भारतीय अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्र ज्यादा महत्व क्यों रहता है? - bhaarateey arthavyavastha mein trteeyak kshetr jyaada mahatv kyon rahata hai?


अध्याय : 2. भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्राक

तृतीयक क्षेत्राक का महत्व

तृतीयक क्षेत्राक की वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारक :
1. मूल सेवाएँ :
किसी भी देश में अनेक सेवाओं जैसे अस्पताल, शैक्षिक संस्थाएँ, डाक एवं तार, पुलिस स्टेशन, कचहरी, बीमा, रक्षा, परिवहन, बैंक आदि की आवश्यकता होती है। इन्हें बुनियादी सेवाएं माना जाता है। सरकार इन सेवाओं की पूर्ति के लिए उत्तरदायित्व रखती है।
2. परिवहन तथा संचरण के विकास का अर्थ :
कृषि एवं औद्योगिक विकास, परिवहन, संचरण, व्यापार आदि सेवाओं के विकास से आगे है। ये सभी तृतीयक क्षेत्राक में आते है।
3. अधिक आय अधिक सेवायें :
हमारे देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है। आय स्तर बढ़ने के साथ लोगों की मांग भी बढ़ती है।
4. नयी सेवाएँ :
आधुनिकीकरण तथा वैश्वीकरण के साथ सूचना तथा संचार प्रौधोगिकी पर आधारित कुछ नर्इ सेवायें महत्वपूर्ण तथा आवश्यक होती है।
5. भारतीय आय में तृतीयक क्षेत्राक की भूमिका :
(i) भारत विकसित देश है। भारत में 1991 से नर्इ आर्थिक योजनाएँ, वेश्वीकरण, उदारीकरण, MNCs तथा विदेशी निवेश का स्वागत किया। आर्थिक योजनाओं में बदलाव के कारण भारत मे इस क्षेत्राक में वृद्धि हुर्इ है। मूलभूत सुविधाएँ जैसे शिक्षा, सूचना तकनीक से सम्बंधित, स्वास्थ्य देखभाल सेवा, ATM, सूचना केन्द्र आदि भारतीयों को रोजगार प्रदान करते है।
(ii) GDP में तृतीयक क्षेत्रा का हिस्सा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। GDP के रूप में अन्य क्षेत्राको के साथ तृतीयक क्षेत्राक की वृद्धि की दर दर्शाती है कि GDP (%) में तृतीयक क्षेत्राक का हिस्सा पिछले 30 वर्षो (1973 से 2003 तक) बढ़ा है। 1973 में GDP में तृतीयक क्षेत्रा का हिस्सा 35 से 40% तक था। यह 2003 में 50 से 60% तक बढ़ा।
(iii) रोजगार में भी तृतीयक क्षेत्राक का हिस्सा पिछले 30 वर्षो में बढ़ा है। 1973 में, हिस्सा 10 से 15% था परन्तु 2003 में यह 20 से 22% तक बढ़ा। तृतीयक क्षेत्राक आशानुरूप रोजगार उपलब्ध कराने में कोर्इ भूमिका नहीं निभा रहा है फिर भी वर्ष 2000 से लगातार अधिक रोजगारपरक रहा है।
(iv) तृतीयक क्षेत्राक लोगो की दक्षता बढ़ाता है।
(v) ये देश के लोगो को सूचना ओर ज्ञान उपलब्ध करवाता है।
6. कार्य से रोजगार सेवा में वृद्धि के लिए कारण :
(i) विकसित देशो में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, भिन्न प्रकार की सेवायें मुख्य रूप से स्वास्थ्य सुरक्षा, मनोरंजन तथा परिवहन के लिए मांग में अधिक वृद्धि समानुपाती रूप से उत्पादित है।
(ii) समय के मूल्य में वृद्धि के कारण घर के बाहर सम्पन्न होने वाले घरेलू कार्यक्रम अधिक होते जा रहे है।
(iii) एक वर्ष में (GNP) सकल राष्ट्र उत्पाद का समानुपात के रूप में चिकित्सा सेवा, यूरोप, उत्तरी अमेरिका तथा जापान में नियत रूप से बढ़ी है।
(iv) समृद्ध लोगों से चिकित्सा सुरक्षा के लिए भी मांग रहती है।
(v) कार्य स्थलों पर साक्षरता तथा कम्प्यूटर प्रशिक्षण के लिए मांग में वृद्धि के साथ सभी स्तरो पर शिक्षा सेवाओं के लिए माँग रही है।


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भारत में तृतीयक क्षेत्र अधिक महत्वपूर्ण क्यों होता जा रहा है?

परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक सेवाएँ और व्यापार तृतीयक गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं। चूँकि ये गतिविधियाँ वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन करती हैं, इसलिए तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है। सेवा क्षेत्रक में कुछ ऐसी अपरिहार्य सेवाएँ भी हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं के उत्पादन में सहायता नहीं करती हैं।

उत्पादन में तृतीयक क्षेत्र का क्या महत्व है?

तृतीयक क्षेत्रतृतीयक क्षेत्र प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को सहायता प्रदान करता है और यह उत्पादन प्रक्रिया के लिए भी सहायता प्रदान करता हैतृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता हैतृतीयक गतिविधियों में वित्तीय सेवाएं, परिवहन, दूरसंचार, स्वास्थ्य सेवाएं, परामर्श, खुदरा आदि शामिल हैं।

तृतीय क्षेत्र को क्या कहा जाता है?

इसके अन्तर्गत व्यापार, यातायात, संप्रेषण (कमुनिकेशन्स), वित्त, पर्यटन, सत्कार (हॉस्पितैलिटी), संस्कृति, मनोरंजन, लोक प्रशासन एवं लोक सेवा, सूचना, न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि आते हैं। . 13 संबंधों: न्याय, परिवहन, पर्यटन, मनोरंजन, लोक प्रशासन, शिक्षा, संचार, संस्कृति, स्वास्थ्य, सूचना, वित्त, विनिर्माण, व्यापार।

भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक छेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है क्या आप इससे सहमत हैं?

Solution : तृतीयक क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण हैं। मैं उपयुक्त कथन से सहमत नहीं हूँ क्योंकि ये गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं। ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं