समय : 3 घण्टे खण्ड ‘क’ प्रश्न 1. (ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वे मानसिक रूप से अपरिपक्व होते है। वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन पर अधिक पड़ता है। (ग) दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव हैं जैसे- इससे समाज में फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है। इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं। नज़र कमजोर पड़ती है एवं घंटों दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी घट जाती है। (घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि-विच्छेद- बाल + अवस्था। (ङ) उपर्युक्त गद्यांश का
शीर्षक-दूरदर्शन के प्रभाव’। प्रश्न 2. (ख) “जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है-को भाव यह है कि जब-जब अंधेरा अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियाँ अपने चरम पर होती हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा इन प्रतिकूल अंधकारमय परिस्थितियों को अपने पथ प्रदर्शक शब्दों द्वारा नया सूर्य दिखाकर उन्हें प्रतिकूल बनाती है। (ग) गलियों का चैन शब्दहीन निर्दय चेतना द्वारा लुटता है। (घ) परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगी :- यह भाव अपने भी हो गए पराए’ में आया है। (ङ) जब
कर्ता अकर्ता हो जाता है अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियों के समक्ष हार जाता है तो कविता उसे जीना सिखाती है। खण्ड ‘ख’ प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. खण्ड ‘ग’ प्रश्न 7. (ख) खाँ साहब ने नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे ‘भारतरत्न’ शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर। मैंने बनाव सिंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान दिया है। (ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में सच्चे कलाकार’ थे। प्रश्न
8. (ख) मन्नू भंडारी और उनके पिता के बीच वैचारिक रूप से काफी मतभेद थे। उनके पिता अहंकारी, क्रोधी, शक्की तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति सजग रहने वाले व्यक्ति थे। यद्यपि वे आधुनिकता के समर्थक थे, वे स्त्रियों की प्रतिभा एवं क्षमता को समझते तथा उनका सम्मान भी करते थे पर उनकी यह सारी भावना उनके दकियानूसी विचारों के तले दब जाती थी। लेखिका उनकी इन खामियों पर झल्लाती थी। वे लेखिका को घर-गृहस्थी के कार्यों से दूर रखकर जागरूक नागरिक बनाना चाहते थे, घर में राजनैतिक जमाबड़ो में भाग लेने की सीख देते थे पर घर के बाहर सक्रिय भागीदारी के विरूद्ध थे। इसके कारण वे पिता की दी हुई सीमित आजादी के दायरे में बँधना नहीं चाहती थी, वे आजाद ख्यालों की थी जिस कारण पिता-पुत्री में मतभेद होना स्वाभाविक था। इतना ही नहीं पिता पुत्री के विचारों को मतभेद विवाह के विषय में भी था। लेखिका राजेन्द्र के साथ विवाह करना चाहती थी परंतु पिता इसका विरोध करते थे। इन्हीं कारणों से लेखिका की अपने पिता के साथ वैचारिक टकराहट थी। (ग) नेताजी का चश्मा पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रदर्शित करता है कि हमारी आने वाली भावी पीड़ी में भी देशभक्ति की भावना है। इस देश के नव निर्माण में न केवल युवा बल्कि बच्चा बच्चा भी अपना योगदान देने में तत्पर हैं। देशभक्त कैप्टन मरकर भी इस कस्बे के बच्चों में जिंदा हैं। (घ) बालगोबिन भगत का अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ अत्यंत आत्मीय व्यवहार था। वे जानते थे कि इसे अधिक प्रेम की आवश्यकता है। क्योंकि ऐसे बच्चों को विशेष स्नेह व देखभाल की जरूरत होती है। यदि ऐसे बच्चों को तिरस्कार व अपेक्षित किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा (ङ) लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक का अनुमान था कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली होगा, जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकांत में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे। प्रश्न 9. (ख) कवि ने यथार्थ पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यथार्थ ही जीवन की वास्तविकता है, इसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। भविष्य को सुंदर बनाने के लिए वर्तमान में परिश्रम करना पड़ता है। (ग) ‘मृगतृष्णा’ का शाब्दिक अर्थ है-धोखा या भ्रम रेगिस्तान में रेत के टीलों पर चिलचिलाती धूप को पानी समझकर हिरण प्यास बुझाने दौड़ता है। इसी को मृगतृष्णा कहते हैं। इसका प्रतीकात्मक अर्थ भ्रमक चीजों से है जो सुख का भ्रम पैदा करती है। जो न होकर भी होने का आभास कराती है वही मृगतृष्णा है। प्रश्न 10. (ख) वसंत ऋतु ऋतुओं का राजा है। इस ऋतु में प्रकृति ही निराला सौन्दर्य है। इस ऋतु में उद्यान में रंग-बिरंगे पुष्प दिखाई देते हैं। इस समय खेतों में गेहूँ, सरसों की फसलें कटने को तैयार हो जाती है। पीली सरसों की शोभा देखते ही बनती है, इस ऋतु को होली का संदेशवाहक भी कहा जाता है क्योंकि बसंत ऋतु में ही रंगों का त्योहार होली मनायी जाती है। राग और रंग इसके प्रमुख अंग हैं। यह त्योहार वसंत पंचमी को आरम्भ हो जाता है। चारों ओर सौन्दर्य राशि बिखरी हुई प्रतीत होती है। (ग) परशुराम ने लक्ष्मण को डराते हुए सभा में बताया कि मैं बाल ब्रह्मचारी हूँ और अत्यंत क्रोधी स्वभाव का हूँ। मैं क्षत्रियों के कुल का संहारक हूँ। यह बात इस विश्व में सभी जानते थे कि मैंने अनेक बार सम्पूर्ण पृथ्वी को राजाओं से विहीन कर दिया है तथा पृथ्वी ब्राह्मणों को दान में दे दी है। मेरा फरसो बहुत भयानक है। इसी से मैंने सहस्रबाहु की भुजाओं को काटकर शरीर से अलग कर दिया था। इस फरसे की भयंकरता को देखकर गर्भवती स्त्रियों के बच्चे गर्भ में ही मर जाते हैं। (घ) जब कोई वस्तु दान कर दी जाती है, तो वह अपनी नहीं रहती। इस सन्दर्भ में वस्तुएँ दान की जाती हैं। और कन्या कोई वस्तु नहीं है। परन्तु यदि उसका दान कर भी दिया जाता है, तो उससे सम्बन्धविच्छेद नहीं होता वह फिर भी अपने माता-पिता की लाड़ली रहती है तथा समय-समय पर अपने मायके’ आती जाती रहती है। आज समाज में लड़का व लड़की को समान अधिकार प्राप्त है। इस प्रकार हमारी दृष्टि में कन्या के साथ दान शब्द का कोई औचित्य नहीं है। हर माता-पिता कन्या के सुंदर भविष्य की कामना करते हैं, इसलिए वे इसे इस काबिल बना देते हैं कि उसका अपना अस्तित्व हो । (ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान इसलिए कहा है क्योंकि छोटे बच्चे के नए-नए दाँतों से झलकती लुभावनी मुस्कान मन मोह लेती है। बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बच्चे की मोहक मुस्कान कवि के हृदय को प्रसन्नता से भर देती है। उसे लगता है कि जैसे कमल तालाब को छोड़कर उसकी झोंपड़ी में आकर खिल गया हो। कवि का हृदय बच्चे की मुस्कान को देखकर आह्लादित हो जाता है। प्रश्न 11. खण्ड ‘घ’ प्रश्न 12.
