फागुन जहां हिन्दू नव वर्ष का अंतिम महीना होता है तो फागुन पूर्णिमा वर्ष की अंतिम पूर्णिमा के साथ-साथ वर्ष का अंतिम दिन भी होती है। पंडितजी का कहना है कि फागुन पूर्णिमा का धार्मिक रूप से तो महत्व है ही साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक नजरिये से भी बहुत महत्व है। पूर्णिमा पर उपवास भी किया जाता है जो सूर्योदय से आरंभ कर चंद्रोदय तक रखा जाता है। वहीं इस त्यौहार की सबसे खास बात यह है कि यह दिन होली पर्व का दिन होता है जिसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है और तमाम लकड़ियों को इकट्ठा कर सभी प्रकार की नकारात्मकताओं की होली जलाई जाती है। Show
2022 में कब है फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima 2022)2022 में फागुन पूर्णिमा व्रत 18 मार्च को रखा जायेगा। इसी दिन होलिका का दहन भी किया जायेगा। इस फागुन पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं- पूर्णिमा तिथि आरंभ- दोपहर 13 बजकर 29 मिनट से ( 17 मार्च 2022) पूर्णिमा तिथि समाप्त- दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक (18 मार्च 2022) फाल्गुन पूर्णिमा व्रत की कथा (Falgun Purnima vrat Katha)फागुन पूर्णिमा के व्रत की वैसे तो अनेक कथाएं हैं लेकिन नारद पुराण में जो कथा दी गई है वह असुर राज हरिण्यकश्यपु की बहन राक्षसी होलिका के दहन की कथा है जो भगवान विष्णु के भक्त व हरिण्यकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद को जलाने के लिये अग्नि स्नान करने बैठी थी लेकिन प्रभु की कृपा से होलिका स्वयं ही अग्नि में भस्म हो जाती है। इस प्रकार मान्यता है कि इस दिन लकड़ियों, उपलों आदि को इकट्ठा कर होलिका का निर्माण करना चाहिये व मंत्रोच्चार के साथ शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक होलिका दहन करना चाहिये। जब होलिका की अग्नि तेज होने लगे तो उसकी परिक्रमा करते हुए खुशी का उत्सव मनाना चाहिये और होलिका दहन के साथ भगवान विष्णु व भक्त प्रह्लाद का स्मरण करना चाहिये। असल में होलिका अहंकार व पापकर्मों की प्रतीक भी है इसलिये होलिका में अपने अंहकार व पापकर्मों की आहुति देकर अपने मन को भक्त प्रह्लाद की तरह भगवान के प्रति समर्पित करना चाहिये। क्या है फाल्गुन पूर्णिमा व्रत (Falgun Purnima Vrat) की विधिमान्यता है कि फागुनी पूर्णिमा पर व्रत करने से व्रती के सारे संताप मिट जाते हैं सभी कष्टों का निवारण हो जाता है व श्रद्धालु पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। व्रती को पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय यानि चंद्रमा दिखाई देने तक उपवास रखना चाहिये। प्रत्येक मास की पूर्णिमा में उपवास व पूजा करने की भिन्न भिन्न विधियां हैं। आज का पंचांग ➔ आज की तिथि ➔ आज का चौघड़िया ➔ आज का राहु काल ➔ आज का शुभ योग ➔ आज के शुभ होरा मुहूर्त ➔ आज का नक्षत्र ➔ आज के करण फाल्गुनी पूर्णिमा पर कामवासना का दाह किया जाता है ताकि निष्काम प्रेम के भाव से प्रेम का रंगीला पर्व होली मनाया जा सके। फागुन मास की पूर्णिमा बहुत ही महत्वपूर्ण होती है इसलिये हमारी राय है कि आपको विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श अवश्य करना चाहिये। फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा विधि (Falgun Purnima Puja Vidhi)
