निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये: Show कवि ने अपनी लड़की को अपने व्यवहार के प्रति सजग रहने की शिक्षा दी है और उससे कहा है कि वह लड़की की तरह रहे पर लडकी की तरह कमजोर और असहायी न बने। 146 Views आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना? माँ के इन शब्दों में लाक्षणिकता का गुण विद्यभाव है। नारी में ही कोमलता, सुंदरता, शालीनता, सहनशक्ति, माधुर्य, ममता आदि गुण अधिकता से होते हैं। ये गुण ही परिवार को बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। माँ ने इसीलिए कहा है कि उसका लड़की होना आवश्यक है। उसमें आज की सामाजिक स्थितियों का सामना करने का साहस होना चाहिए। उसमें सहजता सजगता और सचेतता के गुण होने चाहिए। उसे दव्यू और डरपोक नहीं होना चाहिए। इसलिए उसे लड़की जैसी दिखाई नहीं देना चाहिए ताकि कोई सरलता उसे डरा-धमका न सके। 890 Views ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए जरूरी समझा है कि वह भी अनेक अन्य बहुओं की तरह किसी की आग में अपना जीवन न खो दे। उसे किसी भी अवस्था में कमजोर नहीं बनना चाहिए। उसे कष्ट देने की कोशिश करने वालों के सामने उठ कर खड़ा हो जाना चाहिए। कोमलता नारी का शाश्वत गुण है पर आज की परिस्थितियों में उसे कठोरता का पाठ अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि किसी प्रकार की कठिनाई आने की स्थिति में उसका सामना कर सके। 421 Views पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की अपने माता-पिता के संस्कारों में बंधी भोली-भाली लड़की उसी रास्ते पर चलना चाहती है जो उसे बचपन से युवावस्था तक दिखाया गया है। उसने माता-पिता की छत्र-छाया में रहते हुए जीवन के दुःखों का सामना नहीं किया। वह नहीं जानती कि आज का समाज कितना बदल गया हैं। उसे दूसरों के द्वारा दी गई पीड़ाओं का कोई अहसास नहीं है। वह तो अज्ञान और अपनी छोटी के धुंधले प्रकाश में जीवन की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने वाली पाठिका है जो चुपचाप उन्हीं को पड़ती है। 902 Views ‘स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है’-इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
मैं लौटुंगी नहीं इस कविता का ‘कन्यादान’ कविता से सीधा संबंध तो नहीं है पर स्त्री की जागरुकता और सजगता की दृष्टि से साम्य अवश्य है। स्त्री कहती है एक युगों से चली आने वाली सामाजिक रूढ़ियों को तोड़कर उसने घर से बाहर कदम निकालने सीख लिए हैं। वह उन कष्टों और पीड़ाओं से अब परिचित है जिसे आततायियों ने उसके बच्चों, पति और भाइयों को दी थी। उसके बच्चों को दहकती आग में जला दिया गया था। उसने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं। शृंगार के लिए पहने गहने उतार दिए हैं। वह जाग चुकी है। उसने अपने देश को आजाद कराने की राह देख ली है। वह अपना सब कुछ छोड़ कर आजादी की राह पर आगे बढ़ गई है। वह वापिस अपने घर नहीं लौटना चाहती। वह तो आजादी प्राप्त करने के लिए अड़ी हुई है। इस पंक्ति से स्त्री का क्रोध और मानसिक दृढ्ता का मनोभाव प्रकट हुआ है। उसने ज्ञान की प्राप्ति से ही ऐसा करना सीखा है। 630 Views ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है कवि ने इन पंक्तियों में समाज में विवाहिता र्स्त्रो की बस् के रूप में स्थिति की ओर संकेत किया है। वर्तमान में हमारे भारतीय समाज में दहेज प्रथा और अनैतिक संबंधों की
आग बहुओं को बहुत तेजी से जला रही है। लोग दहेज के नाम पर पुत्रवधू के पिता के घर को खाली करके भी चैन नहीं पाते। वे खुले मुँह से धन माँगते हैं और धन न मिलने पर बहू से बुरा व्यवहार करते हैं, उसे मारते-पीटते हैं और अनेक बार लोभ के दैत्य के चंगुल में आ कर उसे आग में धकेल देते हैं। कवियों ने समाज में नारी की इसी स्थिति की ओर संकेत किया है जो निश्चित रूप से अति दुःखदायी है और शोचनीय है। कितना बड़ा आश्चर्य है कि वह आग कभी उस दहेज लोभियों .के घर में उनकी बेटियों को नहीं जलाती। वह सदा बहुओं को ही क्यों
जलाती है? 392 Views
इसका अर्थ है कि अपने चेहरे पर इतना ध्यान मत देना कि तुम अपने अस्तित्व को ही भुला बैठे। रूपवती होना अच्छी बात होती है लेकिन इसके मोह में स्वयं को भूल बैठना मूर्खता होती है।
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IT MEANS BAS APNI SUNDARTA PAYPROUD MAT KARNA
IT MEANS BAS APNI SUNDARTA PAYPROUD MAT KARNA
जीवन शब्द से दो अन्य शब्द बनाए
चेहरे पर मत रीझना में क्या निहित है फटकार नसीहत तिरस्कार सम्मान?इसका अर्थ है कि अपने चेहरे पर इतना ध्यान मत देना कि तुम अपने अस्तित्व को ही भुला बैठे। रूपवती होना अच्छी बात होती है लेकिन इसके मोह में स्वयं को भूल बैठना मूर्खता होती है।
`' चेहरे पर मत रीझना में क्या निहित है ?`?'अपने चेहरे पर मत रीझना' वाक्यांश से तात्पर्य अपनी सुंदरता पर आत्म-मुग्ध ना होना और अपनी सुंदरता पर अभिमान ना करना है। Explanation: यह प्रश्न 'ऋतुराज' द्वारा रचित कविता “कन्यादान” से संबंधित है। इसमें एक मां अपनी बेटी को उपदेश देते हुए कहती है कि उसकी बेटी अपनी सुंदरता पर आत्ममुग्ध ना हो।
27 कन्यादान कविता में चेहरे पर मत रीझना में क्या निहित है I फटकार II नसीहत III तिरस्कार IV सम्मान?Solution : अधिकांशतः स्त्रियाँ अपनी सुन्दरता का मोह में फँस जाती है जिसके कारण उनको प्रशंसा के बन्धन में बँधकर, कमजोर बनकर रहना पड़ता है जिसके कारण समाज के शोषण का शिकार बनती है। इसे ही अपना सर्वस्व मान घर की चार - दीवारी में ही सिमित रह जाती है।
कन्यादान कविता में चेहरे पर मत भेजना में क्या नियत है?विक्षनरी:हिन्दी-कश्मीरी शब्दकोश - विक्षनरी
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