डाल्टन का परमाणु सिद्धांत किन्हीं पांच बिंदुओं में लिखिए - daaltan ka paramaanu siddhaant kinheen paanch binduon mein likhie

सन् 1808 में जॉन डॉल्टन नामक एक ब्रिटिश स्कूल अध्यापक ने पहली बार द्रव्य का परमाणु सिद्धान्त प्रस्तुत किया। इसमें परमाणु को पदार्थ का मूल कण माना। इसे डॉल्टन का परमाणु सिद्धान्त कहा जाता हैं।


डाल्टन का परमाणु सिद्धांत- (By Er. Vishnu Sir Sagar, MP)

अंग्रेज रसायनज्ञ, जाॅन डाल्टन ने सन् 1808 में द्रव्यों की प्रकृति के बारे में एक आधारभूत सिद्धांत प्रस्तुत किया। डाल्टन ने द्रव्यों की विभाज्यता का विचार प्रदान किया जिन्हें उस समय तक दार्शनिकता माना जाता था।

ग्रीक दार्शनिकों के द्वारा द्रव्यों के सूक्ष्मतम अविभाज्य कण, जिसे परमाणु नाम दिया था, उसे डाल्टन ने भी परमाणु नाम दिया।  

डाल्टन का यह सिद्धांत रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधरित था।

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार सभी द्रव्य चाहे तत्व, यौगिक या मिश्रण हो, सूक्ष्म कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं। डाल्टन के सिद्धांत की विवेचना निम्न प्रकार से कर सकते हैं:

सभी द्रव्य परमाणुओं से निर्मित होते हैं, जो कि रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं।

परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं न ही उनका विनाश होता है।

दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं।

भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते हैं।

भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर छोटी पूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग कर यौगिक निर्मित करते हैं।

किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं।

डाल्टन के सिद्धांत की कमियाँ-

डाल्टन का कथन है कि परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं न ही उनका विनाश होता है। परंतु आज हम जानते हैं परमाणु विभाज्य है ओैर इसे इलेक्ट्राॅन, प्रोटाॅन, न्यूट्राॅन जैसे सूक्ष्म कणों में विभाजित किया जा सकता है।

डाल्टन का अन्य कथन है कि दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं। परंतु आज हमें पता है कि एक ही तत्व के परमाणुओं के के द्रव्यमान भिन्न- भिन्न हो सकते हैं जिन्हें हम समस्थानिक भी कहते हैं।

जैसे- हाइड्रोजन एक ही तत्व पर इसके तीन समस्थानिक होते हैं- प्रोटियम H(1‘1) , ड्यूटीरीयम H(1‘2), ट्राटियम H(1‘3) इनके परमाणु द्रव्यमान क्रमशः 1,2,3 हैं।

डाल्टन का कथन है कि भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते हैं। लेकिन वर्तमान में ऐंसे अलग- अलग तत्व भी खोजे जा चुकें हैं जिनके परमाणुओं के द्रव्यमान समान हैं जिन्हे हम सम्भारिकों के नाम से जानते हैं।

जैसे- कैल्शियम(ब्ं) और आर्गन अलग-अलग तत्व हैं जिनका परमाणु द्रव्यमान 40 ही है।

डाल्टन के सिद्धांत की उपलब्धियाँ-

हालाँकि डाल्टन का सिद्धांत काल्पनिक है जो कि प्रयोगों के आधार पर नहीं दिया गया परंतु फिर उनके द्वारा कल्पना किये गये बहुत से तथ्य आज प्रयोगांे द्वारा सही साबित किये जा चुके हैं। इसी से हम डाल्टन की बुद्धिमत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं।

डाल्टन ने कहा सभी द्रव्य परमाणुओं से निर्मित होते हैं, जो कि रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं। आज ये कथन पूर्ण रूप से सत्य है।

भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर छोटी पूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग कर यौगिक निर्मित करते हैं। वर्तमान में ये तथ्य पूर्णतः मान्य है।

किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं। वर्तमान में ये तथ्य पूर्णतः मान्य है।

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत ने द्रव्यमान के संरक्षण के नियम एवं निश्चित अनुपात के नियम की युक्तिसंगत व्याख्या की।

डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त[संपादित करें][संपादित करें]

डाल्टन ने द्रव्यों की प्रकृति के बारे में एक आधारभूत सिद्धान्त प्रस्तुत किया और द्रव्य की विभाज्यता का विचार दिया जिसे उस समय तक दार्शनिकता माना जाता था। ग्रीक दार्शनिकों के द्वारा द्रव्यों के सूक्ष्मतम अविभाज्य कण, जिसे परमाणु नाम दिया था, उसे डाल्टन ने भी परमाणु नाम दिया। डाल्टन का यह सिद्धान्त रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधरित था। डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त ने द्रव्यमान के संरक्षण के नियम एवं निश्चित अनुपात के नियम की युक्तिसंगत व्याख्या की।

डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त के अनुसार सभी द्रव्य चाहे तत्व, यौगिक या मिश्रण हो, सूक्ष्म कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु (एटम) कहते हैं। डाल्टन के सिद्धान्त की विवेचना निम्न प्रकार से कर सकते हैं:

  • सभी द्रव्य परमाणुओं से बने होते हैं।
  • परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं और न ही उनका विनाश होता है।
  • किसी भी दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान एवं रासायनिक गुण समान होते हैं।
  • भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते हैं।
  • भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर छोटी पूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग कर यौगिक नियमित करते हैं।
  • किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं।
  • रासायनिक अभिक्रिया, परमाणुओं की एक पुनर्व्यवस्था है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • https://web.archive.org/web/20181126135313/https://www.universetoday.com/38169/john-daltons-atomic-model/amp/

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के मुख्य बिंदु क्या है?

डाल्टन का कथन है कि परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं न ही उनका विनाश होता है। परंतु आज हम जानते हैं परमाणु विभाज्य है ओैर इसे इलेक्ट्राॅन, प्रोटाॅन, न्यूट्राॅन जैसे सूक्ष्म कणों में विभाजित किया जा सकता है।

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत क्या है इसका कोई एक लाभ लिखिए?

भारतीय दार्शनिक महर्षि कनाड (Maharshi Kanad) ने प्रतिपादित किया था कि यदि हम द्रव्य (पदार्थ) को विभाजित करते जाएँ तो हमें छोटे-छोटे कण प्राप्त होते जाएँगे तथा अंत में एक सीमा आएगी जब प्राप्त कण को पुनः विभाजित नहीं किया जा सकेगा अर्थात् वह सूक्ष्मतम कण अविभाज्य रहेगा। इस अविभाज्य सूक्ष्मतम कण को उन्होंने परमाणु कहा।

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत का निम्नलिखित में से कौन बिंदु द्रव्यमान संरक्षण के नियम की व्याख्या करता है?

उत्तर : डाल्टन के परमाणु सिद्धांत का अभिग्रहीत - 'दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान समान होता है' - द्रव्यमान के संरक्षण के नियम के नियम का परिणाम है। परमाणु अविभाज्य सूक्ष्म कण होते हैं जो रासायनिक क्रिया से न तो बनते हैं और न ही उनका विनाश होता है।

जॉन डाल्टन ने कौन सा नियम दिया था?

Solution : सबसे पहला परमाणु सिद्धांत जॉन डाल्टन ने दिया थाडाल्टन का परमाणुवाद नियम परमाणु को निम्न प्रकार से परिभाषित करता है: "परमाणु किसी तत्त्व का वह अतिसूक्ष्म अविभाज्य कण है, जो रासायनिक क्रिया में भाग लेता है और उसमें, उस तत्त्व के सभी गुण उपस्थिति रहते हैं।" सर्वप्रथम.