(ख) स्वच्छ भारत अभियान
(ग) बदलती जीवन शैल
उत्तर: महँगाई की समस्या न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की गंभीर समस्या बन गई है। इस समस्या के कारण बहुत से देशों का आर्थिक स्तर घटता है। हमारा देश, भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा बड़ा देश है। पर उस तरह की पैदावार नहीं हो पा रही है जिससे आए दिन सामानों के दाम बढ़ते हैं। आजादी के बाद भारत में तीन चीजें हमेशा बढ़ती रही हैं भ्रष्टाचार, असमानता और महँगाई। ये तीनों सगी बहनें हैं। ये एक साथ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता है तो धनवान और धनी होते जाते हैं और गरीब बिल्कुल लगोंटी रारी हो जाते हैं। काले धन के कारण कालाबाजारी बढ़ती है। उससे मँहगाई बढ़ती है। हमारे देश के अमीर लोग इस मॅहगाई के सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं। आपात काल के शुरू-शुरू में वस्तुओं की कीमत कम रखने की परंपरा चली लेकिन व्यापरी अपनी मनमानी करते हैं, सामान्य जनता पर महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। उसके पास सीमित पूँजी होती है और उसकी खरीदने की शक्ति कमजोर हो जाती है। अफसरशाही नेता, व्यापारी ये सभी मँहगाई को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। इससे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। यदि सरकार मुद्रा स्फीति पर रोक लगाए तो शायद महँगाई पर कुछ तो लगाम लग सकेगी। सरकार को अधिक पैमाने पर गांवों का विकास कर उन्हें जागरूक करना चाहिए जिससे वे आधुनिक संसाधनों का प्रयोग करे और पैदावार बढ़ाए। हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जाएगा मॅहगाई वश में नहीं आयेगी। महँगाई को वश में करने के लिए उचित राष्ट्र नीति जरूरी है। मॅहगाई को रोकने के लिए लोगों को अपनी जमाखोरी की प्रवृत्ति छोड़नी होगी। उपभोक्ता को भी उतनी ही वस्तुएं खरीदनी चाहिए जितनी कि उसे आवश्यकता हो । दोबारा जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता को तभी सामान लेना चाहिए। इस तरह से महँगाई पर काबू रखा जा सकता है। (ख) स्वच्छ भारत अभियान अस्वच्छता से विभिन्न प्रकार की हनियाँ हैं। स्वच्छ वातावरण से पर्यावरण का विकास संभव है। हम सभी जानते हैं कि हमारा वातावरण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है पर इससे कुछ अंशों में युक्त। का एकमात्र साधन स्वच्छता है। जिस तरह का स्वच्छ परिवेश से वातावरण में कोई रोग-बीमारी का खतरा नहीं होगा। पहले गांवों में लोग खुले में शौच जाते थे पर इस अभियान द्वारा जनता जागरूक हो गई एवं उन्हें शौचालय का महत्व समझ में आया है। सड़कों, गलियों को स्वच्छ रखना जिससे वहाँ रहने वाले लोग स्वस्थ रहेंगे। हमारे पूज्यनीय गांधी जी स्वच्छता के प्रति अत्यंत जागरूक थे उन्हीं के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को इस आंदोलन से जोड़ने की मुहिम चलाई है। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमारे अभिनेता-अभिनेत्री सब स्कूल, कॉलेजों वे सरकारी कार्यालयों ने अहम भूमिका निभाई है। अब वह समय दूर नहीं जब हम गांधी जी के सपने को साकार कर पाएंगे। इसलिए हमें ‘स्वच्छ भारत अभियान में बढ़चद कर हिस्सा लेना चाहिए और कुछ नहीं तो हमें कम से कम रोज हमारी गली को साफ करना चाहिए। शिक्षा के प्रसार प्रचार को बढ़ावा देकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान में आप भी भागीदार बने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाएं। (ग) बदलती जीवन शैली आजकल की पीढ़ी कम्यूटर मोबाइल, बर्गर, पिज्जा और देर रात की पार्टियों पर आधारित है-मूल रूप से ये सब अस्वास्थ्यकर है। पेशेवर प्रतिबद्धताओं और व्यक्तिगत मुद्दों ने सभी को जकड़ लिया है। और इन सभी आवश्यकताओं के बीच वे अपना स्वास्थ्य खो रहे हैं। इन दिनों लोग अपने दैनिक जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे भूल गए हैं कि एक स्वस्थ जीवन जीने के
क्या मायने हैं। हम स्वस्थकर आदतें अपनाकर अपनी जीवन शैली में सुधारा जा सकता है यदि हम प्रातः भ्रमण, योगा व मेडिटेशन का जीवन में समावेश करें तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो पाएगा। शरीर में अनेक शक्तियाँ निहित हैं, यदि हम उन शक्तियों को पहचान लेंगे तो प्रश्न 13. अत: आप से विनम्र निवेदन है कि हमारी उचित सुरक्षा का प्रबंध करे व प्रतिदिन पुलिस की गश्त लगाते
रहे। इससे हमें सुरक्षा का भाव मिले। प्रश्न 14. CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2019 Delhi Set – IIसमय : 3 घण्टे Note : Except for the following questions, all | the remaining questions have been asked in previous set. खण्ड ‘क’ प्रश्न 8. (ख) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में देश भक्ति की भावना का भावुक व सम्मानीय रूप दिखायी देता है। कैप्टन चश्मे वाले की मूर्ति पर चश्मा लगाना व उसकी मृत्यु के पश्चात् बच्चों द्वारा हाथ से बनाया गया सरकंडे का चश्मा लगाना हमें यह संदेश देता है कि हर व्यक्ति को अपने देश के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार व समर्पण की भावना के साथ योगदान देना चाहिए। वर्तमान समय में ऐसी भावना को होना अत्यन्त आवश्यक है। (ग) नवाब साहब के व्यवहार में तहजीब, नजाकत और दिखावेपने की प्रवृत्ति झलकती है। वह स्वयं को दूसरों से अधिक शिष्ट व शालीन दिखाना चाहते हैं। खीरे की गंध को ग्रहण कर स्वाद का आनन्द लेकर बाहर फेंक देना हास्यास्पद लगता है। वह अपनी खानदानी नवाबी और दिखावटी जीवनशैली द्वारा स्वयं को गर्वित महसूस करते हैं। (घ) फादर बुल्के मानवीय गुणों का पर्याय बन चुके थे। सभी के प्रति ममता करुणा, प्रेम का अपनत्व आदि जैसे भाव उनकी छवि को दिव्यता प्रदान करते थे। वे सभी के साथ हंसी-मजाक करते गोष्ठियों में गंभीर बहस करते बेबाक राय व सुझाव देते थे। किसी भी उत्सव या संस्कार में बुजुर्गों की तरह आशीषों से भर देते थे। वास्तव में उनके हृदय में हमेशा दूसरों के लिए वात्सल्य ही रहता था जिसकी चमक उनकी आँखों में दिखती थी। इसलिए फादर बुल्के को मानवीय गुणों को दिव्य चमक कहा गया है। (ङ) बिस्मिल्ला खाँ का जीवन सादगी और उच्च विचारों से परिपूर्ण था। एक तरफ वे सच्चे मुसलमान की तरह पाँचों वक्त की नवाज अदा करते थे, दूसरी तरफ काशी की परम्परा को निभाते हुए बालाजी मंदिर में शहनाई वादन करते थे। गंगा को गंगा मइया कहकर पुकारते थे। अथक परिश्रम करते हुए सम्मानित होकर भी उनमें घमंड नहीं था। सभी की भावना का सम्मान करना, प्रेम, परोपकार आदि गुणों से सराबोर होकर सादा व सरल जीवन जीते थे। हिन्दू-मुस्लिम की एकता का प्रतीक बनकर खुदा से बस सच्चा सुर माँगते थे इन्हीं कारणों से कहा जा सकता है कि वास्तविक अर्थों में वह सच्चे इंसान थे। प्रश्न 10. (ख) कवि अपने मन को ‘छाया मत छूना’ कहकर समझाना चाहता है कि ‘अतीत की सुखद यादों को याद न करना’। बीती यादों को स्मरण करने से वर्तमान के यथार्थ का सामना करना मुश्किल हो सकता है और दुखः अधिक प्रबल हो सकता है। विमत-सुख को याद कर वर्तमान के दुख को ओर बढ़ाना तर्कसंगत नहीं है। (ग) उक्त पंक्ति में कवि नागार्जुन ने यह भाव दर्शाया है कि शिशु का प्रेम रूपी स्पर्श इतना कोमल और हृदयस्पर्शी होता है कि बांस और बबूल जैसे कठोर और कांटेदार पेड़ों से भी शेफालिका के फूल बरसने लगे अर्थात् कठोर व्यक्ति का हृदय कोमल हो जाये। (घ) स्मृति को पाथेय बनाने से जयशंकर प्रसाद का आशय यह है कि वह जीवन भर मुश्किलों से घिरा हुआ रहा है उसकी स्थिति थके हुए पथिक की तरह कष्टदायक है और स्मृति में कई सुखों के क्षण सजे हुए हैं जो जीने का आधार है। वह इन्हीं स्मृतियों के सहारे जीवन की निराशाजनक स्थितियों का सामना करना चाहता है। (ङ) लक्ष्मण ने परशुराम को वीर योद्धा की विशेषताएँ बताते हुए कहा कि शूरवीर रणक्षेत्र में शत्रु के समक्ष पराक्रम दिखाते हैं न कि अपनी वीरता का बखान करते हैं। शूरवीर ब्राह्मण, देवता, गाय और हरिभक्त पर भी अपनी वीरता नहीं दिखाते हैं। क्योंकि इन्हें मारने पर पाप लगता है। प्रश्न 11. उनके प्रति भारतीय युवाओं का उत्तरदायित्व यह बनता है। कि सभी फौजियों व उनके परिवारजनों का सम्मान करें व आत्मीय सम्बन्ध बनाए रखें। सामर्थ्य के अनुसार हर प्रकार से सहायता प्रदान करें। उनके जोश को और बढ़ाएँ। उनके परिवारजनों की शिक्षा प्राप्ति में सहायक बनें उनके फर्ज को ऋण के रूप में स्वीकारते हुए हमेशा उन्हें सम्माननीय दृष्टि से देखें । प्रश्न 13. आज रास्ते में एक व्यक्ति जनकपुरी बस स्टैंड से बस में चढ़ा। बस में 20-30 यात्री थे जो शांति से बैठे हुए थे। जैसे ही बस आधे रास्ते पहुँची उस आदमी ने तमंचा निकालकर सभी से चुप रहकर अपना कीमती सामान उसके हवाले करने को कहा। बस में यात्रा कर रहीं महिलाएँ चीखने लगीं, संवाहक से सभी को शांत होने एवं हिम्मत रखने के लिए कहा। फिर उस आदमी को अपनी बातों में फंसाकर अन्य व्यक्ति को इशारा किया। सभी ने उसे दबोच लिया। उसने जैसे ही भ. गिने की कोशिश की संवाहक ने चतुराई दिखाते हुए उसका सामना किया। रास्ते में पड़ने वाली पुलिस चौकी में जाकर उस अपराधी को पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। संवाहक का यह साहसिक कार्य प्रशंसनीय योग्य था। अतः मैं विभाग से निवेदन करता हूँ कि संवाहक के इस साहसिक कार्य की प्रशंसा करते हुए उसे सम्मानित किया जाए जिससे सभी को प्रेरणा मिल सके। विद्यार्थी जीवन का समय अमूल्य होता है। इस समय को न गंवाते हुए अपने उद्देश्य को पूरा करना और परिवार का सम्मान