छत्तीसगढ़ में शक्कर उद्योग कहां स्थित है - chhatteesagadh mein shakkar udyog kahaan sthit hai

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May 30, 2022

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छत्तीसगढ़ के उद्योग से संबंधित प्रश्न जैसे छत्तीसगढ़ में कितने शक्कर कारखाने हैं?, छत्तीसगढ़ राज्य का प्रथम शक्कर कारखाना कौन सा है? आदि प्रश्न CGVYAPAM, CGPSC, CGPOLICE जैसे परीक्षाओं में पूछे जाते है। छत्तीसगढ़ राज्य के शक्कर कारखानों की सूची नीचे दिया गया है।

छत्तीसगढ़ में शक्कर उद्योग कहां स्थित है - chhatteesagadh mein shakkar udyog kahaan sthit hai

छत्तीसगढ़ में शक्कर कारखानों की संख्या 4 है तथा चंदनु में प्रस्तावित कारखाने के स्थापना के बाद छत्तीसगढ़ में शक्कर कारखानों की संख्या 5 हो जाएगी जिसका विवरण नीचे दिया गया है।

List of Sugar Factories in Chhattisgarh -

छत्तीसगढ़ के शक्कर कारखानों (Sugar Factories) की सूची इस प्रकार से है -

1. भोरमदेव शक्कर कारखाना

स्थापना - मार्च 2003

स्थान - राम्हेपुर (कवर्धा)

विशेष -

• यह राज्य का प्रथम शक्कर कारखाना है।

• शक्कर के सह उत्पाद में से 6 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा रहा है।

• भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना में पीपीपी (PPP) मॉडल पर 40 KLPD क्षमता के इथेनॉल प्लांट की स्थापना की कार्यवाही जारी है।

2. महामाया शक्कर कारखाना

स्थापना - 2007

विशेष -

• उत्पादन 2010 से जारी है।

• मां महामाया शक्कर कारखाना में 6 मेगावाट को-जनरेशन पॉवर प्लांट की स्थापना हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

• सह-उत्पाद मोलासीस से इथेनॉल बनाने के लिए 20 KLPD इथेनॉल प्लांट प्रस्तावित है।

3. मां दंतेश्वरी शक्कर कारखाना

स्थापना - 2009

स्थान - करकाभाठा (बालोद)

विशेष - उत्पादन 2009-10 से

4. सरदार वल्लभभाई पटेल शक्कर कारखाना

स्थापना - 2016

स्थान - बिसेसरा, पंडरिया (कवर्धा)

विशेष - अपशिष्ट से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाएगा।

5. शक्कर कारखाना चंदनु (प्रस्तावित)

प्रस्तावित वर्ष - 2019

विशेष - यह कारखाना चंदनु के फूड पार्क में खुलेगा।

छत्तीसगढ़ में शक्कर उद्योग कहां स्थित है - chhatteesagadh mein shakkar udyog kahaan sthit hai

Raman singh- File Photo

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में राज्य के चौथे शक्कर कारखाने का शुभारंभ किया गया. इस दौरान मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि विकास की परिभाषा केवल पुल-पुलियों और भवनों तक सीमित नहीं रहती. जनता के जीवन में आए परिवर्तन से विकास का आंकलन किया जा सकता है.

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  • भाषा
  • Last Updated : January 22, 2017, 08:49 IST

    छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में राज्य के चौथे शक्कर कारखाने का शुभारंभ किया गया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने शनिवार शाम कबीरधाम जिले के ग्राम बिशेषरा (विकासखण्ड-पंडरिया) में जिले के दूसरे और राज्य के चौथे सहकारी शक्कर कारखाने का लोकार्पण किया.

    इस दौरान मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि विकास की परिभाषा केवल पुल-पुलियों और भवनों तक सीमित नहीं रहती. जनता के जीवन में आए परिवर्तन से विकास का आंकलन किया जा सकता है. आज छत्तीसगढ़ के हर व्यक्ति के चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक है. राज्य सरकार के नए बजट में इस बार भी विकास कार्यो के लिए सभी जरुरी प्रावधान किए जाएंगे.

    मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी बिल्डिंग के निर्माण में भी दस महीने से ज्यादा समय लगता है, लेकिन यह विशाल और अत्याधुनिक नया कारखाना सहकारिता के आधार पर सिर्फ दस महीने के रिकार्ड समय में तैयार हो गया है. यह अपने आप में अनोखा उदाहरण है.

    रमन सिंह ने कहा कि इस कारखाने के असली मालिक यहां के किसान हैं. वह सिर्फ यह कारखाना उन्हें समर्पित करने आए हैं. कारखाने के संचालन के लिए सहकारी समिति का गठन किया गया है. यह शक्कर फैक्टरी इस समिति में शामिल 13 हजार से ज्यादा शेयर धारक किसानों की मिल्कियत है.

