्टों से निवारण मिल जाता है. गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं को शांत करने वाला होता है.

भगवान शिव की पूजा के लिए जिस प्रदोष व्रत और प्रदोष काल सबसे उत्तम माना गया है, वह सितंबर के महीने में कब पड़ेगा और क्या है इसकी पूजा की विधि और नियम, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि और धार्मिक महत्‍व

सनातन परंपरा में प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के अनुसार सूर्यास्त और रात्रि के संधिकाल के समय को प्रदोष कहा जाता है। यह समय शिव की साधना-आराधना के लिए अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है। जिस प्रदोष व्रत को करने पर साधक को जीवन से जुड़े सभी कष्टों से शीध्र ही मुक्ति और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है, वह सितंबर के महीने की 08 और 23 तारीख को पड़ेगा। चूंकि 08 तारीख को गुरुवार और 23 तारीख को शुक्रवार पड़ेगा, इसलिए इन दोनों प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत और शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। आइए प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसके लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं।

प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त

भगवान शिव संग माता पार्वती की कृपा बरसाने वाली त्रयोदशी तिथि 08 सितंबर 2022 को पूर्वाह्न 12:04 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 09:02 बजे तक रहेगी। गुरुवार के दिन त्रयोदशी तिथि पड़ने के कारण यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। पंचांग के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाने वाला प्रदोष काल सायं 06:35 से 08:52 बजे तक रहेगा। ऐसे में शिव की साधना करने वाले साधक को इसी सवा दो घंटे के बीच में प्रदोष व्रत की पूजा करनी चाहिए।

गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत की पूजा का पुण्य फल पाने के लिए साधक को सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान शिव और पार्वती की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और उसके बाद अपने मन में शिव मंत्र का जाप करते हुए अन्य कार्य करते रहना चाहिए। चूंकि शिव पूजा के लिए प्रदोष काल को सबसे उत्तम माना गया है, ऐसे में दिन ढलने से पहले स्नान करने के पश्चात् प्रदोष काल में एक बार फिर भगवान शिव और पार्वती की विधि-विधान से पूजा करते हुए प्रदोष व्रत की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिए। प्रदोष व्रत की पूजा में भगवान शिव के ”ॐ नम: शिवाय” मंत्र को रुद्राक्ष की माला से अधिक से अधिक जपना चाहिए।

गुरु प्रदोष व्रत का फल

भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम माने गए प्रदोष व्रत को करने पर साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है, लेकिन इसकी शुभता दिन विशेष में पड़ने पर और भी ज्यादा बढ़ जाती है। मान्यता है कि जब प्रदोष व्रत गुरुवार के दिन पड़ता है तो उसे विधि-विधान से करने पर साधक को न सिर्फ सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है, बल्कि उसके जीवन से जुड़ी सभी प्रकार की बाधा और शत्रु भय दूर होता है।

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

सितंबर में प्रदोष का व्रत कब का है?

आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 सितंबर 2022 शुक्रवार को सुबह 01 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन 24 सितंबर 2022, शनिवार को सुबह 02 बजकर 30 पर होगा. प्रदोष व्रत में सूर्यास्त के बाद शिव की पूजा की जाती है. इसके आधार पर शुक्र प्रदोष व्रत 23 सितंबर को रखा जाएगा.

सितंबर में दूसरा प्रदोष व्रत कब है?

Guru Pradosh Vrat in September 2022: भगवान भोलेनाथ को समर्पित त्रयोदशी तिथि हर महीने में दो बार पड़ती है। इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस समय साल का छठा महीना यानी भाद्रपद चल रहा है। इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत 08 सितंबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा।

त्रयोदशी व्रत कब है September 2022?

हर माह दो प्रदोष व्रत आते हैं. अश्विन माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 23 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. इस दिन शुक्रवार होने से ये शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा. प्रदोष व्रत के प्रभाव से जीवन में दुख, रोग, दोष, कष्टों का नाश होता है.

अक्टूबर महीने की प्रदोष व्रत कब है?

शनि प्रदोष व्रत 2022 तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर दिन शनिवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 23 अक्टूबर दिन रविवार को शाम 06 बजकर 03 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि की पूजा प्रदोष काल यानी शाम को की जाती है।

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