बेदखल नोटिस फॉर्मेट इन हिंदी PDF - bedakhal notis phormet in hindee pdf

वर्तमान में संपत्ति दो पक्षों में विवाद का सबसे बड़ा कारण है। यह तो आप जानते ही हैं कि संपत्ति का स्वामी विवाद को दूर रखने के लिए अपनी संपत्ति की वसीयत करता है, जिसमें वह अपने कानूनी वारिसों के बीच संपत्ति को विभक्त कर देता है। अपनी मनमर्जी से एवं मनचाहे अनुपात में। वह चाहे तो किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति से बेदखल भी कर सकता है।

Show

इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति से अपने किसी कानूनी वारिस अथवा बेटे, बेटी को अलग अथवा बेदखल करना चाहता है तो वह ऐसा कैसे कर सकता है-

संपत्ति से बेदखल करना क्या होता है?

सबसे पहले जान लेते हैं कि किसी व्यक्ति को किसी संपत्ति से बेदखल करने का अर्थ क्या होता है। दरअसल, बेदखल करने से आशय किसी व्यक्ति को संपत्ति अथवा संपत्ति में हिस्से से कानूनी रूप से बाहर करना होता है।

इसके कई तरीके होते हैं, जिनका प्रापर्टी के मालिक किसी को प्रापर्टी से बाहर करने के लिए करते हैं। इसे अधिकारच्युत करना भी पुकारा जाता है।

  • पैतृक संपत्ति में बेटी का अधिकार कितना है? | हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम-2005

किन स्थितियों में लोग बेदखल करवाते हैं?

कई बार इस प्रकार की स्थितियां पैदा हो जाती हैं कि व्यक्ति को अपने वारिस की उसकी संपत्ति से बेदखली के सिवा कोई रास्ता नजर नहीं आता। जैसे कोई अपने पुत्र को उसकी आपराधिक गतिविधियों में संलग्नता के चलते उसे अपनी संपत्ति नहीं सौंपना चाहता।

अथवा जब वह देखता है कि उसका कानूनी वारिस उसके नियंत्रण अथवा उसके कहने में नहीं तो ऐसी स्थिति में वह अपनी मेहनत से कमाई संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए अपने पुत्र, पुत्री अथवा कानूनी वारिस की बेदखली करवाता है। आम तौर पर मुख्य रूप से निम्न स्थितियों में लोग बेदखल करवाते हैं-

  • यदि बेटा, बेटी अथवा कानूनी उत्तराधिकारी से किसी नुकसान की आशंका हो।
  • यदि किसी व्यक्ति का संबंधित वारिस गैर कानूनी कार्य करता हो, एवं उसे भी मुसीबत में डाल सकता हो।
  • यदि बेटा गलत संगत में पड़ गया हो अथवा अपराध की राह पर चल निकला हो।
  • दहेज के केस से बचने के लिए।
  • जब किसी व्यक्ति को अपने उत्तराधिकारी पर भरोसा न हो कि वह उसकी संपत्ति सही तरीके से हैंडल करेगा।

केवल अर्जित संपत्ति से ही कानूनी वारिस की बेदखली संभव है –

अब हम आपको संपत्ति से बेदखली के बारे में एक महत्वपूर्ण पहलू बताते हैं। यह पहलू है कि आप अपनी पैतृक संपत्ति से अपने कानूनी वारिस अथवा बेटे को बेदखल नहीं कर सकते।

  • पैतृक संपत्ति में हिस्सा कैसे लें? दादा, पिता, भाई प्रापर्टी हिस्सा न दें तो क्या करें?