    मुख्यमंत्री ने कहा कि 160 करोड़ से ज्यादा लागत से निर्मित इस कारखाने का लाभ कबीरधाम सहित उसके पड़ोसी मुंगेली और बेमेतरा जिलों के लगभग 35 हजार किसानों को भी मिलेगा. तीनों जिलों के किसान यहां अपने गन्ने की फसल बेचकर लाभ अर्जित कर सकेंगे. इस कारखाने में शक्कर के साथ बिजली भी बनेगी.

    रमन सिंह ने बताया कि कारखाने का नामकरण लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर किया गया है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और आजादी के बाद लगभग 700 देशी रियासतों को भारत संघ का अभिन्न अंग बनाने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाई.

    सीएम रमन सिंह ने कहा कि इन दिनों पूरी दुनिया में शक्कर उद्योग पर संकट देखा जा रहा है, देश के बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में बंद हो रहे हैं, ऐसे वक्त में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में एक नए शक्कर कारखाने के निर्माण का निर्णय लेना और उसे पूरा करना आसान नहीं था, लेकिन सबकी मेहनत और सबके सहयोग से इसमें कामयाब हुए.

    अधिकारियों ने बताया कि राज्य में सहकारिता के क्षेत्र में वर्तमान में तीन शक्कर कारखाने संचालित हो रहे हैं. इनमें कबीरधाम जिले के ग्राम राम्हेपुर स्थित भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना, जिला बालोद के ग्राम करकाभाट स्थित मां दंतेश्वरी शक्कर कारखाना और जिला सूरजपुर के ग्राम केरता में संचालित मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना शामिल हैं.

    ग्राम बिशेषरा में लगभग 75 हेक्टेयर के रकबे में निर्मित और मुख्यमंत्री के हाथों आज लोकार्पित इस कारखाने का मुख्यमंत्री रमन सिंह ने 14 दिसम्बर 2015 को भूमिपूजन और शिलान्यास किया था. निर्माण कार्य तीन मार्च 2016 से शुरू हुआ और सिर्फ दस महीने के रिकार्ड समय में पूरा कर लिया गया. यह कबीरधाम जिले का दूसरा और छत्तीसगढ़ राज्य का चौथा शक्कर कारखाना होगा.

    उन्होंने बताया कि इस नये शक्कर कारखाने में आधुनिक टेक्नालॉजी का इस्तेमाल किया गया है और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मशीनें लगाई गई हैं. इसकी प्रतिदिन की गन्ना पेराई की क्षमता 25000 क्विंटल है. इस कारखाने में प्रतिदिन 2500 क्विंटल शक्कर का उत्पादन होगा.

    इसके अलावा कारखाने से निकलने वाले अपशिष्ट से 14 मेगावाट बिजली भी मिलेगी. पंडरिया विकासखण्ड में कारखाने की स्थापना से क्षेत्र के 300 लोगों को प्रत्यक्ष और 500 लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. कबीरधाम जिले के साथ-साथ पड़ोसी जिले बेमेतरा और मुंगेली के गन्ना उत्पादक किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा.

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    Tags: Chhattisgarh news

    FIRST PUBLISHED : January 22, 2017, 08:49 IST

    छत्तीसगढ़ का प्रथम शक्कर कारखाना कहाँ है?

    भोरमदेव शक्कर कारखाना यह राज्य का प्रथम शक्कर कारखाना है।

    छत्तीसगढ़ राज्य में शक्कर कारखानों की कितनी इकाइयां हैं?

    सम्बन्धित प्रश्न छत्तीसगढ़ में महामाया सहकारी शक्कर कारखाना कहा लगाया जा रहा है ?

    भोरमदेव शक्कर कारखाना की स्थापना कब हुई?

    चर्चा में क्यों? 2 जून, 2022 को कबीरधाम ज़िले में स्थापित भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने के प्रबंध संचालक भूपेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि भोरमदेव शक्कर कारखाना देश में शक्कर की आपूर्ति करने के साथ ही विदेशों में भी शक्कर का निर्यात कर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

    छत्तीसगढ़ के प्रथम उद्योग का क्या नाम है?

    आयोग ने चार विकल्प भी दिया था। जिनमें पहला मोहन जूट मिल दूसरा भिलाई इस्पात संयत्र तीसरा मोनेट इस्पात संयंत्र और चौथा बंगाल-नागपुर काटल मिल शामिल था। कोरोना गाइडलाइन के बीच परीक्षा संपन्न हुआ।