संबंधित लेख बसंत पंचमी 2022 | माघ – स्नान-दान से मिलता है मोक्ष | माघ - इस माह का है हर दिन पवित्र । ज्येष्ठ पूर्णिमा - संत कबीर जयंती | बैसाख पूर्णिमा - महात्मा बुद्ध जयंती | शरद पूर्णिमा - महर्षि वाल्मीकि जयंती | होलिका दहन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त | फाल्गुन मास के व्रत व त्यौहार | होली 2021 | पौष पूर्णिमा | ज्येष्ठ पूर्णिमा | बैसाख पूर्णिमा | शरद पूर्णिमा | क्या है होली और राधा-कृष्ण का संबंध | होली - पर्व एक रंग अनेक | क्यों मनाते हैं होली पढ़ें पौराणिक कथाएं फाल्गुन पूर्णिमा व्रत मुहूर्त New Delhi, India के लिएमार्च 6, 2023 को 16:20:49 से पूर्णिमा आरम्भ मार्च 7, 2023 को 18:13:16 पर पूर्णिमा समाप्त हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि को फाल्गुन पूर्णिमा कहते हैं। हिन्दू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा का उपवास रखने से मनुष्य के दुखों का नाश होता है और उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। वहीं इस तिथि को होली का त्यौहार मनाया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा व्रत और पूजा विधिहर माह की पूर्णिमा पर उपवास और पूजन की परंपरा लगभग समान है। हालांकि कुछ विशेषताएँ भी होती हैं। फाल्गुन पूर्णिमा पर भगवान श्री कृष्ण का पूजन होता है। 1. पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें और उपवास का संकल्प लें। पढ़ें: होलिका दहन का धार्मिक महत्व और नियम फाल्गुन पूर्णिमा की कथानारद पुराण में फाल्गुन पूर्णिमा को लेकर एक कथा का वर्णन मिलता है। यह कथा राक्षस हरिण्यकश्यपु और उसकी बहन होलिका से जुड़ी है। राक्षसी होलिका भगवान विष्णु के भक्त और हरिण्यकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद को जलाने के लिए अग्नि स्नान करने बैठी थी लेकिन प्रभु की कृपा से भक्त प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका स्वयं ही अग्नि में भस्म हो गई। इस वजह से पुरातन काल से ही मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लकड़ी व उपलों से होलिका का निर्माण करना चाहिए और शुभ मुहूर्त में विधि विधान से होलिका दहन करना चाहिए। होलिका दहन के समय भगवान विष्णु व भक्त प्रह्लाद का स्मरण करना चाहिए। फागुन की पूर्णिमा कब है 2022?आज 17 मार्च 2022 को पूर्णिमा तिथि दोपहर 01:30 बजे से प्रारंभ होकर 18 मार्च 2022 को 12:47 बजे तक रहेगी. आइए फाल्गुन पूर्णिमा के दिन चंद्र देवता (Chandra Devta) की पूजा से जुड़े उन सरल और प्रभावी के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिन्हें श्रद्धा और विश्वास के साथ करने पर आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होती है.
2022 मार्च का पूर्णिमा कब है?नए साल की पहली पूर्णिमा 17 जनवरी को
नए साल 2022 की पहली पूर्णिमा जनवरी माह में 17 जनवरी को आएगी. उस समय हिन्दी कैलेंडर का पौष माह का शुक्ल पक्ष होगा, इस पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. 2022 की पूर्णिमा में फाल्गुन पूर्णिमा ,बौद्ध पूर्णिमा,गुरु पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा भी शामिल है.
फाल्गुन मास पूर्णिमा कब है?पूर्णिमा की तिथि के समापन के बाद ही फाल्गुन मास आरंभ हो जाएगा. माघ पूर्णिमा कब है? पंचांग के अनुसार 15 फरवरी, मंगलवार को रात्रि 9 बजकर 45 मिनट से पूर्णिमा की तिथि आरंभ होगी. और 16 फरवरी 2022, बुधवार को रात्रि 10 बजकर 28 मिनट पर इसका समापन होगा.
मार्च में व्रत वाली पूर्णिमा कब है?16 मार्च (बुधवार) : सौर (मीन) चैत्र मास आरम्भ। 17 मार्च (गुरुवार) : फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी मध्याह्न 1.31 बजे तक उपरांत पूर्णिमा। व्रत की पूर्णिमा।
|