छत्तीसगढ़ में जनगणना कब हुआ था? - chhatteesagadh mein janaganana kab hua tha?

छत्तीसगढ़ः देर में बच्चे पैदा करो, इनाम पाओ

  • आलोक प्रकाश पुतुल
  • रायपुर से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए

10 जनवरी 2014

अपडेटेड 11 जनवरी 2014

छत्तीसगढ़ में जनगणना कब हुआ था? - chhatteesagadh mein janaganana kab hua tha?

छत्तीसगढ़ में जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक अनूठी पेशकश की है. सरकार ने बच्चे पैदा करने में देरी करने वालों को पुरस्कृत करने का फ़ैसला किया है.

सरकार ने घोषणा की है कि शादी के कम से कम दो साल बाद पहले बच्चे को जन्म देने वाले दंपत्ति को बेटे के जन्म पर 10 हज़ार रुपए और बेटी के जन्म पर 12 हज़ार रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा.

यह योजना राज्य में ग़रीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों के लिए शुरू की गई है.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के अनुसार “इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए ख़ास निर्देश दिए गए हैं. हमें उम्मीद है कि इस योजना का सकारात्मक असर होगा.”

पहली संतान के बाद दूसरी संतान के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर रखने और बच्चे के जन्म के एक साल के भीतर परिवार नियोजन के स्थायी उपाय अपनाने वाले दंपत्ति को बेटे के जन्म पर पांच हज़ार रुपए और बेटी के जन्म पर सात हज़ार रुपए का अतिरिक्त पुरस्कार राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के रूप में दिया जाएगा.

जनसंख्या दर में वृद्धि

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छत्तीसगढ़ की आबादी के कुल 56 लाख परिवारों में 48 लाख परिवार ग़रीब हैं.

जनसंख्या नियंत्रण का उद्देश्य आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लड़कियों के विवाह की आयु और बच्चों के जन्म में अंतर बढ़ाने के लिए जनसंख्या स्थिरता कोष के ज़रिए 'प्रेरणा-एक उत्तरदायी पितृत्व रणनीति' नामक योजना शुरू की गई है.

इस योजना के तहत ऐसे दंपत्तियों को चिह्नित कर पुरस्कृत करने का निर्णय लिया गया है, जो कम उम्र में शादी करने की परंपरा तोड़ते हैं और बच्चों के जन्म में अंतर रखते हैं.

जनसंख्या के मामले में भारत में छत्तीसगढ़ का नौंवा स्थान है.

2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल आबादी दो करोड़ 55 लाख से ज़्यादा है. कुल 56 लाख परिवारों में 48 लाख परिवार ग़रीब हैं.

जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि साल 2001 में छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या दो करोड़ आठ लाख के क़रीब थी जो 2011 में बढ़कर दो करोड़ 55 लाख से ज़्यादा हो गई.

इस प्रकार राज्य की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर 22.61 प्रतिशत थी, जबकि इस दौरान देश की जनसंख्या वृद्धि दर 17.6 प्रतिशत थी यानी देश की तुलना में राज्य में जनसंख्या वृद्धि दर पांच प्रतिशत अधिक थी.

यहां तक कि 1991 से 2001 की अवधि छत्तीसगढ़ की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर 18.27% थी. यानी इन दो दशकों में जनसंख्या वृद्धि दर में छत्तीसगढ़ में 4.34 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है.

'आदिवासी केंद्रित योजनाएं'

छत्तीसगढ़ में सरकार ने इससे पहले नगरपालिका और नगरीय निकाय संस्थाओं में दो से अधिक बच्चों के माता-पिता के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा रखा था.

इस कारण कई लोगों को तीसरी संतान पैदा होने के बाद अपना पद छोड़ना पड़ा था. हालांकि बाद में सरकार ने इस नियम को समाप्त कर दिया.

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राज्य की पांच आदिम जनजातियों में हाल यह है कि उनकी छह-सात संतान पैदा होती हैं, जिनमें बमुश्किल दो-तीन ज़िंदा रह पाती हैं.

इसी तरह सरकारी नौकरी में भी राज्य सरकार ने दो से अधिक संतान वालों को नौकरी के लिए अपात्र घोषित कर दिया था लेकिन सरकार की ताज़ा योजना को सामाजिक कार्यकर्ता बहुत उपयोगी नहीं मान रहे.