बढ़ाना। आगे तुम स्वयं समझदार हो। आशा है मेरी सलाह को तुम जरूर समझोगी। CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2019 Delhi Set – IIIसमय : 3 घण्टे Note : Except for the following questions, all the remaining questions have been asked in previous set. खण्ड ‘ग’ प्रश्न 8. (ख) बालगोबिन भगत प्रतिदिन दो मील दूर नदी स्नान के लिए जाते थे। सुबह-शाम कबीर के गीत गाते खेती-बाड़ी करते, सभी कार्य स्वयं करते व गृहस्थ होते हुए भी साधुता का जीवन जीते थे। झूठ न बोलना, खरा व्यवहार करना, किसी की चीज को छूना और प्रत्येक नियम को बारीकी से पूरा करना लोगों के लिए कुतूहल का विषय था। सर्दी हो या गर्मी अपने भजन में तल्लीन रहना उनका विशेष गुण था। वृद्धावस्था में भी भगत जी की ऐसी दिनचर्या अचरज का कारण इन्हीं वजहों से बनी। (ग) बिस्मिल्ला खाँ सच्चे मुसलमान थे। अपने धर्म और आस्था के प्रति समर्पित थे। पाँचों वक्त नमाज अदा करते थे मुस्लिम उत्सवों में गहरी आस्था थी। मुहर्रम में अगाध श्रद्धा थी। साथ ही वे काशी में जीवन-भर विश्वनाथ और बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते रहे। गंगा को मैया कहते थे। काशी से बाहर होने पर बालाजी के मंदिर की दिशा की तरफ मुँह करके थोड़ी देर के लिए शहनाई जरूर बजाते थे। हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों के लिए अवश्य होते थे। इसलिए कहा गया है कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे। (घ) फादर बुल्के के मन में सभी के लिए आशीष, करुणा, ‘प्रेम भरा हुआ था उनकी उपस्थिति मात्र ही बुजुर्गों के सम्मान अपने लोगों के एहसास से भर देती थी किसी भी उत्सव या संस्कारों में इस तरह शामिल होते थे जैसे कोई बड़ा-भाई या पुरोहित हो और सभी को अपने आशीषों से भर देते थे। उनकी गीली आँखों में सदैव वात्सल्य दिखाई देता था। जिस तरह देवदार का वृक्ष लंबा और छयादार होता है उसी तरह फादर की उपस्थिति प्रतीत होती थी जो सभी को अपने स्नेह से लबालब कर देते थे। (ङ) हालदार साहब कैप्टन की मृत्यु पर उदास व चिंतित हो जाते हैं। बूढ़ी कैप्टन ही था जो सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाता था उसकी मृत्यु के बाद वे सोचते हैं कि ये दुनिया तो बस देश पर मर मिटने वालों पर हँसती है जो अपना घर गृहस्थी जवानी जिंदगी सब देश के लिए बलिदान कर देते हैं उन पर लोग हंसते हैं। मजाक उड़ाते हैं। ऐसी घटती हुई देशभक्ति की भावना चिन्तनीय है। ऐसे देश का भविष्य क्या होगा जहाँ की कौम देशभक्तों का उपहास करती है। प्रश्न
10. (ख) फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपनी चरम सीमा पर व्याप्त होता है। फागुन में बसंत का यौवन और सुंदरता कवि की आँखों में समा नहीं पा रहा है। उसका हृदय प्रकृति के सौंदर्य से अभिभूत है। इस कारण कवि की आँख प्रकृति के सौंदर्य से हट नहीं पा रही है। (ग) फसले नदियों के पानी का जादू, मिट्टियों का गुण धर्म, मानव श्रम धूप और हवी का मिला-जुला रूप है। सभी प्राकृतिक उपादानों और मानव श्रम का परिणाम है। फसल को लेकर कवि ने संभावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा है कि मनुष्य यदि