लेकिन हां, यदि आपने संपत्ति स्वयं अर्जित की है तो आप बेटे को इस संपत्ति से अवश्य बेदखल कर सकते हैं। यानी किसी व्यक्ति की स्व अर्जित संपत्ति से ही किसी वारिस की बेदखली संभव है।

बेदखल नोटिस फॉर्मेट इन हिंदी PDF - bedakhal notis phormet in hindee pdf

संपत्ति से अपने कानूनी वारिस को बेदखल कैसे कर सकते हैं

हम आपको बताएंगे कि आप संपत्ति से अपने बच्चाें को, कानूनी वारिसान को बेदखल कैसे कर सकते हैं। जानकारी दे दें कि इसके कई रास्ते हैं, जो निम्नवत हैं-

1. समाचार पत्र में लिखित नोटिस प्रकाशित कराकर

यह अपने किसी उत्तराधिकारी को अपनी संपत्ति से बेदखल करने का एक पुराना तरीका है। संपत्ति का मालिक एक वकील के जरिए समाचार पत्र में एक लिखित नोटिस निकलवाता है।

इस नोटिस में लिखा जाता है कि नोटिस देने वाला व्यक्ति संबंधित व्यक्ति को अपनी किसी भी चल, अचल संपत्ति से बेदखल करता है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति का उससे किसी भी प्रकार का संबंध नहीं रहेगा।

यदि वह कोई अनुबंध करता है तो इसके लिए नोटिस देने वाला जिम्मेदार नहीं होगा। संबंधित व्यक्ति को भी इस संबंध में नोटिस भेजा जा सकता है।

  • लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम क्या है? परिभाषा, दायरा, दंड प्रावधान

बेदखल नोटिस फॉर्मेट इन हिंदी –

संबंध विच्छेद
——————————-

मैं…. पुत्र…. निवासी… अपने पुत्र….एवं पुत्रवधु…. के गलत संगत में पड़ने के कारण उनसे संबंध विच्छेद करता हूं। साथ ही उन्हें अपनी सभी चल एवं अचल संपत्ति से बेदखल करता हूं। भविष्य में अपने किसी भी कृत्य के लिए दोनों स्वयं जिम्मेदार होंगे
नाम…
पुत्र….
पता….

2. वसीयत के माध्यम से

यदि आप अपनी कमाई संपत्ति से अपने पुत्र, पुत्री अथवा किसी कानूनी वारिस को अपनी प्रापर्टी से सदैव के लिए बेदखल करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एक रजिस्टर्ड वसीयत बनानी होगी।

इसमें आपको स्पष्ट करना होगा कि कुल कितने लोग आपकी प्रापर्टी के कानूनी उत्तराधिकारी होंगे। किस-किसको आप अपनी प्रापर्टी से बेदखल कर रहे हैं आदि।

  • कारण बताओ नोटिस क्या है? यह नोटिस कैसे लिखा जाता है? | Explanation Letter Format in Hindi

3. कोर्ट में केस करके

यदि बेदखल करने की प्रक्रिया के बावजूद कोई वारिस प्रापर्टी से आउट होने को तैयार नहीं होता तो उसके खिलाफ सिविल कोर्ट में केस कर उसे संपत्ति से बाहर किया जा सकता है। यदि माता-पिता की उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो वे डिप्टी कमिश्नर अथवा डीएम अथवा सब डिविजनल मजिस्ट्रेट को इस संबंध में आवेदन कर सकते हैं।

अथवा यदि वे चाहें तो मेंटीनेंस एंड वेलफेयर आफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजंस एक्ट-2007 के अनुसार ट्रिब्यूनल में केस कर सकते हैं। आम तौर पर इसके लिए 21 दिन का समय लगता है।

इस प्रकार कोई समझदार व्यक्ति अपने किसी कानूनी वारिस अथवा पुत्र-पुत्री को संपत्ति से बाहर करने के लिए पोस्ट में ऊपर बताए तरीकों में से किसी भी तरीके को आजमा सकता है। वह कितनी संपत्ति का मालिक है, उस पर भी उसके द्वारा अपनाया जाने वाला तरीका निर्भर करता है।