राज्य में आदिवासियों के बीच जल-जंगल और ज़मीन के मुद्दे पर लड़ाई लड़ने वाले गौतम बंदोपाध्याय का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण से बड़ा मुद्दा बेहतर जनसंख्या है.

उनका कहना है कि राज्य की पांच आदिम जनजातियों में हाल यह है कि उनकी छह-सात संतान पैदा होती हैं, जिनमें बमुश्किल दो-तीन ज़िंदा रह पाती हैं.

वे कहते हैं, ''शहरों के लिए सरकार की यह योजना ठीक हो सकती है पर इस आदिवासी बहुल राज्य में सरकार को आदिवासी केंद्रित स्वास्थ्य जनसंख्या की योजना बनानी चाहिए, जिसे लागू करने के लिए संस्थागत ढांचा तैयार किया जाना चाहिए. आदिवासियों में मृत्यु दर घटे, उनमें कुपोषण कम हो, उनका जीवन स्तर सुधरे, इसे पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए.''

प्राचीनकाल से ही भारतवर्ष में पंचायतों का अस्तित्व रहा है, यहाँ के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत के संविधान में पंचायत राज के महत्व को स्वीकार करते हुये ग्राम पंचायतों का गठन करके पंचायत राज को मूर्त रूप देने के संबंध में संविधान की नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत प्रावधान किया गया है, इसके लिए नियम, निर्देशन, कार्य दायित्व, सशक्तियाँ आदि निर्धारित करने हेतु राज्यों के विधान मण्डल को अधिकृत किया गया है। 73वां संविधान संशोधन के फलस्वरूप संविधान के भाग 9 में पंचायत राज व्यवस्था का प्रावधान कर संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है, पंचायत राज व्यवस्था 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में लागू है ।

छत्तीसगढ़ का गठन 1 नवम्बर 2000 को मध्यप्रदेश राज्य से विघटित कर किया गया है, भारत के संविधान के 73 वें संशोधन अधिनियम 1992 के अनुरूप राज्य में छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधित) अधिनियम,1993 को लागू किया गया है। पूर्व में पंचायत राज व्यवस्था अंतर्गत विभिन्न कानून और व्यवस्थाएँ प्रचलित थी, जिनमें आवश्यक संशोधन कर प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ एवं उपयोगी बनाने हेतु पंचायत राज अधिनियम बनाए गए हैं।

राज्य सरकार ने पंचायत राज अंतर्गत कार्यरत निकायों की वृहद कार्य व्यवस्था, ज़िम्मेदारी तथा कार्य निर्वहन गतिविधियों को दृष्टिगत रखते हुये छत्तीसगढ़ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन पंचायत संचालनालय के गठन हेतु मंत्रिपरिषद के व्दारा दिनांक 3 सितम्बर 2012 को निर्णय लिया गया तथा दिनांक 06 सितम्बर 2012 से अस्तित्व में आया है।

पंचायत विभाग में प्रशासकीय नियंत्रण एवं नियमन हेतु मंत्रालयीन स्तर पर अपर मुख्य सचिव, सचिव, उप सचिव, अवर सचिव तथा अन्य अमला कार्यरत हैं, इस विभाग अंतर्गत नीतियों के निर्धारण तथा नियमन के कार्य किए जातें हैं। संचालनालयीन स्तर पर संचालक, अपर संचालक, संयुक्त संचालक, उप संचालक एवं अन्य अमले कार्यरत हैं। ज़िला स्तर पर उप संचालक, ज़िला अंकेक्षक, उप अंकेक्षक एवं खण्ड स्तर पर वरिष्ठ आंतरिक लेखापरीक्षक एवं करारोपण अधिकारी, आंतरिक लेखापरीक्षक एवं करारोपण अधिकारी, सहायक आंतरिक लेखापरीक्षक एवं करारोपण अधिकारी, पंचायत सचिव कार्यरत हैं। पंचायत संचालनालय व्दारा विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ साथ प्रशासकीय नियंत्रण तथा कार्य सम्बन्धी दिशा निर्देश भी जारी किया जाता है ।

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वर्तमान में छत्तीसगढ़ की जनसंख्या कितनी है?

राज्य की कुल जनसंख्या 2,08,33,803 है। राज्य में कुल 44 अनुसूचित जातियाँ निवास करती है और इस प्रकार राज्य की कुल जनसंख्या का 11.6 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति का है।