परिश्रम करे और प्राकृतिक उपादनों को सही उपयोग करे तो देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। किसानों की स्थिति में सुधार आएगा और कृषि व्यवस्था सदृढ़ होगी। (घ) कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक वे लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं। और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं। (ङ) किसी भी क्षेत्र या कार्य में मुख्य कलाकार का सहयोग करने वाले सहायकों को संगतकार कहा जाता है। संगताकर की भूमिका यह होती है कि वह अपने मुख्य कलाकार को पूर्ण सहयोग प्रदान करता ह और उन्हें आगे बढ़ने में योगदान देता है। जैसे संगीत के क्षेत्र में संगतकार मुख्य गायक की आवाज को बिखरने नहीं देता है साथ ही अपनी आवाज को प्रभावी नहीं बनने देता है। प्रश्न 11. प्रश्न 13. माँ इस गलती को स्वीकार करते हुए माफी माँगना चाहता हूँ। परन्तु साहस
नहीं जुटा पा रहा हूँ। आपके सामने अपनी गलती स्वीकार करने में लज्जित महसूस कर रहा हूँ। आपके दिये गए संस्कारों का मान नहीं रख पाया। माँ मैं इस पत्र द्वारा आपसे माँफी चाहता हूँ। मुझे माफ कर दीजिए। आगे से ऐसी चूक कभी नहीं होगी। आज मुझे एहसास हो रहा है मैं आदर्श बेटा न बन सका। मैं वादा करता हूँ ऐसी गलती दुबारा नहीं होगी। माँ इस पत्र द्वारा मैं अपने भावों को स्पष्ट करने की हिम्मत जुटा पाया हूँ। आशा है, आप मुझे माफ कर देंगी। CBSE Previous Year Question Papersबालगोबिन भगत के गायन की क्या विशेषता है?बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषता यह थी कि कबीर के सीधे-सादे पद उनके कंठ से निकल कर सजीव हो उठते थे, जिसे सुनकर लोग-बच्चे-औरतें इतने मंत्र-मुग्ध हो जाते थे कि बच्चे झूम उठते थे, औरतों के होंठ स्वाभाविक रूप से कॅप-कॅपाने लगते थे, हल चलाते हुए कृषकों के पैर विशेष क्रम-ताल से उठने लगते थे, उनके संगीत की ध्वनि-तरंग ...
बालगोबिन भगत के जीवन से जुड़ी कौन सी बातों ने आपको प्रभावित किया?कबीर को अपना आदर्श मानते थे ,उन्ही के गीतों को गाते . अनाज पैदा पर कबीर पंथी मठ में ले जाकर दे आते और वहाँ से जो मिलता ,उसी से अपना गुजर बसर करते . उनका गायन सुनने के लिए गाँव वाले इकट्ठे हो जाते . धान के रोपनी के समय में उनके गीत सुनकर बच्चे झूमने लगते ,मेंड पर खड़ी औरतें के होंठ काँप उठते थे .
आषाढ़ मास के महीने में बालगोबिन भगत क्या कार्य करते थे?आषाढ़ की रिमझिम बारिश में भगत जी अपने मधुर गीतों को गुनगुनाकर खेती करते हैं। उनके इन गीतों के प्रभाव से संपूर्ण सृष्टि रम जाती है, स्त्रियाँ भी इससे प्रभावित होकर गाने लगती हैं।
बाल गोविंद ने समाज सुधारक की तरह कौन कौन से कार्य किए?बालगोबिन भगत ने समाज सुधार के अनेक कार्य किये। बालगोबिन भगत सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। उन्होंने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद उसका क्रिया कर्म सामाजिक परंपराओं के विरुद्ध किया और कोई भी कर्मकांड किए बिना उसका श्राद्ध संस्कार कर दिया। उन्होंने अपने पुत्र की चिता को अग्नि भी अपने पुत्र वधू से दिलवाई।
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