  • बेनामी संपत्ति क्या है ? नियम /सज़ा/जुर्माना | Benami Property Act In Hindi

व्यक्ति की संपत्ति से बेदखली को समाप्त भी किया जा सकता है –

जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने किसी कानूनी वारिस को संपत्ति से बेदखल कर सकता है, उसी प्रकार संबंधित व्यक्ति की बेदखली भी समाप्त की जा सकती है। इसके लिए भी उसे अखबार में एक लिखित नोटिस देने की आवश्यकता पड़ेगी।

इसके अतिरिक्त वह वसीयत बदलकर भी संबंधित कानूनी वारिस को पुनः अपनी संपत्ति में हिस्सेदार बना सकता है। कई मां-बाप इस तरह से अपने वारिस की बेदखली समाप्त कर उसेे अपनी संपत्ति में हिस्सा देते हैं।

संपत्ति पर अवैध कब्जे एवं बेदखली के मामले बढ़ रहे

इन दिनों अपराध में दिनों दिन बढ़ोत्तरी हो रही है। ऐसे में कई अपराधी प्रवृत्ति के लोग असलहों के दम पर सरल, सभ्य नागरिकों की जमीन पर कब्जा करके नकली कागजात एवं फर्जी दस्तावेजों के सहारे उन्हें ही उनकी संपत्ति से बेदखल कर देते हैं।

  • वसीयत क्या होती है? वसीयत कैसे लिखी जाती है? | वसीयत कैसे बनायें?

ऐसे में पीड़ित पक्षकार को कानून की शरण में जाना पड़ता है। उनके लिए क्रिमिनल एवं सिविल कानून दोनों में प्रावधान किया गया है। आईपीसी की धारा 420, आईपीसी की धारा 406, आईपीसी की धारा 467, स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट-1963 की धारा-6 त्वरित न्याय दिलाने का कार्य करती हैं।

कानून में बेटे को दी गई संपत्ति वापसी का भी प्रावधान

यदि बच्चे अपने बुजुर्गों एवं मां-बाप की देखभाल करने में नाकामयाब रहते हैं तो इस स्थिति में मां-बाप के पास अधिकार है कि वे संपत्ति का हस्तांतरण करा दोबारा संपत्ति के हकदार बन जाएं। यदि बच्चे किसी बुजुर्ग को देखभाल का भरोसा देकर संपत्ति हथियाने का प्रयास करते हैं तो ऐसी स्थिति में भी संबंधित बुजुर्ग उस संपत्ति को दोबारा अपने नाम पर ट्रांसफर करा सकते हैं।

मेंटिनेंस एंड वेलफेयर आफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजंस एक्ट-2007 में इसका प्रावधान किया गया है। आपको यह जानकारी भी दे दें कि यह एक्ट असम, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, झारखंड, कर्नाटक, नागालैंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं त्रिपुरा में शेड्यूल्ड है।

  • [PMJDY] जनधन खाता कैसे ओपन करें? जीरो बैलेंस अकाउंट कैसे खोलें?

यह मूल रूप से सीनियर सिटीजंस यानी वरिष्ठ नागरिकों को उनके जीवन यापन एवं संपत्ति से जुड़ी किसी भी मुश्किल से बचाने के लिए लाया गया था। इसकी वजह से उस धोखाधड़ी से भी काफी हद तक मुक्ति मिली है, जिसमें पूर्व में बुजुर्ग देखभाल के नाम पर फंस जाया करते थे।

जबरन बेदखल किया गया मूल मालिक संपत्ति पर फिर अधिकार कैसे ले सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने ‘प्रतिकूल कब्जे के सिद्धांत’ का कई बार उल्लेख किया है। उसने हाल ही में कहा है कि 12 वर्ष तक कब्जा रखने की वजह से संपत्ति पर अधिकार प्राप्त कर चुके व्यक्ति से मूल मालिक अथवा किसी अन्य पक्ष द्वारा जबरन बेदखल किए जाने की स्थिति में उसका कब्जा फिर पाने के लिए वाद दाखिल कर सकता है।

आपको जानकारी दे दें कि प्रतिकूल कब्जे का सिद्धांत के अनुसार कोई व्यक्ति, जो संपत्ति का मूल मालिक नहीं है, 12 वर्ष तक संपत्ति का कब्जा रखने की वजह से मालिक बन जाता है, बशर्ते असल मालिक ने उसे बेदखल करने के लिए कानूनी सहारा न लिया हो।

  • ट्रस्ट क्या है? ट्रस्ट कैसे बनाएं? How To Make trust?

अधिकांश लोग संपत्ति से बेदखली के लिए लिखित नोटिस का सहारा लेते हैं –

सामान्य रूप से अधिकांश लोग संपत्ति से बेदखली के लिए समाचार पत्र में लिखित नोटिस का सहारा लेते हैं। इसकी वजह यह है कि यह किसी व्यक्ति की अपने कानूनी वारिस को संपत्ति से बेदखल करने की सबसे आसान प्रक्रिया है। इसमें किसी वकील की आवश्यकता नहीं। केवल निर्धारित फाॅर्मेट में समाचार पत्र में नोटिस प्रकाशित करवाना होता है।

इसके विपरीत वसीयत तैयार करने में अधिकांश लोग वकील की सहायता लेते हैं। इससे पूर्व उसमें प्रापर्टी का ब्योरा लिखना होता है। तमाम कानूनी वारिसों के नाम होते हैं। वहीं, केस करने की प्रक्रिया खर्चीली होती है। वह लंबी भी चलती है। भारतीय न्याय व्यवस्था काफी समय लेने वाली मानी जाती है।

कोरोना काल में तो और ज्यादा दिक्कतों का सामना कोर्ट-कचहरी में लगे मुकदमों के मुवक्किलों को करना पड़ रहा है। इस दौरान अधिकांश समय कोर्ट बंद रहे हैं। और यह बात तो आप जानते ही हैं कि अब कोरोना की तीसरी लहर बड़े पैमाने पर आने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में आगे क्या हालात रहेंगे, इस संबंध में अभी कुछ भी कहना बेहद जल्दबाजी होगी।

  • लिव इन रिलेशनशिप कानून, लिव इन में रहने वाली महिला के क्या अधिकार हैं?

औलाद पर संपत्ति से बेदखली की धमकी बहुत काम करती है –

संपत्ति से बेदखली का दबाव औलाद पर बहुत काम करता है। बुजुर्ग मां-बाप अक्सर जब अपने बेटे-बेटी से देखभाल के लिए इसरार करते हैं और औलाद बहाना बनाती है तो बुजुर्गवार अक्सर उन्हें संपत्ति से बेदखल करने की धमकी देते हैं, जो बहुत काम करती है।

उन्हें लगता है कि कहीं मां-बाप वास्तव में उन्हें संपत्ति के हक से वंचित न कर दें। यह सोचकर वह मां-बाप की बेशक मन से सेवा न करें, लेकिन उनकी देखभाल अच्छी तरह करने का प्रयत्न करते हैं। यह तो आप जानते ही हैं कि संपत्ति केवल वर्तमान काल में ही विवादों का एक बड़ा कारण नहीं है।

इतिहास गवाह है कि संपत्ति प्राचीन काल में भी विवाद की एक बड़ी वजह बनी रही है। विभिन्न राजाओं के उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति को लेकर लड़ाई-झगड़े आदि के किस्से भारत में सुनाए जाते रहे हैं।

  • उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज़ करे? How to file complaint in consumer court?

राज परिवारों में भी संपत्ति से बेदखली के विवाद खूब रहे हैं –

आप यह तो जानते ही होंगे कि भारतीय राज परिवारों में संपत्ति के विवादों के किस्से आम हैं। कुछ विवाद तो दशकों चले हैं। सिंधिया राज घराने का संपत्ति विवाद ऐसा ही विवाद है। वह दशकों तक चला। बाद में इस संपत्ति मामले में दो वसीयतें सामने आईं।

यह मामला आज भी न्यायालय में विचाराधीन हैं। हालांकि आउट आफ कोर्ट सैटलमेंट के कई प्रयास हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद यह विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। खुद राजघराने के विवाद में शामिल सदस्यों के अतिरिक्त अन्य सदस्यों को भी इस विवाद के सुलझने का इंतजार है।

इसके अतिरिक्त और भी कई राजघरानों में संपत्ति से बेदखली के विवाद खूब पनपते रहे हैं। ऐसा कई उन जगहों पर भी हुआ है, जहां संपत्ति मालिक को अपने उत्तराधिकारी पर से भरोसा उठ गया है। उसे लगता है कि उसका कानूनी वारिस उसकी संपत्ति को बजाय संभालने के लिए उसे ठिकाने लगाने में ज्यादा लगा रहेगा तो वे अपने उत्तराधिकारियों को बेदखल कर देते हैं।

  • पत्नी के अधिकार क्या-क्या हैं? What Are The Rights Of A Wife 2023

क्या पैतृक संपत्ति से कानूनी वारिस की बेदखली हो सकती है?

जी नहीं, पैतृक संपत्ति से कानूनी वारिस की बेदखली संभव नहीं।

कोई व्यक्ति अपनी कौन सी संपत्ति से अपने बेटे, बेटी अथवा वारिस को बेदखल कर सकता है?

व्यक्ति अपनी स्व अर्जित अर्थात खुद की कमाई संपत्ति से अपने कानूनी वारिस को बेदखल कर सकता है।

कानूनी वारिस को संपत्ति से बेदखल करने के क्या तरीके हैं?

कानूनी वारिस को संपत्ति से बेदखल करने के कई तरीके हैं। जैसे-अखबार में नोटिस देकर, वसीयत कराके अथवा कोर्ट में केस करके।

यदि माता-पिता की उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो वे कहां केस कर सकते हैं?

यदि माता पिता की उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो वे सीनियर सिटीजंस एक्ट के अनुसार ट्रिब्यूनल में भी आवेदन कर सकते हैं।

क्या बेदखली को समाप्त किया जा सकता है?

जी हां, जिस प्रकार बेदखली की प्रक्रिया है, उसी प्रकार बेदखली को समाप्त भी किया जा सकता है ।

हमने आपको इस पोस्ट में जानकारी दी कि संपत्ति से अपने कानूनी वारिस को बेदखल कैसे करें। जागरूकता के लिहाज से यदि आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें तो बहुत से लोगाें की सहायता हो सकेगी। यह पोस्ट आपको कैसी लगी, हमें बताना न भूलें। धन्यवाद।

—————————

बेदखल करने के लिए क्या करना चाहिए?

माता-पिता द्वारा अर्जित संपत्ति से ही बेदखल करने का है कानून यदि दादा की बिना वसीयत किए ही मौत हो जाती है इस हालात में भी पिता और बेटे का उस पर हक है. यदि पिता ने अपनी संपत्ति बनाई है या किसी मकान का मालिक पिता है तो वह अपने घर से बेटे को निकाल सकता है. इसके लिए पिता को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष एक आवेदन पत्र देना होगा.

दादा की संपत्ति किसकी है?

दादा इस संपत्ति को जिसे चाहे उस उस व्यक्ति को स्थानांतरित कर सकता है। यदि दादा बिना किसी वसीयत को छोड़े मृत्यु को प्राप्त हो जाते है, तो केवल उनके तत्काल कानूनी वारिस अर्थात् उनकी पत्नी, पुत्र और बेटी (बेटों) को पीछे छोड़ी गई संपत्ति के वारिस का अधिकार होगा।

क्या बेटा भारत में पिता के जीवित होने पर पिता की संपत्ति का दावा कर सकता है?

संपत्ति के मालिक के बेटा या बेटी केवल अपने पिता की दया पर ही उस संपत्ति का प्रयोग कर सकते हैं, पिता अपनी मर्जी से ही अपने बेटा या बेटी को घर से जाने के लिए भी कह सकते हैं। संपत्ति के मालिक के आलावा चाहे कोई भी हो मालिक के जीवित रहने तक उस संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं।